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Praveen Kumar Yadav

Ssc & Railways
General Awareness
2 years ago

ब्रह्म सत्य है और जगत मिथ्या (भ्रम या माया) है'— यह किसकी उक्ति है ? A.शंकराचार्य B.रामानुजाचार्य C.वल्लभाचार्य D.चैतन्य

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Sundaram Singh

2 years ago

ब्रह्मसत्यं जगन्मिथ्या जीवो ब्रह्मैव नापर: अर्थात् ब्रह्म सत्य है जगत मिथ्या है और जीव ही ब्रह्म है इसके अतिरिक्त कुछ नहीं । शंकर के अद्वैत दर्शन का यही मूलाधार है । यह विचार भी इसी की पुष्टि करता है कि "एक मेवा द्वितीय नेह नानास्ति किंचन"। शंकर ने जगत को भ्रम व मिथ्या माना है।

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