ताप को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं – अक्षांश: पृथ्वी की उभरी हुई गोलाई के कारण उस पर सभी जगह एक-सी सूर्य की किरणें नहीं पड़तीं , कहीं वह सीधी पड़ती हैं और कहीं तिरछी. सीधी किरणों की अपेक्षा तिरछी किरणें अधिक क्षेत्र में फैलती हैं, फलतः उनसे पृथ्वी पर कम गर्मी उत्पन्न होती है और उसके सम्पर्क में आने वाली वायु कम गर्म हो पाती है | ऊँचाई: प्रति 300 फुट की ऊँचाई पर जाने से 1° Fahrenheit की कमी हो जाती है , अतः कोई स्थान विषुवत रेखा पर ही क्यों न पड़े, यदि वह काफी ऊँचाई पर स्थित है तो वहाँ अक्षांश (ऊपर जो हमने वर्णन किया है) का प्रभाव नष्ट हो जायेगा और तापमान में कमी आ जाएगी | जल और स्थल का वितरण: जल की अपेक्षा स्थल जल्द गर्म होता है और जल्द ठंडा भी होता है. फलस्वरूप उसके संपर्क में आने वाली वायु भी जल्द गर्म और जल्द ठंडी हो जाती है. इसके ठीक विपरीत जल के नजदीक वाले स्थान देर से गर्म और देर से ठन्डे होते हैं. यही कारण है कि समुद्र के किनारे के स्थानों में गर्मी के मौसम में उतना अधिक तापमान नहीं मिलता जितना उन्हीं अक्षांशों पर स्थित देश के भीतरी भागों में मिलता है. दूसरे शब्दों में समुद्र के नजदीक वाले भागों का ताममान कम रहता है |