संसदीय शासन प्रणाली में दो प्रकार की कार्यपालिकाएँ होती हैं (1) वास्तविक तथा नाममात्र की कार्यपालिका – वास्तविक और नाममात्र की कार्यपालिका का भेद संसदात्मक शासन प्रणाली के अन्तर्गत देखने को मिलता है। नाममात्र की कार्यपालिका – नाममात्र की कार्यपालिका वह होती है जिसके अधिकार में व्यावहारिक रूप से कार्यपालिका की वास्तविक शक्तियाँ नहीं होती हैं, जबकि सैद्धान्तिक रूप से संविधान द्वारा उसे समस्त कार्यपालिका शक्तियाँ प्रदान की गई होती हैं। नाममात्र की कार्यपालिका का प्रधान राज्य का प्रधान होता है। नाममात्र की कार्यपालिका में व्यक्ति का केवल नाम ही होता है। जैसे – इंग्लैंड, भारत आदि संसदात्मक देशों में सम्राट तथा राष्ट्रपति नाममात्र की या प्रतीकात्मक कार्यपालिका के उदाहरण हैं। वास्तविक कार्यपालिका – व्यवहार में इन कार्यपालिका शक्तियों का प्रयोग जिस कार्यपालिका के द्वारा किया जाता है, उसे वास्तविक कार्यपालिका कहा जाता है। वास्तविक कार्यपालिका का प्रधान शासन का प्रधान होता है। वास्तविक कार्यपालिका में व्यक्ति द्वारा वास्तविक रूप में शासन का समस्त कार्य किया जाता है।जैसे – प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद् वास्तविक कार्यपालिका का उदाहरण है।