मानव अधिकार समाज के लिए कितने उपयोगी हैं?
मानव अधिकारों से तात्पर्य उन सभी अधिकारों से हैं जो व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़े हुए है। ... मानव अधिकार सबके अर्थात स्त्री, पुरूष, बच्चे एवं वृद्ध लोगों के अधिकार है, और सब को समान रूप से प्राप्त है। इन अधिकारों का हनन जाति, धर्म, भाषा, लिंग-भेद के आधार पर नहीं किया जा सकता है। मानव अधिकार समाज के स्वरूप का एक बुनियादी अंग है। विश्व बन्धुत्व की भावना को दृढ़ व स्थायी बनाने के लिए इन अधिकारों का सहारा लिया जाने लगा है। मानव अधिकारों की घोषणा से स्वाधीनता और सम्मान को बल मिला है। राष्ट्रों के बीच सुरक्षा की भावना बढ़ी है तथा विश्व शान्ति की सम्भावना बढ़ी है।