स्याही के धब्बे वाला परीक्षण का निर्माण किस मनोवैज्ञानिक ने किया?
रॉर्शो परीक्षण (अंग्रेजी: Rorschach test, जर्मन उच्चारण: [ʁoːɐʃax]), जिसे रॉर्शोक स्याही का धब्बा परीक्षण, रॉर्शो तकनीक, या सिर्फ स्याही का धब्बा परीक्षण के नाम से भी जाना जाता है, एक मनोवैज्ञानिक परीक्षण है जिसमें किसी विषय (व्यक्ति) की विभिन्न स्याही का धब्बों से संबंधित धारणाओं को दर्ज कर मनोवैज्ञानिक व्याख्याओं या वैज्ञानिक रूप से व्युत्पन्न जटिल एल्गोरिदम या फिर दोनों का उपयोग कर विश्लेषण किया जाता है।
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हरमन रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण (Rosha syahi dhabba parikshan) ने यह परीक्षण वर्ष 1921में किया। यह स्विजरलैंड के एक मनोवैज्ञानिक थे। इन्होंने अपने परीक्षण के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व की समीक्षा करने की नीति के नये नियमों का निर्माण किया। जिसके द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व का पता लगाया जा सकता हैं।
Rosa ne kiya tha Shayad abhi ka aavishkar