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Priya Shukla

UP Board 10th Class 2021 (For Hindi Medium Students)
About UP Board Crash Course
3 years ago

aatovan Bismarck koin tha

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Satakshi Gupta

3 years ago

हेजर के अनुसार- 'जर्मनरूपी जहाज का चालक बिस्मार्क राजनीति में नेपोलियन महान तथा लुई चौदहवें के पश्चात् सबसे अधिक प्रभावशाली शासक था।' जी.बी. स्मिथ के अनुसार- 'शासक के रूप में बिस्मार्क घमण्डी होते हुए भी सर्वश्रेष्ठ स्थान रखता था। वह समय को देखकर चलने वाला प्रशियन जाति का सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति था। यद्यपि उसमें कुछ कमियां थीं, तथापि वह एक श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ था।'    BRAINBERRIES Mysterious Deaths Seemingly Caused By Mummy Curses LEARN MORE→ Playvolume00:00/03:31TruvidfullScreen    बिस्मार्क कौन था? 19वीं शताब्दी के इतिहास में बिस्मार्क का नाम उल्लेखनीय रहेगा। बिस्मार्क का वास्तविक नाम ऑटोवान बिस्मार्क रकानहौसिन था। उनका जन्म 1 अप्रैल 1815 को बेंडेनबर्ग के अमीर परिवार में हुआ। उनने अपनी शिक्षा बर्लिन विश्वविद्यालय में पूर्ण की। बिस्मार्क जर्मन (प्रशिया) के प्रधानमंत्री (1862-73, 1873-90) और जर्मन साम्राज्य के संस्थापक और प्रथम चांसलर (1871-90) माने जाते हैं। अपने कार्यों और विचारों के आधार पर वे 1862 में देश के प्रधानमंत्री बने। बिस्मार्क ने जर्मन का एकीकरण ही नहीं किया उन्होंने जर्मन को हर स्तर पर सुधारा और व्यवस्थित किया था। कहना चाहिए कि बिस्मार्क ने ही जर्मन को आधुनिक युग में पहुंचाया।   बिस्मार्क ने न केवल जर्मनी के एकीकरण में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था, बल्कि उन्होंने जर्मनी को शक्तिशाली देश होने का गौरव प्रदान किया। बिस्मार्क जैसे राजनीतिज्ञ एवं कूटनीतिज्ञ विश्व में अंगुली पर गिने जा सकते हैं। उन्होंने अपने सिद्धान्तों के साथ कभी समझौता नहीं किया। वे कल्पनाजीवी न होकर यथार्थजीवी थे।   राजनीतिक सफर : बिस्मार्क 1845 में पोनीरेनिया की विधान सभा का सदस्य और 1845 में ही बर्लिन की शाही सभा का सदस्य बन गए था। 1849 में वह प्रशिया के प्रथम सदन का सदस्य चुने गए। 1851 में उन्हें संघ की विधान सभा फ्रेंकफर्ट में प्रशिया का प्रतिनिधि बनाकर भेजा गया। 1859 में वह प्रशिया का राजदूत नियुक्त हुआ। कुछ वर्ष रूस में राजदूत रहने के उपरान्त 1862 में फ्रांस में राजदूत के रूप में रहे। 1862 में ही उन्हें प्रशा सम्राट ने अपना प्रधानमंत्री घोषित कर दिया।   बर्लिन में प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद उन्होंने जर्मनी के एकीकरण का महानतम कार्य किया ।1871 तक उन्होंने जर्मनी की विभिन्न समस्याओं को दूर करने हेतु हर तरह के कदम उठाए। उन्होंने 'लौह और लहू' की नीति पर राष्ट्र को संगठित किया। उसने फ्रेंकफर्ट की सन्धि के आधार पर जर्मन साम्राज्य के लिए नए संविधान का निर्माण किया।   बिस्मार्क ने अपनी विदेश नीति के तहत आस्ट्रिया को पराजित किया तथा 21 जर्मन रियासतों को मिलाकर उत्तरी जर्मन संघ का निर्माण किया। चांसलर पद पर होते हुए भी वह सम्राट विलियम प्रथम की शक्तियों का उपयोग करते थे। सम्राट विलियम प्रथम ने कहा था- 'वह पांच गेंदों से खेलने वाला, उनमें से दो को हवा में रखने वाला जादूगर था।'   बिस्मार्क ने अपनी विदेश नीति के तहत यूरोप में शान्ति का वातावरण बनाए रखा। वे फ्रांस को एकाकी बनाए रखना चाहते थे। जर्मनी साम्राज्य के पक्ष में गुटों का निर्माण करके उन्होंने 1879 में त्रिगुटों का निर्माण किया। उसका नाम 'तीन सम्राटों का संघ' रखा। आस्ट्रिया के सम्राट, रूस के जार एवं जर्मनी के सम्राट के मध्य एक समझौता किया था।   बिस्मार्क 20 वर्षों तक जर्मनी के चांसलर रहे। सन् 1888 में बिस्मार्क के भाग्य ने अचानक पलटा खाया। जर्मन सम्राट विलियम प्रथम का स्वर्गवास हो गया। उसके बाद उसका पुत्र विलियम द्वितीय सत्तासीन हुआ, जिसकी बिस्मार्क ने बिलकुल भी नहीं बनती थी। उसने बिस्मार्क को हाशिये पर करना शुरू कर दिया था। दोनों में तनाव इतना बढ़ा कि बिस्मार्क ने अपने पद से 20 मार्च 1890 में त्यागपत्र दे दिया।   बिस्मार्क की विदाई का वर्णन करते हुए राबर्टसन ने लिखा है- 'जनता की आखों से आसू बह रहे थे। बिस्मार्क कैसर विलियम प्रथम की कब्र के पास गया और बिलख-बिलखकर रोते हुए फूल चढ़ाता हुआ भावुक मुद्रा में कब्र से बातें करता बर्लिन से चला गया।' 1898 में बीमार पड़ने के कारण 30 जुलाई को उनकी मृत्यु हो गई। चित्र सौजन्य : वीकिपीडिया Share this Story:    वेबदुनिया पर पढ़ें  समाचार बॉलीवुड लाइफ स्‍टाइल ज्योतिष महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां धर्म-संसार रोचक और रोमांचक Follow Webdunia Hindi     विज्ञापन जीवनसंगी की तलाश अब हो गई है बेहद आसान! तो आज ही भारत मैट्रिमोनी पर रजिस्टर करें- निःशुल्क रजिस्ट्रेशन करे! अगला लेख  चीन को बेचैन करती है तिब्बती भाषा सुझाए गए समाचार   11 Ayurveda Heath Secrets From Ancient India Herbeauty  10 Most Influential Women In History Herbeauty  He Is Totally In Love With You If He Does These 7 Things Herbeauty प्रचलित  नरेंद्र मोदी सरकार के लिए चुनौती है नक्सलवाद की सहयोगी शक्तियां?    अद्भुत, 5000 साल जीने का नुस्खा    कोरोना: सितंबर में घटे तो अचानक अप्रैल में क्यों बढ़ रहे हैं भारत में मामले, 5 कारण    श्री बजरंग बाण का पाठ    श्री हनुमान चालीसा सम्बंधित जानकारी  एंजेला मर्केल चौथी बार बनीं जर्मनी की चांसलर    आने वाली पीढ़ियों के लिए गंभीर खतरा है आतंकवाद : मोदी    जर्मन चांसलर मर्केल से मिले मोदी, इन मुद्दों पर हुई बात...    आतंकवाद से लड़ने में यूरोप अग्रणी भूमिका निभाए : मोदी    न्यूयॉर्क में भीषण बर्फीला तूफान, घरों में कैद हुए लोग Home Explore Photos Videos  

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Santosh Singh

3 years ago

Aatovan Bismark ka janm 1 April 1815 me hua tha. Vah jerman samaj ke pratham sanchalak aur chancler the. jermani ke akikaran me Inka mahtvapurn yogdan tha.

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Shiv Shankar Dwivedi

3 years ago

आटोवान बिस्मार्क का जन्म '१अप्रैल१८१५' को हुआ था। वह जर्मन समाज का प्रथम संचालक और चांसलर था। 'जर्मनी के एकीकरण' में इसका महत्वपूर्ण योगदान था।

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