संघात्मक शासन प्रणाली की विशेषताएं या लक्षण (sanghatmak shasan pranali ki visheshta) 1. लिखित संविधान संघात्मक शासन मे लिखित संविधान अनिवार्यता है क्योंकि संघ समझौते का परिणाम है अतः समझौते का लिखित होना आवश्यक है। संविधान मे केन्द्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन और केन्द्र-राज्यों की सरकार का संगठन, संविधान संशोधन की प्रक्रिया आदि का विवरण रहता है। 2. संविधान की सर्वोच्चता संघात्मक शासन की एक विशेषता यह की इस शासन प्रणाली मे संविधान सर्वोच्च होता है। केन्द्र और राज्यों का अस्तित्व, उनके अधिकारों का वर्णन, प्रशासनिक शक्तियों का बंटवार, सभी कुछ संविधान मे होता है इसलिए भविष्य मे यदि संघ और राज्यों के बीच गलतफहमी हो जाये या किसी प्रश्न पर तनाव हो जाए तो दोनों ही संविधान मे लिखित व्यवस्थाओं मे अपनी स्थिति को देख सकते है। 3. शक्तियों का विभाजन संघीय शासन प्रणाली मे केन्द्रीय और प्रांतीय सरकारों के मध्य शक्तियों का बँटवारा कर दिया जाता है। कुछ शक्तियाँ केन्द्र को व कुछ शक्तियाँ राज्यों को सौंप दी जाती है और अपने-अपने क्षेत्रों मे वे इन शक्तियों का उपयोग स्वतंत्रतापूर्वक कर सकते है। 4. दोहरा शासन संघात्मक शासन की एक मुख्य विशेषता यह है कि इसमे दोहरी शासन व्यवस्था होती है। एक केन्द्रीय सरकार होती है जिसको संघीय सरकार कहा जाता है, दूसरी इकाइयों की सरकार होती है जो राज्य की सरकार के नाम से जानी जाती है। इन दोनों सरकारों के अलग-अलग कानून होते है। इसके अतिरिक्त दोहरी राजनैतिक व्यवस्था होती है जिसमें दोहरी नागरिकता, दोहरी चुनाव व्यवस्था और दोहरी प्रकार की सेवाएं होती है। पर कुछ संघों मे दोहरी नागरिकता व दोहरी राजनैतिक व्यवस्था नही होती जैसे की भारत मे दोहरी नागरिकता नही है। पर सत्ता का विकेन्द्रीकरण, न्यायपालिका की प्रधानता, लिखित संविधान सभी संघ की जरूरी विशेषताएं है। 5. स्वतंत्र न्यायालय एक स्वतंत्र न्यायालय, जो संविधान की व्याख्या करता है, राष्ट्रीय व क्षेत्रीय सरकारों के बीच पैदा झगड़ों या दो राज्यों के बीच पैदा झगड़ों का निर्णय करता है।