बोलचाल की आम भाषा में हम यह कह सकते हैं कि बाजार का आशय किसी ऐसे स्थान विशेष से हैं जहां किसी वस्तु या वस्तुओं के क्रेता और विक्रेता इकठ्ठा होते हैं। तथा वस्तुओं को खरीदते और बेचते हैं। साधारणतया, बाजार से अभिप्राय किसी स्थान से होता है जहां वस्तुओं का क्रय-विक्रय होता है जैसे - बिग बाजार, देहली में चांदनी चौक, मुम्बई में फैशन स्ट्रीट आदि। बाजार किसी विशेष स्थान तक सीमित नहीं होना चाहिए। अर्थशास्त्र में क्रेताओं तथा विक्रेताओं के व्यक्तिगत सम्पर्क के बिना भी बाजार का अस्तित्व हो सकता है। विशिष्ट बाजार:- यह वह बाजार होते हैं जहाँ किसी वस्तु विशेष का क्रय-विक्रय होता है। 3. ... स्थानीय बाजार:- जब किसी वस्तु के क्रेता विक्रेता किसी स्थान विशेष तक ही सीमित होते हैं तब उस वस्तु का बाजार स्थानीय होता है। ... प्रादेशिक बाजार:- जब किसी वस्तु के क्रेता विक्रेता केवल एक ही प्रदेश तक पाये जाते है।