Ancient India: सिन्धु घाटी सभ्यता

Safalta Expert Published by: Blog Safalta Updated Thu, 02 Sep 2021 11:38 AM IST

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प्राचीन भारत: सिन्धु घाटी सभ्यता

  • सिन्धु घाटी सभ्यता की विस्तार अवधि 2500-1750 ई.पू.(कार्बन डेटिंग C-14 के अनुसार ) थी।
  • सर्वप्रथम 1921 ई. में रायबहादुर दयाराम साहनी ने हड़प्पा नमक स्थान पर इसके अवशेषों की खोज की; अत: इस सभ्याता का नाम हड़प्पा सभ्याता पड़ा।
  • सैधव सभ्यता का विस्तार उत्तर में पंजाब के रोपड़ जिले (पाकिस्तान) के दक्षिण में नर्मदा घाटी तक तथा पश्चिम में बलूचिस्तान के मकरान तट से उत्तर- पश्चिम में मेरठ तक विस्तृत थी।
  • सिंधु सभयता की लिपि भावचित्रात्माक थी। यह लिपि दाई से बाई और बार्इ और से दाएँ लिखी जाती है।
  • सिंधु सभ्यता के लोगो ने नुगरों तथा घरों के विन्यास के लिए ग्रिड पध्दति अपनाई।
  • घरों के दरवाजे और खिड़कियाँ सड़क की और खुलकर पीछे की ओर खिलते थे। केवल लोथल नगर कें घरों के दरवाजे मुख्य सड़क की ओर खुलते थे।
  • सिंधु सभ्यता की प्रमुख फसलें- गेहूँ और जौ थी।
  • माप की इकाई सम्भवता: 16 के अनुपात में थी।
  • हड़प्पा और मोहनजोदड़ो नगर सुव्यवस्थित योजना के अनुसार बनाए गए और यहां की आबादी काफी सघन थी। उनकी सड़के सीधी और चौड़ी थी जो एक-दसरे को समकोण बनाती हुई काटती थी।
  • कृषि मुख्य आर्थिक क्रिया थी।
  • यहाँ के प्रमुख खाघान्न गेहूँ और जौ थे।

                        सिन्धु काल में विदेशी व्यापार 

आयातित वस्तुएँ प्रदेश
ताँबा  खेतड़ी, बलूचिस्तान
चाँदी  अफगानिस्तान, ईरान
सोना कर्नाटक,अफगानिस्तान, ईरान
टिन अफगानिस्तान, ईरान
गोमेद सौराष्ट्र
लाजवर्द मेसोपोटामिया
सीसा ईरान

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  • मोहनजोदड़ो से प्राप्त अन्नागार सैंधव सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत है।  मोहनजोदड़ो से प्राप्त स्नानगर एक प्रमुख स्मारक है, जिसके मध्य स्थित स्नानकुंड 11.88 मीटर लम्बा, 7.01 मीटर चौड़ा एवं 2.43 मीटर गहरा है।
  • मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक सील पर तीन मुख्य वाले देवता(पशुपति नाथ) की मूर्ति मिली है। उनके चारों और हाथी , गैड़ा चिता एंव भौसा विराजमान है।
  • मोहनजोदड़ो से नर्तकी की एक कांस्य मूर्ति मिली है। 
  • हड़प्पा सभ्यता का विस्तार त्रिभुजाकार था एंव उसका क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किमी था।
  • हड़प्पा सभ्य्ता का नगर नियोजन आयताकार आकृतियों में किया गया था। 
  • समाज मातृ प्रधान है।
  • मातृ देवी की उपासना का सैन्धव-संस्कृति में प्रमुख स्थान था। 
  • यहाँ पर पशुपतिनाथ महादेव, लिंग, योनि, वृक्षों व पशुओं की पूजा की जाति थी।
  • सैंधव सभ्यता की लीपी भावचित्रात्मक थी।