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ट्रैफिक लाइट का आविष्कार
ट्रैफिक लाइट का आविष्कार सर्वप्रथम जॉन पीक नाइट नाम के एक ब्रिटिश रेलवे सिग्नल के इंजीनियर ने किया था। जॉन पीक ने ट्रैफिक सिग्नल लाइट का आविष्कार रेलवे सिग्नल की सहायता से किया था। इस लाइट का इस्तेमाल जॉन ने 1868 में संसद के बाहर किया था।गैस से बनाई गयी ट्रैफिक लाइट
सबसे पहले ट्रैफिक लाइट सिस्टम 9 दिसम्बर 1868 को लन्दन में शुरू किया गया। तब दिन के वक्त रोड के ऊपर पिलर की सहायता से ट्रैफिक कण्ट्रोल किया जाता था तथा रात के वक्त गैस से बनाई गयी ट्रैफिक लाइट से ट्रैफिक नियन्त्रित किया जाता था। उस वक्त ट्रैफिक के लिए केवल लाल और हरी लाइट्स का इस्तेमाल होता था। ये लाइट्स एक पुलिस कर्मी के द्वारा नियन्त्रित किया जाता था। फिर ऐसा हुआ कि 2 जनवरी 1869 को गैस से बनाई गयी ट्रैफिक लाइट फूट गयी जिससे पुलिस कर्मी को बहुत गहरी चोटें आई। जिसके बाद से वहाँ इस ट्रैफिक लाइट सिस्टम को बंद कर दिया गया। परिणाम, वाहनों की भारी भीड़ से ट्रैफिक पूरी तरह से अनियन्त्रित हो गया।What is Commonwealth Games Queen's Baton : कॉमनवेल्थ गेम्स क्वीन्स बैटन रिले
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इलेक्ट्रिक ट्रैफिक लाइट का डेवलपमेंट
आखिरकार 1912 में लेस्टर फर्न्सवर्थ वायर नाम के एक पुलिस मैन ने एक इलेक्ट्रिक ट्रैफिक लाइट का डेवलपमेंट शुरू किया इस इलेक्ट्रिक ट्रैफिक लाइट का डिजाईन जेम्स हॉग ने किया था। इसलिए कई बार ट्रैफिक लाइट के आविष्कारक के नाम का श्रेय जेम्स हॉग को दिया जाता है।स्वचालित ट्रैफिक लाइट सिस्टम
फिर साल 1920 में एक पुलिस अधिकारी विलियम पॉट्स ने पहले से और बेहतर प्रणाली विकसित कर एक स्वचालित ट्रैफिक लाइट सिस्टम को डिजाइन किया। ट्रैफिक मैनेजमेंट के मामले में यह सिस्टम लोगों के लिए काफी मददगार साबित हुआ। उसी साल ट्रैफिक लाइट सिस्टम के प्रबंधन में आई कुछ समस्याओं के बाद लाल और हरी लाइट्स के साथ पीली बत्तियों का प्रयोग भी शुरू किया गया। 1920 के दशक में यूएसए और यूरोप के चौराहों पर इन लाइटों को लगाया जाना शुरू हुआ। नतीजतन, चौराहे पर ट्रैफिक की समस्या नियन्त्रित होने लगी।इसके बाद साल 1923 में गैरेट मॉर्गन ने ट्रैफिक लाइट को एक नया टी-पोल का डिज़ाइन दिया (यही डिज़ाइन जो आज हम देखते हैं)। इस डिज़ाइन से बेहतर दृश्यता प्राप्त करने में बहुत सहायता मिली। इन लाइटों का मुख्य उद्देश्य स्वचालित सेटिंग्स की मदद से यातायात की निगरानी करना था। इन लाइट्स के रंग लगभग दस सेकंड में बदल जाते थे जिससे वाहनों को आसानी से चलने में मदद मिलने लगी। गैरेट मॉर्गन के डिज़ाइन का सबसे बड़ा लाभ यह था कि यह सस्ते में तैयार हो पाता था जिससे ट्रैफिक लाइट सिग्नलों की संख्या आराम से बढ़ाई जा सकती थी।
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कम्प्यूटरीकृत ट्रैफिक लाइट का इस्तेमाल
साल 1950 तक, कम्प्यूटर के आविष्कार के साथ ट्रैफिक सिग्नलों में बहुत बड़ा परिवर्तन आया। जब कम्प्यूटरीकृत ट्रैफिक लाइट का इस्तेमाल शुरू हुआ। इससे सार्वजनिक परिवहन की आवाजाही अधिक आसान हो गयी। फ्रांसीसी शहरों का कम्प्यूटरीकृत ट्रैफिक लाइट सिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका रही।1960 तक धीरे-धीरे ट्रैफिक लाइटें हर जगह पर कम्प्यूटरीकृत होने लगीं। लोग इस ट्रैफिक पैटर्न को बेहतर ढंग से समझने भी लगे जो आज तक जारी है।
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