Source: Safalta.com
July Month Current Affairs Magazine- DOWNLOAD NOW |
मछलीपट्टनम में हुआ था जन्म
पिंगली वैंकैया का जन्म 2 अगस्त 1876 को आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले के भटाला पेनमरू गाँव (वर्त्तमान में मछलीपट्टनम में) में हुआ था. वैंकैया एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे. मात्र 19 वर्ष की आयु में वो अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद मुंबई चले गए थे. वैंकैया के पिता हमेशा से चाहते थे कि उनके पुत्र न सिर्फ गाँव-परिवार बल्कि देश का नाम भी रोशन करें. वैंकैया ने मुंबई आने के बाद ब्रिटिश भारतीय सेना में नौकरी कर ली. बाद में उन्हें मुंबई से दक्षिण अफ्रीका भेज दिया गया था. दक्षिण अफ्रीका में एंग्लो-बोअर युद्ध के दौरान हीं उनकी मुलाकात राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी से हुयी. इस मुलाकात के बाद वैंकैया भारत वापस आ गए और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने का सोचा.1916 में पहली बार आया राष्ट्रीय ध्वज का ख्याल
वैंकैया स्वदेश वापस लौटने के बाद अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए. इसके बाद 1916 में उनके मन में एक राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करने का ख्याल आया जिससे कि सभी देशवासियों में एकता की भावना और भी बढ़े. उनकी इस सोच को अन्य लोगों का समर्थन भी प्राप्त हुआ और परिणामस्वरूप “नेशनल फ्लैग मिशन” की स्थापना हुयी. इस मिशन की स्थापना पिंगली वैंकैया, उमर सोमानी और एस.बी. बोमन ने मिलकर की थी.First woman cabinet minister of India, जानिए भारत की पहली महिला कैबिनेट मंत्री कौन थी ?
Know what is August Kranti, भारत की आजादी के लिए अंतिम लड़ाई अगस्त क्रांति के बारे में जानिए यहाँ
Sardar Udham Singh Martyrdom Day, सरदार ऊधम सिंह के शहादत दिवस पर जानिए उनकी पूरी दास्तान
30 देशों के राष्ट्रीय ध्वजों का किया अध्ययन
जी हाँ ! पिंगली वैंकैया ने भारत के राष्ट्रीय ध्वज का डिजाईन बनाने के पूर्व कुल 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वजों का अध्ययन किया था. इस कार्य में 1916 से लेकर 1921 तक का समय लगा था. अंत में 31 मार्च 1921 को भारत के राष्ट्रीय ध्वज का डिजाईन बनकर तैयार हुआ. हालांकि उस समय तैयार हुए ध्वज के डिजाईन और वर्त्तमान के हमारे राष्ट्रीय ध्वज के डिजाईन में थोड़ा अंतर है. पहले के तिरंगे में लाल, सफ़ेद और हरा रंग हुआ करते था साथ हीं बीच में चरखे का चिन्ह हुआ करता था. 1931 में एक प्रस्ताव पारित करने के पश्चात लाल रंग को केसरिया रंग से बदल दिया गया था. 1931 के कांग्रेस के कराची अधिवेशन में केसरिया, सफ़ेद और हरे रंग की पट्टीयों वाले राष्ट्रीय ध्वज को सर्वसम्मति से स्वीकृति प्रदान की गई थी. बाद में सन् 1947 में चरखे के स्थान पर अशोक चक्र के धम्म चिन्ह को हमारे राष्ट्रीय ध्वज पर सुसज्जित किया गया. यह बदलाव जून 1947 में राष्ट्रीय ध्वज की परिकल्पना प्रस्तुत करने के लिए बनायी गयी एक समिति के सुझाव पर किया गया था. इस समिति के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद थे.सामान्य हिंदी ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
पर्यावरण ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
खेल ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
साइंस ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
अर्थव्यवस्था ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
भारतीय इतिहास ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |