Know what is August Kranti, भारत की आजादी के लिए अंतिम लड़ाई अगस्त क्रांति के बारे में जानिए यहाँ

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Mon, 01 Aug 2022 04:03 PM IST

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भारत की भूमि पर से अंग्रेजों की सत्ता को हमेशा हमेशा के लिए उखाड़ फेंकने के इरादे से हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के नेतृत्व में जो आजादी की आखिरी लड़ाई लड़ी गई थी उसे अगस्त क्रांति कहते हैं. इसी आन्दोलन को “भारत छोड़ो आन्दोलन”, “क्विट इन्डिया मूवमेंट” या “अगस्त क्रांति” भी कहते हैं.

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Know what is August Kranti- सौ साल से भी ज्यादा लम्बी गुलामी में जकड़े भारत में अपनी आज़ादी की मांग को लेकर अनेक क्रान्ति हुई. भारत माँ के अनेक सपूत शहीद हुए पर वीर क्रान्तिकारियों ने हार नहीं मानी और ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ़ लगातार बिगुल फूँकते रहे. इन्हीं क्रान्तियों में से एक थी अगस्त क्रान्ति. क्या आप जानते हैं कि अगस्त क्रान्ति किसे कहते हैं ? तो आइए आज के इस आर्टिकल में जानते हैं कि “अगस्त क्रांति” क्या थी ? यह कब लड़ी गई तथा और भी बहुत कुछ.. अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now. / Advance GK Ebook-Free Download
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भारत की भूमि पर से अंग्रेजों की सत्ता को हमेशा हमेशा के लिए उखाड़ फेंकने के इरादे से हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के नेतृत्व में जो आजादी की आखिरी लड़ाई लड़ी गई थी उसे अगस्त क्रांति कहते हैं. 9 अगस्त 1942 को महात्मा गाँधी ने “करो या मरो” का नारा देकर समस्त देशवासियों से आह्वान किया था कि वे सब एकजुट होकर अंग्रेजों को भारत देश से बाहर निकालने के लिए पूरी तत्परता से जुट जाएँ. इसी आन्दोलन को “भारत छोड़ो आन्दोलन”, “क्विट इन्डिया मूवमेंट” या “अगस्त क्रांति” भी कहते हैं.

मुंबई के एक पार्क से हुई थी शुरुआत

इस आन्दोलन का प्रारम्भ मुंबई के एक पार्क से हुआ था. उस पार्क को अगस्त क्रांति मैदान कहा जाता है. उल्लेखनीय है कि दूसरे विश्व युद्ध के लिए ब्रिटिशों ने भारत से सैनिकों की सहायता माँगी थी और इसके बदले में भारत को आज़ाद कर देने का वादा किया था. भारत के जांबाज़ सैनिकों ने द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजों का प्राणपण से साथ दिया. हज़ारों भारतीय सैनिक इस युद्ध में काम आए परन्तु युद्ध के बाद ब्रितानी सरकार अपने वादे से मुकर गई. तब हार कर महात्मा गाँधी की अगुआई में भारतीयों ने अपनी आज़ादी को हर कीमत पर हासिल करने के लिए आर या पार की लड़ाई शुरू की.

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वह कौन सी बात थी जो बनी इस अंतिम लड़ाई की वजह

सन् 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध के शुरू होने से पहले प्रथम विश्वयुद्ध के समय भी ब्रितानियों ने भारत को आजाद कर देने के वादे पर भारत से सैनिक समर्थन लिया था. उस समय अंग्रेजी सेना में भारतीय सैनिकों की बड़ी संख्या में भर्ती करने की वजह से अंग्रेज़ महात्मा गांधी को “भर्ती करने वाला सार्जेंट” कहने लगे थे, और उन्हें केसर-ए-हिन्द की उपाधि भी दी थी. लेकिन अंग्रेजों ने अपना वादा ना पहले विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद निभाया और ना हीं दूसरे विश्व युद्ध के बाद. जिसके बाद भारत का भी सब्र चुक गया. तब महात्मा गाँधी ने आखिरी रास्ते के रूप में अंग्रेजों के खिलाफ़ अंतिम युद्ध का बिगुल फूँक दिया. अंग्रेजी सरकार को भारत से भगाने वाले इस युद्ध का ऐलान 9 अगस्त साल 1942 को किया गया था जिस वजह से इस दिन अगस्त क्रांति नाम दिया गया और इस तिथि को “अगस्त क्रांति दिवस” के रूप में मनाया जाने लगा.
 
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भारतीय कांग्रेस समिति का बम्बई अधिवेशन

अगस्त क्रांति का प्रस्ताव 8 अगस्त साल 1942 को भारतीय कांग्रेस समिति के बम्बई अधिवेशन में पारित किया गया था. इस प्रस्ताव में देशव्यापी अवज्ञा आन्दोलन का निर्णय लिया गया था.