First woman cabinet minister of India, जानिए भारत की पहली महिला कैबिनेट मंत्री कौन थी ?

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Tue, 02 Aug 2022 07:51 PM IST

Highlights

भारत की स्वतंत्रता के बाद राजकुमारी अमृत कौर को जवाहरलाल नेहरू की पहली कैबिनेट का हिस्सा बनाया गया था. राजकुमारी अमृत कौर पूरे दस साल तक सेवा देने वाली कैबिनेट रैंक की पहली महिला थीं.

Source: Safalta.com

हेलो दोस्तों क्या आप बता सकते हैं कि भारत की पहली महिला कैबिनेट मंत्री कौन थी ? और क्या आप जानते हैं कि यूएस कैबिनेट के बनने के करीब 130 साल से भी ज्यादा समय के बाद साल 1933 में एक महिला को यूएस कैबिनेट का हिस्सा बनाया गया था. अगर बात करें यूनाइटेड किंगडम की तो यहाँ साल 1929 में किसी महिला को कैबिनेट में शामिल किया गया था. इन सभी विकसित देशों में इससे पहले केवल कोई पुरुष हीं कैबिनेट मंत्री हुआ करते थे. केवल यही देश क्यों, किसी भी लोकतंत्र की बात करें तो हर जगह महिलाओं को काफी बाद में कैबिनेट में स्थान दिया गया, जबकि हमारे देश में जब पहली सरकार बनी थी तभी से हीं महिलाओं को उसमें शामिल किया गया.  भारत की स्वतंत्रता के बाद राजकुमारी अमृत कौर को जवाहरलाल नेहरू की पहली कैबिनेट का हिस्सा बनाया गया था. राजकुमारी अमृत कौर पूरे दस साल तक सेवा देने वाली कैबिनेट रैंक की पहली महिला थीं. उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया था.  अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now. / Advance GK Ebook-Free Download
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जीवन परिचय

राजकुमारी अमृत कौर का जन्म 2 फ़रवरी, 1889 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था. उनके पिता का नाम राजा हरनाम सिंह था. वे पंजाब के कपूरथला राजघराने से थे. राजकुमारी अमृत कौर की माता का नाम रानी हरनाम सिंह था. राजकुमारी अमृत कौर अपने सात भाईयों में अकेली बहन थी. अमृत कौर की प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा इंग्लैंड के शेरबॉर्न स्कूल फॉर गर्ल्स से हुई. स्कूल की पढाई समाप्त करने के बाद अमृत कौर ने ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से अपनी परा स्नातक की पढ़ाई पूर्ण की. राजकुमारी अमृत कौर आजीवन अविवाहित रहीं. अमृत कौर के पिता राजा हरनाम सिंह ने ईसाई धर्म को स्वीकार कर लिया था और उन्हें सरकार की तरफ से अवध की रियासत का मैनेजर बनाकर लखनऊ भेजा गया था.
 

राजनीति में पदार्पण

राजकुमारी के पिता के गोपाल कृष्ण गोखले के साथ काफी मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध थे. यह राजकुमारी अमृत कौर के लिए एक अच्छा माध्यम बना और देश के सामाजिक और राजनीतिक जीवन में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने लगी.
 

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स्वतंत्रता आंदोलन में राजकुमारी का योगदान, कई बार काटी जेल

इसी दौरान अमृत कौर की मुलाकात राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी से हुई. सन 1930 में महात्मा गाँधी के नेतृत्व में हुए दांडी मार्च में राजकुमारी अमृत कौर ने भी दांडी यात्रा की थी तथा जेल की सजा भी काटी थी. राजकुमारी पर महात्मा गाँधी का प्रभाव बहुत गहरा था और यह सम्पर्क अंत तक बना रहा था. राजकुमारी अमृत कौर ने 16 वर्षों तक महात्मा गाँधी के सचिव के तौर काम किया तथा साल 1934 के बाद से वे गाँधी जी के आश्रम में हीं रहने लगीं.
साल 1937 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रतिनिधि के तौर पर जब अमृत कौर नार्थवेस्ट सीमा प्रदेश के प्रांत बन्नू गई हुई तो ब्रिटिश सरकार ने राजद्रोह का आरोप लगाकर उन्हें जेल में बंद कर दिया था. अमृत कौर को भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान भी जेल की सज़ा हुई थी.
 

पहली महिला कैबिनेट मंत्री

राजकुमारी अमृत कौर प्रथम भारतीय महिला थी जिनको केंद्रीय मंत्री बनने का मौका दिया गया था. वे पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में गठित पहले मंत्रिमंडल में शामिल थीं तथा उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय का कार्यभार सँभाला था.
 

राजनीतिक सफर और उल्लेखनीय उपलब्धियां

अपने लम्बे राजनीतिक कैरियर के दौरान राजकुमारी अमृत कौर कई प्रमुख पदों पर आसीन रहीं. स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियाँ उल्लेखनीय हैं. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है. साल 1950 में वे 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' की पहली अध्यक्ष बनी. वे न सिर्फ पहली महिला बल्कि पहली एशियायी थीं जिन्होंने यह सम्मान हासिल किया. नई दिल्ली के 'अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की भी वह पहली अध्यक्ष थी. इस संस्थान की स्थापना के लिए राजकुमारी अमृत कौर ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, पश्चिम जर्मनी, न्यूजीलैंड, और स्वीडन आदि देशों से मदद ली थी. यही नहीं राजकुमारी ने संस्थान के कर्मचारियों और नर्सों के होलिडे होम के लिए शिमला की अपनी पैतृक सम्पत्ति भी दान कर दी थी.
 
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समाज के कल्याणार्थ

राजकुमारी अमृत कौर बाल विवाह और पर्दा प्रथा के सख्त विरुद्ध थीं. वे लड़कियों की शिक्षा को नि:शुल्क और अनिवार्य बनाना चाहती थीं. राजकुमारी ने महिलाओं एवं हरिजनों के लिए भी बहुत से कल्याणकारी कार्य किए. देश में महिलाओं की दयनीय दशा को देखते हुए उन्होंने 1927 में अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की स्थापना भी की थी. जिसकी बहुत समय तक वे सचिव और अध्यक्ष भी रहीं. राजकुमारी अमृत कौर नई दिल्ली के लेडी इर्विन कॉलेज की कार्यकारी समिति, अखिल भारतीय बुनकर संघ' के न्यासी बोर्ड तथा शिक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी रहीं. 1945 में लंदन और 1946 में पेरिस यूनेस्को सम्मेलन में भारतीय सदस्य के रूप में भी उन्होंने शिरकत की थी.
 

निधन

2 अक्टूबर, 1964 को राजकुमारी अमृत कौर का निधन हो गया. सन 1957 से सन 1964 में अपने निधन तक वे राज्य सभा की सदस्य रही थीं.