घूर्णन गति
- पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर लगातार 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है। पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण दिन और रात होते हैं। इसे दैनिक गति भी कहा जाता है।
- नक्षत्र दिवस- किसी निश्चित नक्षत्र के उत्तरोत्तर दो बार गुजरने के बीच की अवधि को नक्षत्र दिवस कहते हैं यह 23 घंटे 56 मिनट की अवधि का होता है ।
- सौर दिवस- जब सूर्य को गतिहीन मानकर पृथ्वी द्वारा उसके परिक्रमण की गणना दिवसों के रूप में की जाती है तब सौर दिवस ज्ञात होता है। जिसकी अवधि 24 घंटे की होती है।
- पृथ्वी की घूर्णन की दिशा पश्चिम से पूर्व है इसलिए पृथ्वी पर खड़े व्यक्ति के लिए सूर्य, चंद्रमा और तारों की आभासी प्रवासन की दिशा पूर्व से पश्चिम होती है।
- पृथ्वी की घूर्णन गति को किमी/घंटा में देशांतर को 24 से भाग देकर प्राप्त किया जा सकता है।
- विषुवत् रेखा पर घूर्णन गति लगभग 1667 किमी/घंटा होती है तथा यह ध्रुवों की तरफ घटते-घटते शून्य पर पहुंच जाती है।
परिक्रमा गति
- पृथ्वी अपने कक्ष पर घूमने के साथ-साथ सूर्य के चारों ओर एक अण्ड़ाकार मार्ग पर 365 दिन 6 घंटे 48 मिनट और 4,091 सेकेंड में एक चक्कर पूरा करती है। इस गति को परिक्रमा या वार्षिक गति कहते है।
- उपसौर ः 3 जनवरी को पृथ्वी जब सूर्य के अत्यधिक पास(14.73 करोड़ किमी) होती है तो उसे उपसौर कहते हैं।
- अपसौरः 4 जुलाई को पृथ्वी जब सूर्य से अधिकतम दूरी पर (15.2 करोड़ किमी) होती है तो इसे अपसौर कहा जाता है।
- अक्षांशः किसी भी ग्लोब पर पश्चिम से पूर्व की ओर खींची गई काल्पनिक रेखा को अक्षांश कहते हैं।
- विषुवत् वृत्त 0 डिग्री अक्षांश को प्रदर्शित करता है, पृथ्वी पर खींचे गए अक्षांश वृत्तों में यह सबसे बड़ा है।
- अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या 180 (90 उत्तरी एंव 90 दक्षिणी) है। दो अक्षांशों के मध्य की दूरी 110 किमी होती है इसे जोन कहा जाता है।
- कर्क रेखाः यह रेखा उत्तरी गोलार्ध्द में भूमध्द रेखा के समांतर 23.30 डिग्री अक्षांश पर खींची गई है।
- मकर रेखाः यह रेखा दक्षिणी गोलार्ध्द में भूमध्द रेखा के समांतर 23.30 डिग्री दक्षिण अक्षांश पर खींची गई है।
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Source: National today