अनुसंधान [Research]
सत्य की खोज के लिए व्यवस्थित प्रयत्न करना या प्राप्त ज्ञान की परीक्षा के लिए व्यवस्थित प्रयत्न शोध कहलाता है। शोध शब्द अंग्रेजी के रिसर्च शब्द का हिन्दी अनुवाद है। यह दो शब्द RE और SEARCH से मिलकर बना है। RE का अर्थ होता है पुनः और SEARCH का अर्थ होता है खोज। इस तरह यह दोनों शब्दों का अर्थ होगा पुनः खोज करना।
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Source: gyanuday
इसलिए इसके अर्थ से स्पष्ट है पुनः -पुनः होने वाली खोज। किसी विषय की प्रमाणिकता बनाए रखने के लिए बार बार होने वाली खोज। किसी भी विषय या समस्या की प्रामाणिकता को बनाए रखने के लिए बार बार खोज की जाती है। कोई भी विद्वतापूर्ण शोध ही सत्य के लिए तथ्यों के लिए, निश्चितत्ताओं के लिए अन्वेषण है।एडवांस्ड लर्नर डिक्शनरी ऑफ करेंट इंग्लिश के अनुसार किसी भी ज्ञान की शाखा में नवीन तथ्यों की खोज के लिए सावधानीपूर्वक किए गए अन्वेषण या जांच पड़ताल को शोध की संज्ञा दी जाती है। वहीं लुण्डवर्ग के अनुसार शोध अवलोकित सामग्री का संभावित वर्गीकरण, साधारीकरण एवं सत्यापन करते हुए पर्याप्त कर्म विषयक और व्यवस्थित पद्धति है। उपर्युक्त परिभाषा के आधार पर कहा जा सकता है कि नवीन ज्ञान खोजने की दिशा में किया गया व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध प्रयास शोध है। शोध वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित होता है। इसलिए इस पर आधारित ज्ञान भी वस्तुपरक होता हैं शोध का अंतिम उद्देश्य सिद्धांतों का निर्माण करना होता है। मनुष्य के जीवन में आने वाली समस्याओं के निदान में भी शोध ही आगे आता है। क्रियात्मक अनुसंधान वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यवहारिक कार्यकर्ता वैज्ञानिक विधि से अपनी समस्याओं का अध्ययन करते हैं तथा अपने निर्णय और क्रियाओं में सुधार और मूल्यांकन करते है।
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क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research)
इस प्रत्यय की उत्पत्ति का स्त्रोत "आधुनिक मानव सिद्धांत" (Modern Human Organization Theory) ही है।
यह व्यवस्था सिद्धांत की प्रमुख अवधारणा यह है कि व्यवस्था के कार्यकर्ता में कार्य कुशलता के साथ साथ समस्या समाधान की क्षमता भी होती है।
इस प्रकार क्रियात्मक अनुसंधान प्रजातंत्रीय व्यवस्था की देन है।
यह प्रत्यय सामाजिक मनोवैज्ञानिक की उपज है।
कर्ट लेविन ने अपने क्षेत्रीय सिद्धांत (Field Theory) में इसका संकेत दिया है।
क्रियात्मक अनुसंधान एक क्षेत्रीय विशेष की समसामयिक व व्यवहारिक समस्याओं से संबंधित होता है।
इसका सर्वप्रथम प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में शुरू हुआ है।
अब इसका प्रयोग राजनीति, विज्ञान, मनोविज्ञान आदि सभी क्षेत्रों में होता है।
इसमें प्रशिक्षक का होना जरूरी नहीं है।
क्रियात्मक अनुसंधान कार्यों की उपकल्पनाएं, योजना आदि अधिक लोचदार होती है।
आवश्यकता पड़ने पर उनमें सरलता के साथ परिवर्तन किया जा सकता है।
इसमें अध्ययन के समय घटना या समस्या के वास्तविक क्रिया पक्ष पर ध्यान रखना चाहिए।
अर्थात जिस घटना का अध्ययन किया जा रहा है,उसमें शामिल मानवीय क्रियाओं कारणों, आधारों और नियमों के प्रति शोधकर्ता अत्यधिक सचेत होना चाहिए।
किसी भी व्यवस्था को भली प्रकार संचालन के लिए उसके सदस्य ही उत्तरदायी होते है।
उनके समक्ष अनेक समस्याएं आती है, जिनकी गहनता को कार्यकर्ता को कार्यप्रणाली की समस्या के चयन करने तथा उसके समाधान ढूंढने की पूर्ण स्वतंत्रता होनी चाहिए।
तभी वह अपने कार्य कौशल का विकास कर सकता है।
क्रियात्मक अनुसंधान कक्षा कक्ष की विभिन्न स्थितियों की समस्याओं का हल खोजने, निंदनात्मक मूल्यांकन और उपचारात्मक उपाय करने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण उपयोगी और सामयिक सिद्ध हुआ हैं निःसंदेह शिक्षा में क्रियात्मक अनुसंधान का लक्ष्य नवीन शैक्षिक ज्ञान की खोज, जो उन समस्याओं के निदान एवं उपचार में पर्याप्त सीमा तक उपर्युक्त एवं कारगर है।