1) शारीरिक रूप से विकलांग तथा पिछड़े बालक
2) मानसिक रूप से विकलांग तथा पिछड़े बालक
3) प्रतिभावान और प्रतिभाशाली बालक
4) सर्जनशील बालक
5) अपराधी या सामाजिक दृष्टि से पिछड़े बालक
6) समस्यात्मक या संवेगात्मक दृष्टि से पिछड़े बालक
7) सीखने की दृष्टि से पिछड़े बालक
8) धीमी गति से सीखने वाले बालक या पिछड़े बालक
Current Affairs Ebook Free PDF: डाउनलोड करें | General Knowledge Ebook Free PDF: डाउनलोड करें |
प्रतिभाशाली बालक से अभिप्राय उन बालकों से है जो सामान्य बुद्धि की दृष्टि से श्रेष्ठ होते हैं। प्रतिभावान अर्थात कुशाग्र बुद्धि बालक वह है जो निरंतर किसी भी उचित कर्म क्षेत्र में , जो अपनी अद्भुत कार्य कुशलता या प्रवीणता का परिचय देता है।

Source: Gulf News
प्रतिभावान बालक की पहचान करने में बुद्धि परीक्षण अधिक उपयोगी सिद्ध नहीं होते हैं। उचित निरीक्षण और अध्ययन कर उनकी प्रतिभा से संबंधित विशिष्ट क्षेत्र की खोज की जाती है। इसमें अभीरुचि परीक्षण ( Aptitude Test) , रुचि परिसूचिया ( Interest Inventoties) , संचित अभीलेख पत्र , मित्रों , अध्यापकों एवं अभिभावकों के विचार , उनकी रिपोर्ट आदि छुपी हुई प्रतिभा को खोजने में सहायता कर सकते हैं। इसके अलावा व्यक्तिगत परीक्षणों और समाज मिति जैसी तकनीकों के द्वारा भी बालकों की विशिष्ट योग्यता के बारे में बताया जा सकता है। इन बच्चों की शिक्षा के लिए विशेष प्रकार की शिक्षा देने का प्रयास किया जाता है, जिसमे अलग विद्यालयों की व्यवस्था करना, अलग कक्षा अथवा सामना योग्यता के आधार पर समूह की व्यवस्था करना , एक कक्षा से शीघ्र दूसरी कक्षा में उन्नति करना ,संवध्दित कार्यक्रम या विस्तृत पाठ्यक्रम योजना बनना है। पिछड़े बालकों के पिछड़ेपन के कारणों का संबंध उनके परिवार , विद्यालय , समाज व उनके अपने शारीरिक , मानसिक एवं संवेगात्मक विकास के स्वरूप से होता हैं।इस संदर्भ में समाज सेवकों और विधालय चिकित्सकों को मिलकर कार्य करना चाहिए , ताकि पिछड़ेपन के कारणों की खोज की जा सके और उन बालकों की समस्या का उचित समाधान किया जा सके।