नीति निर्देशक तत्वों में संशोधन [Amendment in Directive Principle of State Policy]

Safalta Experts Published by: Blog Safalta Updated Tue, 24 Aug 2021 06:26 PM IST

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नीति निर्देशक तत्व व मूल अधिकार एक दूसरे के पूरक है, अतः इनमे आपस में कोई विरोध नहीं है, मिनर्वा मिल बनाम भारत संघ 1980 में निर्णीत किया गया कि नीति निर्देशक लक्ष्य है जो प्राप्त किए जाने हैं पर मूल अधिकार वे साधन हैं , जिनके माध्यम से यह प्राप्त किया जाना है।
 

Source: The Public India

नीति निर्देशक तत्वों में संशोधन
[Amendment in Directive Principle of State Policy]

1) अनुच्छेद 43 क संविधान के 42वें संशोधन अधिनियम से अस्तित्व में आया।
2) अनुच्छेद 39 क संविधान के 42वें संविधान संशोधन अधिनियम से अस्तित्व में आया।
3) अनुच्छेद 48क संविधान के 42 वें संशोधन अधिनियम से अस्तित्व में आया।
4) अनुच्छेद 45 प्रतिस्थापित की गई।
5) अनुच्छेद 43 ख संविधान के 97वें संशोधन द्वारा सम्मिलित किया गया।

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ग्रेनविल आस्टिन ने नीति निर्देशक तत्वों के महत्व को बताते हुए कहा है "ये संविधान की आत्मा “
नीति निर्देशक तत्वों पर आधारित मामले
 
1) बिहार राज्य बनाम कामेश्वर सिंह AIR 1952 S.C में निर्णित हुआ जमींदारी उन्मूलन लोक प्रयोजन के लिए पारित है, अतः संवेधानिक है।
2) दा केरल एजुकेशन बिल AIR 1953 इसमें कहा गया यद्यपि नीति निर्देशक तत्व मूल आधिकारों पर अभिभावी नहीं हो सकते, तथापि मूल आधिकारों का विस्तार निर्धारण के समय न्यायालय नीति निर्देशक तत्वों की उपेक्षा नहीं करेगें।
3) प्रगति वर्गीज बनाम सिरीज जार्ज वर्गीय AIR 1997 बम्बई में पूर्ण पीठ द्वारा निर्धारित किया गया भारतीय तलाक अधिनियम की धारा 10 अवैध होगा इसलिए एक ईसाई महिला को पति से तलाक लेने के लिए जारकर्म के साथ साथ क्रूरता अधित्यजन को साबित किया जाना अनिवार्य शर्त है।
 
मूल अधिकार एवं नीति निर्देशक तत्व
 
    नीति निर्देशक तत्व व मूल अधिकार एक दूसरे के पूरक है, अतः इनमे आपस में कोई विरोध नहीं है, मिनर्वा मिल बनाम भारत संघ 1980 में निर्णीत किया गया कि नीति निर्देशक लक्ष्य है जो प्राप्त किए जाने हैं पर मूल अधिकार वे साधन हैं , जिनके माध्यम से यह प्राप्त किया जाना है।