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भूपर्पटी (Crust)
- ठोस पृथ्वी का सबसे बाह्रा भाग, जिसकी मोटाई पृथ्वी के सतह से लगभग 100 किमी नीचे तक है।
- महासागरों के नीचे इसकी औसत मोटाई 5 किमी है, जबकि महाव्दीपों के नीचे यह 30 किलोमीटर तक है।
- महाद्वीपीय भूपर्पटी की चट्टानें ग्रेनाइट निर्मित है, जबकि महासागरीय भूपर्पटी की चट्टानें ने बेसाल्ट की बनी है।
- भूपर्पटी की ऊपरी परत अवसादी चट्टानों से बनी है, जिसमें सिलीका एंव एल्यमीनियम की प्रचुरता होती है।
मैंटल (Mantle)
- भूपर्पटी के नीचे 2900 किमी की गहराई तक पाया जाता है।
- मैंटल का ऊपरी तरल भाग दुर्बलतामण्डल (एस्थेनोस्फेयर) कहलाता है, जो ज्वालामुखी उद्गगार का मुख्य स्रोत है।
- भूपर्पटी एंव मैंटल के बीच के असतता सतह को मोहोरोविसिस या मोहो असतता कहा जाता है।
- भूपर्पटी एंव मैंटल का सबसे ऊपरी ठोस भाग मिलकर स्थलमंडल (लिथोस्फेयर) कहलाता है।
- इसका घनत्व (3.4 ग्राम प्रति 1 घन सेमी) भूपर्पटी के घनत्व (3 ग्राम प्रति घन सेनी) से अधिक होता है।
क्रोड (Core)
- मैंटल के नीचे यह परत लगभग 6400 किमी गहराई तक पाई जाती है।
- क्रोड भारी पदार्थों मुख्यताः निकिल व लोहे का बना है। अतः इसे निफे परत के नाम से भी जाना जाता है।
- इसका घनत्व सबसे अधिक होता है।
- भूपर्पटी का लगभग 98% भाग 8 तत्वों जैसे ऑक्सीजन, सिलिकॉन, एलमुनियम, लोहा, कैल्शियम, सोडियम, पोटैशियम तथा मैग्नीशियम से बना है।
शैल अथवा चट्टान
- शैल अध्ययन से संबंधित विज्ञान को पैट्रोलॉजी कहा जाता है। शैल का निर्माण एक या एक से अधिक खनिजों से मिलकर होता है।
- निर्माण पद्धति के अनुसार चट्टान के प्रकार की होती है।
- आग्येन चट्टान- मैग्मा तथा लावा द्वारा निर्मित। उदाहरणः ग्रेनाइट, बेसाल्ट, पेग्मैटाइट आदि।
- अवसादी चट्टानः अवसादी अथवा तलछटों के निक्षेपण द्वारा निर्मित। अवसादी चट्टानों में जीवनश्य पाए जाते हैं तथा कोयला और पेट्रोलियम अवसादी चट्टानों में पाए जाते हैं।
- कायान्तरिन चट्टानः ताप, दाब एंव रसायनिक अभिक्रियाओं के कारण अवसादी एंव आग्नेय चट्टानों में हुए परिवर्तन के फलस्वरुप निर्मित।
आग्नेय अथवा अवसादी चट्टानों रुपान्तरित चट्टान |
ग्रेनाइट नीस चूना पत्थर संगमरमर बलुआ पत्थर क्वार्टजाइट शैल स्लेट, शिस्ट चौका स्लेट गैब्रो सरपेन्टाइन चाक संगमरमर बेसाल्ट सिस्ट, एम्फीबोलाइट |