बी . एफ . स्किनर ( B.F Skinner) के अनुसार , " अधिगम प्रतिशील व्यवहार अनुकूलन की एक प्रक्रिया है। व्यवहारवादी अथवा सहचार्यवादी सिद्धांत की विचारधारा के अंतर्गत उद्दीपन एक अभिकारण या शक्ति है जो ग्रहिता (Receptor) के बाहर एक वस्तु है तथा जो उपयुक्त ग्रहिता में अनुक्रियां उत्तेजित करने में समर्थ है। व्यवहार केवल उद्दीपन का ही परिणाम है , चाहे उत्तेजक उद्दीपन बाहा हो या आंतरिक।"
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जे . एस . स्टीफंस ( Stephens) के अनुसर , " जब व्यवहारवाद सफलतापूर्वक प्रचलित था, यह संबंधवाद की एक पराकाष्टा का प्रतिनिधित्व करता था।

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पुराने गौरवमय संबंदवादी प्राय: संबंधों अथवा बंधनों की चर्चा करते थे। वे अपने S - R ( उद्दीपन - अनुक्रीय) सूत्र को बिना किसी भेद के दोनों प्रकार की मानसिक और शारीरिक घटनाओं पर लगाते थे ।व्यवहारवाद की स्थापना जे . बी . वाटसन ( 1878 - 1958) ने सन 1912 में की । वे अमरीका के दक्षिणी केरोलिना प्रांत में पैदा हुए थे। वाटसन की सबसे पहली रचना ( Behaviour : An introduction to comparative Psychology ) नामक पुस्तक का प्रकाशन 1914 में हुआ । इस पुस्तक के माध्यम से वाटसन ने व्यवहारवाद की व्याख्या की थी। इस पुस्तक की विषय - सामग्री ने नई पीढ़ी के मनोवैज्ञानिकों को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने 'व्यवहारवाद ' की स्थापना कर डाली। 1919 में वाटसन का दूसरा ग्रंथ प्रकाशित हुआ। इसका नाम था " paychology from the stand point of a behaviourist "। इस पुस्तक में तुलनात्मक मनोविज्ञान ( Comparative Psychology) के आधार पर मानव - व्यवहार का वर्णन किया गया था। इसी ग्रंथ में उन्होंने उद्दीपन ( Stmulus) तथा अनुक्रिया ( Respnse) की विवेचना की। 1925 में उनकी तीसरी पुस्तक " Behaviourism" प्रकाशित हुई और 1930 में इसका संशोधित संस्करण प्रकाशित हुआ।
मनोविज्ञान की विषयुक्त मानव व पशु की वह क्रिया है जिसका अवलोकन व मापन वस्तुनिष्ठ रूप से किया जा सके। वाटसन ने व्यवहार के अध्ययन की अंत दर्शन ( Introspection) विधि को स्वीकार किया। अपने व्यवहारवाद को स्पष्ट करते हुए वाटसन ने लिखा है कि मानव व्यवहार का अध्ययन मनोविज्ञान की विषय सामग्री होनी चाहिए। मनोविज्ञान ऐसी वस्तु का अध्ययन करता है, जिसको देखा जा सकता है , लेकिन चेतना को देखा नही जा सकता है । इसलिए चेतना मनोविज्ञान की अध्ययन सामग्री नही होनी चाहिए। व्यवहार का निरीक्षण व परीक्षण किया जा सकता है। व्यवहार की परिभाषा देते हुए वाटसन ने लिखा है कि यह एक भौतिक विज्ञान है जिसका क्षेत्र मानव के सम्पूर्ण व्यवहारात्मक पक्षों का अध्ययन करना है और शरीर विज्ञान से इसका एक विशेष संबंध हैं । पावलाॅव द्वारा प्रतिपादित शास्त्रीय अनुबंधन ( Classical Conditioning) को एस - प्रकार ( S - R type) का अनुबंधन तथा स्किनर द्वारा प्रतिपादित प्रियप्रसूत अनुबंधन ( Operant Conditioning) को आर - प्रकार ( R - S type) का अनुबंधन कहा जाता है। स्किनर ( Skinner) द्वारा प्रतिपादित सीखने का सिद्धांत एक उद्दीपक - अनुक्रिया उपागम ( Approach) है। उनके उपागम या सिद्धांत को रिक्त प्राणी उपागम ' ( Empty Organism Approach) भी कहा गया हैं । सीखने की व्याख्या करने के लिए उन्होंने मापनीय व्यवहार ( Measurable behaviour) तथा उद्दीपको के बीच कार्यात्मक विश्लेषण ( Functional Analysis) पर अधिक बल दिया है।
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