History of Post Gupta Period (PDF): गुप्ता काल से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां

Safalta Experts Published by: Nikesh Kumar Updated Thu, 27 Jan 2022 06:59 PM IST

Source: Safalta

कुषाणों वंश के पतन के बाद, उत्तर भारत में गुप्त वंश का उदय हुआ था। गुप्त  राजवंश के शासक एक विशाल साम्राज्य स्थापित करने में सक्षम थे जिसमें लगभग पूरा उत्तर भारत जीता था। गुप्तों राजवंश के  शासक के पास कुछ भौतिक लाभ थे जिन्होंने मदद की उन्हें एक साम्राज्य बनाने के लिए। वे पूर्वी यूपी से अपने साम्राज्य को चलाते थे।
जिसमें से बिहार जो बहुत उपजाऊ क्षेत्र था। वे अपने लाभ के लिए मध्य भारत और बिहार के लौह अयस्कों का भी दोहन भी किया करते थे। उनकी अवधि कला, वास्तुकला और साहित्य में महान प्रगति द्वारा चिह्नित की गई थी। उन्होंने लगभग एडी 550 तक शासन किया। उनके पतन के बाद उत्तर भारत में विभिन्न क्षेत्रीय राज्य उभरे। दक्षिण भारत में भी दो महत्वपूर्ण राज्यों का उदय हुआ 550-750 ईस्वी के दौरान जिनका नाम चालुक्य और पल्लवों था। 

गुप्त वंश की स्थापना श्रीगुप्त ने की थी, जो संभवत: वैश्य जाति वंश के थे। वह या तो मगध (बिहार) के रहने वाला था। उसका बेटा घटोत्कच, जिसने महाराजा की उपाधि धारण की थी। 

गुप्त वंश के बाद

गुप्त वंश का पतन 550 ईसवी में हुआ था। गुप्त वंश के पतन के बाद कुछ समय तक बड़े पैमाने पर लोगों का एक जगह से दूसरी जगह विस्थापन हुआ। गुप्त वंश की विरासत के लिए छोटे-छोटे राज्य आपस में झगड़ने लगे थे। उत्तर भारत चार राज्यों में विभाजित हो गया था, मगध, मौखरी, पुश-अभूति और मैत्रकासी। गुप्त वंश के पतन के बाद राजनीतिक तस्वीर हतोत्साहित करने वाली बन गई थी।  

इन चार राज्यों मैं आने वाली कई छोटी-छोटी रियासतें आपस में लगातार लड़ रही थीं। हुनिनवेशन के आते ही सभी राज्य प्रमुखता से एक साथ आ गए जिसके कारण उत्तरी भारत में एक राजनीतिक केंद्र आ गया था। कई शिल्प कला से पता चलता है कि कई राजाओं ने गुप्त वंश की संपत्तियों पर अपना अधिकार जताया था। 

शाही वंश के अंतिम महान सम्राट बालादित्य गुप्त द्वारा उत्तर भारत के शासकों पर हमला किया और 528 ईस्वी की लड़ाई में हुन राजवंश को उखाड़ फेंका। 

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