सामाजिक सांस्कृतिक आंदोलन
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संस्था | संस्थापक | वर्ष | उद्देश्य/विशेषताएं |
ब्रह्म समाज | राजा राममोहन राय (कलकत्ता) |
1828ई. | इन्हें आधुनिक भारत का जन्मदाता कहा जाता है।
इन्होनें जाति प्रथा, सती प्रथा, मूर्ति पूजा का विरोध किया।
1816ई. में कलकत्ता में पाश्चात्य शिक्षा हेतु हिंदू कॉलेज की स्थापना की। इन्होनें उपनिषदों का अंग्रेजी में रूपांतरण किया। यह भारत में पत्रकारिता के जन्मदाता कहे जाते हैं। 1835ई. में ब्रिस्टल इंग्लैंड में इनकी मृत्यु हो गई। |
आदि ब्रह्म समाज | देवेंद्र नाथ टैगोर (कलकत्ता) | 1865ई. | इन्होंने ब्रह्म समाज को लोकप्रिय बनाया। |
साधारण ब्रह्म समाज | आनंद मोहन बोस | 1878ई. | |
प्रार्थना समाज | महादेव गोविंद रानाडे, आत्माराम पांडुरंग (बम्बई) | 1867ई. | केशव चंद्र सेन की प्रेरणा से बम्बई में इसकी स्थापना की गई। इसके द्वारा स्थापित दलित जाति मंडल तथा दक्कन शिक्षा सभा में प्रशंसनीय कार्य किए। |
आर्य समाज | स्वामी दयानंद सरस्वती मुंबई | 1875ई. | इन्होंने पूनः वेदों की और चलो तथा हिंदुओं के लिए भारत का नारा बुलंद किया।
1824 में जन्मे दयानंद में 1863ई. में झूठे धर्मों की पाखण्ड खणडिनी पताका लहराई। इस संस्था के द्वारा उन्होंने भारत में ईसाइयत के बढ़ते प्रभाव को रोकने की कोशिश की सन 1883 में इनकी मृत्यु हो गई स्वामी जी धार्मिक क्षेत्र में मूर्ति पूजा, बहुदेवता, अवतारवाद, पशु बलि ,श्राध्द और झूठे कर्मकांड तथा अंधविश्वासों को स्वीकार नहीं करते थे। यह पहले समाज सुधारक थे जिन्होंने शूद्र तथा स्त्री को वेद पढ़ने एवं उचित शिक्षा प्राप्त करने, यज्ञोपवीत धारण करने तथा अन्य सभी ऊंची जाति तथा पुरुषों के बराबर अधिकार के लिए आंदोलन किया। इन्होंने हिंदी में सत्यार्थ प्रकाश नामक पुस्तक लिखी। इनके अतिरिक्त इन्होंने पाखण्ड खण्डन (1866), वेदभाष्य भूमिका (1876), ऋग्वेद भाष्य(1877), अध्दैत मत का खंडन(1875) पुस्तकें भी लिखी। इनके अनुयाई स्वामी श्रद्धानंद ने शुद्धि आंदोलन प्रारंभ किया तथा 1902 में हरिद्वार में गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना की। |
रामकृष्ण मिशन | स्वामी विवेकानंद (बेल्लूर) | 1896ई. | 1893 ई. में शिकागो के धार्मिक सम्मेलन में भाग लेकर इन्होंने पाश्चात्य जगत को भारतीय संस्कृति के दर्शन से अवगत कराया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे ऐसे धर्म में विश्वास नहीं करते जो किसी विधवा के आंसू ना पोंछ सके या किसी अनाथ को रोटी ना दे सके। |
थियोसोफिकल सोसायटी | मैडम एच.पी.ब्लावट्स्की, कर्नल एच.एस. आल्कॉट एंव ऐनी ई. बेसेन्ट | 1875ई. (न्यूयार्क) |
भारत में 1879 ई. मे मद्रास के निकट अड्यार में थियोसोफिकल सोसायटी का मुख्यालय स्थापित किया गया। 1888ई. में बेसेन्ट इसकी सदस्य बनी। इसका मुख्य उद्देश प्राचीन हिंदू वाद को पुनः स्थापित करना तथा पुराने विधि विधान की तार्किक व्याख्या करना था। ऐनी बेसेन्ट ने बनारस में सेंट्रल हिंदू स्कूल की स्थापना कि बाद में यह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। |
रहनूमाई मजदायान सभा | फरदोनजी दादाभाई नौरोजी मुंबई | 1851 ई. | पारसियों के धर्म सुधार हेतु 1851 में रहनुमाई माजदायसन सभा की स्थापना मुंबई में नौरोजी फरदोनजी, दादाभाई नौरोजी, एस एस बंगाली लोगों ने की। इस सभा के द्वारा राफ्ता गोफ्तार (सत्यवादी) नामक पत्रिका का प्रकाशन किया गया। |
देवबन्द आंदोलन | मोहम्मद कासिम, रशीद अहमद गंगोही (उत्तर प्रदेश) | 1867ई. | यह अंग्रेज विरोधी आंदोलन था। यह पाश्चात्य शिक्षा के पश्चात संस्कृति का पूर्णतः विरोध था। देवबन्द आंदोलन के समर्थन शिक्लीनूमानी ने 1884-85 में नदक्तल उलमा एंव दारुल उलूम की स्थापना की। |
अहमदिया आंदोलन | मिर्जा गुलाम अहमद (गुरुदासपुर) |
1889ई. | यह आंदोलन पंजाब के गुरुदासपुर जिले के अंतर्गत कादियां नगर से हुआ। मिर्जा साहब (1839-1908ई.) ने अपने सिद्धांतों को अपनी पुस्तक बराहीम-ए-अहमदिया(1880ई.) में संकलित किया। मुस्लिमों के उत्थान में सर सैयद अहमद खाँ और मौलवी चिराग दिल्ली का महत्वपूर्ण योगदान है। वह बहुविवाह विरोधी थे तथा स्त्रियों की स्थिति में सुधार लाने के लिए सत प्रयासशील रहे। |
अलीगढ़ आंदोलन | सर सैयद अहमद खाँ | 1875ई. | इन्होंने अलीगढ़ में हिंदू मुस्लिम स्कूल की स्थापना के बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विद्यालय के रूप में प्रसिद्ध हुआ। 1886ई.सर सैयद अहमद साइंटिफिक सोसायटी की स्थापना की अंग्रेजों के प्रति निष्ठा व्यक्त करने के उद्देश्य से राजभक्त मुसलमान पत्रिका का प्रकाशन किया। |
विधवा आश्रम | ईश्वरचंद्र विद्यासागर एव.डी.के.कर्वे | 1856ई. हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम द्वारा विधवा विवाह का कानूनी मान्यता दे दी गई। 1896ई. कर्वे ने महिलाओं के उत्थान हेतु दामोदर प्रयास किया। 1899ई. में पुणे में 1 हिंदुओं विधवागृह की स्थापना की। |
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सर्वेंट्स ऑफ इंडियन सोसाइटी | गोपाल कृष्ण गोखले | 1915ई. | 1915ई. में भारतीय जनता के हितों की रक्षा हेतु सर्वेंट ऑफ़ इंडिया सोसाइटी की स्थापना गोपाल कृष्ण गोखले ने की। |
सोशल सर्विस लीग | श्री नारायण राव मल्हार जोशी | 1911ई. | बम्बई में सामाजिक संस्थाओं पर विचार हेतु सोशल सर्विस लीग की स्थापना की गई। |
सत्यशोधक समाज | ज्योतिबा फुले (महाराष्ट्र) |
1873ई. | यह आंदोलन दलित और निम्न जाति के लोगों के कल्याण के लिए बनाया गया। फुले में अपनी पुस्तक गुलामगिरी सर्वजनिक सत्यधर्म एव सत्यशोधक समाज जैसी पुस्तकों और संगठनों द्वारा निम्न जातियों को सुरक्षा दिलाने पर जोर दिया। |
यंग बंगाल आंदोलन | हेनरी विवियन डेरेजियो (कलकत्ता) |
19वीं सदी | बंगाल में युवा आंदोलन के नाम से प्रसिद्ध इस आंदोलन का उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता, जिम्मेदारों के अत्याचारों में रैय्यतों की सुरक्षा, सरकारी सेवाओं में भारतीयों को रोजगार दिलाने से संबंधित था। |
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