आखिर क्यों आते हैं भुकंप पढिये विस्तार से इसके पिछे की वजाह Why do earthquakes occurs

Safalta Experts Published by: Anonymous User Updated Fri, 27 Aug 2021 10:16 AM IST

Source: IndiaTV

  • भुकम्प एक आप आकस्मिक अन्तर्ज्ञात प्रक्रिया है जो काई प्रकार की भूगर्भिक क्रियाओं का परिणम है जिसका करण धरताल पर आसन्तुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
  • भूकम्प के दौरान P (प्रथामिक), S (व्दितीयक तथा L  )दीर्घ) तरंगों का उद्भव होता है।
  • भूकंपीय तरंगे उत्पत्ति केंद्र से चारों तरफ क्षेत्रीज रूप से प्रभावित होती है।
  • धरातल के नीचे जिस स्थान पर भूकंप की उत्पत्ति होती है उस स्थान को भूकंप उत्पत्ति केंद्र कहा जाता है।
  • भूकम्प उत्पत्ति केंद्र के ठीक ऊपर धरातल पर स्थित स्थान भूकंप केंद्र कहलाता है।  भुकम्प अनुभव सबसे पहले यही किया जाता है।
  • भूकम्प के दौरान भूकंप मूल से विमुक्त होने वाली ऊर्जा को प्रत्यास्थ ऊर्जा कहते हैं।
  • भूकंपीय तरंगेः भूकंप के दौरान पृथ्वी में कई प्रकार की तरंगे उत्पन्न होती है इस तरंगों को भूकंपीय लहरें कहते हैं।
  • भूकंपीय लहरें मुख्यतः तीन प्रकार की भूकंपीय तरंगे उत्पन्न करती है जिन्हें क्रगशः प्राथमिक तरंगे, द्वितीय तरंगे, एंव धरातलीय तरंगे कहते हैं।
  • प्राथमिक तरंगे ः यह सबसे तीव्र गति से चलती है (प्रति सेकंड 8 किलोमीटर) ।
  • यह तरंगे पृथ्वी के प्रत्येक भाग में यात्रा करती है।
  • धरातल पर सर्वप्रथम यही तरंगे पहुंचती है,  इन तरंगों को P  से सूचित किया जाता है। इससे अनुदैध्र्य तरंग भी कहा जाता है।
  • प्राथमिक तरंगों की गति ठोस में सर्वाधिक होती है।
  • इसका उद्भव चट्टानों के कणों के सम्पीडन से होता है।
  • द्वितीय तरंगेः  इसकी गति 4 किमी प्रति सेकण्ड प्राथमिक तरंग की अपेक्षा कम होती है।
  • इन तरंगों को अनुप्रस्थ एंव विध्वनशक भी कहा जाता है।
  • द्वितीय तरंगे तरल पदार्थ से होकर नहीं गुजरती है इसके कारण यह तरंगे सागरीय भागों में लुप्त हो जाती है।
    यह तरंगे केवल ठोस पदार्थ से होकर गुजरती है। इस तरगं को S  सूचित किया जाता है।
  • धरातलीय तरंगेः इनकी गति अन्य दो तरंगों की अपेक्षा में कम होती है।
  • यह तरंगे जल से भी होकर गुजरती है जिसके कारण यह सर्वाधिक विनाशकारी होती है।
  • P और S तरंगों की अपेक्षा धरातलीय तरंगे अधिक लंबा मार्ग तय करती है जिसके कारण इन्हें लंबी तरंगे भी कहा जाता है।
  • धरातलीय तरंगों की खोज का श्रेय डी.एच.लव को दिया जाता है इन तरंगों को L  से सूचित किया जाता है।