- भुकम्प एक आप आकस्मिक अन्तर्ज्ञात प्रक्रिया है जो काई प्रकार की भूगर्भिक क्रियाओं का परिणम है जिसका करण धरताल पर आसन्तुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
- भूकम्प के दौरान P (प्रथामिक), S (व्दितीयक तथा L )दीर्घ) तरंगों का उद्भव होता है।
- भूकंपीय तरंगे उत्पत्ति केंद्र से चारों तरफ क्षेत्रीज रूप से प्रभावित होती है।
- धरातल के नीचे जिस स्थान पर भूकंप की उत्पत्ति होती है उस स्थान को भूकंप उत्पत्ति केंद्र कहा जाता है।
- भूकम्प उत्पत्ति केंद्र के ठीक ऊपर धरातल पर स्थित स्थान भूकंप केंद्र कहलाता है। भुकम्प अनुभव सबसे पहले यही किया जाता है।
- भूकम्प के दौरान भूकंप मूल से विमुक्त होने वाली ऊर्जा को प्रत्यास्थ ऊर्जा कहते हैं।
- भूकंपीय तरंगेः भूकंप के दौरान पृथ्वी में कई प्रकार की तरंगे उत्पन्न होती है इस तरंगों को भूकंपीय लहरें कहते हैं।
- भूकंपीय लहरें मुख्यतः तीन प्रकार की भूकंपीय तरंगे उत्पन्न करती है जिन्हें क्रगशः प्राथमिक तरंगे, द्वितीय तरंगे, एंव धरातलीय तरंगे कहते हैं।
- प्राथमिक तरंगे ः यह सबसे तीव्र गति से चलती है (प्रति सेकंड 8 किलोमीटर) ।
- यह तरंगे पृथ्वी के प्रत्येक भाग में यात्रा करती है।
- धरातल पर सर्वप्रथम यही तरंगे पहुंचती है, इन तरंगों को P से सूचित किया जाता है। इससे अनुदैध्र्य तरंग भी कहा जाता है।
- प्राथमिक तरंगों की गति ठोस में सर्वाधिक होती है।
- इसका उद्भव चट्टानों के कणों के सम्पीडन से होता है।
- द्वितीय तरंगेः इसकी गति 4 किमी प्रति सेकण्ड प्राथमिक तरंग की अपेक्षा कम होती है।
- इन तरंगों को अनुप्रस्थ एंव विध्वनशक भी कहा जाता है।
- द्वितीय तरंगे तरल पदार्थ से होकर नहीं गुजरती है इसके कारण यह तरंगे सागरीय भागों में लुप्त हो जाती है।
- धरातलीय तरंगेः इनकी गति अन्य दो तरंगों की अपेक्षा में कम होती है।
- यह तरंगे जल से भी होकर गुजरती है जिसके कारण यह सर्वाधिक विनाशकारी होती है।
- P और S तरंगों की अपेक्षा धरातलीय तरंगे अधिक लंबा मार्ग तय करती है जिसके कारण इन्हें लंबी तरंगे भी कहा जाता है।
- धरातलीय तरंगों की खोज का श्रेय डी.एच.लव को दिया जाता है इन तरंगों को L से सूचित किया जाता है।