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कंज्यूमर बिहेवियर दो शब्दों के मेल से बना हुआ एक टर्म है. कंज्यूमर यानि कि ऐसे लोग जो किसी प्रोडक्ट या सर्विस को खरीदते हैं और बिहेवियर यानि कि व्यवहार. मतलब किसी खरीददार के व्यवहार को कंज्यूमर बिहेवियर कहते हैं. अब व्यव्हार में क्या कुछ शामिल है तो मैं बता दूं इस व्यवहार में किसी भी खरीददार द्वारा किसी भी ब्रांड के प्रोडक्ट को चुनने के पीछे का कारण, उन्होंने जो निर्णय लिया वो क्यूँ लिया, कैसे और किन परिस्थितियों में उनका निर्णय बदल सकता है ये सब कुछ शामिल होता है. तो दोस्तों आज हम बात करेने वाले हैं मार्केटिंग के क्षेत्र में कंज्यूमर बिहेवियर की. मार्केटिंग के क्षेत्र में काम कर रहे हर एक इंसान के लिए यह जानना काफी जरूरी है कि उनके कस्टमर्स क्या खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं, क्यूँ वो किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस को खरीद रहे हैं, कब खरीद रहे हैं, क्या उनका ये प्रोडक्ट या सर्विस खरीदने का निर्णय बदल सकता है अगर बदल सकता है तो किन परिस्थितियों में बदल सकता है. अगर नहीं बदलता तो ब्रांड लॉयल्टी के पीछे का कारण क्या है. यानि कि कोई भी कस्टमर क्या व्यवहार करता है इसको पूर्णतः समझना हीं मार्केटिंग के क्षेत्र में कंज्यूमर बिहेवियर के नाम से जाना जाता है.
कैसे शुरू करें कंज्यूमर बिहेवियर को समझना
इसके लिए सबसे पहली बात यह समझना आवश्यक है कि आप एक बार में पूरे मार्केट के कंज्यूमर्स का बिहेवियर नहीं समझ सकते. आपको मार्केट के एक छोटे भाग से शुरुआत करनी होगी. इसके लिए आपको एक पूरे मार्केट को अलग-अलग भागों में बांटना होगा. फ़िर एक-एक हिस्से पर पूरा ध्यान केन्द्रित करके वहां के कस्टमर्स के बिहेवियर को स्टडी करना होगा.
कंज्यूमर बिहेवियर को समझने के लिए सर्वे का इस्तेमाल भी किया जाता है. किसी भी कस्टमर को खरीददारी करते वक़्त ध्यान से ओब्ज़र्ब करने पर भी आपको कई साड़ी बातें पता चलती हैं जिनको नोट करके आप डेटा तैयार कर सकते हैं. इस डेटा का इस्तेमाल फ़िर मार्केटिंग क्षेत्र से सम्बंधित विभिन्न प्रश्नों के उत्तर देने में किया जा सकता है.
क्यूँ जरूरी है कंज्यूमर के बिहेवियर को समझना
आप कंज्यूमर्स के बिहेवियर को समझेंगे तभी तो मार्केट में अपने प्रोडक्ट्स या सर्विसेज की एक अच्छी ब्रांड वैल्यू बना पाएंगे. आपकी कंपनी/प्रोडक्ट/सर्विस या ब्रांड के प्रति किसी कस्टमर का व्यवहार कैसा है ये जानने के बाद हीं आप अपने प्रोडक्ट्स/सर्विसेज में वो बदलाव ला सकते हैं जो कि एक कस्टमर ढूंढ रहा है. अगर वर्त्तमान में मार्केट में आपनी पोजीशन सही नहीं है तो कंज्यूमर्स के बिहेवियर को समझ के भविष्य में अपनी पोजीशन को सही किया जा सकता है. अगर आप अपने कस्टमर्स के बिहेवियर को पूर्णतः समझ गए हैं और उसी हिसाब से अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेज को भी ढाल लिया है तो यकीन मानिए आप अपने कस्टमर्स के अन्दर लॉयल्टी डेवेलोप कर रहे हैं. इसके बाद वो आपके परमानेंट कस्टमर्स बन जायेंगे और सिर्फ आपका हीं ब्रांड उपयोग में लायेंगे. कंज्यूमर बिहेवियर को समझ कर आप अपने प्रतिद्वंदियों से आगे निकल सकते हैं और मार्केट में अपनी मोनोपॉली तक स्थापित कर सकते हैं.
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कंज्यूमर यानि कि ऐसे लोग जो किसी प्रोडक्ट या सर्विस को खरीदते हैं और बिहेवियर यानि कि व्यवहार. मतलब किसी खरीददार के व्यवहार को कंज्यूमर बिहेवियर कहते हैं.
कंज्यूमर बिहेवियर में किसी भी खरीददार द्वारा किसी भी ब्रांड के प्रोडक्ट को चुनने के पीछे का कारण, उन्होंने जो निर्णय लिया वो क्यूँ लिया, कैसे और किन परिस्थितियों में उनका निर्णय बदल सकता है ये सब कुछ शामिल होता है.
कंज्यूमर बिहेवियर को समझने के लिए सर्वे इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है.
कंज्यूमर के बिहेवियर को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि आपकी कंपनी/प्रोडक्ट/सर्विस या ब्रांड के प्रति किसी कस्टमर का व्यवहार कैसा है ये जानने के बाद हीं आप अपने प्रोडक्ट्स/सर्विसेज में वो बदलाव ला सकते हैं जो कि एक कस्टमर ढूंढ रहा है.