Current Affairs 8 December 2021: नीलमणि फूकन और दामोदर मौउजो को ज्ञानपीठ पुरस्कार

Safalta Experts Published by: Blog Safalta Updated Fri, 10 Dec 2021 03:12 PM IST

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7 नवंबर 2021 को साहित्यकार नीलमणि फूकन और दामोदर मौउजो को प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई। असमिया साहित्यकार नीलमणि फूकन को वर्ष 2021 और कोंकणी साहित्यकार दामोदर मौउजों को वर्ष 2022 के प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
यह निर्णय प्रसिद्ध कथाकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रतिभा राय की अध्यक्षता में हुई चयन समिति की बैठक में लिया गया है। ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति ने वर्ष 2021 के लिए 56वां ज्ञानपीठ पुरस्कार असमिया साहित्यकार नीलमणि फूकन को और वर्ष 2022 के लिए 57 वां ज्ञानपीठ पुरस्कार कोंकणी साहित्यकार दामोदर मौउजों को दिया जाएगा। वर्ष1933 में जन्मे नीलमणि फूकन का असमिया साहित्य में विशेष स्थान है। उन्हें पद्मश्री, साहित्य अकादमी, असम वैली अवार्ड और साहित्य अकादमी फेलोशिप सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने 13 काव्य संग्रह की रचना की है जिनमें मानस प्रतिमा जैसी महत्वपूर्ण रचनाएं शामिल है। उनकी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है। वर्ष 1944 में जन्मे दामोदर मौउजों कोकण साहित्य परिदृश्य के चर्चित चेहरा हैं। मौउजों को साहित्य अकादमी पुरस्कार, गोवा कला अकादमी साहित्य पुरस्कार, कोंकणी भाषा मंडल साहित्य पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। दामोदर मोउजो नीलमणि फूकन के समकालीन लेखक हैं। इनकी रचनाओं में लघुकथा कथाओं से लेकर उपन्यास, आलोचना, बाल साहित्य भी शामिल है । उन्होंने छह लघु कथा संग्रह, चार उपन्यास भी लिखे हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य
  • भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है
  • यह पुरस्कार भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में प्रदान किया जाता है।
  • ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1961 में की गई थी।
  • पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 1965 में  जी शंकर कुरुप को दिया गया था।
  • इस पुरस्कार में 11लाख रुपए की धनराशि, एक प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की एक कांस्य प्रतिमा भेंट की जाती है।
  • यह पुरस्कार किसी साहित्यकार द्वारा साहित्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए दिया जाता है।