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- 1897 में एलफिंस्टन हाई स्कूल में उनका नामांकन हुआ.
- 1912 में मुंबई विश्वविद्यालय के एलफिंस्टन कॉलेज से अर्थशास्त्र और पोलिटिकल साइंस में डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय में आवेदन किया और न सिर्फ़ वहाँ से अर्थशास्त्र में अपनी मास्टर डिग्री पूरी की बल्कि लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में डॉक्टर ऑफ साइंस की डिग्री भी प्राप्त की.
- 1915 में हीं उन्होंने 'प्राचीन भारतीय वाणिज्य' नामक अपनी थीसिस दी थी.
- 1916 में, उन्होंने अपनी नई थीसिस, 'रुपये की समस्या, इसकी उत्पत्ति और इसका समाधान' पर काम करना शुरू किया. इसके बाद कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स में वे राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर बने और अपनी आगे की पढ़ाई भी जारी रखी.
- इसी क्रम में वे इंग्लैंड चले गए. 1927 में उन्हें अर्थशास्त्र में पीएच.डी. की डिग्री और उसी वर्ष कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया.
- 1915 में अपनी मास्टर डिग्री पूरी की और यही वह समय है जब उन्होंने 'प्राचीन भारतीय वाणिज्य' नामक अपनी थीसिस दी.
- 1916 में, उन्होंने अपनी नई थीसिस, 'रुपये की समस्या: इसकी उत्पत्ति और इसका समाधान' पर काम करना शुरू किया.
- 1925 में उन्हें अखिल यूरोपीय साइमन कमीशन के साथ काम करने के लिए बॉम्बे प्रेसीडेंसी कमेटी में नियुक्त किया गया.
- 1923 में बी.आर. अम्बेडकर ने हाशिए पर पड़े लोगों में शिक्षा का प्रसार करने और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए 'बहिष्कृत हितकारिणी सभा' की स्थापना की.
- 1936 में, उन्होंने इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी की स्थापना की. जिसने केंद्रीय विधान सभा के लिए 13 आरक्षित और 4 सामान्य सीटों के लिए 1937 का बॉम्बे चुनाव लड़ा और क्रमशः 11 और 3 सीटें हासिल कीं.
- अम्बेडकर ने रक्षा सलाहकार समिति और वायसराय की कार्यकारी परिषद में श्रम मंत्री के रूप में भी कार्य किया.
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अम्बेडकर और अस्पृश्यता
बंबई उच्च न्यायालय में कानून का काम देखते हुए भीमराव अम्बेडकर ने अछूतों की शिक्षा को बढ़ावा देने और उनका उत्थान करने के लिए अनेक प्रयास किए.दलित अधिकारों की रक्षा के लिए उन्होंने पाँच पत्रिकाएँ भी शुरू की -
- मूकनायक (गूंगे का नेता, 1920)
- बहिष्कृत भारत (बहिष्कृत भारत, 1924)
- समता (समानता, 1928)
- जनता (द पीपल, 1930)
- प्रबुद्ध भारत (प्रबुद्ध भारत, 1956)
बी.आर. अम्बेडकर के अनुसार, यह शिक्षा हीं है जो सामाजिक दासता को काटने का सही हथियार है. यह शिक्षा हीं है जो दलित समाज को प्रबुद्ध करेगी और अपनी सही सामाजिक स्थिति, आर्थिक बेहतरी और राजनीतिक स्वतंत्रता हासिल करने के लिए आगे आने के लिए प्रेरित करेगी.
डॉ. अम्बेडकर ने जाति व्यवस्था की बुराइयों के खिलाफ एक आंदोलन चलाया और जाति प्रथा के उन्मूलन के लिए लड़ते हुए इसमें अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. उनका मकसद अस्पृश्यता को दूर कर अछूतों को भारतीय समाज की मुख्य धारा में लाना था. डॉ. अम्बेडकर ने भारतीय संविधान में प्रावधान करके अछूतों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों के लिए न्याय की मांग की.
उनके अनुसार धर्म, धन-दौलत कमाने का साधन नहीं है. बल्कि इसका उपयोग केवल मानसिक शांति प्राप्त करने और समाज के कष्टों को दूर करने के लिए किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा -
"जो धर्म आपको इंसान के रूप में नहीं पहचानता या आपको पीने के लिए पानी नहीं देता या आपको मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देता, वह धर्म कहलाने के योग्य नहीं है.
''जो धर्म आपको शिक्षा ग्रहण करने से रोकता है और आपकी भौतिक उन्नति में बाधक बनता है वह धर्म, धर्म के योग्य नहीं है.''
‘’जो धर्म अपने अनुयायियों को अपने सह-धर्मवादियों के साथ व्यवहार में मानवता दिखाना नहीं सिखाता, वह बल के प्रदर्शन के अलावा और कुछ नहीं है.’’
‘’जो धर्म कुछ वर्गों को शिक्षा से रोकता है, उन्हें धन संचय करने और शस्त्र धारण करने से मना करता है, वह धर्म नहीं बल्कि एक उपहास है.’’
‘’जो धर्म अज्ञानी को अज्ञानी और गरीब को गरीब होने के लिए मजबूर करता है, वह धर्म नहीं है. वह चाहते थे कि हिंदू धर्म में सुधार हो और असमानता को हटाकर मानवता का धर्म बनाया जाए.’’
‘’जो धर्म अपने अनुयायिओं को मनुष्य के स्पर्श से बचने के लिए कहता है, वह धर्म नहीं बल्कि उपहास है.’’
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भीमराव अम्बेडकर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- डॉ भीम राव अम्बेडकर बाबा साहब के नाम से मशहूर थे.
- वे संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे और उन्हें 'भारतीय संविधान का पिता' भी कहा जाता है.
- वे एक न्यायविद और अर्थशास्त्री थे. वे अछूत मानी जाने वाली जाति में जन्मे और उन्हें समाज में कई अन्याय और भेदभाव का सामना करना पड़ा.
- वह एक मेधावी छात्र थे और उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी.
- अम्बेडकर समाज के जाति-आधारित भेदभाव के खिलाफ थे और उन्होंने दलितों को संगठित होने और उनके अधिकारों की मांग करने की वकालत की.
- उन्होंने दलितों की शिक्षा को बढ़ावा दिया. वह बॉम्बे प्रेसीडेंसी कमेटी का हिस्सा थे जिसने 1925 में साइमन कमीशन के साथ काम किया था.
- उन्होंने दलितों के बीच शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक सुधार को बढ़ावा देने के लिए बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की.
- उन्होंने मूकनायक, समानता जनता और बहिष्कृत भारत जैसी पत्रिकाओं की शुरुआत की.
- 1927 में, उन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ सक्रिय आंदोलन शुरू किया.
- उन्होंने दलितों के मंदिरों में प्रवेश करने और सार्वजनिक जल संसाधनों से पानी खींचने के अधिकार के लिए आंदोलन किया.
- उन्होंने हिंदू धर्मग्रंथों की निंदा की क्योंकि उन्हें लगा कि वे जातिगत भेदभाव का प्रचार करते हैं.
- उन्होंने 'दलित वर्गों' के लिए अलग निर्वाचक मंडल की वकालत की.
- वह उस समय महात्मा गांधी से असहमत थे क्योंकि गांधी मतदाताओं में किसी भी तरह के आरक्षण के खिलाफ थे.
- 1932 में जब ब्रिटिश सरकार ने 'सांप्रदायिक पुरस्कार' की घोषणा की, तो गांधी यरवदा जेल में अनशन पर चले गए. जेल में गांधी और अम्बेडकर के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत सामान्य मतदाताओं के भीतर दलित वर्गों को आरक्षित सीटें देने पर सहमति हुई. इसे पूना पैक्ट कहा गया.
- अम्बेडकर ने 1936 में इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी जो बाद में अनुसूचित जाति संघ में तब्दील हो गया, की स्थापना की और 1937 में बॉम्बे से सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के लिए चुनाव लड़ा. उन्होंने आजादी के बाद देश के पहले आम चुनाव में बॉम्बे (उत्तर-मध्य) से भी चुनाव लड़ा. लेकिन वह दोनों बार हार गए.
- उन्होंने वायसराय की कार्यकारी परिषद में श्रम मंत्री के रूप में भी काम किया. आजादी के बाद 1947 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार में अंबेडकर पहले कानून मंत्री बने. बाद में उन्होंने हिंदू कोड बिल पर जवाहरलाल नेहरू के साथ मतभेदों के कारण इस्तीफा दे दिया.
- 1952 में उन्हें राज्यसभा के लिए नियुक्त किया गया और वे अपनी मृत्यु तक इसके सदस्य बने रहे.
- उन्होंने मुक्त अर्थव्यवस्था की वकालत की. उन्होंने आर्थिक विकास के लिए जन्म नियंत्रण पर भी विचार किया.
- उन्होंने महिलाओं के लिए समान अधिकारों पर भी जोर दिया.
- मृत्यु से कुछ महीने पहले, उन्होंने नागपुर में एक सार्वजनिक समारोह में बौद्ध धर्म अपना लिया और उनके साथ लाखों दलितों ने भी बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया.
- उन्होंने कई किताबें और निबंध लिखे. उनमें से कुछ हैं - जाति का विनाश, पाकिस्तान या भारत का विभाजन, बुद्ध और उनका धम्म, ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास, ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रशासन और वित्त, आदि.
- अम्बेडकर संवैधानिक उपचार के अधिकार को संविधान की आत्मा मानते थे.
- अंबेडकर का स्वास्थ्य खराब होने के कारण 1956 में दिल्ली में उनका निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार दादर में बौद्ध संस्कार के अनुसार किया गया और वहां एक स्मारक का निर्माण किया गया. इस स्थान को ‘’चैत्य भूमि’’ कहा जाता है. उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है. हर साल 14 अप्रैल को उनकी जयंती ‘’अंबेडकर जयंती’’ या ‘’भीम जयंती’’ के रूप में मनाई जाती है.
डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर द्वारा लिखी गयी पुस्तकों की सूची
| क्र. संख्या | पुस्तक का नाम | छपने का वर्ष |
| 1 | हिन्दू धर्म की रिडल | 2008 |
| 2 | भगवान बुद्ध और उनका धम्म | 1957 |
| 3 | बुद्ध या कार्ल मार्क्स | 1956 |
| 4 | महाराष्ट्र भाषाई प्रान्त | 1948 |
| 5 | शूद्र : कौन और कैसे | 1948 |
| 6 | कांग्रेस और गाँधी ने अछूतों के लिए क्या किया | 1945 |
| 7 | रानाडे, गाँधी और जिन्ना | 1943 |
| 8 | श्री गाँधी और विमुक्ति अछूतों की | 1942 |
| 9 | पाकिस्तान पर विचार | 1940 |
| 10 | संघ बनाम स्वतंत्रता | 1939 |
| 11 | जातिभेद का बीजनाश | 1937 |
| 12 | जनता (साप्ताहिक) | 1930 |
| 13 | बहिष्कृत भारत (साप्ताहिक) | 1927 |
| 14 | ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का अभ्युदय | 1925 |
| 15 | रुपये की समस्या : उद्भव और समाधान | 1923 |
| 16 | ब्रिटिश भारत में साम्राज्यवादी वित्त का विकेंद्रीकरण | 1921 |
| 17 | मूकनायक (साप्ताहिक) | 1920 |
| 18 | भारत में छोटी जोतें समस्याएं और समाधान | 1917 |
| 19 | भारत में जातियां : उनका तंत्र, उत्पत्ति और विकास | 1916 |
| 20 | भारत का राष्ट्रीय अंश | 1916 |
| 21 | शूद्रों की खोज | - |
| 22 | अछूत और ईसाई धर्म | - |
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