Biography of Atal Bihari Vajpayee, जानें अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन परिचय और पॉलिटिकल करियर के बारे में विस्तार से

Safalta experts Published by: Chanchal Singh Updated Sun, 25 Dec 2022 01:10 AM IST

Highlights

अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीतिक करियर स्वतंत्रता संग्राम के रूप में शुरू किया था। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में बाकी नेताओं के साथ उन्होंने भाग लिया और जेल भी गए थे ।

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Biography of Atal Bihari Vajpayee: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एवं महान प्रतिभावान राजनीतिज्ञ अटल बिहारी वाजपेयी को कौन नहीं जानता है। यह अपने राजनैतिक करियर में सबसे आदर्शवादी और प्रशंसनीय राजनेता थे अटल जी जैसा प्रधानमंत्री एवं नेता होना पूरे भारत के लिए गर्व की बात है। इनके शासन कार्यकाल के दौरान इनके द्वारा किए गए कार्यों के कारण आज देश इस मुकाम पर है। अगर जवाहरलाल नेहरू के बाद कोई तीन बार प्रधानमंत्री बना है तो वह है अटल बिहारी वाजपेयी । अटल जी इकलौते राजनेता है जो चार अलग-अलग प्रदेश से सांसद चुने गए थे।

Source: safalta

यह आजादी के पहले ही राजनीति में आए थे, उन्होंने महात्मा गांधी के साथ भारत छोड़ो आंदोलन में भी भाग लिया था और कई बार जेल की याचनाएं सहि है। अटल बिहारी वाजपेयी एक कवि भी थे, जिन्होंने राजनीति पर भी अपनी कविता और व्यंग से लोगों एवं नेताओं को आश्चर्यचकित किया है। इनकी रचनाएं पब्लिश हुई है, जिन्हें लोग आज भी पढ़ते हैं। तो आइए जानते हैं अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन परिचय के बारे में।  अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं   FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here
 

अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन परिचय


 अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ था। अटल बिहारी के सात भाई-बहन थे इनके पिता कृष्ण बिहारी स्कूल टीचर व कवि थे। ये स्कूलिंग करने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने लक्ष्मीबाई कॉलेज से ग्रेजुएशन कंप्लीट किया, जिसके बाद उन्होंने कानपुर के डीएवीवी कॉलेज से इकोनॉमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली। उन्होंने लखनऊ के लॉ कॉलेज में आगे की पढ़ाई करने के लिए आवेदन भी दिया था लेकिन पढ़ाई में मन नहीं लगने से वह आरएसएस द्वारा पब्लिक में एडिटर का काम करने लगे। अटल बिहारी एक अच्छे पत्रकार राजनेता व कवि के रूप में जाने जाते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी की कभी शादी नहीं हुई है। लेकिन उन्होंने बीएन कॉल की दो बेटियां नमिता और नंदिता को गोद लिया था।

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 अटल बिहारी वाजपेई का राजनैतिक सफर


अटल बिहारी वाजपेई ने राजनीतिक करियर स्वतंत्रता संग्राम के रूप में शुरू किया था। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में बाकी नेताओं के साथ उन्होंने भाग लिया और जेल भी गए थे इसी दौरान उनकी मुलाकात भारतीय जनसंघ के लीडर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ हुई थी। अटल बिहारी वाजपेई ने मुखर्जी के साथ राजनीति के दांव पेंच सीखे थे। जिसके बाद  मुखर्जी का स्वास्थ्य खराब होने लगा और उनकी जल्द ही मृत्यु हो गई। जिसके बाद अटल जी ने भारतीय जनसंघ की बागडोर संभाली और इसका विस्तार पूरे देश में किया।

 1954 में बलरामपुर 7 मेंबर ऑफ पार्लियामेंट चुने गए थे। दीनदयाल उपाध्याय की मौत के बाद अटल जी जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने जिसके बाद उन्होंने कुछ साल तक नाना जी देसाई, बलराज मधोक, लालकृष्ण आडवाणी के साथ मिलकर जनसंघ पार्टी को भारतीय राजनीति में आगे बढ़ाने के लिए कार्य किया।

 1970 में भारतीय जनसंघ पार्टी ने भारतीय लोक दल के साथ गठबंधन किया, गठबंधन के बाद इसे जनता पार्टी का नाम दिया गया। जनता पार्टी ने बहुत जल्दी विकास किया और लोक चुनाव में उसे सफलता मिली जिसके बाद जनता पार्टी के लीडर मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने और सत्ता में आए। जिसके बाद उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को एक्सटर्नल अफेयर मिनिस्टर बनाया और इसी दौर में वे चाइना और पाकिस्तान के दौरे में गए। जहां पर उन्होंने भारत और चाइना, पाकिस्तान से दोनों देशों के संबंध को सुधारने का प्रस्ताव रखा। 1979 में जब मोरारजी देसाई ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया तब जनता पार्टी बिखरने लगी।

 अटल बिहारी वाजपेयी ने 1980 में लालकृष्ण आडवाणी व भैरव सिंह शेखावत के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी बनाई और पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। जिसे अगले 5 सालों तक अटल बिहारी वाजपेयी पार्टी के अध्यक्ष रहे।

 1984 के चुनाव में बीजेपी सिर्फ 2 सीट से हारी जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने पार्टी को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत की और पार्लियामेंट के अगले चुनाव यानी 1989 में बीजेपी 88 सीट के बढ़त के साथ आगे बढ़ी। लेकिन विपक्ष की मांग के चलते एक बार फिर पार्लियामेंट चुनाव हुआ जिसमें एक बार फिर बीजेपी ने 120 सीटों के साथ आगे बढ़ी।

नवंबर 1995 में मुंबई में हुई बीजेपी कॉन्फ्रेंस में अटल बिहारी वाजपेयी को बीजेपी का पीएम प्रत्याशी घोषित किया गया।

 
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 आइए जानते हैं इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी का प्रधानमंत्री बनने का सफर


1996 में हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी थी। मई 1996 में बीजेपी के जीत के बाद अटल बिहारी वाजपेई को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया। लेकिन भारतीय जनता पार्टी को दूसरी पार्टियों का सपोर्ट नहीं मिला। जिसके कारण बीजेपी की सरकार गिर गई और मात्र 13 दिन में ही अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

 1996 से 1998 के बीच में दो बार दूसरी सरकार बनी लेकिन सपोर्ट ना मिलने से वह भी गिर गई जिसके बाद बीजेपी ने दूसरी पार्टियों के साथ मिलकर नेशनल डेमोस्टिक पार्टी यानी एनडीए का गठन किया। बीजेपी सत्ता में आई लेकिन इस बार इनकी सत्ता 13 महीने के लिए रही क्योंकि अन्ना द्रविदा मुन्नेत्रा पार्टी ने अपना सपोर्ट वापस ले लिया था।

 1999 में कारगिल में हुई भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध में भारत के विजय के बाद अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को और अधिक मजबूत बना दिया गया। इस जीत के बाद लोग उन्हें भावी लीडर के रूप में देखने लगे। जिसके बाद हुए चुनाव में बीजेपी ने एनडीए को फिर से मजबूत किया और चुनाव में खड़े हुए। कारगिल में भारत की जीत के बाद भारतवासी अटल बिहारी वाजपेयी से बहुत प्रभावित हुए और बीजेपी को जीत मिली जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री का पद संभाला। वाजपेयी सरकार ने इस बार 5 साल का कार्यकाल पूरा किया और पहली बार देश में नॉन कांग्रेस पार्टी बन गई।

प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान अटल जी द्वारा किए गए कार्य


 सभी पार्टियों के सपोर्ट से अटल बिहारी वाजपेयी ने निर्णय लिया कि वे देश की आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के लिए देश के प्राइवेट सेक्टर को आगे बढ़ाएंगे और उन्होंने मुख्य योजनाएं, नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना शुरू की।

 अटल बिहारी वाजपेयी विदेश में इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा दिया। आईटी सेक्टर के प्रति लोगों को जागरूक किया। सन् 2000 में अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत दौरे पर आए और इस दौरे का दोनों देशों की प्रगति व रिश्ते संबंध में बहुत प्रभाव पड़ा।

 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को भारत आने का न्योता भेजा क्योंकि वाजपेयी जी चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान के संबंध में सुधार हो। इस दौरे के बाद लाहौर के लिए एक बस भी शुरू हुई जिसमें स्वयं अटल बिहारी वाजपेयी ने सफर किया था।

 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी ने सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत की।

 आर्थिक सुधार के लिए इन्होंने बहुत सी योजनाएं शुरू की जिसके बाद 6 -7 परसेंट ग्रोथ रिकॉर्ड की थी।

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 अटल बिहारी वाजपेयी के अचीवमेंट एवं अवार्ड


 1992 में देश के लिए किए गए अटल बिहारी द्वारा कार्यों के लिए उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
 1994 में उनको बेस्ट सांसद का अवार्ड दिया गया था।
 2014 में देश के सर्वोच्च सम्मान यानी भारत रत्न से अटल बिहारी वाजपेयी जी को सम्मानित किया गया था।
पूर्व  प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अटल बिहारी वाजपेयी को भारतीय राजनीति के भीष्म पितामह कहते हैं ।

अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं

1. गीत नहीं गाता हूँ

बेनक़ाब चेहरे हैं,
दाग़ बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
लगी कुछ ऐसी नज़र
बिखरा शीशे सा शहर

अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ

पीठ मे छुरी सा चांद
राहू गया रेखा फांद
मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ

गीत नया गाता हूँ

टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
कोयल की कुहुक रात

प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूँ
गीत नया गाता हूँ

टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलको पर ठिठकी
हार नहीं मानूँगा,
रार नई ठानूँगा,

काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ .
 

अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु


 देश के इस महान राजनेता अपने जीवन की अंतिम सांस दिल्ली के एम्स में 16 अगस्त 2018 को ली। इनका इलाज कर रहे डाक्टरों के मुताबिक उनका निधन निमोनिया और बहुअंग फेलियर के कारण हुआ था। 2009 से यह स्ट्रोक के शिकार हो गए थे। जिसके कारण इनकी सोचने और समझने की क्षमता पर बहुत असर पड़ा था। यह धीरे-धीरे डीमेसिया नामक बीमारी से ग्रस्त होने लगे थे।

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