Coal Mines in India list: जानिए भारत में कितनी कोल माइंस है और कहां पर स्थित है

Safalta Experts Published by: Nikesh Kumar Updated Fri, 08 Apr 2022 11:13 AM IST

Source: Safalta

भारत में कोल माइंस (कोयला खदान) या भारत के प्रमुख कोल-फ़ील्ड्स (कोयला क्षेत्रों) के बारे में जानकारी होना काफी महत्त्व रखता है क्योंकि विभिन्न प्रतियोगी तथा गवर्नमेंट एक्साम्स के जनरल अवेयरनेस सेक्शन के लिए यह एक महत्वपूर्ण विषय है. इसलिए यहाँ हम इस आर्टिकल में भारत के प्रमुख कोल माइंस तथा कोल-फ़ील्ड्स के बारे में बात करेंगे. भारत अत्यंत पुरातन कठोर चट्टानों से समृद्ध होने के कारण विभिन्न प्रकार के खनिज संसाधनों का भंडार है. भारत में कोयले के डिस्ट्रीब्यूशन को दो श्रेणियों में बाँट सकते है – यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.
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* गोंडवाना कोल-फील्ड्स जो 250 मिलियन वर्ष पुराने हैं.
* टर्र्टियरी कोल-फील्ड्स जो 15 से 60 मिलियन वर्ष पुराने हैं.

क्या आप जानते हैं भारत की पहली कोयला खदान कौन सी है ? हम आपको बताते हैं कि भारत का पहला कोल-फील्ड रानीगंज था जहां ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के दौरान यानी वर्ष 1774 में कोयला खनन का काम शुरू हुआ था. और आइए अब बात करते हैं भारत के महत्वपूर्ण कोयला खानों की. प्रतियोगी परीक्षाओं के कैंडिडेट्स यहाँ भारत के महत्वपूर्ण कोयला खानों की सूची देख सकते हैं. भारत के महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र (कोलफील्ड्स) की सूची की ओर बढ़ने से पहले, आइए हम उन श्रेणियों को समझते हैं जिनमें इन क्षेत्रों को विभाजित किया गया है-

1. गोंडवाना कोलफील्ड्स -

* गोंडवाना कोलफील्ड्स जो 250 मिलियन वर्ष पुराने हैं, में भारत के कुल कोयला भंडार का 98% मौजूद है. यहाँ भारत का 99% कोयला उत्पादन होता है.
* गोंडवाना कोयला नमी से मुक्त (मोइश्चर फ्री) होता है और इसमें फास्फोरस और सल्फर मौजूद होता है.
* गोंडवाना कोयले में कार्बन कंटेंट 350 मिलियन वर्ष पुराने कार्बोनिफेरस कोयले की तुलना में कम है, जो भारत में बहुत कम उम्र की वजह से लगभग अनुपस्थित है.

2. टर्र्टियरी कोलफील्ड्स -

* इसमें कार्बन की मात्रा बहुत कम है लेकिन यह नमी और सल्फर से भरपूर है.
* टर्र्टियरी कोयला क्षेत्र मुख्य रूप से एक्स्ट्रा पेनिनसुलर रीजन (अतिरिक्त प्रायद्वीपीय क्षेत्रों) तक हीं सीमित है.
* टर्र्टियरी कोल फील्ड्स के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में असम, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में हिमालय की तलहटी, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और केरल शामिल हैं.
 

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नीचे भारत में कोयला खदानों की सूची उन राज्यों और श्रेणियों के साथ दी गई है जिनसे ये कोल फील्ड्स संबंधित हैं -

भारत में कोयला खानों की सूची -

कोल माइंस इन इंडिया -
कोल माइंस स्टेट फीचर्स/प्रोमिनेंस
झरिया,धनबाद, बोकारो, जयन्ती, गोड्डा, गिरिडीह, (कर्भारी कोल-फील्ड), रामगढ़, करणपुरा, डाल्टेनगंज.   झारखण्ड धनबाद - यह झारखंड के सबसे पुराने और भारत के सबसे अमीर कोयला क्षेत्रों में से एक है. यह बेहतरीन मेटलर्जिकल कोल यानी कोकिंग कोल का भण्डार है.
गोंडवाना कोलफील्ड -
गिरिडीह (करभरी कोल फील्ड) मेटलर्जीकल पर्पस के लिए भारत में बेहतरीन कोकिंग कोल देता है.
रानीगंज कोल-फील्ड, डालिंगकोट (दार्जीलिंग), बीरभूम, चिनाकुरी.  पश्चिम बंगाल दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी इसके प्रमुख उत्पादक जिले हैं.
गोंडवाना कोल-फील्ड्स
कोरबा, बिश्रामपुर, सोनहाट, झिलमिल, हसदो-अरंड छत्तीसगढ़ गोंडवाना कोल-फील्ड्स
झारसुगड़ा, हिमगिरी, रामपुर, तालचर उड़ीसा तालचेर - रानीगंज के बाद तालचेर का कोयला भंडार दूसरे स्थान पर है, यानी (24,374 मिलियन टन)
अधिकांश कोयला भाप और गैस उत्पादन के लिए उपयुक्त है और तालचर में ताप विद्युत संयंत्रों में उपयोग किया जाता है.
 
गोंडवाना कोलफील्ड्स
सिंगरेनी, कोठागुडेम, कन्तापल्ली तेलंगाना/आंध्रप्रदेश यहाँ के अधिकांश कोयला भंडार गोदावरी घाटी में हैं. कोयले के नॉन-कोकिंग किस्म की खोज की जाती है. वर्कअबल कोलियरी कोठागुडेम और सिंगरेनी में स्थित हैं.
गोंडवाना कोलफील्ड्स
नेयवेली तमिलनाडु टर्र्शिअरी कोलफील्ड्स
कम्पटी (नागपुर), वुन फील्ड, वर्धा, वलारपुर, घुघुस, वरोरा  महाराष्ट्र गोंडवाना कोलफील्ड्स
लेडो, माकुम, नाजिरा, जन्जी, जयपुर  असम असम के कोयले में कम राख और उच्च कोकिंग क्वालिटी होते हैं. हाई सल्फर कॉन्टेंट मेटलर्जीकल पर्पस के लिए अच्छा होता है.
यह कोयला तरल ईंधन और हाइड्रोजनेशन प्रोसेस के लिए कोयला सबसे अच्छा होता है.
टर्र्शिअरी कोलफील्ड्स
दर्रांगगिरी (गारो हिल्स), चेरापूंजी, लिओट्रीन्गेव, मोलोंग, लंग्रिन कोलफील्ड  मेघालय टर्र्शिअरी कोलफील्ड्स
सिंगरौली, सोहागपुर, जोहिला, उमरिया, सतपुरा मध्य प्रदेश सिंगरौली मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी कोलफील्ड है.
गोंडवाना कोलफील्ड
 
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मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी कोलफील्ड कौन सी है ?

मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी कोलफील्ड सिंगरौली है.

झारखण्ड के प्रमुख कोलफील्ड्स का नाम बताइए.

झारखण्ड के प्रमुख कोलफील्ड्स झरिया, धनबाद, बोकारो, जयन्ती, गोड्डा, गिरिडीह, (कर्भारी कोल-फील्ड), रामगढ़, करणपुरा, और डाल्टेनगंज हैं.

भारत में सबसे अधिक संख्या कौन से कोलफील्ड की है ?

भारत में सबसे अधिक संख्या गोंडवाना कोलफील्ड की है.

टर्र्शिअरी कोलफील्ड्स भारत के किन क्षेत्रों में पाए जाते हैं ?    

टर्र्शिअरी कोलफील्ड्स भारत के असम, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में हिमालय की तलहटी, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और केरल इत्यादि क्षेत्रों में पाए जाते हैं. 

पश्चिम बंगाल के प्रमुख कोलफील्ड्स कौन से हैं ?

पश्चिम बंगाल के प्रमुख कोलफील्ड्स रानीगंज कोल-फील्ड, डालिंगकोट (दार्जीलिंग), बीरभूम और चिनाकुरी हैं.

मेघालय के प्रमुख टर्र्शिअरी कोलफील्ड्स कौन से हैं ?

मेघालय के प्रमुख टर्र्शिअरी कोलफील्ड्स दर्रांगगिरी (गारो हिल्स), चेरापूंजी, लिओट्रीन्गेव, मोलोंग, और लंग्रिन कोलफील्ड हैं.

रानीगंज के बाद भारत में दूसरे स्थान पर कौन सा कोयला भण्डार है ?

रानीगंज के बाद तालचेर का कोयला भंडार भारत में दूसरे स्थान पर है.

भारत की पहली कोयला खदान कौन सी है ?

भारत की पहली कोयला खदान रानीगंज है जहां ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के दौरान यानी वर्ष 1774 में कोयला खनन का काम शुरू हुआ था.