Corruption Perception Index 2021:भ्रष्टाचार अवधारणा सूचकांक ने जारी किया भारत समेत अन्य देशों की लिस्ट, जानिए इस साल भारत को कितने अंक प्राप्त हुए हैं।

safalta experts Published by: Chanchal Singh Updated Thu, 27 Jan 2022 03:47 PM IST

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भ्रष्टाचार अवधारणा सूचकांक के सूची के अनुसार भारत की रैंकिंग में एक स्थान का सुधार हुआ है। हलांकि इस रिपोर्ट में भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर कई सारे सवाल उठाए गए हैं।

Source: Safalta

भ्रष्टाचार अवधारणा सूचकांक ने भारत समेत अन्य 180 देशों की सूची जारी की है। जिसमें भारत को साल  2021 में  85वां स्थान प्राप्त हुआ है।
भ्रष्टाचार अवधारणा सूचकांक के सूची के अनुसार भारत की रैंकिंग में एक स्थान का सुधार हुआ है। हलांकि इस रिपोर्ट में भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर कई सारे सवाल उठाए गए हैं।

भ्रष्टाचार अवधारणा सूची कैसे तैयार की जाती है?

विश्व के बड़े विशेषज्ञ और बिजनसमैन के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार को कथित लैवल के आधार पर पहले 180 देशों की रैंकिंग की लिस्ट प्रीपेयर किया जाता है। विशेषज्ञ इसके रैंकिंग के लिए 0 से लेकर 100 अंक का उपयोग करते हैं, इनके अनुसार जो देश या क्षेत्र सबसे कम अंक यानी 0,1,2,3.... प्राप्त करती है, वो विश्व के सबसे अधिक भ्रष्ट देशों में से एक माने जाते हैं, और जो देश 80,90,100 के आस पास अंक प्राप्त करते हैं वह देश भ्रष्टाचार की नजर से बहुत अच्छा माना जाता है।

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कौन कौन से देश को इस लिस्ट में कितना अंक मिला है।

इस लिस्ट में भारत की बात करें तो भारत को 40 अंक के साथ 85वां स्थान प्राप्त हुआ है चीन को 45 अंक मिलें हैं।

पाकिस्तान को 28 अंक के साथ इस सूची में 140वां स्थान मिला है

इस लिस्ट में इंडोनेशिया को 38 और बांगलादेश को 26 अंक के साथ अलग-अलग स्थान हासिल किए हैं, वहीं डेनमार्क, नॉर्वे, न्यूजीलैंड और फिनलैंड ने इस लिस्ट में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। 

महामारी के दौरान भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बहुत कम प्रयास किए गए।

 ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि ज्यादातर देशों ने पिछले 1 दशक में करप्शन रेट को कम करने के लिए कोई प्रगतिशील कार्य नहीं किया है, या यूं कहें तो कोई काम ही नहीं किया है। विशेषज्ञों ने अपने रिपोर्ट में बताया है कि कोविड महामारी ने इसकी स्थिति को और अधिक खराब कर दिया है। रिपोर्ट ने यह बयान जारी किया है कि न केवल प्रणालीगत भ्रष्टाचार और कमजोर संस्थान वाले देशों ने ही नहीं, बल्कि मजबूत और स्थापित लोकतांत्रिक देशों ने भी  अधिकार, नियंत्रण और  संतुलन की व्यवस्था को तेजी से कमजोर कर रहे है।

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