Criminal Procedure Identification Bill 2022, सरकार ने लोकसभा में दंड प्रक्रिया पहचान विधेयक 2022 को पेश किया है।
इस बिल के कानून रूप लेने के बाद पुलिस के पास गिरफ्तार हुए व्यक्ति से संबंधित सभी प्रकार की सूचना को लेकर रेटिना, हाथ और पैरों के प्रिंट जुटाने और ब्रेन मैपिंग तक करने का अधिकार रहेगा।
गिरफ्तार अपराधी से जुड़े डाटा इक्ट्ठा करने के लिए इस कानून को लाया गया है।
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आइए जानते हैं कि इस बिल में कौन कौन से प्रावधान रखे गए हैं
इस बिल में गिरफ्तार किए गए किसी भी अपराधी के निजी बायो लॉजिकल डाटा इकट्ठा करने की पुलिस को छूट देता है। जिसमें पुलिस अपराधी के उंगलियों, पैरों, हथेलियों के प्रिंट, रेटिना स्कैन, भौतिक, जैविक नमूने और उनके विश्लेषण, हस्ताक्षर, लिखावट या अन्य तरह का डाटा इकट्ठा करने की परमिशन यह नया कानून देगा। अगर यह बिल पास हो जाता है या कानूनी रूप ले लेता है तो कैदियों की पहचान अधिनियम 1920 की जगह लेकिन मौजूदा कानून केवल ऐसे कैदियों की सीमित जानकारी इकट्ठा करने की बात कहता है जो या तो दोषी करार हो चुके हैं या फिर सजा काट रहे हैं।
Source: safalta
जिसमें केवल उनकी उंगलियों के निशान और पैरों के प्रिंट लिए जाते हैं।सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta Application
नया कानून किन लोगों को पर लागू होगा
प्रस्तावित नया कानून तीन तरह के लोगों पर लागू होगा पहला जो लोग किसी भी अपराध सजा मिली हो। दूसरा ऐसे गिरफ्तार लोग जिन पर किसी भी कानून के अंतर्गत सजा के प्रावधान की धाराएं लगाई गई हो। तीसरा जिन पर सीआरपीसी की धारा 117 के तहत शांति बनाए रखने के लिए कार्यवाही की गई है। उन पर यह कानून लागू होगा।
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क्या कोई अपराधी सैंपल देने से मना कर सकता है
इस बिल के अनुसार महिला और बच्चों के खिलाफ अपराध का मामला छोड़कर जिन मामलों में 7 साल से कम की सजा है, वे आरोपी को सैंपल देने से मना कर सकते हैं। इस बिल में कहा गया है कि मजिस्ट्रेट से लिखित आदेश को छोड़कर आरोपी के बिना ट्रायल के रिहा होने या दोषमुक्त होने पर उसका डाटा नष्ट किया जा सकता है।
इस बिल में अपराधियों के डाटा को कैसे संग्रहित किया जाएगा
अपराधियों के डाटा को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो एनसीआरबी के पास संग्रहित करके रखा जाएगा या एनसीआरबी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की दूसरी कानूनी एजेंसी से डाटा इकट्ठा करेगी और एनसीआरबी के पास डाटा संरक्षित करने और उसे नष्ट करने की पावर रहेगी।
इस डाटा को 75 साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है जिसके बाद इसे खत्म कर दिया जाएगा इसके साथ ही सजा पूरी होने पर या कोर्ट से बरी होने के बाद डाटा को पहले भी खत्म किया जा सकता है।
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