भारत की न्यायपालिका प्रणाली
न्यायपालिका वह मूल आधार है जिसके ऊपर देश के नागरिकों को न्याय दिलाने की बड़ी जिम्मेदारी है. न्यायपालिका प्रणाली सरकार का एक महत्वपूर्ण अंग है. न्यायपालिका एक स्वतंत्र प्रणाली है और कोई भी सरकार, राजनीतिक दल या उच्च अधिकारी इसके निर्णय में हस्तक्षेप नहीं कर सकता. भारत का संविधान न्यायपालिका प्रणाली की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपायों को बताता है. इसी के साथ कानून और व्यवस्था को बनाए रखना तथा नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना भी न्यायपालिका प्रणाली की जिम्मेदारी है. ऐसा करने के लिए, सरकार ने विभिन्न प्रकार के अदालतों की स्थापना की है.आज के इस आर्टिकल में हम न्यायपालिका प्रणाली के दो महत्वपूर्ण अंगों की बात करनेवाले हैं, ये हैं - उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय. तथा उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के बीच क्या अंतर है ? तो आइए जानते हैं -
सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीमकोर्ट) क्या है ?
जैसा कि नाम से हीं विदित होता है, सर्वोच्च न्यायालय का स्थान भारत में सर्वोच्च है. सर्वोच्च न्यायालय अपील करने वाला अंतिम न्यायालय है. यह भारत के मुख्य न्यायाधीश के द्वारा निर्देशित होता है. भारत गणराज्य का सर्वोच्च न्यायालय भारत का सर्वोच्च न्यायिक निकाय (judicial body) है. यह सबसे सीनियर कांस्टिट्युशनल कोर्ट है जिसके पास जुडिशल रिव्यु की शक्ति होती है. भारत का मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय का प्रमुख और मुख्य न्यायाधीश होता है. इसके न्यायाधीशों के पास विस्तृत शक्तियाँ होती हैं. भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित कानून पूरे भारत के भीतर की सभी अदालतों पर बाध्यकारी होता है. भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति श्री एन वी रमण हैं.
उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट) क्या है ?
संविधान के अनुच्छेद 214 के अनुसार भारत के प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय होना चाहिए. पर कभी कभी दो या अधिक राज्यों के लिए एक हीं उच्च न्यायालय या अथवा दो या अधिक न्यायालय भी हो सकते हैं. वर्तमान में भारत में कुल 21 उच्च न्यायालय हैं. सात संघ शासित राज्यों में से केवल दिल्ली एक ऐसा संघ राज्य क्षेत्र है, जिसका अपना उच्च न्यायालय है.प्रत्येक उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और कई अन्य न्यायाधीश होते हैं. इनकी नियुक्तियाँ भारत के राष्ट्रपति द्वारा, देश के मुख्य न्यायाधीश और राज्य के राज्यपाल से परामर्श के बाद की जाती हैं. एक विशेष उच्च न्यायालय द्वारा घोषित या पारित कानून या फैसले भारत के अन्य उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों के लिए बाध्यकारी नहीं है (जो कि उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं) जब तक कि कोई अन्य उच्च न्यायालय स्वेच्छा से उक्त आदेश को स्वीकार नहीं करता है.
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हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मुख्य अंतर -
कोर्ट का नाम | सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) | उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट) |
लेवल | शीर्ष न्यायिक निकाय |
यह कोर्ट का इंटरमीडिएट स्तर है जो और सुप्रीम कोर्ट के अन्दर आता है. राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के स्तर पर यह हाईएस्ट न्यायालय होता है. |
संख्या | सिर्फ एक | अधिकार क्षेत्र के आधार पर दो या दो से ज्यादा उच्च न्यायालय हो सकते हैं. इस वक्त भारत में कुल 25 उच्च न्यायालय हैं. |
कहाँ स्थित है | भारत की राजधानी नई दिल्ली में. | अपने सम्बन्धित राज्यों में |
अपील | सुप्रीम कोर्ट अपील पर अंतिम फैसला प्रदान करता है. | उच्च न्यायालयों के निर्णयों को चुनौती दी जा सकती है, और उच्चतम न्यायालय में अपील की जा सकती है. |
जजेज | 32 न्यायाधीश होते हैं, जिनमें से एक भारत का मुख्य न्यायाधीश भी है. | कुल 1104 न्यायाधीश, जिनमें से 271 अतिरिक्त न्यायाधीश और 833 स्थायी न्यायाधीश होते हैं. उच्च न्यायालय का नेतृत्व राज्य के एक मुख्य न्यायाधीश के द्वारा किया जाता है, जिसकी नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा की जाती है. |
न्यायालय के प्रमुख | चीफ जस्टिस ऑफ़ इन्डिया | चीफ जस्टिस ऑफ़ ऑफ़ स्टेट |
न्यायाधीशों की नियुक्ति | भारत के राष्ट्रपति के द्वारा. | भारत के चीफ जस्टिस और राज्य के गवर्नर (राज्यपाल) के परामर्श पर भारत के राष्ट्रपति के द्वारा. |
न्यायाधीशों के सेवानिवृत्ति की आयु | 65 वर्ष | 62 वर्ष |
रिट से सम्बन्धित अनुच्छेद | आर्टिकल 32 | आर्टिकल 226 |