Early harvest agreement: भारत और ऑस्ट्रेलिया ने जल्दी फसल समझौता  के लिए समय सीमा तय की

safalta experts Published by: Chanchal Singh Updated Sun, 13 Feb 2022 02:08 PM IST

Highlights

1.दोनों देश की शिक्षा इस समझौते का मुख्य टॉपिक होगा।
2.इस दौरान दोनों देश एक-दूसरे के बीच शैक्षिक योग्यता की पारस्परिक मान्यता पर विचार करेंगे।
3.यह भारत या ऑस्ट्रेलिया द्वारा बड़ी  इकोनॉमिक्स के साथ किए गए सबसे तेज़ फ्री व्यापार समझौतों में से एक होगा।
4.ऑस्ट्रेलिया माइनिंग , शिक्षा, फार्मा, टेक्सटाइल और अक्षय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में पर्याप्त अवसरों की तलाश कर रहा है।

Source: social media

Early harvest agreement: भारत और ऑस्ट्रेलिया ने दोनों के बीच एक पूर्ण मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने से पहले, अर्ली हार्वेस्ट समझौते (EHA) को अंतिम रूप देने के लिए 30-दिन की समय-सीमा निर्धारित की है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मुक्त व्यापार समझौते के रास्ते खुलती नजर आ रही है। दोनों देशों ने यह फैसला  किया है कि अगले 30 दिनों के भीतर अर्ली हार्वेस्ट एग्रीमेंट को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
 इसमें दो देश टैरिफ लिबरलाइजेशन के लिए कुछ प्रोडक्ट की पहचान करते हैं। टैरिफ लिबरलाइजेशन का मतलब कुछ वस्तुओं के आयात और निर्यात पर कस्टम ड्यूटी कम करना या खत्म करना होता है। इसके अलावा सर्विसेज का व्यापार बढ़ाने के लिए नियमों को भी सरल बनाया जाता है।
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इस समझौते के मुख्य चरण कौन कौन से हैं?

1.दोनों देश की शिक्षा इस समझौते का मुख्य टॉपिक होगा।
2.इस दौरान दोनों देश एक-दूसरे के बीच शैक्षिक योग्यता की पारस्परिक मान्यता पर विचार करेंगे।
3.यह भारत या ऑस्ट्रेलिया द्वारा बड़ी  इकोनॉमिक्स के साथ किए गए सबसे तेज़ फ्री व्यापार समझौतों में से एक होगा।
4.ऑस्ट्रेलिया माइनिंग , शिक्षा, फार्मा, टेक्सटाइल और अक्षय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में पर्याप्त अवसरों की तलाश कर रहा है।

आपातकालीन और मानवीय कार्रवाई (Emergency and Humanitarian Action) की सख्त समय सीमा


भारत और ऑस्ट्रेलिया ने  ने 25 दिसंबर, 2021 तक मुक्त व्यापार समझौते  ( Free trade Agreement) या व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते  के लिए एक अर्ली हार्वेस्ट समझौते को पूरा करने के लिए एक सख्त समय सीमा निर्धारित की थी। आयात शुल्क के साथ-साथ टैरिफ बाधाओं को कम करने में एक सामान्य स्थिति तक पहुंचने के बाद इस सौदे पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस सौदे से भारत की निर्यात क्षमताओं को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इन sensitive categories के सामानों को बनाने वाली specific categories की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन इसका मतलब यह हो सकता है कि भारत ने डेयरी वस्तुओं और कृषि वस्तुओं को अर्ली हार्वेस्ट समझौते से बाहर कर सकता है, हालांकि, भारत के इस कदम से ऑस्ट्रेलिया को नुकसान होगा, जो ज्यादातार इन दोनों क्षेत्र में बाजार पहुंच की मांग करता रहा है।

समझोते के मुख्य विषय कौन कौन से हैं 

1.भारत और ऑस्ट्रेलिया  ने सहयोग बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार को प्रोत्साहित करने के लिए पर्यटन के क्षेत्र में एक एग्रीमेंट भी किया। 
2.इसके अलावा, भारत का वित्त मंत्रालय भी निवेश के एक लंबित मुद्दे को हल करने की कोशिश कर रहा है, जो समझौते का एक हिस्सा होगा। 
3.यह ऑस्ट्रेलिया में अधिक भारतीय आगंतुकों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ ऑस्ट्रेलियाई पर्यटन व्यवसायों की क्षमताओं को प्रोत्साहित करने में मदद करेगा।
4 दोनों सरकारें और देशों के बीच विमानन क्षमता को बढ़ावा देने के लिए हवाई अड्डों और एयरलाइनों के साथ काम करेंगी।

भारत-ऑस्ट्रेलिया का व्यापारिक संबंध कैसा है

वित्तीय वर्ष 2021 में ऑस्ट्रेलिया भारत का 15वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। ऑस्ट्रेलिया को निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएं दवाएं, पेट्रोलियम उत्पाद, सोने के आभूषण, पॉलिश किए हुए हीरे और परिधान थे। जबकि, भारत ने ऑस्ट्रेलिया से कोयला, गैर-मौद्रिक सोना  इत्यादि का आयात किया। सेवाओं में, प्रमुख भारतीय निर्यात दूरसंचार और कंप्यूटर, यात्रा और सरकारी और वित्तीय सेवाओं से संबंधित थे, जबकि ऑस्ट्रेलियाई सेवाओं का निर्यात व्यक्तिगत यात्रा और शिक्षा से संबंधित था।
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