Government of India Act 1935: क्या था भारत सरकार अधिनियम 1935

Safalta Experts Published by: Nikesh Kumar Updated Fri, 04 Mar 2022 10:32 AM IST

Source: Safalta

अगस्त सन 1935 में ब्रिटिश संसद द्वारा भारत सरकार अधिनियम, 1935 पारित किया गया था. यह उस समय ब्रिटिश संसद द्वारा पारित अधिनियमों में से सबसे विस्तृत अधिनियम था. भारत सरकार अधिनियम 1935 को दो अलग-अलग अधिनियमों में विभाजित किया गया था –   FREE GK EBook- Download Now.
  • भारत सरकार अधिनियम 1935, और
  • बर्मा सरकार अधिनियम 1935.

भारत सरकार अधिनियम 1935 – Government of India Act 1935
 
उद्देश्य भारत सरकार के लिए और प्रावधान करने के लिए एक अधिनियम.
क्षेत्रीय विस्तार ब्रिटिश नियंत्रण के अधीन क्षेत्र
अधिनियमन यूनाइटेड किंगडम की संसद द्वारा अधिनियमित
शाही सहमती 24 जुलाई 1935
प्रारम्भ 1 अप्रैल 1937 को शुरू हुआ
स्थिति भारत में 26 जनवरी 1950 को निरस्त कर दिया गया
 
Weekly Current Affairs Magazine Free PDF: डाउनलोड करे 
 
भारत सरकार अधिनियम, 1935 - पृष्ठभूमि
  • भारतीय नेताओं द्वारा भारत में संवैधानिक सुधारों की मांग बढ़ती जा रही थी.
  • प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटेन को भारत का समर्थन मिलने के बाद ब्रिटिशों को भी इस बात की अनुभूति हुई थी कि उन्हें अपने देश के प्रशासन में अधिक भारतीयों को शामिल करने की आवश्यकता है.
  • यह अधिनियम आधारित था:
  1. साइमन कमीशन की रिपोर्ट
  2. गोलमेज सम्मेलनों की सिफारिशें
  3. 1933 में ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रकाशित श्वेत पत्र (तीसरे गोलमेज सम्मेलन पर आधारित)
  4. संयुक्त प्रवर समितियों की रिपोर्ट पर
अखिल भारतीय संघ का निर्माण -
  • अखिल भारतीय संघ ब्रिटिश भारत और रियासतों से मिलकर बना था.
  • ब्रिटिश भारत के प्रांतों के लिए संघ में शामिल होना अनिवार्य था लेकिन रियासतों के लिए यह अनिवार्य नहीं था.
  • आवश्यक संख्या में रियासतों से समर्थन की कमी के कारण यह संघ कभी भी अमल में नहीं आया.
सभी सरकारी परीक्षाओं के लिए हिस्ट्री ई बुक- Download Now

भारत सरकार अधिनियम 1935 ने शक्तियों को कैसे विभाजित किया?
  • इस अधिनियम ने केंद्र और प्रांतों के बीच शक्तियों को विभाजित किया.
  • प्रत्येक सरकार के अधीनस्थ विषयों के लिए तीन सूचियाँ थीं –
  1. संघीय सूची (केंद्र)
  2. प्रांतीय सूची (प्रांत)
  3. समवर्ती सूची (दोनों)
  • वायसराय को अवशिष्ट शक्तियाँ प्राप्त थीं.
भारत सरकार अधिनियम, 1935 के माध्यम से लाए गए कुछ परिवर्तनों का उल्लेख नीचे दी गई तालिका में किया गया है -
भारत सरकार अधिनियम, 1935 - अधिनियम द्वारा लाये गए परिवर्तन
क्र.सं. विशेषताएं
1 प्रांतीय स्वायत्तता
2 केंद्र में द्वैध शासन
3 द्विसदनीय विधायिका
4 संघीय अदालत
5 भारतीय परिषद
6 फ्रेंचाइजी
7 पुनर्गठन
 
प्रांतीय स्वायत्तता –
  • इस अधिनियम ने प्रांतों को अधिक स्वायत्तता प्रदान की.
  • प्रांतीय स्तरों पर द्वैध शासन को समाप्त कर दिया गया.
  • राज्यपाल कार्यपालिका का प्रमुख होता था.
  • उन्हें सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद थी. मंत्री प्रांतीय विधायिकाओं के प्रति उत्तरदायी थे जो उन्हें नियंत्रित करती थी. विधायिका मंत्रियों को हटा भी सकती थी.
  • हालांकि, राज्यपालों के पास अभी भी विशेष आरक्षित शक्तियों को बरकरार रखा गया था.
  • ब्रिटिश अधिकारी अभी भी एक प्रांतीय सरकार को निलंबित कर सकते थे.
Polity E Book For All Exams Hindi Edition- Download Now

केंद्र में द्वैध शासन –
  • संघीय सूची के तहत विषयों को दो भागों में बांटा गया था: आरक्षित और स्थानांतरित.
  • आरक्षित विषयों को गवर्नर-जनरल द्वारा नियंत्रित किया जाता था जो उनके द्वारा नियुक्त तीन परामर्शदाताओं की सहायता से उन्हें प्रशासित करते थे. वे विधायिका के प्रति उत्तरदायी नहीं थे. इन विषयों में रक्षा, चर्च संबंधी मामले, विदेश मामले, प्रेस, पुलिस, कराधान, न्याय, शक्ति संसाधन और आदिवासी मामले शामिल थे.
  • हस्तांतरित विषयों को गवर्नर-जनरल द्वारा अपनी मंत्रिपरिषद (10 से अधिक नहीं) के साथ प्रशासित किया जाता था. परिषद को विधायिका के साथ गोपनीयता से कार्य करना था. इस सूची के विषयों में स्थानीय सरकार, वन, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि शामिल थे.
  • हालाँकि, गवर्नर-जनरल के पास हस्तांतरित विषयों में भी हस्तक्षेप करने के लिए 'विशेष शक्तियाँ' थीं.
द्विसदनीय विधानमंडल –
  • एक द्विसदनीय संघीय विधायिका की स्थापना की जाएगी.
  • ये दो सदन संघीय विधानसभा (निचला सदन) और राज्य परिषद (उच्च सदन) थे.
  • संघीय सभा का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता था.
  • दोनों सदनों में देशी रियासतों के प्रतिनिधि भी थे. रियासतों के प्रतिनिधियों को शासकों द्वारा मनोनीत किया जाना था न कि निर्वाचित किया जाना था. ब्रिटिश भारत के प्रतिनिधियों को निर्वाचन द्वारा चुना जाना था. और कुछ को गवर्नर-जनरल द्वारा मनोनीत किया जाना था.
  • बंगाल, मद्रास, बॉम्बे, बिहार, असम और संयुक्त प्रांत जैसे कुछ प्रांतों में भी द्विसदनीय विधायिकाएं पेश की गईं थीं.
क्रिप्स मिशन के इतिहास को जानिए

संघीय न्यायालय –
  • प्रांतों के बीच के विवाद और केंद्र और प्रांतों के बीच के विवादों के समाधान के लिए दिल्ली में एक संघीय अदालत की स्थापना की गई थी.
  • इसमें 1 मुख्य न्यायाधीश होना था और अधिकतम 6 न्यायाधीश होने थे.
भारतीय परिषद –
  • भारतीय परिषद को समाप्त कर दिया गया.
  • इसके बजाय भारत के राज्य सचिव के पास सलाहकारों की एक टीम होने का प्रावधान किया गया.
मताधिकार –
  • इस अधिनियम ने पहली बार भारत में प्रत्यक्ष चुनाव की शुरुआत की.
पुनर्निर्माण –
  • सिंध को बॉम्बे प्रेसीडेंसी से अलग कर दिया गया.
  • बिहार और उड़ीसा को अलग कर दिया गया.
  • बर्मा को भारत से अलग कर दिया गया था.
  • अदन को भी भारत से अलग कर एक क्राउन कॉलोनी बना दिया गया.
अन्य मुख्य बातें –
  • ब्रिटिश संसद ने प्रांतीय और संघीय दोनों तरह की भारतीय विधायिकाओं पर अपना वर्चस्व बरकरार रखा.
  • भारतीय रेलवे को नियंत्रित करने के लिए एक संघीय रेलवे प्राधिकरण की स्थापना की गई थी.
  • इस अधिनियम ने भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना के लिए राह प्रशस्त की.
  • इस अधिनियम में संघीय, प्रांतीय और संयुक्त लोक सेवा आयोगों की स्थापना का भी प्रावधान था.
  • यह अधिनियम भारत में एक जिम्मेदार संवैधानिक सरकार के विकास में एक मील का पत्थर साबित हुआ.
  • भारत सरकार अधिनियम 1935 को स्वतंत्रता के बाद भारत के संविधान द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था.
  • भारतीय नेता इस अधिनियम के बारे में उत्साहित नहीं थे क्योंकि प्रांतीय स्वायत्तता देने के बावजूद राज्यपालों और वायसराय के पास काफी 'विशेष शक्तियां' थीं.
  • पृथक सांप्रदायिक निर्वाचक मंडल एक ऐसा उपाय था जिसके माध्यम से अंग्रेज यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि कांग्रेस पार्टी कभी भी अपने दम पर भारत में शासन न कर सके. यह लोगों को विभाजित रखने का एक तरीका भी था.
बाबरी मस्जिद की समयरेखा- बनने से लेकर विध्वंस तक, राम जन्मभूमि के बारे में सब कुछ
जाने क्या था खिलाफ़त आन्दोलन – कारण और परिणाम
2021 का ग्रेट रेसिग्नेशन क्या है और ऐसा क्यों हुआ, कारण और परिणाम
जानिए मराठा प्रशासन के बारे में पूरी जानकारी
क्या आप जानते हैं 1857 के विद्रोह विद्रोह की शुरुआत कैसे हुई थी
भारत में पुर्तगाली शक्ति का उदय और उनके विनाश का कारण
मुस्लिम लीग की स्थापना के पीछे का इतिहास एवं इसके उदेश्य
भारत में डचों के उदय का इतिहास और उनके पतन के मुख्य कारण

1. भारत सरकार अधिनियम 1935 की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?

उत्तर. भारत सरकार अधिनियम, 1935 को भारत सरकार के लिए और भी प्रावधान बनाने के उद्देश्य से पारित किया गया था. अगस्त 1935 में ब्रिटिश संसद द्वारा इस अधिनियम को पारित किया गया था.

2. भारत सरकार अधिनियम 1935 किसके पर्यवेक्षण में पारित किया गया था?

उत्तर. भारत सरकार अधिनियम 1935 ब्रिटिश सरकार की देखरेख में पारित किया गया था. यह उस समय ब्रिटिश संसद द्वारा अधिनियमित सबसे विस्तृत अधिनियम था.

3. भारत सरकार अधिनियम 1935 की प्रमुख विशेषताएं क्या थीं?

उत्तर भारत सरकार अधिनियम 1935 की प्रमुख विशेषताओं में भारतीय परिषद का उन्मूलन और इसके स्थान पर एक सलाहकार निकाय की शुरूआत, एक अखिल भारतीय संघ का निर्माण, द्वैध शासन का उन्मूलन इत्यादि शामिल है.
 

4. भारत सरकार अधिनियम 1935 की विफलता का कारण क्या था?

उत्तर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ने विभिन्न कमियों के कारण भारत सरकार अधिनियम 1935 का विरोध किया. प्रांतीय गवर्नरों के पास चुनी हुई सरकार की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण शक्तियां बरकरार रखी गयी थीं. ब्रिटिश अधिकारियों के पास निर्वाचित सरकारी प्रतिनिधियों को निलंबित करने की शक्ति थी.
 

5. ऑल इंडिया फेडरेशन क्या था?

उत्तर अखिल भारतीय संघ ब्रिटिश भारत और देसी रियासतों से मिलकर बना था. ब्रिटिश भारत के प्रांतों का संघ में शामिल होना अनिवार्य था लेकिन रियासतों के लिए यह अनिवार्य नहीं था. हालाँकि, कई रियासतों के समर्थन की कमी के कारण यह फेडरेशन कभी भी अमल में नहीं आ सका.