IIT Jodhpur has developed a new technology to detect covid-19:आईआईटी जोधपुर ने चेस्ट एक्स-रे के मदद से कोविड-19 का पता लगाने की नई टेक्नोलॉजी डेवलप की।

safalta experts Published by: Chanchal Singh Updated Sun, 30 Jan 2022 01:53 PM IST

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2000-2500 कोविड संक्रमित लोगों पर पर किए गए इस रिसर्च के बाद IIT के इस रिसर्च  को पैटर्न रिकग्निशन (Volume 122) पत्रिका में पब्लिश किया गया है।

Source: social media

IIT Jodhpur: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर (IIT Jodhpur) के रिसर्चर्स ने कोविड-19 A -Screening के लिए एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (A-I) आधारित  चेस्ट एक्सरे नई टेक्नोलॉजी डेवलप किया है। जोधपुर आइआइटी टीम ने एक डीप लर्निंग बेस्डनई टेक्नोलॉजी को डेवलप किया है, जिसे अल्गोरिदम कामिट नेट (algorithm commit net) के नाम से जाना गया है, जिसमे चेस्ट के एक्स-रे के जरिये कोविड संक्रमित और गैर कोविड संक्रमित के फेफड़ों के अंतर को आसानी से जाना जा सकता है।
करीब 2000-2500 कोविड संक्रमित लोगों पर पर किए गए इस रिसर्च के बाद IIT के इस रिसर्च  को पैटर्न रिकग्निशन (Volume 122) पत्रिका में पब्लिश किया गया है। इस टेक्नोलॉजी से पीसीआर जांच के मुकाबले समय की बचत भी होगी और साथ ही उपचार में देरी भी नहीं होगी, जिससे कोविड-19 मृत्यु दर में भी कमी आएगी।

इस टेक्नोलॉजी की विशेषताएं

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि इस टेक्नोलॉजी  को उपयोग में लाया गया तो यह एआई-आधारित एक्स-रे टेक्नोलॉजी  संभवतः कोविड का पता लगाने के लिए वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले पीसीआर टेस्ट की जगह ले सकती है। इस एक्सरे तकनीक के माध्यम से न सिर्फ निमोनिया की पहचान होती है, बल्कि यह फेफड़ों के संक्रमण क्षेत्र की पहचान के लिए भी कारगर है जिससे कि संक्रमण के प्रसार और ऐरिया की पहचान में भी सहायता  मिलती है। इससे कोविड संक्रमण और नॉन कोविड पेसंट के बारे में पहचान करने में आसानी रहेगी। क्सरे आधारित यह टेक्नोलॉजी  कोविड जांच को ऑप्शनल तरीकों से करने में मदद मलेगी जिससे दूर-दराज के ग्रामीण इलाको में कोविड किट की सीमित उपलब्धता और अन्य समस्याओं और चुनौतियों के लिए मददगार साबित होगा।

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तीसरी लहर के बीच क्या है राज्यों कि स्थिति

आपको बता दें कि राजस्थान में पिछले कुछ दिनों के पहले के मुकाबले कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में काफी कमी आई है। राज्य के जिलों में भी कोरोना के नए मामलों और इस बीमारी की चपेट में होने वाली मौतों में भी पहले के मुकाबले काफी कमी आई है। फिर भी पूर्वावधान के तौर पर अभी भी बीमारी से बचने की जरूरत है। कोरोना की तीसरी लहर के बीच कई प्रदेशों में इस बीमारी की मृत्यु दर में लगातार कमी आ रही है।

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