भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद ICCR क्या है?
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (Indian Council for Cultural Relations – ICCR) की स्थापना 9 अप्रैल, 1950 को विश्व स्तर पर भारत की संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ-साथ विश्व के अन्य देशों और उनके लोगों के साथ भारत की कला और सांस्कृति का आदान-प्रदान करने के लिए किया गया था। ICCR का हेड ऑफिस नई दिल्ली में स्थित है जिसके वर्तमान अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे हैं और दिनेश के पटनायक इस संगठन के डायरेक्टर जनरल हैं। इस मेला के अलावा ICCR एक और कार्यक्रम का आयोजन करने जा रही है, जिसमें आईसीसीआर के पास सिनेमा, भाषा और शैक्षणिक-संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन करने के बारे में सोच रही है। आपको बता दें कि इस आगामी कार्यक्रम में FTII-पुणे के सहयोग से “भारतीय सिनेमा और सॉफ्ट पावर” पर एक वर्क शॉप आयोजन किया जाएगा।
शिल्प मेला से जुड़े विशेष जानकारी
यह शिल्प मेला आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के एक अन्य भाग के रूप में आयोजित किया जा रहा है। इस मेला का आयोजन बीकानेर हाउस में किया जाएगा जिसे 'सहसंयोजन: शिल्प-संस्कृति-समुदाय-जलवायु' नाम दिया गया है।

Source: Safalta
23 फरवरी यानी आज ICCR के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे और संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी के द्वारा इस मेले का उद्घाटन किया जाएगा, आपको बता दें कि इस मेले का संचालन दस्तकारी हाट समिति की जया जेटली ने किया है। यह एक 3 दिवसीय मेला है जिसमें भारत के शिल्पकारों को भारत के सांस्कृतिक इतिहास और शिल्प तकनीकों का नया अनुभव देगा।भारत के 11 राज्यों के 22 शिल्पकार करेंगे इस मेले में अपना पारंपरिक कला का प्रदर्शन करेंगे।
देश के 11 राज्यों से 22 शिल्पकार इस मेले में भाग लेंगे, जिनके द्वारा कपड़ा, शिल्प, सौंदर्य सुगंध, पारंपरिक और लोक कला और पुनर्नवीनीकरण उत्पादों को इस मेले में प्रस्तुत किया जाएगा। इस मेले से न केवल भारत के नृत्य और संगीत को देश की संस्कृति के हिस्से के रूप में प्रदर्शित किया जा सके, बल्कि शिल्प, व्यंजन और साहित्य जैसी अन्य परंपराओं को भी देश में उजागर किया जा सके, इसके साथ ही इस मेले के जरिए लोगों को अपने देश के कला और संस्कृति के बारे में बताया जा सके। ICCR के अध्यक्ष ने कहा है कि इस शिल्प मेले में 11 राज्यों के 22 शिल्पकार पांच प्रकार की भारतीय पारंपरिक कला का प्रदर्शन करेंगे। जिसमें बांस पर आधारित कला, कपड़ा, पारंपरिक लोक कला, पुन:चक्रीय उत्पाद आदि शामिल हैं। इसमे महाराष्ट्र से वर्ली कला, तेलंगाना से कलमकारी कला, राजस्थान की स्थानीय कला, मध्यप्रदेश की गौंड कला, दिल्ली से बांस से बनाएँ गए उत्पाद, उत्तर प्रदेश से मूंज के बास्केट, गुजरात से स्थानीय कलाओं का प्रदर्शन इस 3 दिवसीय मेले में किया जायेगा।
शिल्पकारों के इस विशेष उत्पादों का निर्माण कैसे होता है?
इस मेले में प्रदर्शित होने वाले सभी प्रदर्शित उत्पादों को जैविक और प्राकृतिक वस्तुओं से बनाएँ जाते हैं, जो की गैर-प्रदूषणकारी तरीकों का प्रयोग करके इन वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। इस मेले के जरिए वैश्विक समुदाय को यह संदेश देना है कि जलवायु को किसी प्रकार से नुकसान पहुंचाए बिना भारत अपनी पारंपरिक संस्कृति के विकास के लिए अपने संसाधनों के माध्यम से वस्तुओं का निर्माण करती है।
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