Data Privacy Day 2022- आखिर 28 जनवरी को क्यों मनाया जाता है,डाटा गोपनीयता दिवस सामान्य ज्ञान से जुड़े महत्वपुर्ण तथ्य

safalta experts Published by: Chanchal Singh Updated Thu, 27 Jan 2022 12:43 PM IST

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वैश्विक डाटा गोपनीयता दिवस के तौर पर  संगठनों को बताता है कि किसी संगठन के लिए गोपनीयता क्यों महत्वपूर्ण है, यह किसी भी व्यपार और वाणिज्य के लिए कैसे अच्छा हो सकता है।

Source: Safalta

हर साल 28 जनवरी को पूरे विश्व में वैश्विक डाटा गोपनीयता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन गोपनीयता के महत्व एवं मायने पर प्रकाश डाला जाता है, और संगठनों को बताता है कि किसी संगठन के लिए गोपनीयता क्यों महत्वपूर्ण है, यह किसी भी व्यपार और वाणिज्य के लिए कैसे अच्छा हो सकता है।
इस दिवस को मनाने का मुख्य उदेश्य यही था कि लोगों तक गोपनीयता के प्रति जागरूकता फैलाई जा सके। इस दिन को सैलिब्रेट कर के लोग गोपनीयता का सम्मान कर सके और डेटा गोपनीयता का महत्व जान सके।

इस दिवस को मनाने का चलन कब से शुरु हुआ 

डाटा संरक्षण दिवस  को मूलतः 28 जनवरी 1981 से मनाया जा रहा था, लेकिन साल 2006 में यूरोप की एक परिषद ने 26 अप्रेल 2006 को हर वर्ष डाटा संरक्षण दिवस मनाने का फैसला लिया। जिसे अब हर साल 28 जनवरी को ही मनाया जाता है। 

गोपनीयता कि रक्षा के लिए भारत सरकार द्वारा लिए गए फैसले-

पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019- इस बिल को 2019 में लोकसभा में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्यगिकी मंत्री, रविशंकर प्रसाद द्वारा 11 दिसंबर, 2019 को पेश किया गया था। जिससे लोगों को अपने व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा मिल सके।

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पर्सनल डाटा : 
वह डाटा जिससे किसी व्यक्ति की पहचान की जा सकती है जैसे नाम, पता, कॉन्टेक्ट डिटेल आदि।

संवेदनशील व्यक्तिगत डाटा : 
कुछ प्रकार के व्यक्तिगत डाटा जैसे कि फाइनेनशियल, स्वास्थ्य-संबंधी, sexual orientation, बायोमेट्रिक, जेनेटिक, ट्रांसजेंडर की स्थिति, जाति, धार्मिक विश्वास और भी  ऐसे बहुत कुछ जिसे केवल भारत में रखने की जरुरत है। इसे निश्चित रूप से विदेश में संरक्षित या संशोधित नहीं किया जा सकता है।

महत्वपूर्ण व्यक्तिगत डाटा

कुछ भी, जो सरकार को किसी भी समय महत्वपूर्ण लगे जैसे कि सैन्य या राष्ट्रीय सुरक्षा डाटा। जिसे केवल भारत में संग्रहित और संशोधित किया जाना चाहिए। यह डाटा मिररिंग  की आवश्यकता को हटाता है। विदेश में डाटा ट्रांसफर के लिए केवल व्यक्तिगत सहमति की आवश्यकता होनी चाहिए है। इसे मांग करने पर किसी भी गैर-व्यक्तिगत डाटा के साथ सरकार को प्रदान करने के लिए डाटा फिड्युशियरी को अनिवार्य करना  जरूरी होता है। भारत में यूजर्स को अपनी इच्छा से अपने अकाउंट को सत्यापित करने में सक्षम बनाने के लिए विधेयक में कंपनियों और सोशल मीडिया मध्यस्थों, जो कि एक 'महत्वपूर्ण डाटा फिड्यूशियरी' हैं, इसकी आवश्यक्ता है।

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