Places of Worship Act 1991: जानिए क्या है प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट 1991, बिल्कुल सरल भाषा में

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Sat, 21 May 2022 10:22 AM IST

Source: Safalta

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जो कानूनी विवाद चल रहा है उसने पूजा स्थल अधिनियम या प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के मुद्दे को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है. उल्लेखनीय है कि वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और मन्दिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद के सम्बन्ध में काफी समय से कई दावे किए जा रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट और वाराणसी कोर्ट में बहुत सी कई याचिकाएँ भी दायर की गई हैं, जिसमें यह कहा गया है कि 16वीं शताब्दी में मुगल बादशाह औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ कर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण करवाया था. कोर्ट के आदेश पर मस्जिद में तीन दिनों तक जांच, सर्वे और वीडियोग्राफी का कार्य पूरा हो चुका है. लेकिन इस सब के बाद देश भर में पूजा स्थल अधिनियम या प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का मुद्दा काफी गरम है. आइए सबसे पहले जानते हैं कि पूजा स्थल अधिनियम या प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 है क्या -  यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.
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प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 -

साल 1991 में पूजा स्थलों की सुरक्षा को लेकर देश में यह कानून बनाया गया था. यह अधिनियम तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार के समय बनाया गया था. पूजा स्थल अधिनियम या प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 (विशेष प्रावधान) के मुताबिक किसी भी धार्मिक स्थल के धार्मिक स्वरूप को बदला नहीं जा सकता है. पूजा स्थल अधिनियम या प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 अधिनियम किसी भी पूजा स्थल के रूपांतरण पर रोक लगाता है. इसी के साथ यह एक्ट किसी भी पूजा स्थल के रिलीजियस कैरैक्टर के रखरखाव हेतु एक प्रकार की सुरक्षा प्रदान करता है.

इस कानून की प्रस्तावना, धारा दो, धारा तीन और धारा चार को मिलाकर यह कहता है कि आज़ादी या 15 अगस्त साल 1947 से पहले से मौजूद किसी भी मंदिर, मस्जिद, मठ, चर्च, गुरुद्वारा आदि पूजा स्थलों के स्वरुप को बदलकर उन्हें दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता. ऐसा करने वालों के लिए सजा का प्रावधान हो सकता है. पूजा स्थल में सभी तरह के पूजा स्थल को शामिल किया गया है. इसी के साथ अनुच्छेद 49 भारतीय राज्यों को उनके धार्मिक स्थलों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी सौंपता है.
 
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पूजा स्थल अधिनियम या प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 न्यूज़ में -

पूजा स्थल अधिनियम या प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का मामला विवादास्पद ज्ञानवापी मस्जिद मामले के कारण चर्चा में आया है. इस मामले में ऐसा कहा जा रहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वजूखाने में वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के दौरान एक शिवलिंग पाया गया था. भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 17 मई, 2022 को वीडियोग्राफी सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को मुसलमानों के प्रवेश और पूजा करने के अधिकार को बाधित किए बिना उस क्षेत्र की रक्षा करने का निर्देश दिया था, जहां कथित रूप से शिवलिंग के मिलने की बात कही जा रही है. मस्जिद के प्रबंधन समिति अंजुमन इंतेजामिया द्वारा एक याचिका दायर की गई है जिसमें यह तर्क दिया गया है कि वीडियोग्राफी सर्वेक्षण की अनुमति ''पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991'' के प्रावधानों के विपरीत है. मुस्लिम पक्ष एवं कई सियासी नेता मस्जिद के सर्वेक्षण पर आपत्ति जता रहे हैं तथा ''पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991'' एवं इसकी धारा 4 का हवाला देते हुए इस पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं.

ज्ञानवापी मस्जिद वीडियोग्राफी सर्वेक्षण 16 मई को पूरा कर लिया गया था. वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के बाद हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद परिसर में एक जलाशय के अंदर एक शिवलिंग मौजूद है जबकि मुस्लिम पक्ष ने इस दावे को खारिज करते हैं और उनका कथन है कि यह केवल एक फव्वारा है. अब 20 मई को अदालत इस मामले की फिर से सुनवाई करने वाली है.

 
प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का उद्देश्य -

भारत आरम्भ से हीं धार्मिक सहिष्णु और एक धर्म निरपेक्ष देश रहा है. और ''पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991'' को बनाने की पीछे की मुख्य वजह भी यही रही होगी कि लोगों के बीच धार्मिक सद्भाव बना रहे. अलग-अलग धर्मों के बीच टकराव की स्थिति ना बने. इस अधिनियम के अनुसार, अगर 15 अगस्त 1947 को किसी  स्थान पर कोई मंदिर मौजूद है तो उसे तोड़ कर मस्जिद, गुरुद्वारा या कुछ और नहीं बनाया जा सकता. यही बातें अन्य धार्मिक स्थलों पर भी लागू होती हैं. निष्कर्ष ये कि अधिनियम किसी भी धार्मिक स्थल के धार्मिक स्वरूप को बदलने से प्रतिबंधित करता है.
 
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क्यों बनाया गया था प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 -

बाबरी मस्जिद बनाम राम जन्मभूमि आंदोलन का विवाद साल 1990 के दौरान अपने चरम पर था. इस विवाद के साथ मन्दिर बनाम मस्जिद के कुछ अन्य विवाद भी तेजी से सामने आ रहे थे. इन विवादों के बढ़ते प्रभाव के चलते नरसिम्हा राव सरकार द्वारा ये कानून बनाए गए थे.
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विवादित याचिका में इस कानून की धारा दो, तीन और चार को रद्द करने की मांग की जा रही है. याचिकाकर्ता का कहना है कि इस तरह ये धाराएं 1192 से लेकर 1947 के दौरान आक्रांताओं द्वारा गैरकानूनी रूप से स्थापित किए गए पूजा स्थलों को कानूनी मान्यता दे रहे हैं.
 

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