| March Month Current Affairs Magazine- DOWNLOAD NOW |
काकोरी षडयंत्र (ट्रेन डकैती) का उद्देश्य -
काकोरी षड्यंत्र के हमलावर एक नवगठित क्रांतिकारी संगठन "हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन" के सदस्य थे. इस संगठन का नाम बाद में "हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन" (एचएसआरए) कर दिया गया. हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का मुख्य उद्देश्य भारत को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से मुक्ति दिलाना था, और इसके लिए वो सशस्त्र विद्रोह करने के भी पक्षधर थे.
काकोरी कांड/साजिश के उद्देश्य थे-
- ब्रिटिश प्रशासन से बलपूर्वक धन छीनकर अपने संगठन - हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन को सुचारू रूप से चलाने और सशस्त्र विद्रोह के लिए हथियार खरीदने के लिए धन प्राप्त करना.
- न्यूनतम संपार्श्विक क्षति करते हुए ब्रिटिश सरकार पर हमला करके भारतीयों के बीच हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की सकारात्मक छवि बनाना.
Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now
Hindi Vyakaran E-Book-Download Now
Polity E-Book-Download Now
Sports E-book-Download Now
Science E-book-Download Now
काकोरी षडयंत्र की पृष्ठभूमि -
- डाउन ट्रेन नंबर 8 शाहजहांपुर से होकर लखनऊ जा रही थी. जब ट्रेन वर्त्तमान उत्तर प्रदेश के काकोरी कस्बे के पास पहुँची तब स्वतंत्रता सेनानियों ने ट्रेन को लूट लिया.
- ट्रेन डकैती की योजना राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाकउल्लाह खान ने बनायी थी. योजना को अंजाम राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक़उल्ला खान, चंद्रशेखर आजाद, राजेंद्र लाहिड़ी, सचिंद्र बख्शी, केशब चक्रवर्ती और कुछ अन्य लोगों ने दिया था.
- क्रांतिकारियों में से एक ने ट्रेन की चेन खींचकर उसे रोक दिया और फिर उन्होंने इस लूटपाट को अंजाम दिया
- उन्होंने एक भी भारतीय यात्री को नहीं लूटा था
- क्रांतिकारियों के निशाने पर गार्ड केबिन था, जिसमें ब्रिटिश सरकार के खजाने का धन था. गार्ड और क्रांतिकारियों के बीच गोलीबारी हो रही थी.
- क्रन्तिकारी सरकारी खजाने की धन की थैलियों से लगभग 8000 रुपये प्राप्त करने में सफल रहे.
- गार्ड और क्रांतिकारियों के बीच हो रही गोलीबारी में अचानक एक गोली अहमद अली नाम के एक यात्री को लग गयी और दुर्भाग्यवश उसकी मृत्यु हो गई थी. इस घटना ने ट्रेन डकैती को हत्या का मामला बना दिया.
- इस घटना के बाद सभी क्रांतिकारी लखनऊ भाग गए. ब्रिटिश सरकार उनकी गहन तलाश कर रही थी.
- राम प्रसाद बिस्मिल और अश्फाकउल्लाह खान सहित लगभग 40 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया .
- चंद्रशेखर आजाद इकलौते क्रन्तिकारी थे जिन्हें ब्रिटिश पकड़ नहीं सके.
- आज़ाद ने बाद में (1931 में) पुलिस के साथ हुई गोलीबारी के दौरान खुद को गोली मार ली थी (अल्फ्रेड पार्क, इलाहाबाद)
- जुलाई 1927 में काकोरी ट्रेन डकैती मामले का अंतिम फैसला सुनाया गया था .
- अदालत ने करीब 15 लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया .
- राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लाहिड़ी, अश्फाक़उल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह को मौत की सजा सुनाई गयी .
- शचींद्र नाथ सान्याल और सचिंद्र बख्शी को पोर्ट ब्लेयर के सेलुलर जेल भेज दिया गया था .
- अन्य क्रांतिकारियों को अलग-अलग अवधि के कारावास की सजा दी गई .
- अंतिम निर्णय के बाद, विभिन्न जेलों में भेजे गए क्रांतिकारियों ने जेल की शर्तों के विरोध में भूख हड़ताल की और अपने लिए राजनीतिक कैदी का दर्जा मांगा .
- मौत की सजा के खिलाफ भारत में जोरदार विरोध के बावजूद, ब्रिटिश सरकार पुनर्विचार करने को तैयार नहीं हुयी. राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लाहिड़ी, ठाकुर रोशन सिंह और अश्फाकउल्लाह खान को फांसी दे दी गयी.
काकोरी ट्रेन एक्शन -
हाल ही में, उत्तर प्रदेश सरकार ने 'काकोरी कांड' का नाम बदलकर 'काकोरी ट्रेन एक्शन' कर दिया है. भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास की इस महत्वपूर्ण घटना का नाम इसलिए बदल दिया गया है क्योंकि 'कांड' शब्द भारत के स्वतंत्रता संग्राम से सम्बंधित इस घटना के प्रति अपमान की भावना को दर्शाता है.बाबरी मस्जिद की समयरेखा- बनने से लेकर विध्वंस तक, राम जन्मभूमि के बारे में सब कुछ
जाने क्या था खिलाफ़त आन्दोलन – कारण और परिणाम
2021 का ग्रेट रेसिग्नेशन क्या है और ऐसा क्यों हुआ, कारण और परिणाम
जानिए मराठा प्रशासन के बारे में पूरी जानकारी
क्या आप जानते हैं 1857 के विद्रोह विद्रोह की शुरुआत कैसे हुई थी
भारत में पुर्तगाली शक्ति का उदय और उनके विनाश का कारण
मुस्लिम लीग की स्थापना के पीछे का इतिहास एवं इसके उदेश्य
भारत में डचों के उदय का इतिहास और उनके पतन के मुख्य कारण