1. बजट पेश करने की तारीख बदली
2017 में जब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट पेश किया तब बजट को संसद में रखे जाने की तारीख में बदलाव हुआ था। अंग्रेज शासन के समय से ही भारत में फरवरी माह के आखिरी दिन पेश होने वाली बजट को फरवरी माह के पहले दिन पेश करना शुरू किया गया। तारीख में बड़े बदलाव का मुख्य कारण यही था कि, एक अप्रेल से नया वित्त वर्ष प्रारंभ होने से पहले ही बजट से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं को पूरा किया जा सके और सरकार एक अप्रेल से ही कार्य करना चालू कर दे।
2.रेल बजट को भी आम बजट के साथ पेश किया गया।
साल 2016 में जब तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश किया था तब इससे जुड़ी एक और परंपरा में बड़ा बदलाव हुआ था।
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वर्ष 2016 में रेल बजट को भी आम बजट के साथ उसके एक हिस्से के रूप में पेश किया गया, और रेल बजट को अलग से पेश करने की परंपरा को समाप्त किया गया। 2016 से पहले तक 1924 से रेल बजट को हमेंशा अलग पेश किया जाता था। साथ ही इसे संसद में आम बजट के पहले प्रस्तुत किया जाता था।Current Affairs Ebook Free PDF: डाउनलोड कर
3.काला ब्रीफकेस बदला लाल बही खाते में
1947 में जब देश आजाद हुआ था जिसके बाद देश के पहले वित्त मंत्री आर.सी.के.एस. चेट्टी ने भारत का पहला बजट पेश किया था तब उन्होंने, बजट से जुड़े सभी जरूरी दस्तावेजों को चमड़े के ब्रीफकेस में लेकर संसद पहुंचे थे।तब से लेकर 2019 तक सभी वित्त मंत्री इस परंपरा का पालन कर रहे थे, लेकिन वर्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस अंग्रेजी परंपरा को बदलकर इसे भारतीय परंपरा में बदल दिया।
5 जुलाई 2019 को निर्मला सीतारमण ने बजट के सभी दस्तावेजों को लाल कपड़े के एक बैग में लेकर संसद पहुंची।
जो कि असल भारतीय बही- खातों का रूप है, हमारे देश में आज भी व्यापार-व्यवसाय का हिसाब लाल बही खातों में ही किया जाता है।
4.पेपरलेस हुआ आम बजट
जब देश डिजटलाइजेशन की ओर इतना तरक्की कर रहा था तब इस बात की साक्षी बनी निर्मला सीतारमण की बजट से जुड़ा एक और बदलाव। साल 2021 में कोविड महामारी के दौरान पेश हुई आम बजट डिजिटल इंडिया की मिसाल बनी, महामारी के चलते बजट को पेपर में प्रिंट नहीं गया था, और संसद भवन में इसकी डिजटल कॉपी उपलब्ध करवाई गई थी। इससे पहले मोदी गवर्नमेंट ने मीडिया और अन्य मंत्रालयों के लिए छपने वाली बजट कॉपियों की संख्या को कम करवा दिया था।5.पंच वर्षीय योजना को समाप्त किया गया।
साल 2015 में मोदी गवर्नमेंट ने योजना आयोग को समाप्त कर नीति आयोग का गठन किया। जिसके साथ देश में चलने वाली पंचवर्षीय योजना भी खत्म हो गई। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के समय से चली आ रही पंचवर्षीय से जुड़ी घोषणाएं जो कि इस आम बजट के मुख्य हिस्सा होते थे इसका समापन हो गया। 2017 में पंचवर्षीय योजना समाप्त हुई ।Read more Daily Current Affairs- Click Here