Regional Comprehensive Economic Partnership(RCEP):क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी क्या है?

safalta experts Published by: Chanchal Singh Updated Sun, 13 Feb 2022 11:12 AM IST

Highlights

1.क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) के माध्यम से आर्थिक वृद्धि एवं समान आर्थिक विकास, अग्रिम आर्थिक सहयोग और क्षेत्र में व्यापक समाकलन को बढ़ावा देना।
2.साथ ही इसका दूसरा उद्देश्य वस्तु एवं सेवा व्यापार, निवेश, आर्थिक तथा तकनीकी सहयोग, बौद्धिक संपदा और विवाद समाधान हेतु कार्य करना है।

Source: social media

Regional Comprehensive Economic Partnership:देश के किसानों और अन्य नागरिक समाज समूहों द्वारा  से बाहर रहने के भारत के फैसले का अनुसरण करने के बाद फिलीपींस सीनेट ने RCEP के अनुसमर्थन को स्थगित कर दिया है। क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी  एक व्यापक क्षेत्रीय आर्थिक समझौता है।
इस समझौते की औपचारिक शुरुआत वर्ष 2012 से की गई, जिसका उद्देश्य आसियान और इसके मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के भागीदार सदस्यों के बीच व्यापार नियमों को उदार एवं सरल बनाना है।

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क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी की सदस्यता:

आसियान सदस्य      इसके FTA सदस्य

इंडोनेशिया             ऑस्ट्रेलिया
मलेशिया                चीन
फिलीपिंस               जापान
सिंगापुर                 न्यूज़ीलैंड
थाईलैंड                 दक्षिण कोरिया
ब्रूनेई
वियतनाम
लाओस
म्याँमार
कंबोडिया

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी का लक्ष्य:


1.क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) के माध्यम से आर्थिक वृद्धि एवं समान आर्थिक विकास, अग्रिम आर्थिक सहयोग और क्षेत्र में व्यापक समाकलन को बढ़ावा देना।
2.साथ ही इसका दूसरा उद्देश्य वस्तु एवं सेवा व्यापार, निवेश, आर्थिक तथा तकनीकी सहयोग, बौद्धिक संपदा और विवाद समाधान हेतु कार्य करना है।
3.वर्ष 2017 में इसके 16 हस्ताक्षरकर्त्ता पक्षों  ने 3.4 बिलियन जनसंख्या का प्रतिनिधित्व किया जो कि विश्व की लगभग आधी जनसंख्या के बराबर है।
 वहीं इस संगठन का टोटल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 21.4 ट्रिलियन डॉलर था जो कि विश्व की जीडीपी का 39% है।

इस लेख का मुख्य बिंदु 

1.फिलीपींस ने भी डुटर्टे सरकार द्वारा हस्ताक्षरित मेगा व्यापार समझौते के खिलाफ अपने रुख में बदलाव किया है।
2.फिलीपींस सरकार ने अपने देश के किसानों, नागरिक समाज संगठनों, मछुआरों और निजी क्षेत्र के समूह द्वारा कड़े विरोध की पृष्ठभूमि में अनुसमर्थन स्थगित करने का निर्णय लिया गया था।
3.13 फरवरी, 2022 से भारतीय विदेश मंत्री की मनीला की तीन दिवसीय यात्रा से पहले फिलीपींस ने यह तय किया है।
4.आपको बता दें कि भारत और फिलीपींस द्वारा जनवरी 2022 में 374.96 मिलियन अमरीकी डालर के समझौते पर सिगनेचर  करने के बाद यह यात्रा निर्धारित की गई थी। इस सौदे में भारत फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्यात करेगा।

 मुक्त किसानों का संघ द्वारा स्थिति पत्र

देश के मुक्त किसानों का संघ (Federation of Free Farmers) ने एक स्थिति पत्र जारी किया और किसान और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श की कमी के कारण देश की सीनेट से मुक्त व्यापार समझौते की सहमति को स्थगित करने का आग्रह किया। इसने प्रस्तावित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी  नियमों पर भी चेतावनी दी है जो “व्यापार उपायों की प्रभावशीलता और आवेदन में बाधा उत्पन्न करेंगे”।

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी क्या है?

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी  ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, चीन, कंबोडिया, जापान, इंडोनेशिया, लाओस, दक्षिण कोरिया, म्यांमार, मलेशिया, फिलीपींस, न्यूजीलैंड, थाईलैंड, सिंगापुर और वियतनाम के एशिया-प्रशांत देशों के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता है। क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी  के 15 सदस्य देशों में दुनिया की आबादी का लगभग 30% और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 30% हिस्सा है। इस प्रकार, RCEP इतिहास का सबसे बड़ा व्यापार ब्लॉक है। यह पहला मुक्त व्यापार समझौता है जिसमें चीन, जापान, इंडोनेशिया और दक्षिण कोरिया सहित एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश शामिल हैं।

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी  कब पेश किया गया था?

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी  को पहली बार नवंबर 2011 में इंडोनेशिया के बाली में 19वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान पेश किया गया था। इसके लिए बातचीत 2013 की शुरुआत में शुरू हुई थी।

क्या भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी  का सदस्य है?

मूल रूप से, भारत 2011 में RCEP मसौदा समिति का सदस्य था। हालाँकि, 2019 में, भारत ने कुछ चिंताओं का हवाला देते हुए समझौते से बाहर होने का निर्णय लिया। इन चिंताओं में घरेलू उद्योगों को आयात से उत्पन्न जोखिम भी शामिल था।

RCEP का उद्देश्य

इस मुक्त व्यापार समझौते का उद्देश्य आसियान सदस्य देशों और FTA भागीदारों को उत्पाद और सेवाएं उपलब्ध कराना है। यह 20 वर्षों में टैरिफ की सीमा को भी समाप्त कर देगा।
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