Security Deposit in Elections: चुनाव में जमानत जब्त होना क्या होता है?

Safalta Experts Published by: Nikesh Kumar Updated Fri, 01 Apr 2022 11:12 AM IST

Source: Safalta

यदि कोई उम्मीदवार उस फ्रेंचाइज निर्वाचन क्षेत्र में कुल वैध मतों का 1/6 प्राप्त करने में विफल रहता है तो उम्मीदवार द्वारा जमा की गई राशि को इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया (भारतीय निर्वाचन आयोग) द्वारा जब्त कर लिया जाता है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 34, 1 (ए) के अनुसार; सामान्य उम्मीदवारों के लिए संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के मामले में 25,000 रुपये और विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने के लिए 10,000 रुपये की सुरक्षा राशि जमा करना अनिवार्य है. यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.
March Month Current Affairs Magazine DOWNLOAD NOW 

भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र (डेमोक्रेसी) माना जाता है.
देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को ठीक से चलाने के लिए यहाँ आमतौर पर 5 साल की अवधि में चुनाव कराए जाते हैं. चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अपनी क्वालिफिकेशन (शैक्षणिक योग्यता), कुल संपत्ति, वैवाहिक स्थिति (मैरिटल स्टेटस) आदि के बारे में चुनाव आयोग को सम्पूर्ण विवरण देना पड़ता है. 

क्या है जमानत राशि ?
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 34 1 (ए) के अनुसार, सामान्य उम्मीदवारों (जनरल कैंडिडेट्स) के लिए किसी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र (पार्लियामेंट्री कांस्टिच्वेंसी) से चुनाव लड़ने के लिए 25,000/-रुपये की सुरक्षा राशि और विधानसभा क्षेत्र (असेंबली कांस्टिच्वेंसी) से चुनाव लड़ने के लिए 10,000/-रुपये की सुरक्षा राशि जमा करना अनिवार्य है.

यहाँ यह बात उल्लेखनीय है कि सेक्शन 34(1)(बी) के अनुसार अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को इन दोनों चुनावों के लिए आधी राशि हीं जमा करनी होगी. इसलिए चुनाव आयोग के पास जमा की गई इस राशि को ''चुनाव में जमानत राशि'' कहा जाता है.

चुनाव में सिक्योरिटी डिपाजिट (सुरक्षा जमा) की जब्ती को क्या कहा जाता है ? चुनाव में सिक्योरिटी डिपाजिट (सुरक्षा जमा) की जब्ती को जमानत जब्त होना कहा जाता है . लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 158 में विभिन्न चुनावों में उम्मीदवारों की जमानत राशि वापस करने के कुछ तरीके बताए गए हैं. इन्हीं तरीकों में इस बात की भी तफ़सील की गई है जो यह निर्धारित करती है कि भारत के चुनाव आयोग द्वारा किस उम्मीदवार की जमानत राशि जब्त की जाएगी.

Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now

Hindi Vyakaran E-Book-Download Now

Polity E-Book-Download Now

Sports E-book-Download Now

Science E-book-Download Now

नियम के अनुसार, यदि किसी उम्मीदवार को किसी निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल वैध मतों के 1/6 से कम वोट मिलते हैं तो उसकी जमानत राशि जब्त कर ली जाएगी. इसका मतलब है कि जिस उम्मीदवार ने चुनाव आयोग को 25,000/-रुपये या फिर 10,000/-रूपए या कोई अन्य राशि जमा किए थे वह राशि भारत के चुनाव आयोग के द्वारा उम्मीदवार को वापस नहीं की जाएगी. उदाहरण के लिए, यदि एक विधानसभा सीट पर एक लाख वोट डाले जाते हैं, तो सिक्योरिटी डिपाजिट को बचाने के लिए, प्रत्येक उम्मीदवार को उस विधानसभा सीट के लिए डाले गए कुल वैध वोटों की संख्या का 1/6 भाग सुरक्षित करना होगा. इसका मतलब है कि प्रत्येक उम्मीदवार को 16,666 से अधिक वोट हासिल करने होंगे. 1951-52 के पहले लोकसभा चुनाव में लगभग 40% यानी 1874 में से 745 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. तब से लेकर , लगभग सभी लोकसभा चुनावों में सिक्योरिटी डिपाजिट जब्त होने का सिलसिला जारी रहा. इसका चरम 1996 के 11वीं लोकसभा चुनाव में आया था, जब 13952 उम्मीदवारों में से 91 प्रतिशत यानि कि 12688 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी.

सिक्योरिटी डिपाजिट (सुरक्षा जमाराशि) निम्नलिखित परिस्थितियों में वापस किया जाता है -

1. यदि उम्मीदवार का नाम चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची में नहीं दिखाया जा रहा है तो इसका मतलब है कि या तो उसका नाम चुनाव आयोग द्वारा खारिज कर दिया गया है या उस कैंडिडेट ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है. या
2. यदि मतदान शुरू होने से पहले हीं उम्मीदवार की मृत्यु हो जाती है. या
3. यदि उम्मीदवार चुनाव जीत जाता है. या
4. यदि कोई उम्मीदवार चुनाव नहीं भी जीतता है, किन्तु वह निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल वैध मतों के 1/6 से अधिक वोट प्राप्त कर लेता है. या
5. यदि उम्मीदवार चुनाव जीत जाता है, लेकिन उसे कुल वैध मतों का 1/6 मत नहीं मिलता है, तो भी उसकी जमानत राशि वापस कर दी जाती है. हमारे देश में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब एक चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार को भी कुल कानूनी वोट का 1/6 नहीं मिल पाया है. लेकिन यह एक ऐसा लोकतंत्र है जहां चुनाव में जीत हासिल करने के लिए न्यूनतम वोट प्राप्त करने पर भी कोई रोक नहीं है.

नोट - यदि उम्मीदवार को कुल वैध मतों का ठीक ठीक 1/6 भाग प्राप्त होता है, तब भी चुनाव आयोग द्वारा उसकी जमानत राशि जब्त कर ली जाती है.

चुनाव आयोग द्वारा सिक्योरिटी डिपाजिट (सुरक्षा जमाराशि) क्यों ली जाती है ?

यह राशि इसलिए जमा की जाती है ताकि चुनाव लड़ने के लिए गंभीर उम्मीदवार हीं अपना नामांकन दाखिल करें. लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा है कि चुनाव आयोग का यह कदम भी अधिक कारगर नहीं हो पा रहा है. क्योंकि जमानत राशि के लिए जमा ली जाने वाली आवश्यक राशि बहुत कम है और बहुत से उम्मीदवार अपना नामांकन इस लिए दाखिल कर देते हैं ताकि अन्य दलों से नकद प्राप्त कर सकें. अन्य दलों से नकद लेकर वे अपना नामांकन वापस ले लेते हैं. निष्कर्ष के रूप में हम यह कह सकते हैं कि भारत का चुनाव आयोग देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष संसदीय और विधानसभा चुनाव कराने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाता है. और सिक्योरिटी डिपाजिट (सुरक्षा राशि) जमा करवाना उन्हीं कदमों में से एक है. बदलते वक़्त के साथ यह समय की मांग है कि चुनाव आयोग गंभीर उम्मीदवारों की जांच के लिए सुरक्षा जमा की राशि बढ़ाए अथवा कोई अन्य कदम उठाए.
बाबरी मस्जिद की समयरेखा- बनने से लेकर विध्वंस तक, राम जन्मभूमि के बारे में सब कुछ
जाने क्या था खिलाफ़त आन्दोलन – कारण और परिणाम
2021 का ग्रेट रेसिग्नेशन क्या है और ऐसा क्यों हुआ, कारण और परिणाम
जानिए मराठा प्रशासन के बारे में पूरी जानकारी
क्या आप जानते हैं 1857 के विद्रोह विद्रोह की शुरुआत कैसे हुई थी
भारत में पुर्तगाली शक्ति का उदय और उनके विनाश का कारण
मुस्लिम लीग की स्थापना के पीछे का इतिहास एवं इसके उदेश्य
भारत में डचों के उदय का इतिहास और उनके पतन के मुख्य कारण

चुनाव आयोग द्वारा सिक्योरिटी डिपाजिट (सुरक्षा जमाराशि) क्यों ली जाती है ?

यह राशि इसलिए जमा की जाती है ताकि चुनाव लड़ने के लिए गंभीर उम्मीदवार हीं अपना नामांकन दाखिल कर सकें.

किसी कैंडिडेट की जमानत राशि कब जब्त कर ली जाती है ?

नियम के अनुसार, यदि किसी उम्मीदवार को किसी निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल वैध मतों के 1/6 से कम वोट मिलते हैं तो उसकी जमानत राशि जब्त कर ली जाती है.