हो सकते हैं टैक्स के नियम में बदलाव
सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय की तरफ से नई कर व्यवस्था की अच्छे से जांच की गई है, और यह समझने की कोशिश किया गया है कि आखिर इंडिविजुअल टैक्सपेयर नए टैक्स व्यवस्था को क्यों नहीं अपना रहे हैं। लोगों को पुरानी और जटिल कर व्यवस्था से दूर करने के लिए इस बार बजट में सरकार कुछ अहम फैसले ले सकती है। यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार नई टैक्स व्यवस्था में कुछ शर्तों के साथ होमलोन के ब्याज पर टैक्स छूट और स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा भी लोगों को मिल सकता है।प्रतियोगी परीक्षा के लिए मॉक टेस्ट का प्रयास करें- Click Here
क्या है नई टैक्स स्लैब?
- नए टैक्स स्लैब में 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है।
- 2.5 लाख से 5 लाख रुपये की आय पर 5 %,
- 5 लाख से 7.5 लाख रुपये तक की आय पर 10 %,
- 7.5 लाख से 10 लाख रुपये तक की आय पर 15 %,
- 10 से 12.5 लाख रुपये तक की आय पर %,
- 12.5 से 15 लाख रुपये तक की आय पर 25 %,
- 15 लाख से ऊपर की आय पर 30 %, टैक्स चुकाना पड़ता है।
कब आई थी नई कर व्यवस्था?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2020 को नई टैक्स व्यवस्था को लागू किया गया था। इससे उन टैक्स पेयर को बहुत फायदा है, जो लोग किसी तरह की टैक्स छूट या डिडक्शन क्लेम नहीं करते हैं। हालांकि, उस वक्त नई टैक्स व्यवस्था लागु होने के बाद इसकी बहुत आलोचना हुई थी कि इससे लोगों में बचत की आदत कम होगी, क्योंकि बहुत से लोग तो सिर्फ टैक्स बचाने के लिए ही बचत करते हैं। भारत में अधिकतर लोग बचत करते हैं, इसलिए नई टैक्स व्यवस्था अभी तक लगभग असफल साबित हो रही है और लोग पुरानी व्यवस्था के जरिए ही टैक्स रिटर्न फाइल कर रहे हैं और नई टैक्स व्यवस्था को लोग नहीं अपना रहे हैं।Current Affairs Ebook Free PDF: डाउनलोड करे