Budget 2022: इस साल बजट 2022 में हो सकते हैं, इनकम टैक्स की व्यवस्था में बदलाव, जानिए वो बदलाव क्या हैं।

Safalta Experts Published by: Chanchal Singh Updated Sat, 29 Jan 2022 01:32 PM IST

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असेसमेंट ईयर 2021-22 में कुल 5.89 करोड़ टैक्सपेयर ने टैक्स रिटर्न फाइल किया है।

Source: social media

Budget 2022: कुछ ही साल पहले 2020 में टैक्स स्लैब्स की एक नई व्यवस्था  (नई कर व्यवस्था) लाई गई थी। इस व्यवस्था में तमाम डिडक्शन को हटाया गया था और टैक्स परसेंट को कम किया गया था।
इस नई व्यवस्था से कॉरपोरेट टैक्स पेयर तो बहुत खुश नजर आए थे, लेकिन इंडिविजुअल टैक्सपेयर इस व्यवस्था से खुश नहीं थे। असेसमेंट ईयर 2021-22 में कुल 5.89 करोड़ टैक्सपेयर ने टैक्स रिटर्न फाइल किया है, लेकिन इनमें से सिर्फ 5 परसेंट लोगों ने ही नई टैक्स व्यवस्था को चुना है। ऐसे में इस साल के बजट में नई टैक्स व्यवस्था को लेकर कुछ ऐसी घोषणाएं हो सकती हैं, जिससे इंडिविजुअल टैक्सपेयर  को टैक्स पेमेंट के लिए प्रेरित किया जा सके।

हो सकते हैं टैक्स के नियम में बदलाव

सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय की तरफ से नई कर व्यवस्था की अच्छे से जांच की गई है, और यह समझने की कोशिश किया गया है कि आखिर इंडिविजुअल टैक्सपेयर नए टैक्स व्यवस्था को क्यों नहीं अपना रहे हैं। लोगों को पुरानी और जटिल कर व्यवस्था से दूर करने के लिए इस बार बजट में सरकार कुछ अहम फैसले ले सकती है। यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार नई टैक्स व्यवस्था में कुछ शर्तों के साथ होमलोन के ब्याज पर टैक्स छूट और स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा भी लोगों को मिल सकता है।

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क्या है नई टैक्स स्लैब?

  • नए टैक्स स्लैब में 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है।
  • 2.5 लाख से 5 लाख रुपये की आय पर 5 %, 
  • 5 लाख से 7.5 लाख रुपये तक की आय पर 10 %,
  • 7.5 लाख से 10 लाख रुपये तक की आय पर 15 %,
  • 10 से 12.5 लाख रुपये तक की आय पर %,
  • 12.5 से 15 लाख रुपये तक की आय पर 25 %,
  • 15 लाख से ऊपर की आय पर 30 %, टैक्स चुकाना पड़ता है।

कब आई थी नई कर व्यवस्था?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2020 को नई टैक्स व्यवस्था को लागू किया गया था। इससे उन टैक्स पेयर को बहुत फायदा है, जो लोग किसी तरह की टैक्स छूट या डिडक्शन क्लेम नहीं करते हैं। हालांकि, उस वक्त नई टैक्स व्यवस्था लागु होने के बाद इसकी बहुत आलोचना हुई थी कि इससे लोगों में बचत की आदत कम होगी, क्योंकि बहुत से लोग तो सिर्फ टैक्स बचाने के लिए ही बचत करते हैं। भारत में अधिकतर लोग बचत करते हैं, इसलिए नई टैक्स व्यवस्था अभी तक लगभग असफल साबित हो रही है और लोग पुरानी व्यवस्था के जरिए ही टैक्स रिटर्न फाइल कर रहे हैं और नई टैक्स व्यवस्था को लोग नहीं अपना रहे हैं।

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