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पूरे हुए 50 साल
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की स्थापना को वर्ष 2022 में, 50 साल पूरे हो रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने इस अवसर पर, सभी देशों से धरती के लिये ख़तरा पैदा करने वाले तीन बड़े जोखिमों, जलवायु परिवर्तन, प्रकृति व जैवविविधता की हानि, और प्रदूषण व कचरा से निपटने के लिये विशाल कार्रवाई करने का आहवान किया है।
Source: social media
समुद्री स्तर में वृद्धि
रिपोर्ट के मुताबिक, यदि ग्लोबल वार्मिंग के वजह से pre industrial level period से टेम्परेचर 1.5°C और 2°C बढ़ता है तो इसके परिणाम खतरनाक हो सकते है। ग्लोबल वार्मिंग से ग्लेशियर के बर्फ पिघलने से समुद्री स्तर में बढ़ोतरी होगी। यदि 1.5°C टेम्परेचर बढ़ता है तो समुद्री लेवल बढ़ने से 60 - 70 लाख लोगों के जीवन पर इसका असर पड़ेगा। वही अगर यही तापमान 2°C बढ़ता हैं तो 1 करोड़ 60 लाख लोगों पर इसका प्रभाव पड़ेगा जो की मनुष्य एवं पशु पक्षी के लिए हानीकारक है। इस आधे डिग्री सेल्सियस तापमान के बढ़ने मात्र से coral reef के 99 % खत्म होने का खतरा होगा।ग्रीष्म लहर के खतरे का सामना करना पड़ेगा
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme (UNEP)) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया की 30 %आबादी साल के 20 दिनों से अधिक समय तक heat wave के खतरे का सामना कर रही है।सबसे गर्म साल कौन सा है
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (world meteorological organization) की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व के 6 सबसे गर्म साल 2015 के बाद दर्ज़ किए गए हैं। इनमे साल 2016, साल 2019 और साल 2020 सबसे गर्म साल रहे हैं। भारत में भी हम इसका प्रभाव देख पा रहे है।ग्लोबल वार्मिंग का सबसे मुख्य कारण क्या है
ग्लोबल वार्मिंग का सबसे मुख्य कारण emissions of greenhouse gases को माना जा रहा है। साल 2019 में कुल emissions of greenhouse gases CO2 के 59.1 gigatonnes के बराबर था। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (world meteorological organization) की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2015-19 तक के पांच सालों का एवरेज तापमान और साल 2010-19 तक के दस सालों के एवरेज तापमान सबसे अधिक दर्ज़ किया गया है। इस कारण साल 2016 के बाद साल 2019, अब तक का दूसरा सबसे अधिक गर्म साल रहा है।Current Affairs Ebook Free PDF: डाउनलोड करे