Weekly Current Affair, 28 November से 05 December तक के करंट अफेयर यहां पढ़े

safalta expert Published by: Chanchal Singh Updated Mon, 05 Dec 2022 11:54 AM IST

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28-11-2022

First Woman President Of IOA, पीटी ऊषा का आईओए का पहली महिला अध्यक्ष बनना तय

 
 First Woman President Of IOA: एथलीट पीटी ऊषा को भारतीय ओलंपिक संघ आईओए के अध्यक्ष के लिए नमांकन भर दी हैं, 10 दिसंबर को होने वाले चुनाव में टॉप पद के लिए पीटी उषा अकेली उम्मीदवार हैं, वह आईओए की पहली महिला अध्यक्ष होंगी, कई एशियाई खेलों की गोल्ड मेडलिस्ट (गोल्ड मेडल विनर) 58 साल की पीटी ऊषा 1984 के ओलंपिक में 400 मीटर बाधा दौड़ के फाइनल में चौथे स्थान पर रही थीं।
 
 निर्विरोध चुनी जाएंगी पीटी उषा
 
पीटी उषा ने टॉप पदों के लिए अपना नामांकन भर दिया है, उनके साथ उनकी टीम के अन्य 14 लोगों ने विभिन्न पदों के लिए नामांकन पत्र भरा है, आईओए चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की समय सीमा रविवार को समाप्त हो गई है।

Source: safalta

आईओए के चुनाव अधिकारी उमेश सिन्हा ने शुक्रवार और शनिवार को कोई नामांकन पत्र दाखिल न होने की बात कही है। रविवार को विभिन्न पदों के लिए अन्य 24 विद्वानों ने अपना नामांकन दाखिल किया है।
 
 पहली महिला अध्यक्ष बनेगी पीटी उषा
 
खेल के अपने सुनहरे दिनों की टॉप धाविका पीटी उषा आईओए के एथलीट आयोग द्वारा उत्कृष्ट खिलाड़ी आईओएम के तौर पर 8 में 1 सदस्य के रूप में चुनी गई हैं। जिससे वह निर्वाचक मंडल के सदस्य बनी हैं, पीटी उषा आईओए के 95 साल के इतिहास में इस पद का नेतृत्व करने वाली ओलंपियन और पहली अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता बनेगी। एशियाई एथलेटिक्स में दबदबा बनाने के बाद उन्होंने साल 2000 में खेल से सन्यास लेने  खेलों को अलविदा किया था।
 
यादविंदर सिंह थे पहले खिलाड़ी
 
महाराजा यादविंदर सिंह के बाद खिलाड़ी के तौर पर देश की प्रतिनिधित्व करने के बाद आईओके का नेतृत्व करने वाली उषा पहली व्यक्ति है, यादविंदर ने 1934 में एक टेस्ट मैच खेला था और फिर 1938 में आईओए की प्रमुख बने थें, वह आईओए के तीसरे अध्यक्ष थे, इनका कार्यकाल 1960 तक चला था।
 
 
मैदान में 12 उम्मीदवार  उतरेंगे
 
 मैदान में मौजूदा चुनाव में उपाध्यक्ष (महिला), संयुक्त सचिव (महिला) के पद के लिए मुकाबला होना है। कार्यकारिणी परिषद के 4 सदस्यों के लिए 12 प्रत्याशी मैदान में होंगे,  आईएओ में एक अध्यक्ष एक वरिष्ठ उपाध्यक्ष,  दो उपाध्यक्ष (एक पुरुष एवं महिला)  एक कोषाध्यक्ष, दो संयुक्त सचिव (एक पुरुष एवं महिला) छह अन्य कार्यकारी परिषद सदस्य के चुनाव के लिए मौजूद होंगे, जिनमें से दो एक पुरुष एवं एक महिला निर्वाचित होंगे।
 
 राज्यसभा सांसद है
 
पीटी उषा जिन्हें पय्योली एक्सप्रेस के नाम से भी जाना जाता है, उन्हें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी भाजपा ने उन्हें जुलाई में राज्यसभा सदस्य के रूप में नॉमिनेट किया था, हाल ही में एआईएफएफ में भी ऐसी स्थिति पैदा हुई थी। जब पश्चिम बंगाल के एक भाजपा नेता एवं पूर्व गोलकीपर चौबे ने हाई कोर्ट की निगरानी में हुए चुनाव में अचानक विवाद उम्मीदवार के रूप में सामने आए और शीर्ष पद के लिए चुने गए थे।
 
 देश के सबसे सफल एथलीट में से एक
 
पीटी उषा देश के सबसे सफल एथलीट में से एक हैं, इन्होंने 1982 से 1994 तक एशियाई खेलों में चार बार गोल्ड मेडल सहित सहित अन्य 11 पदक अपने नाम किए हैं। इन्होंने 1986 के एशियाई खेलों में सभी 4 गोल्ड मेडल ( क्रमशः 200 मीटर, 400 मीटर, 400 मीटर बाधा दौड़ और चार गुणा 400 मीटर रिले ) 100 मीटर में सिल्वर मेडल भी जीता है। उसने 1982 नई दिल्ली एशियाई खेलों में 100 मीटर और 200 मीटर के मेडल जीते हैं। उन्होंने 1983 से 1998 तक एशियाई चैंपियनशिप में कुल 23 मेडल अपने नाम किए हैं।
 
 ओलंपिक में मेडल जीतने से चूक गई थी
 
ओलंपिक में पदक जीतने से चुकी थी, पीटी उषा को लॉस एंजिलिस ओलंपिक 400 मीटर बाधा दौड़ के फाइनल में पदक से चूक गई थी, इसी के लिए इन्हें सबसे ज्यादा याद किया जाता है। इस ओलंपिक में रोमानिया की क्रिस्टियाना कोजोकारू ने सेकंड के 100 वें हिस्से से पिछड़ गई थी। आईओए के चुनाव उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त सेवानिवृत्त न्यायाधीश एल नागेश्वर राव की देखरेख में उनके द्वारा तैयार किए गए नए संविधान के तहत होगी, आईओए ने इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी से मंजूरी लेने के बाद 10 नवंबर को नया संविधान अपनाया है, आईओए के 77 सदस्य निर्वाचन मंडल में लगभग 25 परसेंट पूर्व एथलीट हैं जिनमें ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधु, गगन नारंग, साक्षी मलिक योगेश्वर दत्त और एम सौम्या सहित वर्तमान एवं पूर्व के अन्य खिलाड़ी शामिल हैं।
 

Shilp Guru and National Awards, शिल्प गुरु और राष्ट्रीय पुरस्कार क्या है और यह किन्हें दिया जाता है

 
Shilp Guru and National Awards : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार 28 नवंबर 2022 को भारतीय हस्तकला में  शिल्पकारों के योगदान और भूमिका के लिए  शिल्प गुरु और राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करेंगे। टेक्सटाइल मिनिस्ट्री ने सोमवार को साल 2017, 2018 और 2019 के लिए मास्टर शिल्पकारों को शिल्प गुरु और राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह का आयोजन किया है। टेक्सटाइल मिनिस्ट्री के मुताबिक महामारी के चलते पिछले 3 सालों से यह अवार्ड नहीं दिया जा सका था, जिसके कारण साल 2022 में 2017, 2018 और 2019 इन तीनों सालों के अवार्ड को एक साथ दिया जाएगा।  
 
इस कार्यक्रम में कौन कौन शामिल होंगे
 
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पुरस्कार समारोह के मुख्य अतिथि होंगे। केंद्रीय कपड़ा, उपभोक्ता मामले, खाद्य  एवं सार्वजनिक वितरण और वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल इस पुरस्कार समारोह की अध्यक्षता करेंगे। दर्शना विक्रम जरदोश मंत्री कपड़ा मंत्रालय ने एक बयान में यह कहा है कि रेलवे एवं कपड़ा राज्य सरकार इस कार्यक्रम में सम्मानित अतिथि होंगे। 
 
शिल्प गुरु और राष्ट्रीय पुरस्कार का इतिहास
 
 विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) का कार्य कार्यालय  1965 से मास्टर शिल्पकारों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों की योजना को लागू कर रहा है। साल 2002 में शिल्प गुरु पुरस्कारों की शुरुआत की गई थी। यह पुरस्कार हर साल हस्तशिल्प के विख्यात उस्ताद और जिन शिल्पकारों ने शिल्प कला के क्षेत्र में अपने बहुमूल्य और महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं, उन शिल्पकारों को दिया जाता है, जिनके कार्य और समर्पण ना केवल देश की समृद्धि और विविध शिल्प विरासत के संरक्षण में योगदान दिया है, बल्कि उनके समग्र रूप से हर क्षेत्र में पुनरुत्थान और  इनोवेशन में भी योगदान दिया गया है। 

 
 इस अवार्ड का उद्देश्य क्या है

 
इस अवार्ड का मुख्य उद्देश्य हस्तशिल्प क्षेत्र में उत्कृष्ट शिल्पकारों को पहचान कर उन्हें उनके कला एवं क्षेत्र में योगदान के लिए सम्मानित करना। पुरस्कार विजेता देश के लगभग सभी राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ विभिन्न स्थानों की विभिन्न शैलियों को प्रेजेंट करते हैं। देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान और भूमिका निभाते हैं। यह ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में शिल्पकारों के एक बड़े वर्ग को इनवाइट करता है और अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए देश के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भी उत्पन्न करवाते हैं, इसलिए उनके इस योगदान को सम्मानित करने के लिए यह अवॉर्ड दिया जाता है।

 
What is Bluebugging,  ब्लूजैकिंग, ब्लूस्नार्फिंग और ब्लूबगिंग क्या है जाने विस्तार

 
What is Bluebugging : आजकल सभी स्मार्ट डिवाइस और गैजेट्स में ब्लूटूथ कनेक्टिविटी दिया जाता है। ब्लूटूथ किसी भी डिवाइस को कनेक्ट करने के लिए या फिर फाइल शेयरिंग के लिए बनाया गया एक फीचर है। यह एक ऐसा फीचर है जिससे आप अपने मोबाइल, स्मार्टफोन, लैपटॉप, टेबलेट को किसी अन्य डिवाइस के साथ आसानी से कनेक्ट कर सकते हैं, लेकिन इसके अपने ही अलग कई तरह के खतरे हैं और यह प्राइवेसी और सिक्योरिटी के लिहाज से भी खतरनाक है, अगर आप भी डिवाइस पेयरिंग के लिए ब्लूटूथ का इस्तेमाल करते हैं तो ब्लूजैकिंग, ब्लूबगिंग एवं ब्लूस्नार्फिंग के खतरे के बारे में जान लें, 

आजकल स्मार्ट डिवाइस में ब्लूटूथ का उपयोग भी तेजी से बढ़ गया है, क्योंकि लोग अपनी एअरबड्स, नैकबैंड, हेडफोन को ब्लूटूथ से कनेक्ट करके फाइल शेयर करते हैं या फिर गाना सुनने या वीडियो देखते हैं, सभी स्मार्ट डिवाइस में ब्लूटूथ फिचर होता है, स्मार्टफोन, आईओटी डिवाइस से लेकर कंप्यूटर एवं कार में ब्लूटूथ का फिचर दिया गया होता है। अगर आप ब्लूटूथ का सावधानीपूर्वक इस्तेमाल नहीं करेंगे तो फिर इससे ब्लूजैकिंग, ब्लूबगिंग एवं ब्लूस्नार्फिंग का खतरा बढ़ सकता है। यह आपकी प्राइवेसी और सिक्योरिटी के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। अगर आप इससे बचना चाहते हैं तो आप को जानना होगा कि इससे आप अपने आप को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं।

 ब्लूजैकिंग 


ब्लूटूथ के माध्यम से होने वाले ब्लूजैकिंग की बात करें तो यह कम खतरनाक कैटेगरी में रखा जाने वाला हमला है।  ब्लूजैकिंग में ब्लूटूथ पर अनवॉनटेड मैसेज भेजना शामिल है।  ब्लूजैकिंग में आप अपने ब्लूटूथ को ऑन रखें हैं या फिर ब्लूटूथ एक्टिव है तो आपके आसपास दूसरा व्यक्ति आपको मैसेज भेजने के लिए ब्लूटूथ का उपयोग कर सकता है। जैसा आप बिल्कुल भी नहीं चाहेंगे कि कोई आपके ब्लूटूथ के माध्यम से डिवाइस को एक्सेस करें, ब्लूजैकिंग के जरिए आपको डिवाइस पर कुछ भी इंस्टॉल नहीं किया जा सकता है या फिर उसे कंट्रोल में नहीं लिया जा सकता है। इसलिए ज्यादातर मामलों में ब्लूजैकिंग ज्यादा नुकसानदायक नहीं है। इसमें हमलावर आपको अनवॉनटेड कांटेक्ट भेज सकता है जोकि हानिकारक हैय़ मगर इससे कोई टेक्निक या इकोनामिक लॉस नहीं होती है।

ब्लूस्नार्फिंग


ब्लूस्नार्फिंग की तुलना में ब्लूजैकिंग कि तुलना में ज्यादा खतरनाक है, ब्लूजैकिंग में पीड़ित को अनवांटेड कंटेंट भेजा जाता है वही ब्लूस्नार्फिंग में पीड़ित से कांटेक्ट या डाटा लिया जाता है, इस तरह के हमले में डिवाइस एक्सिस, पासवर्ड, फोटो, कांटेक्ट, डाटा चुराने के लिए ब्लूटूथ कनेक्शन में हेराफेरी की जाती है। इसमें खतरनाक बात यह है कि डाटा चोर का पता लगाना मुश्किल हो जाता है, ब्लूजैकिंग में तुरंत पता चल जाता है कि आपको मैसेज कौन भेज रहा है, मगर आप ब्लूस्नार्फिंग में नहीं देख सकते हैं कि कौन ब्लूटूथ पर आपका डाटा चुरा रहा है या हमलावर कौन हैं, यदि आप अपने डिवाइस पर कोई ब्लूटूथ एक्टिविटी देखते हैं तो जो कि आपने शुरू नहीं किया है तो वह ब्लूस्नार्फिंग का संकेत हो सकता है। इसमें हैकर किसी भी तरह के निशान छोड़े बिना 300 फीट की दूरी तक के डिवाइस को एक्सेस करने में सक्षम होता है। हमले के दौरान साइबर अपराधी कांटेक्ट, इनफार्मेशन, ईमेल, कैलेंडर, दूरबीन की खोज किसने की कैलेंडर एंट्रीज, पासवर्ड फोटो एवं अन्य  पर्सनल आईडेंटिफिएबल इनफॉरमेशन, वीआईआई तक पहुंचने में सक्षम होता है और इसकी चोरी भी कर सकता है।


 ब्लूबगिंग

ब्लूबगिंग और ब्लूस्नार्फिंग बहुत हद तक सामान है, इस तरह के हमले में हैकर डिवाइस तक पहुंच प्राप्त करने के बाद मालवेयर इंस्टॉल कर देता है ताकि उन्हें भविष्य में भी आसानी से उस डिवाइस में एक्सेस मिल सके। ब्लूबगिंग का एक उद्देश्य यह है कि आपके डिवाइस पर बाग या फिर जासूसी करना, ब्लूबगिंग में अपराधी आपको डिवाइस को दूर से भी कंट्रोल या एक्सेस करने के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं, दोनों पर होने वाली बातचीत को सुना जा सकता है या फिर बातचीत को हैकर थर्ड पार्टी तक को फॉरवर्ड करने में सक्षम होता है। ब्लूबगिंग हमले के दौरान हैकर एसएमएस पढ़ सकते हैं और उसका जवाब भी दे सकते हैं, इतना ही नहीं डिवाइस के मालिक को कॉल भी कर सकते हैं और ऑनलाइन अकाउंट या फिर में भी आसानी से पहुंच सकते हैं। ब्लूबगिंग के लिए पहला कदम पीड़ित के फोन को ब्लूटूथ के माध्यम से कनेक्ट करना होता है, जैसे कि ब्लूस्नर्फिंग में भी होता है। हमलावर डिवाइस पर मालवेयर इंस्टॉल करता है और भविष्य में भी मालवेयर से डिवाइस पर पूरी पहुंच के साथ कंट्रोल की राइट मिल जाती है। 
 

29-11-2022

 
Tenzing Norgay Adventure Award, तेनजिंग नोर्गे एडवेंचर अवार्ड क्या है, जाने विस्तार  से

 
Tenzing Norgay Adventure Award : इंडिया युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार ने साल 2021 के लिए तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड TNNAA के  नाम से राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार की घोषणा की है। यह पुरस्कार चार कैटेगरी में बांटा गया है, और वह है लैंड एडवेंचर, वॉटर एडवेंचर, एयर एडवेंचर और लाइफटाइम अचीवमेंट के तहत इस पुरस्कार को दिया जाएगा।
 
तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड TNNAA किसे दिया जा रहा है
 
 इस साल ग्रुप कैप्टन भवानी सिंह सम्याल को लाइफटाइम अचीवमेंट दिया जाएगा।  शुभम धनंजय वनमाली को वॉटर एडवेंचर और नैना धाकड़ को लैंड एडवेंचर पुरस्कार कार्यक्रम के दौरान दिया जाएगा। इस साल युवा मामले के सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय चयन कमेटी का गठन किया गया था, जिसमें साहस आई कार्य क्षेत्र के कई एक्सपोर्ट शामिल थे। इस कमेटी की सिफारिशों के आधार पर इन विजेताओं की घोषणा की गई है।
 
 तेनजिंग नोर्गे एडवेंचर अवार्ड के बारे में नेशनल
 
अवार्ड विजेताओं को 30 नवंबर 2022 को राष्ट्रपति भवन में अर्जुन पुरस्कार विजेताओं के साथ भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जाएगा, प्रत्येक विजेताओं को कांस्य प्रतिमा  एवं प्रमाण पत्र के साथ 15 लाख की पुरस्कार राशि दी जाएगी। नासिक एडवेंचर के क्षेत्र में व्यक्तियों के उपलब्धियों को मान्यता देने के लिए एवं युवाओं में जोखिम लेने की भावना को डिवेलप करने के लिए इस पुरस्कार समारोह का आयोजन किया जाता है, ताकि युवाओं को ऐसे एडवेंचर गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। 
 
तेनजिंग नोर्गे एडवेंचर अवार्ड उद्देश्य
 
तेनजिंग नोर्गे एडवेंचर अवार्ड का नाम तेनजिंग नोर्गे के नाम पर रखा गया है,जो कि साल 1953 में एडमंड हिलेरी के साथ माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने वाले पहले दो पर्वतारोहियों में से एक थे, तेनजिंग नोर्गे  राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार हर साल  एडवेंचर के क्षेत्र में लोगों के उपलब्धियों को मान्यता देने के लिए युवाओं में जोखिम की भावना को जागृत एवं विकसित करने के लिए एवं युवाओं में  एडवेंचर के एक्टीविटी के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किया जाता है।
 

St. Andrews Day, सेंट एंड्रयूज दिवस कब और क्यों मनाया जाता है

 
St. Andrews Day : हर साल 30 नवंबर को सेंट एंड्रयू डे या एंडमर्स का पर्व मनाया जाता है। यह स्कॉटलैंड में एक ऑफिशियल नेशनल डे है और 2015 से यह रोमानिया में भी राष्ट्रीय अवकाश, इस त्यौहार के उपलक्ष में दिया जा रहा है। सेंट एंड्रयूज दिवस सेंट एंड्रयू क्रिसमस नोवेना  की पारंपरिक आगमन भक्ति की शुरुआत का प्रतीक है कहा जाता है कि इस दिन की शुरुआत मैल्कम तृतीय 1058 से 1093 के शासनकाल में इस दिवस को मनाने की शुरुआत हुई थी।
 
 सेंट एंड्रयूज कौन थे
 
 सेंट एंड्रयूज यीशु मसीह के 12 शिष्यों में से एक थे जिनका अनुसरण करने के लिए चुना गया था, बाद में वह साइप्रस स्कॉटलैंड, ग्रीस, रोमानिया, कांस्टेंटिनॉपल के विश्वव्यापी कुलपति, सैन एंड्रेस द्वीप कोलंबिया, सेंट एंड्रयू बारबाडोस और टेनेरिफ़ स्पेन के संरक्षक संत बने  थे।

 
 सेंट एंड्रयूज मनाने का इतिहास क्या है

 
कहा जाता है कि इस दिवस की शुरुआत मैल्कम तृतीय के शासनकाल के दौरान हुई थी। इस दिन को इसलिए मनाया गया की समाहिन से जुड़े अनुष्ठान जानवरों की हत्या को इस तिथि तक धकेल दिया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके सर्दियों के मौसम में पर्याप्त जानवरों को जीवित रखा जाए।
 
जर्मनी में दावत का एक दिन एंड्रियासनाचट के रूप में भी मनाया जाता है। ऑस्ट्रेलिया में  एंड्रियासगेबेट के रिवाज के साथ, मनाया जाता है। पोलैंड में आंद्रेजेकी  के रूप में और रूस में एंड्रयू की रात के रूप में मनाया जाता है, इसके अलावा यह स्कॉटलैंड में इसके लिए एक ऑफिशियल फ्लैग भी बनाया गया है।
 

 सेंटे एंड्रयूज डे कैसे मनाया जाता है

 
स्कॉटिश संस्कृति एवं पारंपरिक भोजन और संगीत और पारंपरिक भोजन और संगीत उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा इस दिन स्कॉटलैंड में सर्दियों के मौसम की शुरुआत का प्रतीक मानते हैं, जिसमें हॉगमैन और बन्र्स शामिल है और कुछ स्कॉटिश शहरों में हफ्ते भर चलने वाले समारोह होते हैं। महामारी के चलते स्क्वाटीज़ लोगों इस अवसर पर, व्यवहार के लिए छोटी एवं आभासी पार्टियों का सहारा लिया है। लोग घर पर करीबी परिवारों एवं दोस्तों के साथ इस दिन को मनाते हैं और अपना पारंपरिक भोजन जैसे कि कलन स्किंक, मछली का सूप या भेड़ का बच्चा जैसे भोजन बनाकर इस त्यौहार को सेलिब्रेट करते हैं।
 


Janjatiya Anusandhan Asmita Astitva Aur Vikas,जनजातीय अनुसंधान अस्मिता, अस्तित्व एवं विकास क्या है, जाने विस्तार से

 
 
Janjatiya Anusandhan Asmita Astitva Aur Vikas : जनजातीय अनुसंधान अस्मिता, अस्तित्व एवं विकास पर  राष्ट्रीय कार्यशाला के प्रतिनिधियों ने 28 नवंबर 2022 को राष्ट्रीय भवन सांस्कृतिक केंद्र में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की है, राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री हर्ष चौहान से स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों को योगदान पुस्तक की पहली कॉपी भी दिलाई है। इस अवसर पर आगंतुकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने यह कहा है कि प्रौद्योगिकी एवं परंपरा के साथ-साथ आधुनिकता एवं संस्कृति का सम्मिश्रण समय की आवश्यकता है। हमें ज्ञान की शक्ति से दुनिया का नेतृत्व करने के लिए हमेशा तत्पर और तैयार रहना चाहिए।

 
यह कार्यशाला क्यों आयोजित किया गया था

 
जनजातीय समाज के ज्ञान के प्रचार एवं विकास भारत को ज्ञान महाशक्ति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा उन्होंने विकास विश्वास व्यक्त किया है कि जनजातीय समाज के लोग लेखक तथा शोधकर्ता अपने विचारों, कार्य एवं शोध से आदिवासी समाज के डेवलपमेंट में अपना योगदान देंगे। इसके अलावा राष्ट्रपति ने यह कहा है कि युवा हमारे इतिहास और परंपराओं को समझने के लिए प्रेरित हो रहे हैं, उनमें विश्वास व्यक्त किया कि इनका झुकाव हमारे समाज के इतिहास एवं संस्कृति की विशेषताओं के बारे में रिसर्च और राइटिंग के लिए होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत अभी आगे बढ़ सकता है, जब देश के युवा गौरवशाली इतिहास को समझें और साथ-साथ देश की समृद्धि के सपने देखें और इस सपने को पूरा करने के लिए सभी संभव प्रयास करते हैं।
 
आजादी के अमृत महोत्सव के एक भाग
 
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आजादी के अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नेताओं के योगदान के लिए प्रदर्शित करने वाले फोटो प्रदर्शनी एवं संगोष्ठी सहित प्रमुख विश्वविद्यालयों में कई कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सराहना की है। उन्होंने कहा है कि आयोजन के आदिवासी युवाओं को अपने पूर्वजों के बलिदान एवं अपने समाज के सम्मान की महान परंपरा पर गर्व होगा और इससे वे देश के लिए और समाज के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित होंगे। राष्ट्रपति ने यह कहा है कि इतिहास बताता है कि जनजाति सामाज कभी दासता स्वीकार नहीं किया है साथ ही किसी भी हमले का प्रत्युत्तर देने में सबसे आगे रहे हैं, देश भर के जनजातीय समुदाय द्वारा संथाल, हूल, कोल, बिरसा, भील जैसे कई विद्रोह में किए गए संघर्ष एवं उनके बलिदानों से सभी नागरिक प्रेरित हो सकते हैं।
 
राष्ट्रपति ने क्या कहा है
 
 राष्ट्रपति ने इस फैक्ट की ओर भी इंगित किया है कि देश में अनुसूचित जनजातियों की संख्या 10 करोड़ से अधिक है और सरकार एवं समाज के सामने इनका विकास और लाभ पहुंचाना साथ ही उनकी संस्कृति के पहचान को बनाए रखने की चुनौती है। इन सबके अलावा उन्हें विकास के लिए चर्चाओं और रिसर्च में उनकी भागीदारी आवश्यक है। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में जनजातियों के योगदान, पुस्तक पब्लिश करवाना एक अच्छी पहल है, राष्ट्रपति ने विश्वास दिलाया है कि इस पुस्तक के माध्यम से आदिवासी समाज के संघर्ष एवं बलिदान की गाथा का पूरा देश में प्रचार-प्रसार होगा और लोग इनके विकास के लिए एक कदम बढ़ाएंगे।

 
Anaemia Mukt Lakh Abhiyan,  AMLAN क्या है जिसकी शुरुआत ओडीशा में हुई है

 
Anaemia Mukt Lakh Abhiyan : ओडीशा में महिलाओं एवं बच्चों में एनीमिया की समस्या को पूरी तरह से खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने राज्य में AMLAN- एनीमिया मुक्त लाख अभियान की शुरुआत की है। राज्य ने लक्षित कुछ समूहों के बीच एनीमिया की इंस्टेंट कमी के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण तैयार कर लिया है। यह कार्यक्रम राज्य भर के 55,000 सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों और 74000 आंगनबाड़ी केंद्रों में इस एनीमिया मुक्त लाख अभियान को शुरू किया जाएगा।
 

AMLAN अमलन के बारे में विस्तार से

 
AMLAN कार्यक्रम का क्रियान्वयन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, स्कूल एवं जन शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, मिशन शक्ति एवं एसटीएससी विकास विभाग समेत कई विभागों के संयुक्त प्रयास से इस अभियान की शुरुआत की जाएगी। सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाओं पर ध्यान देने के साथ-साथ उड़ीसा राज्य सरकार ने कई स्वास्थ्य संघ के तत्वों, जैसे टीकाकरण, शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर, शिशु एवं छोटे बच्चों के आहार और पोषण में सुधार के लिए कई पहल एवं योजनाओं की शुरुआत की है। देश भर में एनीमिया एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने एनीमिया मुक्त ओडिशा को प्राप्त करने के लिए AMLAN के सफल कार्यान्वयन के लिए संबंधित विभागों एवं ऑन-फील्ड सेवा प्रदाताओं से ठोस तरीके से करने के लिए आग्रह किया है।

 

 प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न

 
ओडिशा के राज्यपाल का क्या नाम है?
 गणेशी लाल
 
ओडिशा की राजधानी क्या है?
भुवनेस्वर
 
ओडिशा के मुख्यमंत्री का क्या नाम है?
नवीन पटनायक
 
30-11-2022
 

World AIDS Day is celebrated, विश्व एड्स दिवस कब मनाया जाता है, जानें इसके इतिहास और थीम के बारे में

 
World AIDS Day is celebrated : हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य एचआईवी एवं एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करना ताकि वह इस खतरनाक बीमारी के संक्रमण से बच सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 37.9 लोग एड्स की बीमारी से ग्रसित हैं,  ऐड्स सोसाइटी ऑफ इंडिया के मुताबिक भारत में एड्स के कुल मरीजों की संख्या करीब 2.35 मिलियन है। एड्स के मरीजों की संख्या में हर दिन बढ़ोतरी हो रही है। विश्व स्तर पर लोगों को एड्स के संक्रमण और बीमारी के बारे में जागरूक करने के लिए 1 दिसंबर को यह दिन मनाया जाता है।
 

कैसे संक्रमित होता है एड्स

 
 जो मरीज एड्स एचआईवी से ग्रसित हैं, उन्हें समाज से बहिष्कार किया जाता है, जिसके प्रति भी इस दिन जागरूक किया जाता है ताकि उनके साथ दुर्व्यवहार, भेदभाव ना हो और लोगों को इसके संक्रमण के प्रति अधिक से अधिक जागरूक कर इस बीमारी के संक्रमण को बढ़ने से रोकना है। दुनिया भर के किसी भी देश में अभी तक एड्स का इलाज नहीं है, आपको बता दें कि एचआईवी के कारण इम्यूनिटी सिस्टम काफी कम हो जाती है जिसके चलते यह वायरस तेजी से शरीर में फैलता है और अगर इसके फर्स्ट स्टेज में इलाज न किया जाए तो व्यक्ति अपना जान भी गंवा सकता है। आमतौर पर यह अनसेफ इंटरकोर्स करने एवं एचआईवी वाले व्यक्ति के संबंध में आने से यानी जिस व्यक्ति को एचआईवी है और उसके इंजेक्शन या फिर उपकरण को दूसरे मरीजों के साथ शेयर करने पर फैलता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए भारत में केंद्र सरकार ने विश्व स्तर पर विश्व एड्स दिवस के अवसर पर लोगों को जागरूक करने के लिए कई सारे कार्यक्रम का संचालन करती है, ताकी लोगों को बताया जा सके कि एड्स क्या है और यह कैसे फैलता है और इससे कैसे बचा जा सकता है हर साल 1 दिसंबर को एक थीम के साथ इस दिन को मनाया जाता है।
 

 विश्व एड्स दिवस की थीम क्या है

 
विश्व एड्स दिवस को हर साल एक नई थीम के साथ मनाई जाती है, साल 2022 में इसकी थीम खुद को परीक्षण में लाना, एचआईवी को समाप्त करने के लिए समानता प्राप्त करना रखा गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस एड्स की बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, आइए जानते हैं कि एड्स बीमारी के लक्षण क्या है और इसे कैसे बच सकते हैं।
 

 एड्स क्या है

 
एड्स बीमारी का पूरा नाम एक्वार्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम वायरस है, और इसी के कारण लोगइस बिमारी से संक्रमित होते हैं। यह वायरस शरीर को कमजोर करता है,  एक के बाद एक अनेक बीमारियों से ग्रसित होने लगता है। शुरुआती स्टेज में इस बीमारी का इलाज किया जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है, वहीं अगर लास्ट स्टेज में पहुंचने के बाद इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लास्ट स्टेज में इस बीमारी का इलाज नहीं होता है जिसके चलते मरीज अपनी जिंदगी से हाथ धो सकता है। अभी तक एचआईवी का कोई इलाज नहीं है इसके इससे बचने के लिए मात्र  जागरूकता और सावधानी ही एक इलाज है।
 
 
 एड्स के लक्षण क्या हैं
 
 एड्स के लक्षण के बारे में बताएं तो जब यह वायरस आपके शरीर में प्रवेश करता है, उसके कुछ ही समय बाद कुछ संकेत देखने को मिलते हैं। शुरुआत में तेज बुखार, शरीर में पसीना आना, थकान, उल्टी, दस्त, शरीर में खुजली जैसे आदि लक्षण संक्रमित व्यक्ति में देखने को मिलता है। समय रहते अगर इसका इलाज समय रहते ना करवाए जाए तो यह अपना गंभीर रूप ले लेती है, जिसके चलते लोग अपना जान भी गंवा देते हैं। ऐसे में अगर आपने कभी असुरक्षित यौन संबंध बनाए हैं या फिर किसी बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती रहे हैं और यह लक्षण आपके शरीर में देखने को मिल रहा है तो तुरंत एड्स की जांच करवानी चाहिए।
 
विश्व एड्स दिवस का इतिहास क्या है
 
 विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साल 1988 में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व एड्स दिवस मनाने की घोषणा की थी। इस दौरान करीब 90,000 से डेढ़ लाख लोग एचआईवी से पीड़ित हैं, जोकि एड्स का सबसे बड़ा कारण था। दशकों के भीतर में इस बीमारी में तेजी से बढ़ोतरी हुई और करीब 33 मिलियन लोग एचआईवी की चपेट में आए थे। साल 1981 में आया था, इस दौरान करीब 25 लोग बीमारी के चलते अपनी जिंदगी से हात दो बैठे थे, इस बात को मद्देनजर रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस भयावह बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने शिक्षित करने एवं इस बीमारी से बचाने के लिए हर साल 1 दिसंबर को एड्स दिवस मनाने के लिए घोषणा की थी। एड्स दिवस को हर साल विश्व एवं अंतर्राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है, पिछले कुछ सालों में एड्स के मरीजों की संख्या में कमी हुई है जो कि एक अच्छी खबर है।

 

Jiang Zemin Death, 96 साल की उम्र में चीन के पूर्व राष्ट्रपति जियांग जेमिन का हुआ निधन

 
Jiang Zemin : चीन के पूर्व राष्ट्रपति जियांग जेमिन का 96 साल की उम्र में निधन हो गया है। जियांग जेमिन चीन के पूर्व राष्ट्रपति थे, चीन के सरकारी मीडिया के मुताबिक वे काफी वक्त से ल्यूकेमिया बीमारी से ग्रसित थे जिसके चलते उनके शरीर के कई अंगों में पैरालिसिस हो गया था, जिसके चलते कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। बीमारी के चलते ही उनका बुधवार 30 नवंबर 2022 को निधन हो गया है। 

 जियांग जेमिन का पॉलिटीकल करियर


 जियांग जेमिन को 1989 के तियानमेन स्क्वायर विरोध के बाद चीन के नेतृत्व के लिए चुना गया था। एनवायटी के रिपोर्ट के अनुसार 1993 में सत्ता हासिल करने के बाद करीब एक दशक तक चीन पर कार्यरत थे। जियांग की मृत्यु ऐसे वक्त पर हुई है जब कोविड-19 के लॉकडाउन के चलते चीन के अलग-अलग शहरों में विरोध प्रदर्शन जारी है। जियांग के शासनकाल में तियानमेन स्क्वायर विरोध के बाद चीन में कोई बड़ा प्रदर्शन नहीं हुआ था।  
 

जियांग जेमिन के कार्यों के बारे में


 जियांग हमेशा एक मेहनती राजनेता के रूप में कार्यरत रहे हैं, धीरे-धीरे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में इनकी बदौलत तरक्की हुई उनके नेतृत्व में चीन की अर्थव्यवस्था भी मजबूत हुई और कम्युनिस्ट पार्टी ने सत्ता पर अपनी पकड़ बनाई। इनके शासन के चलते दुनिया के शक्तियों के लिस्ट में चीन ने अपना स्थान बना लिया था। जियांग ने 1997 में हांगकांग के शांतिपूर्ण ट्रांसफर और हस्तांतरण और 2001 में विश्व व्यापार संगठन में चीन के प्रवेश की देखरेख की है। इनके नेतृत्व के चलते देश की अर्थव्यवस्था को वैश्विक समुदाय के साथ जोड़ने में सहायता मिली। बीते कुछ दिनों में शंघाई, बीजिंग एवं वुहान में युवाओं का प्रदर्शन चल रहा है। जहां लॉकडाउन खत्म करने के नारे लगाए जा रहे हैं। कम्युनिस्ट चाइना में हो इस विरोध प्रदर्शन से दुनिया हैरान है, चीन जैसा देश जहां सेंसर प्रतिबंध और पाबंदी वाले इस पड़ोसी देश में सरकार की विरुद्ध जनता का सड़क पर उतरना और आंदोलन करना ऐसे समय में हो रहा है जब चीन के पूर्व राजनेता की मृत्यु हुई है। 
 
 
Biography of Kaka Kalelkar, काका कालेलकर के बायोग्राफी के बारे में जानें विस्तार से
 
 
Biography of Kaka Kalelkar  : भारत को स्वतंत्रता दिलाने में ऐसे बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों का हाथ और योगदान रहा है। जिनमें से एक हैं काका कालेलकर जोकि महात्मा गांधी के अहिंसा वादी विचारधारा को अपनाते हुए अंग्रेज शासकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। ये गांधी जी के प्रमुख अनुयाई में से एक थे, काका कालेलकर लेखक एवं साहित्यकार भी थे, इन्होंने कई भाषाओं में लेख लिखे हैं, इन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था। आइए जानते हैं, इनके द्वारा लिखी गई रचना एवं इनके जीवन के सभी पहलुओं के बारे में जानते हैं विस्तार से, 

काका कालेलकर का प्रारंभिक जीवन 


काका कालेलकर का जन्म 1 दिसंबर 1885 को 17 सतारा महाराष्ट्र में हुआ था। काका कालेलकर का पूरा नाम दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर था, जिन्हें काका कालेलकर, सवाई गुजराती एवं आचार्य कालेलकर के नाम से जाना जाता था। यह एक समाज सुधारक, लेखक, साहित्यकार, कार्यकर्ता एवं पत्रकार थे। स्वतंत्रता सेनानी के रूप में एवं महात्मा गांधी के प्रमुख अनुयाई के रूप में इन्हें प्रसिद्धि मिली थी। काका कालेलकर को हिंदी, अंग्रेजी, बंगला एवं गुजराती और मराठी भाषा का ज्ञान था। काका कालेलकर का निधन 21 अगस्त 1981 में 96 साल की उम्र में हुई थी। 

काका कालेलकर के शिक्षा के बारे में

काका कालेलकर महाराष्ट्र के छोटे से गांव कलेली के मूल निवासी थे, यहीं से इनको उपनाम कालेलकर अपनी प्राथमिक शिक्षा मिली  थी जिसके बाद साल 1903 में इन्होंने अपनी मैट्रिक की परीक्षा पास की साल 1907 में पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से दर्शनशास्त्र बीए की डिग्री पूरी की। इसके बाद कालेलकर ने एलएलबी की परीक्षा भी दी और साल 1908 में बेलगांव में गणेश विद्यालय में एडमिशन लिया था।

 काका कालेलकर के हिमालय यात्रा बारे में

 राष्ट्रवादी मराठी दैनिक के एडिटोरियल स्टाफ के रूप में कार्य किया था। जिसके बाद साल 1910 में बड़ौदा में गंगानाथ विद्यालय में एक स्कूल शिक्षक के रूप में काम किए। कुछ साल बाद ब्रिटिश सरकार ने साल 1912 में अपनी राष्ट्रवादी भावना के चलते विद्यालय को बंद करवा दिया था। विद्यालय बंद होने के बाद  कालेलकर जी पैदल ही हिमालय यात्रा के लिए गए और फिर साल 1913 में इन्होंने बर्मा एवं म्यांमार की यात्रा की जहां उनकी मुलाकात आचार्य कृपलानी से हुई थी।

 गांधी जी से मुलाकात के बारे में 

बर्मा की यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात आचार्य कृपलानी से हुई थी साल 1915 में यह महात्मा गांधी से मिले गांधी जी से मिलने के बाद यह उनके विचारों से अत्यधिक प्रभावित हुए और वे साबरमती आश्रम के सदस्य बने। कालेलकर जी ने साबरमती आश्रम की राष्ट्रीय शाला में पढ़ाया,  कुछ समय के लिए इन्होंने सर्वोदय के संपादक के रूप में काम किया, जिसके बाद कालेलकर जी को प्रोत्साहित किया गया और वह अहमदाबाद में गुजरात विद्यापीठ की स्थापना में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई और साल 1928 में वाइस चांसलर बने, महात्मा गांधी के साथ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कालेलकर जी पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ शामिल हुए थे इस कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा साल। साल 1939 में काका कालेलकर ने गुजरात विद्यापीठ से इस्तीफा ले लिया था।

 कालेलकर जी के महत्वपूर्ण कार्य 

साल 1935 में कालेलकर जी राष्ट्रभाषा समिति के सदस्य बने, इस कमेटी का मुख्य उद्देश्य हिंदी जोकि हिंदुस्तानी भाषा है उसे राष्ट्रीय भाषा के रूप में लोकप्रिय बनाना था।

साल 1948 में गांधी जी की मृत्यु के बाद गांधी स्मारक निधि में अपनी मृत्यु तक जुड़े रहे।

साल 1952 से 1964 तक काका कालेलकर राज्यसभा के सदस्य के रूप में कार्यरत थे।

 साल 1959 में कालेलकर जी गुजराती साहित्य परिषद की अध्यक्षता भी की, इसके बाद साल 1967 में इन्होंने एक वेधशाला गांधी विद्यापीठ की स्थापना की और इसके उपाध्यक्ष के रूप में काम किया।

 महात्मा गांधी जी कालेलकर जी को सवाई गुजराती के नाम से पुकारते थे जिसका अर्थ है एक चौथाई गुजराती दरअसल कालेलकर जी की मातृभाषा मराठी होने के बावजूद भी कालेलकर जी को गुजराती भाषा बहुत अच्छे से आता था जिसके चलते गांधी जी ने उन्हें यह नाम दिया था।

 काका कालेलकर आयोग के बारे में

 29 जनवरी साल 1953 में भारत के संविधान के अनुच्छेद 340 का पालन करते हुए पहले पिछड़े वर्ग आयोग की स्थापना की गई थी। यह उस समय के भारत के राष्ट्रपति के आदेश पर काका कालेलकर की अध्यक्षता में की गई थी। इस पहले पिछड़े वर्ग आयोग को काका कालेलकर आयोग के नाम से भी जाना जाता है।

 काका कालेलकर के कार्यों के बारे में

 काका कालेलकर हिंदी, गुजराती, मराठी एवं अंग्रेजी भाषा में उल्लेखनीय एवं शानदार किताब लिखी है। इसके अलावा कुछ multi-part ग्रंथावली भी इनके द्वारा लिखी गई है।

 उपलब्धियां 

कालेलकर जी को उनके कार्यों के चलते कुछ उपलब्धियां भी मिली है आइए जानते हैं इनके बारे में-

साल 1965 में कालेलकर जी को गुजराती भाषा में लिखे गए जीवन व्यवस्था किताब जो कि गुजराती भाषा में निबंधों का संग्रह है इसके लिए साहित्यिक साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया।

 कालेलकर जी की साहित्यिक उपलब्धियों के लिए साल 1971 में साहित्य अकादमी फेलोशिप भी दी गई।
  भारत सरकार ने 1964 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था।
 साल 1985 में कालेलकर जी के सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट भी जारी की गई थी।

 कालेलकर के मृत्यु के बारे में 

काका कालेलकर की मृत्यु 21 अगस्त 1981 को 96 साल की उम्र में नई दिल्ली के संनिधि आश्रम में हुई थी।                                  
  

G20 Presidency, जी20 की अध्यक्षता संभालेगा भारत, सप्ताह भर जगमगाएगी ये स्थल

 
 
India Will Chair The G20 : भारत 1 दिसंबर साल 2022 से 1 साल की अवधि के लिए भारत जी-20 की अध्यक्षता करने के लिए तैयार है, इस अवसर पर देश भर में फैले यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल समेत केंद्र सरकार संरक्षित स्मारकों को हफ्ते भर के लिए रोशनी से जगमगाया जाएगा। स्मारकों पर लाइट से जी-20 के लोगों को दर्शाया जाएगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई ने यह कहा है कि हाई लेवल के गणमान्य व्यक्तियों एवं प्रतिनिधियों द्वारा विभिन्न केंद्रीय संरक्षित स्मारकों का दौरा किया जाएगा। यह अवसर इन स्मारकों और धरोहर को विश्व के सामने प्रस्तुत एवं उजागर करने के लिए सुनहरा मौका है।
 
सप्ताह भर रौशनी से जगमगाएगी ये स्थल
 
 यूनेस्को की विश्व विरासत लिस्ट में शामिल साइटों में ध्यान रखते हुए संरक्षित स्मारक स्थलों पर योजना तैयार की गई है। केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया गया है कि केंद्रीय संरक्षित स्मारकों को इस लिस्ट में शामिल किया जाएगा, जिन्हें सप्ताह भर के लिए लाइट से रोशन किया जाएगा। न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक दिल्ली में हुमायूं का मकबरा, पुराना किला, गुजरात में सूर्य मंदिर, उड़ीसा में कोणार्क सूर्य मंदिर, बिहार के शेरशाह सूरी का मकबरा स्थलों की सूची में शामिल किया गया है। इसके अलावा भारत में जी20 को लेकर 55 स्थानों पर 200 से अधिक बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें पहले अधिकारियों ने कहा था कि जी20 की पहली बैठक दिसंबर के पहले सप्ताह में उदयपुर में होगी।
 
सूचीबद्ध एएसआई साइटों के बारे में
 
 यूनेस्को के अंतर्गत लिस्ट किए गए एएसआई साइटों के साथ साथ 100 एएसआई साइटों  को 1 हफ्ते के लिए लाइट से जगमग रोशन किया जाएगा। सभी स्मारकों पर जी-20 के लोगो को लाइट से दर्शाया जाएगा, स्मारकों को पर लोगो के आकार, साइट की प्रकृति एवं डिजाइन के उपर डिपेंड करता है। केंद्रीय वरिष्ठ ऑफिसर ने यह कहा है कि ताजमहल, आगरा, किला और फतेहपुर, सिकरी तीनों यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल पर लोगो को साइटों के पास स्थापित एक यूनीपोल पर पेश किया जाएगा।
 
इन स्थलों को रोशनी से जग मगाया जाएगा
 
भारत में कुल 40 संस्कृति और प्राकृतिक स्थल यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल पर अपना जगह बनाया है और अधिकांश सांस्कृतिक स्थल, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई के अंतर्गत है, जिन स्थलों को रोशनी से जगमग किया जाएगा उनमें कोलकाता में मेटकाफ और करेंसी बिल्डिंग, बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर और राजगीर में प्राचीन संरचना एवं अन्य संरचनाए, और सेमारक, गोवा में बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस और चर्च ऑफ लेडी ऑफ टीपू सुल्तान का महल और गोल गुंबज शामिल है, इसके अलावा मध्यप्रदेश के ग्वालियर के किले को भी रोशनी से जगमगाया जाएगा।
 

 
All-Women Bench, जानें महिला पीठ के गठन और सुनवाई के बारे में विस्तार से

 
All-Women Bench : सुप्रीम कोर्ट वैवाहिक विवादों एवं जमानत के केस की सुनवाई करने के लिए बेंच में केवल महिला जजों को बैठाई गई है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इस सुनवाई के लिए जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी के पीठ का गठन किया गया है।
महिला जजों को पीठ में वैवाहिक विवादों एवं जमानत  के हस्तांतरित मामलों की सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में यह तीसरा मौका है जब सिर्फ महिला न्यायधीशों की पीठ  सुनवाई करेंगे, दोनों महिला जजों की पीठ की सुनवाई फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के में जारी है। केवल महिला जजों को इस पीठ के समक्ष 32 मामले के लिस्ट किए गए हैं। जिनकी सुनवाई उन्हें करना है।
 
पहली महिला पीठ के गठन के बारे में
 
सुनवाई की शुरुआती वैवाहिक विवादों के हस्तांतरित मामले से हुई है। इसके बाद मामले जमानत के आ गए हैं, साल 2013 में बनी थी पहली महिला पीठ, इस महिला पीठ का गठन 2013 में किया गया था। जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्र व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की पीठ का गठन किया गया था। जिसके बाद साल 2018 में जस्टिस आर  बानुमति व जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ बनाई गई है। सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान में 3 महिला न्यायाधीस हैं, हिमा कोहली, जस्टिस बीवी नागरत्न और बेला त्रिवेदी शामिल हैं।
 

 
International Lusophone Festival,  लुसोफोन फेस्टिवल क्या है जानें इसके इतिहास और महत्व के बारे में विस्तार से

 
International Lusophone Festival : विदेश मंत्रालय (MEA) भारतीय संस्कृतिक संबंध परिषद और गोवा सरकार के साथ साझेदारी में 3 दिसंबर से 6 दिसंबर तक गोवा में अंतरराष्ट्रीय लुसोफोन महोत्सव का आयोजन होगा। इस आयोजन समारोह का उद्घाटन गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत राजभवन के दरबार हॉल में करेंगे। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी जी होंगी।

 
लुसोफोन कौन हैं?

 
आकाशवाणी के संवाददाता ने लुसोफोन को लेकर एक रिपोर्ट दी है जिसमें यह बताया गाया था कि लुसोफोन वे लोग हैं जो मूल निवासी या सामान्य दूसरी भाषा के रूप में पुर्तगाली भाषा बोलते हैं। यह फेस्टिवल भारत को लुसोफोन की दुनिया से जोड़ने का प्रयास करेगा। गोवा का लूसोफोन की दुनिया के साथ सदियों से ऐतिहासिक संबंध रहा है। जिसका पोषण ओरिएंट फाउंडेशन और कैमोस इंस्टिट्यूट जैसे पुर्तगाली कल्चर ऑर्गेनाइजेशन की उपस्थिति के माध्यम से किया गया है। भारत में पुर्तगाली भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए  इस फेस्टिवल का आयोजन किया गया है। इसमें सीपीएलपी सदस्य देशों के साथ  भारत के आर्थिक, सांस्कृतिक सहयोग और लोगों के बीच संबंधों को घनिष्ठ किया है।

अंतरराष्ट्रीय लुसोफोन महोत्सव का इतिहास क्या है 

पुर्तगाली भाषा देशों का समुदाय जिसे लुसोफोन के नाम से भी जाना जाता है, जो कि एक बहुपक्षीय मंच है जिसकी स्थापना 17 जुलाई 1996 को लिस्बन राज्य सरकार के पहले CPLP प्रमुखों के सम्मेलन में हुई थी। गोवा का लुसोफोन की दुनिया के साथ बहुत पुरान संबंध रहा है,  इसका पोषण औरिएंट फाउंडेशन और कैमोस  इंस्टिट्यूट संस्थाओं की उपस्थिति के माध्यम से किया गया है  भारत में पुर्तगाली भाषा एवं संस्कृति को बढ़ावा देते हैं, इस त्यौहार में कलाकारों और स्वयं सेवकों के लिए संगीत पर वर्कशॉप, गोवा की अनूठी वास्तुकला के हस्तशिल्प एवं गोवा के फर्नीचर को लेकर विभिन्न वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगें। जिसमें लुसोफोन फूड और स्पिरिट्स फेस्टिवल भारत और लुसोफोन की दुनिया के बीच संबंधों को भी प्रेसेंट किया जाएगा।
 

इस लेख के प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न

 
गोवा की राजधानी क्या है?
पणजी।
 
गोवा के मुख्यमंत्री का क्या नाम है?
प्रमोद सावंत।
 
गोवा के राज्यपाल का क्या नाम है?
एस श्री पिल्लई।
 

 
Digital E-Rupee Pilot Project : डिजिटल रुपये का पयलेट प्रोजेक्ट क्या है जानें विस्तार से

 
Digital E-Rupee Pilot Project, भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 1 दिसंबर साल 2022 रिटेल डिजिटल रुपये का पायलेट प्रोजेक्ट लांच कर दिया है। रिजर्व बैंक इस डिजिटल करेंसी को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी सीबीडीसी का नाम दिया है। करेंसी को डिजिटल बनाने एवं कैशलेस पेमेंट के गति को बढ़ाने के लिए केंद्रीय बैंक ने यह तरीका अपनाया है। इस पायलट प्रोजेक्ट को लेकर बहुत से सवाल उठते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं, क्या पेमेंट का यह नया तरीका यूपीआई और मोबाइल वायलेट वॉलेट जैसे पेटीएम, गूगल पे, फोन पे  का  डायरेक्ट कंपीटीटर होगा? आइए जानते हैं कि एक्सपर्ट्स डिजिटल करेंसी को लेकर क्या कह रहे हैं।

 
 पेटीएम और गूगल पे से कितना अलग है डिजिटल करेंसी

 
बिजनेस टुडे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक एक्सपर्ट का कहना है कि डिजिटल रुपए का मुकाबला मोबाइल वॉलेट जैसे पेटीएम एवं गूगल पर से नहीं होगा। यह डिजिटल पेमेंट का एक नया तरीका है जिसके तहत आप बैंक से एक बार डिजिटल रुपया खरीदना होगा, उसके बाद आप इससे वॉलेट में लेनदेन कर सकेंगे। इंफीबीम एवेन्यूज लिमिटेड के निदेशक एवं पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया चेयरमैन विश्वास पटेल ने यह कहा है कि यह एक ब्लॉकचेन बेस्ड डिजिटल टोकन फॉर्म करेंसी है। रिटेल डिजिटल करेंसी में आपको बिना किसी बैंक को शामिल किए बिना ही लेन - देन करने में सक्षम होंगे। जैसे कि फिजिकल करेंसी में होता है लेकिन डिजिटल करेंसी से काफी अलग है, जिसमें आपके बैंक खाते से पैसा डेबिट होता है। रिटेल डिजिटल रुपया रिजर्व बैंक द्वारा लीगल टेंडर इस पायलट प्रोजेक्ट में शामिल होंगे।
 
अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद
 
 रिजर्व बैंक ने डिजिटल करेंसी को दो कैटेगरी में बांटा है पहला सीबीडीसी-W  और सीबडीसी-R, सीबीडीसी-W का अर्थ है होलसेल का अर्थ है होलसेल करेंसी, और सीबडीसी-R का अर्थ है रिटेल करेंसी, डिजिटल रुपये का लेनदेन पर्सन से पर्सन किया जा सकता है। भारत की अर्थव्यवस्था को डिजिटल रूप में  डेवलप करने की दिशा में आरबीआई ने इस कदम को महत्वपूर्ण मानते हुए उठाया है। इस पायलट प्रोजेक्ट में भाग लेने के लिए आठ बैंकों की पहचान की गई।
 
 पहले चरण में इन बैंक और शहर
 
इस प्रोजेक्ट के पहले चरण में देश भर के 4 शहरों में एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के माध्यम से होगी। जिसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, इस प्रोजेक्ट में शामिल होंगे। नई दिल्ली, बेंगलुरु, धीरे धीरे अहमदाबाद, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना एवं शिमला जैसे शहरों में इसका विस्तार होगा।


 
EasyJet, Rolls-Royce Test, दुनिया का पहला हाइड्रोजन-रन विमान इंजन का सफल परीक्षण किया गया

 
EasyJet, Rolls-Royce Test : एयरलाइन एजेंट ईजीजेट और विमान इंजन निर्माता rolls-royce ने इस बात की घोषणा की है कि वह हाइड्रोजन संचालित विमानन इंजन का सफलतापूर्वक टेस्ट कर लिया है, जिसे विमानन के लिए दुनिया का पहला इंजन बताया जा रहा है। इस महीने की शुरुआत में जमीन पर किए गए इस टेस्ट में हाइड्रोजन पर आधुनिक एयरो इंजन के दुनिया के पहले रन के साथ एक नया विमानन मील का पत्थर स्थापित किया है।
 

EasyJet, रोल्स रॉयल द्वारा टेस्ट किया गया दुनिया का पहला हाइड्रोजन रन विमान इंजन से जुड़े मुख्य बिंदु

 
1.कंपनी ने एक टर्बोप्रॉप फैन इंजन का टेस्ट किया है, जिसके उपयोग छोटे क्षेत्रीय उड़ानों के विमानों के लिए किया जाता है।
2. टेस्ट के लिए ग्रीन हाइड्रोजन स्कॉटलैंड के ऑर्कनी द्वीप समूह से ज्वारीय और वाइन एनर्जी का उपयोग करके उत्पन्न किया गया था। 3.rolls-royce अंततः  पर्ल 15 जेट इंजन का पूरा पैमाने पर जमीनी टेस्ट करने की उम्मीद जताई जा रही है।
4. ब्रिटेन के व्यापार एवं ऊर्जा मंत्री ने कहा है कि ये एक सच्ची ब्रिटिश सफलता की कहानी है और इसका एक उदाहरण है कि कैसे उन्होंने देशभर में नौकरियों को चलाते हुए विमानन को स्वच्छ बनाने के लिए एक साथ कार्य किया है।
5.एनर्जी का उपयोग करके पानी एवं ग्रीन हाइड्रोजन को अनलॉक करने में सहायता के लिए बड़े निवेश की आवश्यकता को पहचानना है।
6.हाइड्रोजन की तुलना में अधिक उपलब्ध है। हालांकि पर्यावरण पर्यावरण विभाग द्वारा इस विरोध इसका विरोध किया जाता है क्योंकि यह वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड जारी करने वाले संस्करण में उत्पन्न होता है।
 

 
Indian Navy Day, भारतीय नौसेना दिवस कब और क्यों मनाया जाता है, जानें नौसेना ताकत के बारे में

 
 Indian Navy Day : देश की सुरक्षा एवं रक्षा करने वाले भारतीय नौसेना के योगदान और कार्यों को सम्मानित करने के लिए हर साल 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस मनाया जाता है। 4 दिसंबर के दिन नौसेना के शूरवीरों  के शौर्य और बलिदान को याद किया जाता है। नेवी डे 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय नौसेना की जीत के जश्न के रूप में मनाया जाता है। पाकिस्तानी सेना द्वारा 3 दिसंबर को हवाई क्षेत्र और सीमावर्ती क्षेत्रों में हमला किया गया था, इसी हमले से 1971 की युद्ध की शुरुआत हुई थी, तब पाकिस्तान को भारत ने मुंहतोड़ जवाब देने के लिए ऑपरेशन ट्राइडेंट चलाया था। यह महाअभियान पाकिस्तानी नौसेना के कराची स्थित मुख्यालय को निशाना साधते हुए शुरू किया गया था। भारतीय नौसेना की योजनाबद्ध तरीके से एक मिसाइल एवं 2 युद्धपोत की एक आक्रमणकारी समूह के साथ कराची तट पर पाकिस्तानी जहाजों के समूह पर हमला किया था। इस युद्ध में पहली बार जहाज पर मार करने वाली एंटी शिप मिसाइल का उपयोग करके हमला किया गया था। इस भयंकर हमले में पाकिस्तान के कई जहाज नेस्तनाबूद और नष्ट हुए थे। इस दौरान पाकिस्तान के कई ऑयल टैंकर भी तबाह हुआ था।
 
 
 नौसेना दिवस 4 दिसंबर को क्यों मनाई जाती है
 
1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में जीत हासिल करने वाली भारतीय नौसेना की शक्ति बहादुरी और योगदान को सम्मानित करने के लिए पूरे देश में मनाया जाता है। ऑपरेशन 4 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कराची के नौसैनिक अड्डे पर हमला किया था, इस ऑपरेशन की सफलता को ध्यान में रखते हुए देश में हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है।
 
 भारतीय नौसेना का इतिहास क्या है
 
भारतीय नौसेना का एक महत्वपूर्ण शक्तिशाली एवं सामुद्रिक अंग है, जिसकी स्थापना 1612 में हुई थी। नौसेना के इतिहास की बात करें तो अखंड भारत में राज करने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने जहाजों की सुरक्षा के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी मैरीन के रूप में एक छोटी सी सेना निर्माण की थी, जिसके बाद इसे रॉयल इंडियन नौसेना का नाम इसे दिया गया। बाद में भारत की आजादी के बाद साल 1950 में नौसेना का एक बार फिर इस नौसेना का गठन हुआ जिसे भारतीय नौसेना का नाम दिया गया।
 
 
 भारतीय नौसेना के इतिहास के नाम एवं इसकी ताकत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
 
 भारतीय नौसेना भारत की सशस्त्र सेना की एक समुद्री शाखा है
 
नौसेना का नेतृत्व नौसेना के कमांडर इन चीफ के रूप में भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
 
 17 वीं शताब्दी के मराठा साम्राज्य सम्राट छत्रपति शिवाजी भोसले को भारतीय नौसेना के जनक के रूप में जाना जाता है।
 
भारतीय नौसेना के मुंबई स्थित मुख्यालय में हर साल नेवी डे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
 
नौसैनिकों को सम्मानित किया जाता है नौसेना दिवस के दिन अपनी इस खेल का प्रदर्शन  इंडियन नेवी के मुंबई स्थित मुख्यालय में हर साल नौसेना दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
 
इस दिन नौसेना बल अपनी शौर्य एवं स्किल का प्रदर्शन करते हैं, नौसेना दिवस के दिन गेटवे ऑफ इंडिया बीटिंग राट्रीट सेरेमनी का आयोजन भी किया जाता है।
 
 भारतीय नौसेना की ओर से किए गए ऑपरेशन ट्राइडेंट हमले में 3 विद्युत क्लास मिसाइल बोट, 2 एंट्री सबमरीन एवं एक टैंकर शामिल हुआ था।
 
 भारतीय नौसेना की स्थापना साल 1612 में हुई थी। साल 1892 में इसका नाम रॉयल इंडियन मरीन रखा गया।
 
 भारत की आजादी के बाद 1950 में नौसेना का गठन दोबारा हुआ और इसका नाम भारतीय नौसेना रखा गया।
 

 भारतीय नौसेना की ताकत क्या है

 
विश्व रैंकिंग में भारतीय नौसेना चौथे नंबर पर है।
 
भारतीय नौसेना के पास कुल 285 जहाज है।
भारतीय नौसेना के पास एक एयरक्राफ्ट कैरियर, 13 फ्राइगेट्स कैरियर, 10 विध्वंसक, 19 कोर्वेट्स, 16 सबमरींस की संख्या, निगरानी जहाजों की संख्या 139,  3 माइन वार फेयर हैं।
 
 E-Rupee के क्या फायदे हैं
 
डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए डिजिटल रुपये मददगार साबित होगा, लोगों को जेब में पैसे लेकर घूमने की आवश्यकता नहीं होगी। मोबाइल वॉलेट की तरह इससे भी पेमेंट कर सकते हैं। रुपया को बैंक में आसानी से कन्वर्ट कर सकते हैं।  विदेशों में पैसे भेजने की लागत में कमी आएगी। E-Rupee बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी काम करती है। ई-रुपए की वैल्यू मौजूदा करेंसी के बराबर होगी।
 
डिजिटल ई-रुपया के नुकसान क्या हैं?
 
 रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया आरबीआई की डिजिटल करेंसी रुपए के नुकसान के बारे में बताएं तो इससे पैसे के लेनदेन से संबंधित प्राइवेसी लगभग खत्म हो जाएगी। आमतौर पर केस में लेनदेन करने पर पहचान गुप्त होता है, लेकिन डिजिटल ट्रांजैक्शन होने पर लोग सरकार की  निगरानी और नजर होगी। इसके अलावा ई रुपया पर किसी प्रकार का ब्याज भी नहीं मिलेगा। आरबीआई डिजिटल रुपया पर ब्याज देगा तो करेंसी मार्केट में स्थिरता ला सकती है। जिसके कारण लोग अपने सेविंग अकाउंट से पैसे निकालकर डिजिटल करेंसी में पैसे को कन्वर्ट करना शुरू कर देंगे।
 
E-Rupee लाने का क्या उद्देश्य है
 
सीबीडीसी केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए गए मुद्रा नोटों के एक डिजिटल रूप है, साल 2022 के बजट के दौरान निर्मला सीतारमण ने कहा था कि ब्लॉकचेन पर आधारित यह डिजिटल रुपया पेश किया जाएगा। बीते कुछ दिनों में केंद्रीय बैंक की ओर से कहा गया था कि आरबीआई डिजिटल रुपया का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा रूप को बदलने के बजाय डिजिटल करेंसी को उनका पूरक बनाना है और उपयोगकर्ताओं को पेमेंट के लिए एक्स्ट्रा ऑप्शन देना है ।
 
04-12-2022

 
 65th Foundation Day of DRI ,राजस्व खुफिया निदेशालय के 65 वां स्थापना दिवस के बारे में विस्तार से

 
65th Foundation Day of DRI  : राजस्व खुफिया निदेशालय डीआरआई इस साल 5 और 6 दिसंबर 7 2022 को अपना 65 वां स्थापना दिवस मनाने वाला है। केंद्रीय वित्त एवं कारपोरेट मामलों के मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी के साथ दो दिवसीय इस कार्यक्रम का उद्घाटन 5 दिसंबर को किया जाएगा। डीआरआई भारत सरकार के अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड सीबीएसई के तत्वाधान में तस्करी विरोधी केस पर प्रमुख खुफिया एवं प्रवर्तन एजेंसी है।
 
 
डीआरआई क्या है
 
यह पहली बार 4 दिसंबर 1957 को अस्तित्व में आया था। नई दिल्ली में अपने मुख्यालय के साथ डीआरआई में 12 क्षेत्रीय यूनिट और 35 उप क्षेत्रीय यूनिट है जिनमें लगभग 80 अधिकारियों की कार्य क्षमता, 6 दशकों से अधिक समय से डीआरआई भारत एवं विदेशों में अपनी उपस्थिति के साथ मादक पदार्थों एवं प्रभावी पदार्थों, सोना, हीरे कीमती धातुओं, वन्यजीव, वस्तुओं, सिगरेट, हथियारों गोला बारूद एवं तस्करी के मामले को रोकने एवं उनका पता लगाने के लिए जनादेश को पूरा कर रहा है। विस्फोटक नकली करेंसी नोट, विदेशी मुद्रा  स्कोमेट आइटम खतरनाक एवं पर्यावरण की दृष्टि से प्राचीन वस्तुएं और संगठित अपराध समूह के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही करना है। डीआरआई वाणिज्य धोखाधड़ी और सीमा शुल्क चोरी का भी पता लगाना है,
 
डीआरआई के कार्य के बारे में
 
 डीआरआई विभिन्न देशों के साथ हस्ताक्षरित सीमा शुल्क पारस्परिक सहायता समझौते के तहत अंतर्राष्ट्रीय सीमा शुल्क सहयोग में अभी सबसे आगे रहा है। जहां सूचना विनिमय एवं सीमा शुल्क प्रशासन की सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखने पर जोर दिया जाता है, डीआरआई अपने स्थापना दिवस के अवसर पर क्षेत्रीय सीमा शुल्क प्रवर्तन बैठक आयोजित करने के अवसर लेता है ताकि परिवर्तन संबंधी मुद्दों के लिए भागीदारी सीमा शुल्क ऑर्गनाइजेशन एवं विश्व सीमा शुल्क ऑर्गनाइजेशन इंटरपोल जैसे इंटरनेशनल एजेंसी प्रभावी रूप से जुड़ सके। इस साल सीमा शुल्क संगठनों एवं अपराध पर संयुक्त राष्ट्र एवं क्षेत्रीय संपर्क कार्यालय एशिया प्रशांत जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ एशिया प्रशांत क्षेत्र को कवर करने वाले 22 सीमा शुल्क प्रशासन को शामिल किया गया है।
 
कार्यक्रम के बारे में

 
इस अवसर पर केंद्रीय वित्त एवं कारपोरेट मामलों के मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा स्मगलिंग इन इंडिया रिपोर्ट साल 2021-22 का वर्तमान एडिशन जारी किया जाएगा। यह रिपोर्ट तस्करी विरोधी एवं वाणिज्य धोखाधड़ी के क्षेत्र में रुझानों और पिछले महीने में डीआरआई के प्रदर्शन और अनुभव को एक साथ लाती है। डीआरआई दिवस अतीत की उपलब्धियों को सम्मानित करने एवं पहचानने के लिए 1 दिन के रूप में मनाया जाता है। सीबीआईसी डीआरआई के युवा अधिकारियों के लिए प्रेरणा का दिन है और क्षेत्रीय देशों के कस्टम प्रशासन और महत्वपूर्ण क्षेत्रीय प्रशासन के साथ बातचीत और विचार विमर्श करने का अवसर प्रदान करता है। व्यापार भागीदार इस प्रकार इस क्षेत्र में सीमा शुल्क संबंधी मामलों में भारत की भूमिका को मजबूत करते हैं।
 

 
PLI Scheme Guidelines, पीएलआई योजना के नए  दिशानिर्देश क्या हैं



PLI Scheme Guidelines : उत्पादन आधारित प्रोत्साहन पीएलआई योजना के प्रभावी संचालन एवं सुचारु कार्यान्वयन के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने परिचालन दिशानिर्देशों को तैयार एवं अधिसूचित कर दिया है। सभी हितधारकों एवं जनता की जानकारी के लिए 29 नवंबर साल 2022 को नई दिशा निर्देश को जारी किया गया है। इस नए दिशानिर्देश में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित बातें भी शामिल की गई है जैसे-
 
1.परिभाषा
2.योग्यता एवं पात्रता
3.आवेदन और ऑनलाइन पोर्टल
4.प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, एजेंसी
5.सचिवों का अधिकार प्राप्त समूह और सक्षम प्राधिकारी
 

नए दिशा-निर्देशों के बारे में

 
देश को आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत अनुसंधान एवं विकास टेस्टिंग निर्माण और ड्रोन के संचालन के लिए एक वैश्विक बनाने के लिए उदार कृत्रिम नियम साल 2021 जारी किए गए, ताकि ड्रोन के लिए विकास उन्मुख नियामक ढांचा तैयार किया जा सके आगे और डेवलपमेंट को सरल बनाने के लिए सरकार ने भारत में ड्रोन एवं ड्रोन के पूर्वजों के उत्पादन के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन पीएलआई योजना को मंजूरी दी है और के लिए योजना को भारत के राजपत्र में अधिसूचित संख्या सीजीडीएल-ई 300 92021230076 दिनांक 30  सितंबर 2021 द्वारा अधिसूचित किया गया है। यह योजना गजट अधिसूचना की तारीख से प्रभावी हो गई है। साल 2022 से 2025 के दौरान इस योजना के क्रियान्वयन के लिए 120 करोड़ की राशि आवंटित की गई है।
 

 
World Soil Day, मिट्टी दिवस कब और क्यों मनाया जाता है, जाने इतिहास और महत्व


World Soil Day 2022 : जैसे हवा पानी आकाश के बिना संभव नहीं है वैसे ही मिट्टी के बगैर अपनी जिंदगी की कल्पना नहीं कर सकते हैं। मिट्टी का हमारे जीवन में उतना ही महत्व है जितना अन्य चीजों का है, भारत जैसे देश में में मिट्टी का सर्वाधिक महत्व ,है क्योंकि देश के 80% लोग कृषि उत्पादों पर निर्भर करते हैं और बिना मिट्टी के कृषि असंभव है। भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की यही स्थिति है लेकिन कंक्रीट के बस्ते जंगल के चलते हम अपनी मिट्टी की मूल खुशबू  और असतित्व से दूर हो रहे हैं। इस समस्या के चिंतन समाधान एवं इसके बचाव के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 5 दिसंबर को मिट्टी दिवस मनाया जाता है।


 क्यों मनाया जाता है मिट्टी दिवस 


पिछले कई दशकों से भारत ही नहीं दुनियाभर में डेवलपमेंट के नाम पर अंधाधुंध पेड़ की कटाई हो रही है, जंगल की सफाई हो रही है, जिसके चलते मिट्टी लगातार कमजोर हो रही है और बाढ़ एवं बरसात के चलते लगातार मिट्टी बह जा रही है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के चलते वायुमंडल में पेड़ की कमी हो रही है। जिसके चलते मिट्टी भी अब बह जा रही है, इसी मिट्टी के संरक्षण के लिए हर साल यह दिन मनाया जाता है।

 मृदा दिवस का इतिहास क्या है 


20 दिसंबर 2023 को सम्मेलन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के आठवें सत्र में 5 दिसंबर को मिट्टी दिवस मनाने के लिए आधिकारिक रूप से घोषणा की थी, यद्यपि अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक संघ ने साल 2002 में भी इस दिन को मनाने की मांग की थी लेकिन तब इस पर इतनी गंभीरता से विचार नहीं किया गया था। 5 दिसंबर 2014 को विश्व स्तर पर पहली बार मिट्टी दिवस मनाया गया था। साल 2015 को   संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में घोषित किया था। तब से लेकर अब तक मिट्टी दिवस मनाया जाता है। थाईलैंड के महाराजा अध्यादेश ने अपने कार्यकाल के दौरान मिट्टी के स्वस्थ एवं उपजाऊ मिट्टी के संरक्षण के लिए बहुत से कार्य किए थे। उनके इसी योगदान को सम्मानित करने के लिए उनके जन्म दिवस के अवसर पर यानी 5 दिवस को मिट्टी दिवस के रूप में समर्पित कर मनाया जाता है। 

 कैसे मनाया जाता है मिट्टी दिवस 


मिट्टी दिवस के अवसर पर फूड एवं एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन द्वारा व्यापक रूप से मिट्टी के संरक्षण के लिए थीम के साथ इस दिन को मनाया जाता है। इस दिवस के अवसर पर देश-विदेश में मिट्टी के महत्व एवं इसके संरक्षण के बारे में लोगों को जागरूक की जाती है और साथ ही तरह-तरह के ज्ञानवर्धक कार्यक्रम, डिबेट और कंपटीशन का आयोजन किया जाता है। 
 

International Volunteer Day, अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस का इतिहास और महत्व क्या है
 

 
International Volunteer Day : हर साल विश्व स्तर में 5 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस यानी इंटरनेशनल वॉलिंटियर डे मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय वॉलिंटियर दिवस जिसे इंटरनेशनल वॉलिंटियर डे फॉर इकोनामिक एंड सोशल डेवलपमेंट यानी आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस के रूप में जाना जाता है। यह 5 दिसंबर को मनाया जाता है।

 
अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस कब से मनाया जा रहा है

 
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 17 सितंबर 1985 के प्रस्ताव को पारित किया था कि 5 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय वालंटियर दिवस मनाया जाएगा। यह दिवस स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सभी स्तर पर परिवर्तन करने में लोगों की भागीदारी को सम्मानित करने के लिए एक वैश्विक स्तर उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। इस अवसर पर जन जागरूकता बढ़ाने के लिए कॉन्फ्रेंस, सेमिनार प्रदर्शन या स्वच्छता अभियान मॉर्निंग टी (चाय) जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह अवसर सामुदायिक स्तर पर स्वयं सेवकों की बढ़ती संख्या को और भागीदारी को रेखांकित करने के लिए मनाया जाता है।
 
 राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस का थीम क्या है
 
 हर साल राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस एक थीम के साथ मनाया जाता है। साल 2022 में अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस का थीम विश्व की स्वयं सेवा की स्थिति (स्टेट ऑफ द वर्ल्ड वोलंटीयरिज्म) रखा गया है। इसके पहले साल 2021 में अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस का थीम हमारे साझा भविष्य के लिए अब स्वयंसेवक यानी वॉलिंटियर फॉर अवर फ्यूचर रखा गया था।
 
 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में
 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, आरएसएस के रूप में भारत का एक दक्षिणपंथी, हिंदू, राष्ट्रवादी, अर्धसैनिक संवेदन स्वयंसेवक संगठन है, जो भारत के सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी का व्यापक रूप से ऑर्गनाइजेशन माना जाता है। यह स्वयंसेवक संघ की अपेक्षा संघ या आर.एस.एस के नाम से प्रसिद्ध है, बीबीसी के मुताबिक  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है।
 
 
 
 

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