Weekly Current Affair : 5 September से 12 September तक के करंट अफेयर यहां पढ़े।

safalta expert Published by: Chanchal Singh Updated Mon, 12 Sep 2022 11:40 AM IST

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Weekly current affair : अगर आप भी किसी प्रकार के प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो आपके लिए यह लेख बहुत ही महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इसमें हम आज आपके लिए लाए हैं राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर के करंट अफेयर। जो कि आपके प्रतियोगी परीक्षा के लिए लाभदायक हो सकता है। इस लेख का एक मात्र उद्देश्य यह है कि इस लेख से ज्यादा से ज्यादा प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे छात्रों की सहायता करना है। वीकली करंट अफेयर के विषय में पढ़ने के लिए नीचे स्क्रोल कीजिए। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं   FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here
 
World Charity Day 2022  ,विश्व दान दिवस क्यों मनाया जाता है, जाने इसके इतिहास और महत्व के बारे में
 
World Charity Day 2022  : कहा जाता है कि दान से बड़ा कोई धर्म नहीं है।

Source: Safalta

दान वह खुशी है जो इंसान एक दूसरे से बांटता है। अर्थात अगर आप किसी को दान देते हैं तो आपके अलावा दान पाने वाला व्यक्ति भी खुश होता है।  लोगों के बीच दान के महत्व को समझाने के उद्देश्य से हर साल दुनिया भर में 5 सितंबर को इंटरनेशनल चैरिटी डे अर्थात अंतरराष्ट्रीय दान दिवस मनाया जाता है। हर साल 5 सितंबर को मदर टेरेसा की पुण्यतिथि के अवसर पर इस दिन को मनाया जाता है। उन्होंने विश्व भर में समाज से गरीबी लाचारी और जरूरतमंदों की सहायता करने के लिए अपना पूरा जीवन निस्वार्थ भाव से काम किया है। उनके सम्मान में और याद में इस दिन को मनाया जाता है। जिसकी शुरुआत यूनाइटेड नेशन यानी संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2012 में किया था।
 
 इंटरनेशनल चैरिटी डे की शुरुआत कैसे हुई थी
 
 भारत में दान की परंपरा पुराने समय से रही है। दान के लिए राजा बलि ने अपना सर्वस्व निछावर कर दिया था। इसके लिए आज तक कोई खास दिन नहीं बनाया गया था। लेकिन साल 2012 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र ने 5 सितंबर को विश्व दान दिवस घोषित किया था जिसके बाद सभी देशों ने इसे स्वीकारा था।  
 
इंटरनेशनल डे का क्या लाभ है
 
 यह दान के प्रति जागरूकता को बढ़ाने के लिए विश्व स्तर पर होने वाले प्रोग्राम के लिए एक शानदार मंच बनाता है और यह बताता है कि लोगों को अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी से थोड़ा वक्त निकाल कर जरूरतमंदों की सहायता करनी चाहिए ताकि उनका जीवन भी सुधर सके।
 
इंटरनेशनल डे कैसे मनाया जाता है
 
संयुक्त राष्ट्र विभिन्न संगठनों और दुनिया भर के लोगों से यह अपील करता है कि वह भी दान में अपना योगदान देकर इंटरनेशनल टी डे को बनाने के मकसद को सफल बनाएं। साथ ही लोगों के बीच के महत्व को समझाया जाता है और लोगों को दान करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
 
 
मदर टेरेसा कौन हैं जिनकी याद में दान दिवस बनाया गया है
 मदर टेरेसा एक रोमन कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने 1948 में भारत की नागरिकता प्राप्त की और 1950 में कोलकाता में मिश्नरी की स्थापना की। कोलकाता भारत में रहकर बीमार, अनाथ और गरीब परिवार की सहायता के कारण इन्हें रोमन कैोलिक चर्च द्वारा कलकत्ता की संत टेरेसा के नाम से नवाजा गया था।1979 को इन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से और 1980 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। 5 सितंबर 1957 को दिल का दौरा पड़ने से इनका निधन हो गया था।
 
Liz Truss is Britain's new Prime Minister,लिज ट्रस कौन हैं जिन्हें ब्रिटेन का नया प्रधानमंत्री बनाया गया है 

Liz Truss is Britain's new Prime Minister : आज 5 सितंबर 2022 को ब्रिटेन को अपना नया प्रधानमंत्री मिल गया है। लिज ट्रस को ब्रिटेन का नया प्रधानमंत्री बनाया जाएगा। लिज ट्रस ने इस चुनाव के दौरान भारतीय मूल के ऋषि सुनक को हरा दिया है। आपको बता दें कि पहले पांच राउंड के मुकाबले में ऋषि सुनक को भारी बहुमत मिली थी लेकिन कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों की अंतिम वोटिंग के बाद लिज ने जीत अपने नाम कर लिया।
 जाने कौन है लिज ट्रस ?

लिज ट्रस की लाइफ काफी इंटरेस्टिंग है लिज ट्रस इस वक्त ब्रिटेन की विदेशी मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। सरकारी स्कूल में पढ़ी 47 साल की लिज के पिता गणित विषय के प्रोफेसर और मां एक नर्स थी। इनका परिवार लेबर पार्टी समर्थक था। लिज ट्रस ने फिलॉसफी, पॉलीटिकल, इकोनामिक की पढ़ाई की है। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए अकाउंटेंट के रूप में काम किया है। जिसके बाद वह राजनीति में अपना कदम रखी थी।
लिज ट्रस का राजनैतिक सफर कैसा था?

लिज ट्रस ने। सबसे पहले चुनाव पार्षद के लिए जीता था इनका परिवार लेबर पार्टी का समर्थन करता था। लेकिन लिज ट्रस को कंजरवेटिव पार्टी की विचारधारा अधिक पसंद आई थी और इन्हें राइट विंग का पक्का समर्थन कहा जाता है। 2010 में पहली बार संसद के लिए लिज ट्रस को चुना गया। लिज ट्रस शुरुआत में यूरोपियन यूनियन से अलग होने के खिलाफ थी लेकिन बाद में  ब्रेग्जिट के हीरो बनकर उभरे बोरिस जॉनसन के समर्थन करने लगी। लिज ट्रस की तुलना अक्सर पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर से किया जाता है।
 
GK Q&A related to Teachers Day,शिक्षक दिवस और डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न उत्त
GK Q&A related to Teachers Day : हर साल 5 सितंबर को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस को सम्मानित करने के लिए देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। डॉ राधाकृष्णन ने अपने जीवन काल तक शिक्षक के तौर पर काम करते रहे हैं। उन्होंने कई विश्वविद्यालयों में शिक्षक के रूप में कार्य किया है और उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए हर साल देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। डॉ राधाकृष्णन देश के दूसरे राष्ट्रपति होने के साथ-साथ देश के महान नागरिक थे जो शिक्षा के क्षेत्र में देश को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर कार्य करते रहें। आज हम इस लेख में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन से जुड़े और शिक्षक दिवस से जुड़े कुछ प्रश्न और उत्तर लेकर आए हैं जो प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

1. भारत में शिक्षक दिवस कब मनाया जाता है ?
उत्तर- 5 सितंबर।

2. भारत में शिक्षक दिवस कब से मनाया जा रहा है?
उत्तर- 1962।

3. शिक्षक दिवस की शुरुआत कैसे हुई?
उत्तर- डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के उपलक्ष में भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

4. डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था?
उत्तर-  भारत का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया ।

5.यह कथन किसका है शिक्षण एक पेशा नहीं जीवन का एक तरीका है?
उत्तर- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था शिक्षण एक पेशा नहीं जीवन का एक तरीका है ।

6.डॉक्टर राधाकृष्ण भारत के राष्ट्रपति कब बने ?
उत्तर-1962 ।

7.विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग का गठन किस साल किया गया था ?
उत्तर-1948।

8.1931 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन किस विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त किए गए थे?
उत्तर-आंध्र विश्वविद्यालय ।

9.भगवान श्री कृष्ण के गुरु कौन थे ?
उत्तर-संदीपनी जी।

10.भगवान श्री राम के गुरु कौन थे?
उत्तर- ऋषि वशिष्ठ।

11. राधा कृष्ण ने किस विषय में स्नातकोत्तर किया था ?
उत्तर-दर्शनशास्त्र।

12. डॉक्टर राधाकृष्णन की मृत्यु कब और कहां हुई थी?
उत्तर- 17 अप्रैल 1975 चेन्नई में ।

13.डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के उपराष्ट्रपति के रूप में कब से कब तक काम किए थे?
उत्तर- 13 मई 1952 से 13 मई 1965 तक ।

14.डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के कौन से राष्ट्रपति थे ?
भारत के दूसरे राष्ट्रपति। 

15. शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?
उत्तर- शिक्षकों के सम्मान के लिए हर साल भारत  में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
 
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September  Month Current affair

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Historical facts related to 5 September,जाने 5 सितंबर से जुड़े ऐतिहासिक तथ्य के बारे में विस्तार

Historical facts related to 5 September :  तमिलनाडु में 5 सितंबर 1888 को पैदा हुए डॉक्टर राधा कृष्ण जो भारत के दूसरे राष्ट्रपति एवं भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद और एक महान दार्शनिक थे उनके जन्मदिवस को सम्मानित करने के लिए ही शिक्षक दिवस मनाया जाता है। लेकिन शिक्षक दिवस के अलावा 5 सितंबर का इतिहास में कुछ और है इसके साथ ही इस दिन कई और महत्वपूर्ण घटना घटी हुई है।
 
आइए जानते हैं कि 5 सितंबर में कौन-कौन सी महत्वपूर्ण घटन

 5 सितंबर  1698 को इंग्लैंड में एक प्रतिद्वंदी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की गई थी।
 5 सितंबर 1763 को मीर कासिम को राजमहल के निकट में ब्रिटिश सैनिकों के खिलाफ युद्ध में हार माननी पड़ी थी।
 5 सितंबर  1914 को ब्रिटेन, फ्रांस और रूस के बीच समझौता हुआ था।
 5 सितंबर 1986 आतंकवादियों द्वारा भारतीय विमान के यात्रियों को बचाने के लिए फ्लाइट अटेंडेंट नीरजा भनोट ने अपनी जान दी थी। 
5 सितंबर 1991 को नेल्सन मंडेला अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुने गए थे।
 5 सितंबर 2009 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज शेयर बाजार ने दस कारोबार को बैन किया था।
 5 सितंबर  2011 भारतीय बैंक संघ और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम द्वारा तैयार ATM के माध्यम से चेक निर्गम करने की तकनीकी प्रणाली को अंतिम रूप दिया गया था।
5 सितंबर 2014 विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुमान के अनुसार गिनी,लाइबेरिया,नाइजीरिया,सेनेगल और सिएरा लियोन में इबोला वायरस से संक्रमित 3500 लोगों में से 1900 लोगों की मृत्यु हुई थी।
6 september 2022
 

Mother Teresa Biography,जाने मदर टेरेसा के प्रीरंभिक जीवन और उनके द्वारा किए गए कार्यों के बारे में


Mother Teresa Biography : मदर टेरेसा को दुनिया भर में कौन नहीं जानता। यह एक महान हस्ती है जो अपना पूरा जीवनकाल तक निस्वार्थ प्रेम से गरिबों और लाचारों की सेवा में समर्पण कर दिया था। मदर टेरेसा अपार प्रेम और त्याग की मूरत थी। जो किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं बल्कि हर उस इंसान के लिए प्रेम और दया रखती थी जो गरीब, लाचार, बीमार और अपने जीवन में अकेला था। 18 साल की उम्र से ही मदर टेरेसा बनकर अपने जीवन को एक नई दिशा दी। मदर टेरेसा भारत की नहीं थी बल्कि भारत पहली बार आई तो वह यहां के लोगों से प्रेम कर बैठी और अपना जीवन गरीव और लाचारों के साथ बिताने के लिए निर्णय लिया। उन्होंने भारत के लोगों के लिए अपने जीवन काल के दौरान अभूतपूर्व कार्य किया है। इनके योगदान कार्यों को समर्पण करने के लिए उनकी पुण्यतिथि के दिन हर साल विश्व स्तर पर विश्व दान दिवस मनाया जाता है। आइए जानते हैं इनके जीवन परिचय के बारे में।

 विषय सूची 

1.मदर टेरेसा प्रारंभिक जीवन
2.मदर टेरेसा का भारत आना और उनके द्वारा किए गए भारत के लोगों के लिए कार्य
3.एक नया बदलाव
4.मिशनरी ऑफ चैरिटी 
5.मदर टेरेसा पर हुए विवाद
6.मदर टेरेसा के अवार्ड और अचीवमेंट
7.मदर टेरेसा की मृत्यु 

मदर टेरेसा का जीवन परिचय

 26 अगस्त 1910 को हुआ था स्कॉप्जे शहर मसेदोनिया में हुआ था। मदर टेरेसा का पुराना नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू इनके पिता एक बिजनेसमैन थे जो काफी धार्मिक स्वभाव के थे। वे हमेशा अपने घर के पास चर्च जाया करते थे और यीशु के अनुयाई थे। 1919 में उनकी मृत्यु हो गई जिसके बाद मदर टेरेसा के परिवार को आर्थिक परेशानी से गुजरना पड़ा था। लेकिन उनकी माता ने उन्हें बचपन से ही मिल बांट कर रहना खाना सिखाया थाय। उनकी मां का कहना था कि जो कुछ भी मिले उसे सब के साथ बैठकर खाना चाहिए। अपने माता-पिता के सिखाएं हुए संस्कार और शिक्षा के चलते ही आगे चलकर अगनेस गोंझा बोयाजिजू आगे चलकर मदर टेरेसा बनी और समाज के लिए बहुत सारे कार्य किया। दिनेश ने अपने स्कूल की पढ़ाई पूरी की अगनेस गोंझा बोयाजिजू की आवाज काफी सुरीली और मधुर थी। यह अक्सर चर्च में अपनी मां और बहन के साथ यह यीशु की महिमा गाया करती थी। 12 साल की उम्र से ही ये चर्च के साथ एक धार्मिक यात्रा में गई थी। जिसके बाद उनका मन बदल गया और उन्होंने क्राइस्ट को अपना मुक्तिदाता मान लिया। यीशु के वचन को दुनिया भर में फैलाने का फैसला लिया। 1928 में 18 साल की होने के बादअगनेस गोंझा बोयाजिजू ने बप्तिस्मा लिया और क्राइस्ट को अपना लिया था।
इसके बाद वो डबलिन में जाकर रहने लगी और इसके बाद वह अपने घर वापस कभी नहीं लौटी ना ही अपने मां और बहनों को दोबारा देखा। नन बनने के बाद उनका पुनर्जन्म हुआ और उन्हें सिस्टर मेरी टेरेसा के नाम से जाना जाने लगा और डबलिन की एक यूनिवर्सिटी से नन की ट्रेनिंग ली।

 मदर टेरेसा का भारत आना और उनके द्वारा भारत के लिए किए गए कार्य


 1929 में मदर टेरेसा बाकी नन के साथ मिशनरी के काम के सिलसिले में भारत के दार्जलिंग शहर आई थी यहां उन्हें स्कूल में पढ़ाने के लिए भेजा गया था। 1931 में एक नन के रूप में प्रतिज्ञा ली थी। जिसके बाद इन्हें भारत के कलकत्ता शहर में भेजा गया यहां उन्हें गरीब बंगाली लड़कियों को शिक्षा देने के लिए कहा गया। बबलिन की सिस्टर लोरेटो द्वारा संत मैरी स्कूल की कोलकाता में स्थापना की गई जहां गरीब बच्चे पढ़ते थे। मदर टेरेसा को बंगाली और हिंदी दोनों भाषा का ज्ञान था। वह बच्चों को भूगोल एवं इतिहास विषय पढ़ाया करती थी। कई सालों तक उन्होंने अपनी इस क्षेत्र में बहुत लगन और निष्ठा के साथ कार्य किया। कोलकाता में रहने के दौरान उन्होंने लोंगों के बीच गरीबी, लोगों में फैलती बीमारी, लाचारी और अज्ञानता को बहुत करीब से देखा था। और यह बात उनके मन में घर करने लगी वह इन लोगों के लिए कुछ ऐसा करना चाहती थी जिससे लोगों का दुख और तकलीफ कम हो सके। 1937 में उन्हें मदर की उपाधि से सम्मानित किया गया। 1944 में इन्हें संत मैरी स्कूल की प्रिंसिपल बनाया गया।

मदर टेरेसा के जीवन का नया बदलाव


 मदर टेरेसा के जीवन में नया बदलाव हुआ जब वह कल्कत्ता से दार्जलिंग किसी काम के लिए जा रही थी। तभी येशु ने उनसे बात की और कहा कि  अध्यापन का काम छोड़कर कोलकाता की गरीबी, लाचारी, बीमारी और लोगों की सेवा करो। मदर टेरेसा ने आज्ञाकारिता का व्रत लिया था जिसके कारण वह बिना सरकारी अनुमति के अध्यापन ता काम नहीं छोड़ सकती थी। जनवरी 1948 में उन्हें परमीशन मिल गई जिसके बाद उन्होंने स्कूल में पढ़ाना छोड़ दिया। अब मदर टेरेसा  सफेद रंग की नीली धड़ी वाली साड़ी पहनना शुरू किया और जीवन भर इसी वेश में दिखाई दी। उन्होंने बिहार के पटना से नर्सिंग की ट्रेनिंग और वापस आकर गरीब और बीमार लोगों की सेवा में जुट गई। मदर टेरेसा ने एक आश्रम बनवाया और उनकी मदद के लिए बाकी चर्च भी आगे आए। इस काम को करते हुए उन्हें कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। काम छोड़ने के कारण उनके पास आर्थिक सहायता नहीं थी उन्हें अपना खुद का पेट भरने के लिए लोगों के सामने हाथ फैलाना पड़ता था। मदर टेरेसा इन सब परेशानियों से घबराई नहीं उन्हें अपने भगवान पर पूरा विश्वास था कि वह उनका साथ अवश्य देंगे और उनके कार्य को पूरा करेंगे।

 मिशनरी ऑफ चैरिटी 


7 अक्टूबर 1950 में मदर टेरेसा के बहुत प्रयास के चलते मिशनरी आफ चैरिटी की परमीशन मिली। इस संस्था में वोलीन्टर मैरी स्कूल की शिक्षक ही थे। जो सेवा भाव से इस आयोजन से जुड़े थे। शुरुआत में इस संस्था में केवल 12 लोग ही कार्य करते थे। आज के समय में यहां पर 4000 से भी ज्यादा नन काम कर रही हैं। इस ऑर्गनाइजेशन द्वारा अनाथालय, वृद्ध आश्रम, बनाया गया है। मिशनरी आफ चैरिटी का मुख्य उद्देश्य उन लोगों की सहायता करना है जिनका दुनिया में कोई नहीं है, जो बेसहारा है और गरीब हैं, इस समय कोलकाता में प्लेग और कुष्ठ रोग की बीमारी तेजी से फैली हुई थी। मदर टेरेसा और उनकी संस्था ऐसे लोगों की सेवा कर रही थी। मदर टेरेसा मरीजों के घाव को हाथ से साफ कर मरहम पट्टी कर उनकी तकलीफ को दूर कर रही थी । उस समय छुआछूत की बीमारी भी हुई थी। जिन्हें लाचार गरीब को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था, मदर टेरेसा सभी लोगों के लिए मसीहा बनकर सामने आई और गरीब भूखे बेसहारे लोगों को दिया करती थी।

 मदर टेरेसा पर हुए विवाद के बारे में 


इस व्यापक और सराहनीय प्रशंसा के बावजूद भी मदर टेरेसा का जीवन विवाद और परेशानियों से घिरा हुआ था। कहा जाता है कि सफलता जहां होती है वहां विवाद भी सामने आता है। मदर टेरेसा के निस्वार्थ भाव, दया, प्रेम, निष्ठा, लगन को भी लोगों ने गलत समझा और उन पर आरोप लगाया गया कि वह भारत में धर्म परिवर्तन करने के नियत से सेवा कर रही है। लोग उन्हें अच्छा इंसान ना समझ कर ईसाई धर्म का प्रचारक समझते थे। इन सब बातें  के बावजूद भी मदर टेरेसा अपने काम की ओर ही ध्यान लगा रही थी। लोग उनकी बारे में बात करते थे लेकिन उन बातों को छोड़कर गरीबों की सेवा पर ध्यान दें रही थी। 

मदर टेरेसा की मृत्यु


 मदर टेरेसा को कई सालों से किडनी से जुड़ी समस्या थी। उनका पहला दिल का दौरा 1983 में रोम में पॉप जॉन पॉल द्वीतीय से मुलाकात के दौरान हुआ था। इसके बाद दूसरी बार उन्हें 1989 में दूसरी बार दिल का दौरा आया। तबीयत खराब होने के बाद भी ये काम करती रही और मिशनरी के सभी कामों से जुड़ी थी। 1997 में उनकी हालत बिगड़ी और उन्हें इसका आभास हुआ तो उन्होंने मार्च 1997 को मिशनरी आफ चैरिटी के का पद छोड़ दिया जिसके बाद सिस्टर मैरी निर्मला जोशी को इस पद के लिए अप्वॉइंट किया गया। 5 सितंबर 1957 को मदर टेरेसा का कोलकाता में निधन हो गया।

 मदर टेरेसा के अवार्ड 


1962 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
 1980 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
1985 में उन्हें अमेरिका सरकार द्वारा मैडल ऑफ फ्रीडम अवार्ड से सम्मानित किया गया।
 बीमार लोगों की मदद के लिए 1979 को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
 2003 में पॉप जॉन पोल ने मदर टेरेसा के सेवा भाव के लिए उन्हें धन्य कहा साथ ही, इन्हें ब्लेस्ड टेरेसा ऑफ कलकत्ता कहकर सम्मानित किया था।
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RAJPATH renamed as Kartavya Path,राजपथ और सेंट्रल विस्टा लोन का नाम क्यों बदला गया है

RAJPATH renamed as Kartavya Path : भारत सरकार ने राजपथ और सेंट्रल विस्टा लोन का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करने की घोषणा की है। यह निर्णय भारत में ब्रिटिश उपनिवेशों के अवशेषों को त्याने के लिए किया गया है। राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलने के उद्देश्य से बुलाई गई विशेष बैठक के बाद यह फैसला आया है। इससे पहले नरेंद्र मोदी ने रेसकोर्स रोड से लोक कल्याण मार्ग तक सड़क पर प्रधानमंत्री का आवास है उसका नाम बदल दिया था।
कर्तव्य पथ के बारे में जाने विस्तार से

कर्तव्य पथ में नेता जी की मूर्ति से लेकर राष्ट्रपति भवन तक का पूरा मार्ग और क्षेत्र मौजूद है। यह मार्ग राष्ट्रपति भवन से रायसीना हिल पर विजय चौक और इंडिया गेट से दिल्ली के नेशनल स्टेडियम बना हुआ है। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद आया है। जहां उन्होंने औपनिवेशिक मानसिकता से संबंधित चिन्हों और संकेतों के उन्मूलन करने के लिए अग्रणी कारकों पर जोर दिया था।
सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के बारे में

सेंट्रल विस्टा एवेन्यू भारत सरकार की महत्वकांक्षी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट का हिस्सा है। राजपथ के दोनों किनारों पर काम पूरा होने के बाद पूरा होने के बाद सेंट्रल विस्टा एवेन्यू लॉन्च के लिए तैयार हो गया है। सेंट्रल विस्टा एवेन्यू रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट एक नया त्रीकोणीय संसद भवन, एक सामाय केंद्रीय सचिवालय, 3 K.M के राज पत का कायाकल्प, प्रधानमंत्री निवास और कार्यालय और उपराष्ट्रपति का एन्क्लेव शामिल है। इसके साथ सेंट्रल विस्टा एवेन्यू में राज्यवार, फूड स्टॉल, चारों ओर हरियाली के साथ लाल ग्रेनाइट पैदल मार्ग, वेडिंग जो़न, पार्किंग एरिया और 24 घंटे की सिक्योरिटी होगी। इतने डेवलपमेंट के बाद भी लोगों को इंडिया गेट से मानसिंह की याद आएगी।
 
Suresh Raina Retirement News,सुरेश रैना ने घरेलू क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया है, जाने इनके  IPL रिकॉर्ड के बारे में

Suresh Raina Retirement News : भारत के स्टार बैट्समैन सुरेश रैना की इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल में वापसी की संभावना खत्म हो गई है। सुरेश रैना ने डोमेस्टिक क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया है। हालांकि इनके इस फैसले के बाद फैंस के लिए एक राहत भरी खबर यह भी है कि सुरेश रैना क्रिकेट खेलना जारी रखेंगे, साथ ही सुरेश रैना दक्षिण अफ्रीका, यूएई और श्रीलंका के T20 लीग के अगले सीजन में भाग लेंगे। सुरेश रैना ने 2020 में इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। इसलिए उनकी आईपीएल में वापसी की संभावना खत्म हो गई थी। अब सुरेश रैना ने घरेलू क्रिकेट को भी अलविदा कह रिटायरमेंट ले लिया है और विदेशी लीग में खेलने का फैसला किया है। बीसीसीआई ने हाल ही में साफ कर दिया था कि उनके साथ कॉन्ट्रैक्ट करने वाले कोई भी प्लेयर किसी भी विदेशी लीग में भाग नहीं ले सकते हैं। अगर सुरेश रैना घरेलू क्रिकेट से रिटायरमेंट लिए बिना ही विदेशी T20 लीग में हिस्सा लेते तो बीसीसीआई उन पर कार्रवाई कर सकता था। 
सुरेश रैना के आईपीएल रिकॉर्ड

 सुरेश रैना को T20 फॉर्मेट में दुनिया के सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक माना जाता है। सुरेश रैना को मिस्टर आईपीएल के नाम से भी जाना जाता है। सुरेश रैना ने आईपीएल में 205 मैचों में 32.5 एवरेज और 137 के स्ट्राइक रेट से 5528 रन का रिकॉर्ड बनाया हैं। सुरेश रैना ने चेन्नई सुपर किंग्स को 3 बार जीत दिलाई है और चैन्नैई को जिताने के लिए टीम के साथ मुख्य भूमिका निभाई है। लेकिन 2020 में सुरेश रैना का आईपीएल करियर का अंत हो गया,  टीम मैनेजमेंट के साथ हुए विवाद के लेकर सुरेश रैना ने 2020 के आईपीएल में भाग नहीं लिया था। इसके बाद सुरेश रैना की 2021 में आईपीएल में वापसी हुई लेकिन उन्हें किसी भी टीम ने नहीं खरीदा था इसलिए वे 2021 के IPL नहीं खेल पाए थे।
 
 
Pradhan Mantri-SHRI Scheme ,पीएम श्री योजना क्या है, और इससे कौन लाभान्वित होंगे
Pradhan Mantri-SHRI Scheme : शिक्षक दिवस 2022 के अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़ा ऐलान किया है। जिसका नाम पीएम श्री योजना रखा गया है। इस योजना के अंतर्गत 14500 स्कूलों को अपग्रेड और ट्रांसफॉर्म किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहा है कि शिक्षक दिवस के अवसर पर इस घोषणा को लॉन्च करते हुए बहुत खुशी हो रही है। प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग  इंडिया PM-SHRI स्कीम के अंतर्गत पूरे भारत में 14500 स्कूल को डिवेलप और अपग्रेडेशन का कार्य किया जाएगा। यह मॉडल स्कूल बनेंगे जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लक्ष्य को पूरी करेंगे।
पीएम श्री योजना के बारे में

 पीएम श्री स्कूलों में एजुकेशन प्रोवाइड करने का एक आधुनिक परिवर्तनकारी और समग्र तरीका शामिल होगा। मॉडर्न टेक्निक स्मार्ट क्लासरूम खेल और अन्य सहित आधुनिक इंफ्रा पर भी इस स्कूल में शामिल किया जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने हाल के सालों में शिक्षा क्षेत्र में बहुत सारे बदलाव हासिल किए हैं और पीएम श्री स्कूल का टारगेट पूरे भारत में लाखों छात्रों को लाभान्वित करना है। इससे देश भर के हजारों लाखों छात्रों को भविष्य में शिक्षा के क्षेत्र में फायदा होगा।
 प्रधानमंत्री ने शिक्षकों से इस योजना को लेकर क्या कहा है 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षक दिवस 2022 के अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार पाने वाले शिक्षकों से बातचीत की है और इस दौरान उन्होंने कहा है कि हमें ना केवल छात्रों को शिक्षित करना है बल्कि उनके जीवन को बदल कर सार्थक बनाना है। अपने शैक्षणिक परितंत्र को मजबूत करने के लिए भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।
 शिक्षा नीति तैयार करने में टीचर की क्या भूमिका रही है

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि युवा दिमाग को आकार देने के लिए शिक्षकों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। देश के शिक्षक ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करने में अपनी बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले ट्वीट करते हुए शिक्षक दिवस की पूरे देश को बधाई दी और कहा कि शिक्षक दिवस की बधाई खासकर उन सभी शिक्षकों को है जो युवा मन में शिक्षा की भावना को फैलाता है मैं देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं।
 
Sardar Vallabhbhai Patel Biography, सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन परिचय और उनके द्वारा दिए गए योगदान के बारे में

Sardar Vallabhbhai Patel Biography : भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को कौन नहीं जानता। सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।  वल्लभ भाई पटेल को पूरे देश में लौह पुरुष के नाम से जाना जाता है। यह एक शूरवीर ख्याती के व्यक्ति थे। इन्होंने 200 सालों की गुलामी में फंसे भारत को अलग-अलग राज्यों को एक कर भारत में मिलाया और इस बड़े कार्य को करने के लिए इन्हें किसी प्रकार की सैन्य बल की भी आवश्यकता नहीं पड़ी थी। यही इनकी बड़ी खासियत है जो इन्हें औरों से अलग करती है। वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 में नाडियाड मुंबई में हुआ था। इनके पिता का नाम झावर भाई एवं माता का नाम लाड़बाई था। 
 प्रारंभिक जीवन और परिवार और शिक्षा 

सरदार वल्लभभाई पटेल एक किसान परिवार से थे । ये एक साधारण मानव की तरह उनके जीवन के लिए इन्होंने कुछ लक्ष्य तय किया था। यह पढ़ाई लिखाई कर कुछ बनना चाहते थे और कमाईके कुछ हिस्से को जमा कर इंग्लैंड जाकर अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करना चाहते थे। इन सब में उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा । पैसे की कमी, घर की जिम्मेदारी को निभाते हुए उन सभी के बीच में धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़े। शुरुआती दिनों में घर के लोगों ने इन्हें नकारा निकम्मा समझा और उन्हें लगता था की पटेव अपने जीवन में कुछ नहीं कर सकते। उन्होंने 22 साल की उम्र में मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की और कई सालों तक अपने घरवालों से दूर रहकर वकालत की पढ़ाई की। जिसके लिए उन्हें किताबें उधार लेनी पड़ती थी। इस दौरान उन्होंने नौकरी कर अपने परिवार का पालन पोषण किया। एक साधारण व्यक्ति की तरह जिंदगी से लड़ते-लड़ते आगे बढ़ते रहें। 

 स्वतंत्रता संग्राम में वल्लभभाई पटेल का योगदान 

स्थानीय कार्य- गुजरात के रहने वाले वल्लभभाई पटेल ने अपने स्थानीय क्षेत्र में शराब, छुआछूत और औरतों के ऊपर अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी। इन्होंने हिंदू मुस्लिम एकता को बनाए रखने के लिए पुरजोर कोशिश किया।

 खेड़ा आंदोलन- इस आंदोलन में गांधीजी ने वल्लभभाई पटेल से खेड़ा के किसानों को इकट्ठा कर उन्हें अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया। उन दिनों केवल खेती ही भारत का सबसे बड़ा आय का जरिया थी। लेकिन कृषि पहले से ही प्रकृति पर आश्रय थी। साल 1917 में जब ज्यादा वर्षा के कारण किसानों की फसल खराब हो गई थी लेकिन अंग्रेजों के हुकूमत के चलते उन्हें कर देना था इस विपदा को देख वल्लभभाई पटेल ने गांधी जी के साथ मिलकर किसानों को कर ना देने के लिए समझाया। जिसके बाद किसानों को कर नहीं देना पड़ा और अंग्रेजी हुकूमत की हार हुई। पहली बड़ी जीत जिसे आज भी लोग खेड़ा आंदोलन के नाम से जानते हैं।

 कैसे इन्हें सरदार पटेल नाम दिया गया

 बारडोली सत्याग्रह - सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बारडोली में सत्याग्रह का नेतृत्व किया। यह सत्याग्रह 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ दिया गया था। जिसमें सरकार द्वारा बढ़ाए गए कर का विरोध किया जाना था। जिसमें किसान को एक में ब्रिटिश वायसराय को झुकना पड़ा था। इस बारडोली सत्याग्रह के चलते पूरे देश में वल्लभभाई का नाम प्रसिद्ध हुआ और लोगों में उनके प्रति एवं स्वतंत्रता के प्रति एक उत्साह की लहर दौड़ पड़ी थी। इस आंदोलन की सफलता के बाद बारडोली के लोग सरदार वल्लभ भाई पटेल को सरदार पटेल के नाम से पुकारने लगे।
 सरदार वल्लभभाई पटेल का आजादी के पहले और बाद में मुख्य भूमिका क्या था 

इनके कार्यों और योगदान के चलते देश में इनकी लोकप्रियता बढ़ती रही उन्होंने लगातार नगर के चुनाव जीते और 1922 1920 और 1927 में अहमदाबाद के नगर निगम के अध्यक्ष के रूप में चुने गए थे। 1920 के आसपास के दशक में पटेल ने गुजरात कांग्रेस को ज्वाइन किया। इसके बाद 1945 तक गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में काम किया। 1932 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। इन्हें कांग्रेश में अन्य सदस्यों द्वारा बहुत पसंद किया जाता था। उस दौरान गांधीजी, नेहरू जी एवं सरदार पटेल नेशनल कांग्रेस के मुख्य सदस्य थे। आजादी के बाद यह देश के गृहमंत्री एवं उप प्रधानमंत्री के रूप में चुने गए। सरदार पटेल प्रधानमंत्री के पहले दावेदार थे उन्हें कांग्रेस पार्टी से सर्वाधिक वोट मिलने वाला था। लेकिन गांधीजी के कारण उन्होंने स्वयं को इस दौड़ से दूर रखा था।
 आजादी के बाद सरदार पटेल द्वारा किए गए मुख्य कार्य 

15 अगस्त 1947 के दिन के आजाद होने के बाद देश की हालत काफी गंभीर थी। पाकिस्तान के अलग होने के चलते कई लोग बेघर हो गए थे और आजादी के बाद उस समय ऐसी स्थिति थी कि हर ए।क राज्य स्वतंत्र देश था जिन्हें भारत में मिलाना बहुत जरूरी था। यह एक बहुत कठिन कार्य था जिसे एक करना देश में किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत मुश्किल था, क्योंकि अंग्रेजों की गुलामी के बाद कोई भी राजा किसी तरह की अधीनता के लिए तैयार नहीं था। लेकिन वल्लभभाई पटेल के उपर सभी को यकीन था। कि उन्होंने ही रियासतों को राष्ट्रीय एकीकरण के लिए बाध्य किया और बिना किसी युद्ध के इन्हें एक देश में मिलाया। जम्मू कश्मीर हैदराबाद और जूनागढ़ के राजा इस समझौते के लिए तैयार नहीं थे इनके खिलाफ सरकार में सैनिक बल का प्रयोग किया और अंत में यह रियासत भारत में शामिल हुयी। इस प्रकार वल्लभभाई की कोशिशों के कारण 560 रियासतों को भारत में मिलाने का कार्य नवंबर 1947 आजादी के कुछ महीने बाद ही पूरा किया गया। गांधीजी ने कहा कि यह कार्य केवल सरदार पटेल द्वारा ही किया जा सकता है।

 सरदार वल्लभ भाई पटेल का पोलिटिकल कैरियर

 1917 में बोरसाद में एक स्पीच के जरिए उन्होंने लोगों को स्वतंत्रता के लिए जागृत किया और गांधी जी का स्वराज के लिए उनकी लड़ाई में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रेरित किया गया।
 खेड़ा आंदोलन में उन्होंने अपनी मुख्य भूमिका निभाई और अकाल और प्लेग से ग्रस्त लोगों की सेवा की।
 बारडोली सत्याग्रह में उन्होंने लोगों को कर ना देने के लिए प्रोत्साहित किया और एक बड़ी जीत हासिल कर सरदार की उपाधि कमाई।
 असहयोग आंदोलन में गांधीजी के साथ पूरे देश में घूम कर लोगों को एक साथ किया और आंदोलन के लिए पैसा इकट्ठा किया।
 भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और जेल की सजा काटी।
 आजादी के बाद देश के गृहमंत्री और प्रधानमंत्री का पद संभाला इस पद पर रहते हुए उन्होंने राज्यों को देश में मिलाने का भी काम किया जिससे उन्हें लोह पुरुष की उपाधि मिली।
 सरदार वल्लभ भाई पटेल के राष्ट्रीय सम्मान 

1991 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
 इनके नाम से कई सारी शैक्षणिक संस्थाएं खोली गई।
 हवाई अड्डे को भी इनका नाम दिया गया।
 स्टेचू ऑफ यूनिटी नाम से सरदार पटेल के नाम से स्मृति स्मारक बनवाई गई।
 
UGC Fellowship and Research Grant Scheme, यूजीसी फेलोशिप और रिसर्च ग्रांट योजना क्या है, और इससे कौम लाभान्वित होंगे

UGC Fellowship and Research Grant Scheme:  यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन यूजीसी में शिक्षक दिवस 2022 के अवसर पर कई रिसर्च स्कीम का ऐलान किया है। देशभर के हायर एजुकेशन ऑर्गेनाइजेशन को इस योजना से लाभ होगा। यूजीसी के द्वारा नई फैलोशिप 5 सितंबर 2022 से शुरू किया गया है आइए जानते हैं यूजीसी के फेलोशिप और अनुसंधान अनुदान योजना की सूची के बारे में विस्तार से।
 सेवानिवृत्त फैकेल्टी मेंबर्स फैलोशिप

 यह फेलोशिप रिटायर्ड फैकेल्टी मेंबर को रिसर्च के अवसर, रिसर्च ऑफ यूनिटी देने के लिए शुरू किया जा रहा है। इस फेलोशिप के लिए प्लॉट उपलब्ध करवाई गई है और चुने गए उम्मीदवार को फैलोशिप के माध्यम से हर महीने ₹50000 और आकस्मिकता के रूप में ₹50000 हर साल दिए जाएंगे। 67 साल की उम्र तक के इच्छुक उम्मीदवार इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस योजना में ऐसे उम्मीदवार जिनके सुपरविजन में 10 पूर्णकालिक छात्र पीएचडी रिसर्च कर रहे हैं ये आवेदन करने के लिए पात्र हैं। इसके साथ ही 10 छात्रों में से तीन ने पिछले 10 सालों के भीतर अपनी डिग्री ली हो और  आवेदक ने प्रिंसिपल इवेस्टिगेटर के रूप में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा वित्त पोषित कम से कम तीन रिसर्च प्रोजेक्ट को हैंडल किया हो। इस फैलोशिप का कार्यकाल 3 साल या 70 साल तक जो भी पहले हो तब तक रहेगा।

 सेवा के दौरान फैकेल्टी मेंबर के लिए रिसर्च ग्रांट

 इस फेलोशिप का उद्देश्य नियमित रूप से अपॉइंटटेड मेंबर को रिसर्च के प्रतिनिधि प्रोवाइड करना है। इस स्कीम के माध्यम से 200 चुने हुए उम्मीदवार को 2 साल के कार्यकाल के लिए ₹10 लाख की सहायता प्रोवाइड की जाएगी। उम्मीदवार की अधिकतम आयु 50 साल तक होनी चाहिए इसके साथ ही उसे एप्लीकेशन जमा करने की तारीख तक विश्वविद्यालय संस्थान में कम से कम 10 साल की सेवा भी किया हुआ होना चाहिए और उम्मीदवार में 5 पूर्णकालिक उम्मीदवारों के पीएचडी रिसर्च मैनेजमेंट का सफलतापूर्वक सुपरविजन किया हुआ हो। अंतरराष्ट्रीय सरकार या निजी एजेंसियों द्वारा वित्त पोषित कम से कम 2 रिसर्ट प्रोजेक्ट को पूरा किया होना चाहिए।
 सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले फैलोशिप फॉर सिंगल गर्ल चाइल्ड 

यह फैलोशिप सिंगल बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए और उन्हें रिसर्च कार्य के लिए प्रोत्साहित करने के लिए लाया गया है। इसका उद्देश्य सिंगल बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए और उन्हें रिसर्च कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे पीएचडी डिग्री प्रोवाइड की जा सके। इस फैलोशिप के स्लॉट की कोई निश्चित सीमा नहीं तय की गई है। इस फेलोशिप का कार्यकाल 5 साल तक होगा।
 इस फेलोशिप के लिए पात्रता क्या है
 मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, ऑर्गेनाइजेशन किसी भी विषय में पीएचडी करने वाली कोई सिंगल बालिका जो नियमित पूर्णकालिक पीएचडी प्रोग्राम में रजिस्टर है। इस फेलोशिप के लिए एप्लीकेशन भर सकती है। इस फेलोशिप के लिए आयु 40 साल से कम और आरक्षित कैटेगरी में 45 साल से कम की होनी चाहिए।
 डीएस कोठारी रिसर्च ग्रांट  नए फैकेल्टी मेंबर के लिए

नियमित रूप से नियुक्त फैकल्टी मैंबरों को रिसर्च के लिए ऑपरच्यूनिटी प्रोवाइड करेगी। इस स्कीम के अंतर्गत 132 चुने हुए उम्मीदवार को 2 साल के लिए 1000000 रुपए की सहायता प्रोवाइड की जाएगी।
 इस ग्रांट के लिए योग्यता क्या है

 उम्मीदवार असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नवनियुक्त हो। उम्मीदवार के पास कम से कम पांच रिसर्च पेपर के साथ पीएचडी की डिग्री होनी चाहिए। इसके साथ ही उम्मीदवार को नियुक्ति की तारीख से 2 साल के भीतर एप्लीकेशन करना चाहिए अप्लाई करना चाहिए।
 
NGT fines W.Bengal, राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल क्या है

NGT fines W.Bengal: राष्ट्रीय हरित अधिकरण में ठोस और तरल अपशिष्ट मैनेजमेंट में फेल होने के कारण पश्चिम बंगाल पर 3500 करोड़ का पर्यावरणीय मुआवजा लगाया है। हरित पीठ ने कहा है कि पश्चिम बंगाल के सरकार ने शहरी क्षेत्रों में ठोस और मल जल उपचार संयंत्र को प्राथमिकता देने में खास कदम नहीं उठाए हैं। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने 6 महीने का समय देते हुए बंगाल शहर सरकार से कहा है कि 6 महीने के भीतर उपचारात्मक कदम उठाए जाने चाहिए जिससे पर्यावरणीय स्तर में सुधार हो सके। पीठ ने 1 सितंबर को पास किए गए आदेश में राज्य सरकार पर 3500 करोड़ रुपए का मुआवजा भरने का आदेश जारी किया है। एनजीटी ने बताया है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने फइनेनशियल ईयर 2022 में शहरी विकास और नगर पालिका से जुड़े मामलों के लिए करीब 12818 करोड़ रुपए खर्च करने का बजट बनाया था। लेकिन राज्य सरकार ने इस दिशा में किसी प्रकार की गंभीर कदम नहीं उठाए हैं। राष्ट्रीय हरित अधिकरण के मुताबिक पश्चिम बंगाल के शहरी इलाकों में हर दिन 2758 मिलियन सीवेज प्रोड्यूस होता है।  सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से ट्रीटमेंट की छमता सिर्फ 1505.85 एमएलडी है। इसलिए केवल 1268 एमएलडी का ट्रीटमेंट हो पाता है और 1490 एमएलडी सीवेज बिना ट्रीटमेंट के वेस्ट हो जाता है।
 इस लेख के मुख्य बिंदु 

फइनेनशियल ईयर 2022 के बजट में पश्चिम बंगाल सरकार ने शहरी विकास और नगरपालिका से जुड़े मामलों पर 12818 करोड़ खर्च करने का बजट बनाया था। लेकिन राज्य सरकार ने पर्यावरण की दिशा में कोई खास काम नहीं किया है।

 एनजीटी के मुताबिक पश्चिम बंगाल के शहरी क्षेत्र में 2758 मिलियन सीवेज प्रोड्यूस होता है जिसमें 44 सीवेज उपचार संयंत्र के मदद से उपचार मात्र 1505.85 एमएलडी होता है। इसलिए केवल 1268 एमएलडी का उपचार किया जाता है और बाकी बचे 1490 एमएलडी बिना उपचार के रह जाते हैं।

 पश्चिम बंगाल सरकार को 3500 करोड़ का जुर्माना 2 महीने के भीतर एनजीटी को भरना होगा। वहीं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा है कि अगर पर्यावरण संबंधी मामलों में बंगाल सरकार द्वारा उल्लंघन जारी रहा तो और भी जुर्माना लगाया जाएगा।
 नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल क्या है

 नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की स्थापना 18 अक्टूबर 2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 के अंतर्गत किया गया था। इसकी स्थापना देश में पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार के प्रवर्तन के अलावा वनों के संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के संबंधित मामलों के प्रभारी और शीघ्र निपटान के लिए किया गया था। यह एनबीटी ट्रिब्यूनल सिविल प्रक्रिया संहिता 1960 के अंतर्गत निर्धारित प्रक्रिया से बाध्य नहीं है। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है।
 राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 

यह संसद का एक नियम है जो पर्यावरण से जुड़े केसेस का शीघ्र निपटान के लिए एक विशेष न्यायाधिकरण का निर्माण करता है और अनुच्छेद 21 के संवैधानिक प्रावधान से प्रेरित है।
 ट्रिब्यूनल का काम क्या है

 ट्रिब्यूनल का काम पर्यावरणीय मामलों में समर्पित एक क्षेत्राधिकार है।   यह अर्जेंट एनवायरमेंटल जस्टिस प्रोवाइड करता है और हाईकोर्ट के बोझ को कम करने में मदद करता है। इसे 6 महीने के भीतर एप्लीकेशन या अपीलों के निपटान के लिए प्रयास करना अनिवार्य है।
 
7 September 7, 2022

International Day of Blue Skies 2022 : नीले आसमान के लिए स्वच्छ हवा का अंतरराष्ट्रीय दिवस कब और क्यों मनाया जाता है


International Day of Blue Skies 2022 : हर साल 7 सितंबर को साफ हवा और स्वक्ष नीले आसमान को समर्पित करने के लिए नीले आसमान के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस के तौर पर मनाया जाता है। आपको बता दें कि 7 सितंबर को विश्व स्तर पर वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए, कार्यों को बढ़ावा देने और कार्यवाही को तेज करने के लिए International Day of Blue Skies नीले आसमान के लिए अंतरराष्ट्रीय  दिवस विश्व स्तर पर मनाया जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त एक दिन है, जिसका उद्देश्य सभी स्तरों यानी व्यक्तिगत समुदाय, कॉरपोरेट और सरकार के बीच जन जागरूकता बढ़ाना है, कि विश्व के लिए स्वच्छ हवा, स्वास्थ प्रोडक्शन, इकोनॉमिक और पर्यावरण के लिए कितना महत्वपूर्ण है।

नीले आसमान के लिए स्वच्छ हवा का अंतरराष्ट्रीय दिवस 2022 के लिए थीम क्या है।


 इस साल 2022 में हवा का अंतरराष्ट्रीय दिवस के लिए ही बनाया गया है इस साल का थीम The Air We Share वायु प्रदूषण की सीमा पार प्रकृति पर केंद्रित है। जिसमें सामूहिक जवाबदेही और कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। यह वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नीतियों और कार्यों के अधिक कुशल कार्यान्वयन के लिए तत्काल और रणनीतिक इंटरनेशनल और रिजनल सहयोग की आवश्यकता पर हाईलाइट करता है।

नीले आसमान के लिए स्वच्छ हवा का अंतरराष्ट्रीय दिवस 2022 का महत्व क्या है?


 संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के शिखर सम्मेलन की होस्टिंग करके इस दिन को मनाया जाता है। इस दिन उपस्थित लोगों ने अपने दृष्टिकोण रखें और दुनिया भर में वायु प्रदूषण और वायु गुणवत्ता के प्रभाव पर चर्चा की जाती है।

 अंतरराष्ट्रीय दिवस का इतिहास क्या है?


 अपने 74वें सत्र में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 दिसंबर 2019 को नीले आसमान के लिए हवा का अंतरराष्ट्रीय दिवस आयोजित करने के लिए एक प्रस्ताव को अपनाया था। साथ ही संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम यूएनडीपी को अन्य प्रासंगिक ऑर्गनाइजेशन के साथ मिलाकर इंटरनेशनल डे मनाने के लिए आवाहन किया था  


इस लेख से जुड़े महत्वपुर्ण फैक्ट


नीले आसमान के लिए स्वच्छ हवा का अंतरराष्ट्रीय दिवस  कब से मनाया जा रहा है?
19 दिसंबर 2019 से।

नीले आसमान के लिए स्वच्छ हवा का अंतरराष्ट्रीय दिवस 2022 का थीम क्या है? 
थीम The Air We Share (हवा हम साझा करते हैं)

यूएनईपी का मुख्यालय कहां है?
 नैरोबी, केन्या में।

यूएनईपी के हेड कौन हैं?
 इंगर एंडरसन। 

यूएनईपी के संस्थापक कौन हैं?
 मौरिस स्ट्रॉन्ग।

यूएनईपी की स्थापना कब हुई थी?
 5 जून 1972।
 

Mokshagundam Visvesvaraya Biography, मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरय्या कौन हैं, जाने इनके जीवनी,शिक्षा एवं करियर के बारे में


Mokshagundam Visvesvaraya Biography: मॉडर्न इंडिया के भागीरथ यानी मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरय्या एक महान इंजीनियर और दूरदर्शी राजनेता थे। इंजीनियरिंग के एरिया में अपने विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा देश के सर्वोच्च सम्मान यानी भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। एम विश्वेश्वरय्या की स्मृति में उनके जन्म दिवस के अवसर पर इंजीनियर डे मनाया जाता है। 

विषय सूची

 जीवनी 
 शिक्षा
 एम विश्वेश्वरय्या का करियर
विश्वेश्वरय्या के मैसूर में दीवान के रूप में कार्य
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या डाक टिकट के बारे में
सम्मान और पुरस्कार के बारे में
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या की मृत्यु
एम विश्वेश्वरय्या से जुड़े FAQ

जीवनी 


एम. विश्वेश्वरय्या का जन्म 15 सितंबर 1261 को मैसूर के चिकलापुर जिले में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। एम विश्वेश्वरय्या के पिता का नाम मोक्षगुण्डम श्रीनिवास शास्त्री था, जो संस्कृत के प्रकाण्ड पंडित थे, इनकी माता का नाम वेंकटालक्ष्म्मा था। यह एक ग्रहणी थी। जब विश्वेश्वरय्या 12 साल के थे तभी उनके पिता का निधन हो गया। 

शिक्षा

एम विश्वेश्वरय्या की शिक्षा घर में आर्थिक समस्या होने के चलते गांव के सरकारी स्कूल में हुई थी। जिसके बाद हाई स्कूल की पढ़ाई इन्होंने बेंगलुरु से की और बाद में एम विश्वेश्वरय्या ने बेंगलुरु के सेंट्रल कॉलेज में आगे की पढ़ाई जारी रखी और मात्र 20 साल की उम्र में बीए की परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया था। इस दौरान उन्होंने शिक्षक के रूप में काम किया। जिसके बाद उनके काबिलियत को देखते हुए सरकार ने उन्हें आर्थिक सहायता दी थी। विश्वेश्वरय्या ने पुणे के साइंस कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग की पाठ्यक्रम में भर्ती ली। विश्वेश्वरय्या 1883 में  LCE व FCE की परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया था वर्तमान में  इसे बीई के उपाधि के समान माना जाता है।

 एम विश्वेश्वरय्या का करियर


 साल 1883 की एलसीई व एफसीई की परीक्षा में प्रथम आने के बाद विश्वेश्वरय्य को तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने इन्हें नासिक जिले के असिस्टेंट इंजीनियर के पद पर अप्वॉइंट किया। जिसके बाद एम विश्वेश्वरय्या ने एक जटिल सिंचाई व्यवस्था का बनाया। विश्वेश्वरय्या ने कृष्णराज सागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील वर्क्स, मैसूर संदल ऑयल एंड सोप फैक्ट्री, मैसूर यूनिवर्सिटी और बैंक ऑफ मैसूर जैसे कई प्रोजेक्ट को अपने काबिलियत से बनाया है। अपने क्षेत्र में विशिष्ट कार्य के कारण अंग्रेज इंजीनियर भी एम विश्वेश्वरय्या के स्कील के फैन हो गए थे। जिसके बाद एम विश्वेश्वरैया ने विभिन्न दायित्वों का पालन किया और साल 1894 में शख्खर बांध का निर्माण किया जो सिंध प्रांत में जल व्यवस्था का पहला चरण था। किसानों के लिए सिंचाई करने हेतु जल की व्यवस्था करने और पानी को व्यर्थ ना करने के लिए विश्वेश्वरय्या ने एक ब्लॉक पद्धति का निर्माण किया, जिसमें एम विश्वेश्वरय्या  ने स्टील के दरवाजे का उपयोग कर पानी को व्यर्थ बहने से रोकने का इंतजाम बनाया था।साल 1916 में विश्वेश्वरय्या को मैसूर राज्य के मुख्य इंजीनियर के रूप में अप्वॉइंट किया गया था। अपने जन्म स्थान की आधारभूत समस्या जैसे अशिक्षा ,गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी आदि को लेकर अक्सर चिंतित रहते थे। जिसके लिए उन्होंने बहुत सारे सामाजिक कार्य किए थे। 

विश्वेश्वरय्या के मैसूर में दीवान के रूप में कार्य


 मैसूर में किए गए उनके द्वारा सामाजिक कार्यों के कारण मैसूर के महाराजा कृष्णराज वोडिआर ने साल 1912 में इन्हें राज्य का दीवान यानी मुख्यमंत्री के रूप में अप्वॉइंट किया गया। दीवान के रूप में एम विश्वेश्वरय्या ने राज्य में आर्थिक और सामाजिक स्थिति को सुधारी और उत्थान की दृष्टि से औद्योगिक विकास के लिए कठिन प्रयास किए थे। एम विश्वेश्वरय्या ने तेल फैक्ट्री, साबुन फैक्ट्री, धातु फैक्ट्री, क्रोम टेनिंग फैक्ट्री को शुरू किया था। साल 1918 में मैसूर के दीवान के रूप से ये रिटायर हो गए थे।

 मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या डाक टिकट के बारे में


भारत निर्माण में विशिष्ट योगदान के चलते उनके 100 वें जन्म दिवस के अवसर पर भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया था।

 सम्मान और पुरस्कार के बारे में

 50 साल तक लंदन इंस्टिट्यूट ऑफ़ सिविल इंजीनियर्स की मानद सदस्यता
 1906 इनकी सेवाओं की मान्यता में केसर ए हिंद की उपाधि दी गई
 1911 में कैम्पैनियन ऑफ द इंडियन एंपायर
 नाइट ऑफ द ऑर्डर ऑफ़ द आर्डर ऑफ इंडियन एंपायर
 कोलकाता विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस से सम्मानित किया गया 
बाम्बे यूनिवर्सिटी द्वारा  LLD
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा D.LITT से सम्मानित किया गया 1983 इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर भारत के आजीवन मानद सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए
 1944 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी द्वारा D.SC 
1948 मैसूर यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट LLD से नवाजा
 1953 आंध्र विश्वविद्यालय द्वारा D.LITT से सम्मानित किया गया
 1953 इंस्टीट्यूट आफ टाउन प्लानर्स भारत के फेलोशिप से भी सम्मानित किया गया
 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया 
1958 में बंगाल की रॉयल एशियाटिक सोसाइटी दुर्गा प्रसाद खेतान मेमोरियल गोल्ड मेडल सम्मानित किया गया
1959 इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस फेलोशिप से नवाजा गया।

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या की मृत्यु


101 साल की उम्र में भी काम करने वाले इस महान व्यक्ति का कहना था कि जंग लग जाने से बेहतर है काम करते रहना। भारत के इस महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या का निधन 14 अप्रैल 1965 को बेंगलुरु में हुआ था।

 एम विश्वेश्वरय्या से जुड़े FAQ


एम विश्वेश्वरय्या द्वारा लिखी गई पुस्तकों के नाम 
रिकंस्ट्रक्टिंग इंडिया 1920 
नेशनल बिल्डिंग 1937 

विश्वेश्वरय्या के जन्म के उपलक्ष में भारत में कौन सा दिन मनाया जाता है?
 इंजीनियर डे ।

विश्वेश्वरय्या को मैसूर का दीवान किस सन् में नियुक्त किया गया था?
 1912।
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या को भारत के राष्ट्रीय पुरस्कार भारत रत्न से कब सम्मानित किया गया था?
 1955। 

एम विश्वेश्वरय्या के जन्म स्थान का क्या नाम है ?
चिकलापुर मैसूर।

 भारत सरकार ने विश्वेश्वरय्या के नाम से डाक टिकट कब जारी किया था?
विश्वेश्वरय्या के 101 वे जन्म दिवस के अवसर पर एक डाक टिकट जारी किया गया था।
 
 

E-Prosecution Portal, -अभियोजन पोर्टल क्या है, जाने इसके बारें में विस्तार से


E-Prosecution Portal : उत्तर प्रदेश 9.12 मिलियम केस के साथ डिजिटल इंडिया मिशन के तहत केंद्र सरकार द्वारा प्रबंधित ई-अभियोजन पोर्टल के माध्यम से मामलों का निपटान और प्रविष्टि करने वाले राज्य की संख्या में टॉप स्थान पर है। अगस्त 2022 के अंत तक के आंकड़े के मुताबिक मध्यप्रदेश 2.31 मिलियन के साथ दूसरे स्थान पर है। बिहार 859000 के साथ तीसरे स्थान पर है, गुजरात 4870000 के साथ चौथे स्थान पर है और छत्तीसगढ़ 383000 मामलों के साथ पांचवें स्थान पर है। 

लगभग 4000 लगभग 470000 प्रविष्टियों के साथ इस पोर्टल पर ऑनलाइन केस के निपटान में यूपी टॉप पर है। इसके बाद मध्यप्रदेश के लिए 170000 और गुजरात 125000 है। 2 साल पहले शुरू किए गए पोर्टल जघन्य अपराधों में आपराधिक मुकदमे में तेजी लाने और अदालत एवं अभियोजन प्रणाली की सहायता करने के लिए आई थी और कानून मंत्रालय द्वारा लाई गई एक पहल है।

 इस सिस्टम के बारे में


 इस प्रणाली के अंतर्गत अधिकारी यह सुनिश्चित करते हैं कि गवाहों को अदालत में उनकी उपस्थिति के दिन के बारे में एसएमएस के माध्यम से सूचित किया जाए। संबंधित सरकारी वकीलों तक पहुंचे और केस के तुरंत निपटान में सहायता करें। अभियोजन की मदद के लिए परिचित केस के पूरे डेटाबेस के साथ एक रिपोर्ट बनाया जाता है। पोर्टेबल सिस्टम के अंतर्गत पुलिस विभाग और अभियोजन निदेशालय के बीच की संरचना प्रोवाइड करता है। जो अदालतों पुलिस जेल और फॉरेंसिक विज्ञान लैब के बीच डाटा ट्रांसफर को सरल बनाता है। नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक राज्य महिलाओं के खिलाफ अपराध और साइबर अपराध से संबंधित मामलों के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता की घटनाओं से संबंधित केस में गिरफ्तार लोगों की सजा और इनलीगल आग्नेयास्त्रों की जब्ती में टॉप स्थान पर है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो जारी रिपोर्ट में यह बताया गया है।

 सरकार का लक्ष्य क्या है 


अगले 100 दिनों में विभाग का लक्ष्य POCSO अधिनियम के अंतर्गत 1000 दोषियों की सजा और महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वाली दोषियों के खिलाफ कार्यवाही में सफलता हासिल करना है। 1 महीने के अंदर POCSO अधिनियम के अंतर्गत अपराधों में दोषसिद्धि सुनिश्चित करेने और शस्त्र अधिनियम के तहत कम से कम 90 परसेंट मामलों में सजा सुनिश्चित करने की योजना बनाई गई है। ई-अभियोजन मोबाइल ऐप भी डेवलप किया जा रहा है। जो अदालतों में अभियोजकों की सभी न्यायिक प्रक्रियाओं के डिजिटल अभियोजन ऐप डिवेलप किया जा रहा है जो अदालतों में अभियोजकों की सभी न्यायिक प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण को शामिल किया जाएगा। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आशुतोष पांडेय के मुताबिक अभियोजन विभाग महिला सशक्तिकरण के लिए मिशन शक्ति के अंतर्गत 100 दिवसीय विशेष अभियान चला रहा है। उत्तर प्रदेश में 25 सूचीबद्ध माफिया समूह के खिलाफ की गई कार्रवाई पर मासिक जानकारी प्रोवाइड करने के लिए विशिष्ट प्रारूप तैयार किए गए थे। POSCO अधिनियम के अंतर्गत चल रहे मामले और निर्णय और शस्त्र अधिनियम से संबंधित केस। इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण मामलों के अभियोजन में निरंतर प्रगति को बनाए रखने के लिए सभी जिलों में अधिकारियों की प्रगति की निगरानी करना इस प्रकार लोगों में विश्वास की भावना को पैदा करना है।
 
 

Poshan Abhiyaan Scheme,पोषण अभियान योजना को लागू करने में टॉप राज्य कौन कौन से हैं


Poshan Abhiyaan Scheme : नीति आयोग के एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र के प्रमुख पोषण अभियान के सभी कार्यान्वयन के मामले में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गुजरात को बड़े राज्यों में टॉप 3 स्थान दिया गया है। वहीं छोटे राज्यों में सिक्किम का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा है। भारत में पोषण पर प्रगति का संरक्षण महामारी के समय में पोषण अभियान टाइटल वाली रिपोर्ट में कहा गया है, कि 19 बड़े राज्यों में से 12 का कार्यान्वयन स्कोर 70% से अधिक था। सरकारी थिंक टैंक की रिपोर्ट के मुताबिक दादर, नगर हवेली, दमन और दीव जैसे केंद्रीय शासित प्रदेशों में टॉप स्थान पर है। वहीं पंजाब और बिहार पोषण अभियान के समग्र कार्यान्वयन के मामले में बड़े राज्यों में सबसे कम प्रदर्शन करने वाले राज्य में से एक हैं।


 रिपोर्ट के बारे में 


इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि केवल 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 12 से 23 महीने की उम्र के 75 परसेंट अधिक बच्चे थे. जो पूरी तरह से प्रतिरक्षित थे, जबकि 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 25 परसेंट से कम पूरी तरह से प्रतिरक्षित बच्चे थे। बिहार में कवरेज कम रहा जिसमें 65 परसेंट गर्भवती महिलाएं, 62 परसेंट स्तनपान करवाने वाली महिलाएं, 52 परसेंट बच्चे थे। पंजाब 78 परसेंट गर्भवती महिलाएं, 76 परसेंट स्तनपान करवाने वाली महिलाएं, 65 परसेंट बच्चे थे।  सिक्किम 84 परसेंट प्रेग्नेंट महिलाएं, 84 परसेंट स्तनपान करवाने वाली महिलाएं और 70 परसेंट बच्चे थे।  जम्मू-कश्मीर में 49 परसेंट गर्भवती महिलाएं 51 परसेंट स्तनपान करवाने वाली महिलाएं और 54 परसेंट बच्चे। रिपोर्ट के मुताबिक 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 75 परसेंट से ज्यादा (0-59 महीने)  में डायरिया के मामले में ओआरएस के साथ इलाज किया गया था, जबकि 5 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथओआरएस के साथ  25 परसेंट से कम के बाल डायरिया के मामलों का इलाज किया था।

 आइए जानते हैं इस मुद्दे के बारे में 


पोषण अभियान के अंतर्गत टोटल फंड का उपयोग कम किया गया है। 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 50 परसेंट से कम फंड का उपयोग किया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मानव संसाधनों की भर्ती उपकरणों की खरीदी जैसे उपयोग में तेजी लाने की तुरंत आवश्यकता है। रिपोर्ट में पोषण अभियान के लिए जारी धन के उपयोग में तेजी लाने और पर्याप्त संख्या में स्वास्थ्य सुविधाएं और सप्लाई सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। इसमें आईसीडीएस एकीकृत बाल विकास योजना और स्वास्थ्य प्लेटफार्मों को मजबूत करने के लिए जारी रखते हुए कवरेज का विस्तार करने और आवश्यक स्वास्थ्य और पोषण हस्तक्षेप की गुणवत्ता में सुधार करने का सुझाव दिया गया है। रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि कन्वर्जेंस एक्शन प्लान  का संचालन किया जाए जिससे अभिसरण परिणाम उन्मुख हो सके और सभी क्षेत्रों में इंटरफेयर लक्षित लाभार्थियों तक पहुंच सके

इसमें सुधार लाने के लिए सुझाव क्या है 

रिपोर्ट ने यह सुझाव दिया है कि कई आईसीडीसीएस सर्विस में से क्षमता निर्माण के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में विकास की निगरानी और घर आधारित परामर्श की गुणवत्ता को मजबूत करना शामिल होना चाहिए। इस अभियान के उद्देश्य के संबंध में उनकी स्थिति को ट्रैक करने के साथ-साथ प्रदर्शन पर अंतर राज्य तुलना को सक्षम करने के लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश लेवल पर डाटा मेनेजमेंट के लिए प्रयास करने की जरूरत है। पोषण अभियान के तहत प्रगति जारी रखने के लिए रिपोर्ट में यह कहा गया है कि HR पदों में अंतराल को  भरा जाना चाहिए खासकर उन राज्यों में जहां आवश्यक पदों में आधे से भी कम लोग अप्वॉइंट किए गए हैं।

 

India's first Nasal Vaccine, नेजल वैक्सीन क्या है, जाने इसके फायदे के बारे में


India's first Nasal Vaccine : भारत में कोविड-19 कोरोनावायरस के खिलाफ एक और बड़ी सफलता हासिल की है देश की पहली में नेजल वैक्सीन को इमरजेंसी के समय में प्रयोग करने के लिए मंजूरी दी गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीया ने बताया है कि भारत बायोटेक द्वारा कोरोनावायरस देश की पहली नेजल वैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इमरजेंसी उपयोग के लिए मंजूरी दी है। यह भारत का कोरोनावायरस के लिए पहला नाक से दिया जाने वाला टीका होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख माननीय ने इस बात को लेकर खुशी जताई है और कहा है कि महामारी के खिलाफ में भारत में एक और कदम बढ़ाया है।

 यह वैक्सीन कैसे काम करती है


 नेजल स्प्रे वैक्सीन को इंजेक्शन के बजाय नाक से दिया जाता है। यह ना के अंदरूनी हिस्सों में इम्यून तैयार करती है। इस नेजल वैक्सीन को ज्यादा कारागार इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि कोरोनावायरस के समान और भी अन्य हवा से फैलने वाली अधिकांश बीमारियां का संक्रमण का मार्ग अधिकांश तौर पर नाक से होता है और उसके अंदरूनी हिस्से में इम्यूनिटी तैयार होने से ऐसे बीमारियों को रोकने में ज्यादा असरदार साबित होगा।

 नेजल वैक्सिंग के क्या फायदे हैं 


इस वैक्सीन के बाद से इंजेक्शन से छुटकारा मिलेगा। सांसो से संक्रमण होने का खतरा कम होगा, क्योंकि नाक के अंदरूनी हिस्से में इस वैक्सीन के माध्यम से इम्यून तैयार किया जाएगा, इस वैक्सीन के बाद से इंजेक्शन से छुटकारा मिलने के बाद हेल्थ वर्कर को ट्रेनिंग की आवश्यकता नहीं होगी। बच्चों का टीकाकरण करना भी आसान हो जाएगा। प्रोडक्शन आसानी से दुनियाभर में डिमांड के हिसाब से किया जाएगा और प्रोडक्शन और सप्लाई को संभव बनाया जाएगा।
 

National Awards to Teachers, शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार क्या है जाने इसके बारे में विस्तार से


National Awards to Teachers : 5 सितंबर 2022 शिक्षक दिवस के अवसर पर नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विज्ञान भवन नई दिल्ली में देश भर के 45 चुने हुए शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया है। भारत इस साल अपना 50 वां राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया है। यह दिन साल हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है जो कि भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को सम्मानित किया जाता है। डॉ राधाकृष्णन एक विद्वान, दार्शनिक और भारत रत्न से सम्मानित थे। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, स्कूल शिक्षा और साक्षरता डिपार्टमेंट ने साल 2022 के लिए शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रोवाइड करने के लिए नेशनल लेवल पर एक स्वतंत्र जूरी का गठन किया था।  


आइए जानते हैं कि सम्मानित शिक्षक कौन-कौन शामिल हैं


 युद्धवीर, वीरेंद्र कुमार और अमित कुमार - हिमाचल प्रदेश से
हरप्रीत सिंह अरुण कुमार गर्ग और वंदना शाही - पंजाब से
 शशिकांत संभाजीराव कुलठे, सोमनाथ वामन वाके और कविता सांघवी - महाराष्ट्र
कंडाला रमैया, टी एन श्रीधर और सुनीता राव - तेलंगाना 
प्रदीप नेगी और कौस्तुभ चंद्र जोशी - उत्तराखंड
 सुनीता और दुर्गा राम मुवाल - राजस्थान
नीरज सक्सेना और ओम प्रकाश पाटीदार - मध्य प्रदेश 
सौरभ सुमन और निशा कुमारी - बिहार 
जी पोंसकरी और उमेश टीवी - कर्नाटक 
 माला जिगदल दोरजी और सिद्धार्थ योनज़ोन - सिक्किम यह चुने हुए शिक्षकों में से हैं

 अन्य पुरस्कार विजेताओं में 


अंजू दहिया हरियाणा, रजनी शर्मा दिल्ली, सीमा रानी चंडीगढ़, मारिया मुरेना मिरांडा गोवा, उमेश भरतभाई वाला गुजरात, ममता अहर छत्तीसगढ़, ईश्वर चंद्र नायक उड़ीसा, बुद्धदेव हैं। दत्ता वेस्ट बंगाल, मिमी योशी नागालैंड, नोंगमैथेन गौतम सिंह मणिपुर, रंजन कुमार विश्वास अंडमान और निकोबार, इन सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस के दिन राष्ट्रिय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

 शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार क्यों दिया गया है


 शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार देशभर में चुने गए कुछ बेहतरीन शिक्षकों की अनोखी पहल और योगदान को सेलिब्रेट करने के लिए दिया गया है। इन सभी शिक्षकों ने अपनी प्रतिबद्धता के माध्यम से ना केवल एक स्कूली शिक्षा के क्वालिटी में सुधार लाया है बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध बनाया है। कार्यक्रम का आयोजन शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा किया गया था।
 

India'sFirst Bio Village, भारत का पहला बायो ग्राम कौन सा है, जाने इसके बारे में विस्तार से


India's First Bio Village: त्रिपुरा भारत का पहला राज्य बन गया है जहां देश का पहला संशोधित बायो गांव यानी बायो विलेज है। त्रिपुरा के दासपारा गांव को प्राकृति आधारित जीवन शैली और आजीविका में बदल दिया गया है और रासायनिक फ़र्टिलाइज़र के प्रयोग को कम कर दिया गया है। दासपारा गांव में 64 परिवार रहते हैं जिनका जीवन कृषि और मत्स्य पालन पर निर्भर करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जलवायु परिवर्तन शमन प्रयास को अपनाने के बाद त्रिपुरा में  दासपारा पांच सफल बायो गांव 2.0 में से एक है।

 भारत के पहले जब गांव से संबंधित मुख्य बिंदु 

त्रिपुरा सरकार ने राज्य में कुल 100 ऐसे बायो गांव स्थापित करने का लक्ष्य बनाया था।
जिनमें से 10 बायो विलेज अब तक बनाए जा चुके हैं। जिसमें पहला बायो विलेज सिपाहीजला जिले के चारिलम निर्वाचन क्षेत्र के दासपारा में स्थित है।
जैव ग्राम परियोजना (Bio Village Project) का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों के बीच सामाजिक, आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए स्थाई आजीविका और खाद्य सुरक्षा प्रोवाइड करना है। यह प्रोजेक्ट स्थानीय स्तर पर सोलर एनर्जी से चलने वाले उपकरण, एनर्जी की बचत करने वाले विद्युत उपकरण, बायोगैस और जैव उर्वरकों के डेवलपमेंट का समर्थन करती है।

 प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य क्या है

 इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश कृषि और संबंधित क्षेत्र से उत्पादों के सतत उत्पादन के लिए सौर जल पंप, बायोमास स्टोर और बायोगैस संयंत्र जैसी हरित प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बढ़ावा देना है।
 
08-09-2022
 

Bhupen Hazarika Biography , कौन हैं भूपेन हजारिका जिनके स्मृति में आज गूगल डूडल बनाया गया है, जाने इनके बायोग्राफी के बारे में

Bhupen Hazarika Biography : भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से एक बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति भूपेन हजारिका गीतकार, संगीतकार और एक महान गायक थे। इसके अलावा ये असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, राइटर, पत्रकार आदि के क्षेत्रों में कार्य किया है। इन्हें असम की संस्कृति और संगीत के विषय में अच्छे से जानकारी थी। भूपेन हजारिका के गीतों ने लाखों दिलों को जीता है। इन्होंने 'गांधी टू हिटलर' फिल्म में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन "वैष्णव जन" गाया था। उन्हें से भी सम्मानित किया गया था। मरने के पश्चात भूपेन हजारिका को पद्मभूषण और भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। भूपेन हजारिका एक ऐसे कलाकार थे जो अपना गीत खुद ही लिखते थे, संगीत देते थे और स्वयं ही उसे गाते थे।

विषय सूची


जीवन परिचय
भूपेन हजारिका का विवाह
भूपेन हजारिका के शिक्षा
भूपेन हजारिका के करियर
भूपेन हजारिका के अवार्ड
भूपेन हजारिका पुल के बारे में
भूपेन हजारिका की मृत्यु के बारे में 

आइए जानते हैं इनके जीवन परिचय के बारे में 


भूपेन हजारिका का जन्म 8 सितंबर 1926 सदिया असम में हुआ था। उनकी माता का नाम श्रीमती शंति प्रिया और पिता का नाम श्री नीलकांत था। भूपेन हजारिका पेशे से लेखक, गीतकार, संगीतकार एवं गायक थे। भूपेन हजारिका जी ने अपना पहला गाना लगभग 10 साल की उम्र में लिखा और गाया था। 12 साल के कम उम्र में इन्होंने असमिया सिनेमा की दूसरी फिल्म इंद्रमालती में काम किया था। उन्होंने बहुत कम उम्र से ही अपना करियर स्टार्ट कर दिया।   

भूपेन हजारिका का विवाह


सन् 1949 में भूपेन हजारीका कोलंबिया यूनिवर्सिटी आगे की पढ़ाई के लिए गए वहां उनकी मुलाकात प्रियंवदा पटेल से हुई। दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे, जिसके बाद उन्होंने 1950 में शादी किया, 1952 में उनका एक पुत्र हुआ जिनका नाम तेज हजारिका था। सन् 1953 में भूपेन हजारिका सहपरिवार भारत लौट आए। भारत आने के बाद इन्होंने गुवाहाटी के विश्वविद्यालय में पढ़ाने का कार्य किया। नौकरी ज्यादा दिन नहीं किया और यूनिवर्सिटी को अपना रेजिग्नेशन लेटर दे दिया है। पैसों की कमी और तंगी के चलते उनकी पत्नी प्रियंवदा पटेल ने उन्हें छोड़ दिया। 

भूपेन हजारिका के शिक्षा के बारे में


इनकी प्रारंभिक जीवन गुवाहाटी आसाम में बीती और वहीं से इन्होंने अपनी इंटर की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने हिंदू बनारस विश्वविद्यालय सेपॉलिटिकल साइंस में बैचलर की पढ़ाई पूरी की। इसके पश्चात न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया की यूनिवर्सिटी से पीएचडी की पढ़ाई की है। 

आइए जानते हैं भूपेन हजारिका के करियर के बारे में 

प्रियंवादा पटेल के जाने के बाद उन्होंने संगीत और लेखन को अपना समय दिया। इसके बाद उन्होंने ''दमन'', ''गजगामिनी,'' "साज", "दरमियां", "क्यों" "जूठी मूठी मितवा" आदि गीतों पर काम किया है। भूपेन हजारिका ने अपने पूरे जीवन भर लगभग 1000 गाने से ऊपर गाना गाया है, 15 किताबें लिखी है और स्टार टीवी पर आने वाली सीरियल डॉन को इन्होंने प्रोड्यूस किया है। भूपेन हजारीका द्वारा लिखे गए गीतों को लाखों लोगों ने पसंद किया है। उन्हें असमिया, हिंदी, बंगला और भारतीय अन्य भाषाओं में गीत गाया है।


भूपेन हजारिका के अवार्ड


2019 में उन्हें मरने के बाद भारत रत्न से सम्मानित किया गया
2012 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया
2009 में असोम रत्न पुरस्कार (असम सरकार द्वारा सर्वोच्च सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित किया गया) 
2001 पद्मभूषण
1992 दादा साहेब फ़ाल्के पुरस्कार
1987 संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
1977 पद्मश्री 
1975 बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर नेशनल अवॉर्ड 
1961 सर्वश्रेष्ठ असमी फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार (भूपेन हजारिका द्वारा निर्देशित किए गए फिल्म शकुंतला के लिए)

भूपेन हजारिका पुल के बारे में


असम में लोहित नदी पर बनाए गए देश के सबसे लंबे ढोला सदिया पुल जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 मई 2017 को लांच किया था। इसका नामकरण भूपेन हजारिका के नाम पर रखा गया है।

भूपेन हजारिका की मृत्यु के बारे में 


भारत एवं असम राज्य के बहुमुखी प्रतिभा के धनी भूपेन हजारिका की मृत्यु 85 साल की उम्र में 5 नवंबर 2011 को मुंबई में हुआ था। भारतीय डाक विभाग में देश के 10 प्रतिष्ठित गायकों की स्मृति में 10 - 10 स्मारक डाक टिकट का सैंट 30 दिसंबर 2016 को जारी किया था। जिसमें भूपेन हजारिका पर डाक टिकट भी उस शामिल था।
 
 

Biography of Subhash Chandra Bose, सुभाष चंद्र बोस के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से


Biography of Subhash Chandra Bose : सुभाष चंद्र बोस भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में बहुत कठिन प्रयास किए हैं। इनका जन्म उड़ीसा के बंगाली परिवार में हुआ था। लेकिन उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के नाम किया था। 

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रारंभिक जीवन के बारे में


 सुभाष चंद्र बोस का जन्म कटक उड़ीसा के बंगाली परिवार में हुआ था। उनके माता पिता के ये 9वें संतान थे और ये   अपने भाई शरदचंद्र के बहुत करीब थे। इनके पिता एक मशहूर और सफल वकील थे, जिन्हें रायबहादुर की उपाधि दी गई थी। नेताजी बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थे और बहुत मेहनती थे, जिसके कारण उन्हें सभी शिक्षकों द्वारा अत्यधिक प्रेम किया जाता था। लेकिन नेताजी खेल को शुरुआत से ही खेल में रुचि नहीं थी। नेता जी ने अपनी स्कूल की पढ़ाई कटक से की और आगे की पढ़ाई के लिए वे कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में फिलॉसफी b.a. में एडमिशन लिया। इस कॉलेज में एक अंग्रेज प्रोफेसर के भारतीयों को सताए जाने पर नेताजी ने प्रोफेसर का विरोध किया। उस समय जातिवाद का मुद्दा बहुत उठाया गया था और यही से नेताजी के मन में अंग्रेजो के खिलाफ जंग शुरू हो गया। नेताजी सिविल सर्विस करना चाहते थे। अंग्रेजों के शासन के चलते भारतीयों को सिविल सर्विस में जाना बहुत कठिन था। इसके बाद उनके पिता ने उन्हें इंडियन सिविल सर्विस की तैयारी करने के इंग्लैंड भेज दिया गया। इस परीक्षा में नेताजी चौथे नंबर पर आए जिसमें इनका सबसे ज्यादा इंग्लिश विषय में अंक आया था। नेताजी स्वामी विवेकानंद को अपना गुरु मानते थे उनकी बातों को अपने जीवन में लागू किया करते थे। नेताजी के मन में देश के प्रति बहुत श्रद्धा और प्रेम था और देश की आजादी को लेकर अक्सर चिंतित रहते थे। जिसके चलते 1921 में अपनी नौकरी छोड़ भारत  वापस आ गए थे।

 सुभाष चंद्र बोस का राजनीतिक जीवन 


भारत वापस आने के बाद स्वतंत्रता की लड़ाई में जुट गए। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी को ज्वाइन किया। शुरुआत में नेताजी कोलकाता में कांग्रेस पार्टी के नेता रहे और चितरंजन दास के नेतृत्व में काम किया करते थे। नेताजी  चितरंजन दास को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। 1922 में चितरंजन दास मोतीलाल नेहरू के कांग्रेस पार्टी को छोड़कर अपनी अलग स्वराज पार्टी बनाई। जब चितरंजन दास अपनी अलग पार्टी बना रहे थे उस दौरान नेताजी की पकड़ छात्र-छात्राओं, नौजवानों एवं मजदूर लोगों के बीच अच्छी बन गई थी। नेता जी जल्द से जल्द परतंत्र भारत को स्वतंत्र देखना चाहते थे। लोग नेता जी को सुभाषचंद्र बोस के नाम से जाने लगे थे। उनके कार्यों की चर्चा चारों ओर फैल रही थी। नेताजी एक नौजवान सोच के साथ आए थे, जिससे वे यूथ लीडर के रूप में मशहूर हो रहे थे। 1928 में गुवाहाटी में कांग्रेस की एक बैठक के दौरान नए व पुराने सदस्यों के बीच बातचीत को लेकर मतभेद हो गया। नए युवा नेता किसी भी नियम पर आगे नहीं बढ़ना चाहते हैं अपने हिसाब से चलना चाहते थे, लेकिन पुराने नेता ब्रिटिश सरकार के बनाए नियम के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। सुभाष चंद्र जी के विचार गांधी जी से बिल्कुल भी नहीं मिलते थे। नेताजी गांधी जी की विचारधारा से कभी भी सहमत नहीं थे, उनकी सोच नौजवानों वाली थी। उन दोनों की विचारधारा अलग थी लेकिन मकसद देश की आजादी थी। नेताजी राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए आगे आए। उनके विपक्ष में गांधी जी ने सीताराम्या को खढ़ा कर दिया था। जिसे नेताजी ने हरा दिया था। गांधी जी सीताराम्या के हार से बिल्कुल खुश नहीं थे। नेताजी गांधी जी की दुख की बात सुनने के बाद अपने पद से तुरंत इस्तीफा दे दिया था। नेताजी और गांधीजी के विचार में मेल नहीं होने के कारण नेताजी लोगों की नजर में गांधी विरोधी बन रहे थे। जिसके बाद नेता जी ने कांग्रेस पार्टी से अलग हो गए।

 सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 

1945 में जापान जाते वक्त नेताजी का विमान ताइवान में क्रैश हो गया था। लेकिन नेताजी की बॉडी नहीं मिली कुछ समय बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था। भारत सरकार ने इस दुर्घटना पर जांच कमेटी बैठाई थी लेकिन आज तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है। मई 1956 में शाहनवाज कमेटी नेताजी की मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए जापान गई थी, लेकिन ताईवान से कोई खास राजनीति रिश्ता नहीं होने के कारण सरकार से उनसे मदद नहीं मिली। 2006 में मुखर्जी कमीशन ने संसद में यह कहा था कि नेताजी की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी और उनकी अस्थियां रेंकोजी मंदिर में रखी गई है, वह उनकी नहीं है। लेकिन इस बात को केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया। आज भी नेताजी की मृत्यु पर जांच और विवाद चल रहा है। 

 

Shikshak Parv, शिक्षक पर्व क्या है जाने इसके बारे में विस्तार से


Shikshak Parv : शिक्षकों को सम्मानित करने और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को देश में आगे बढ़ाने के लिए केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी और राजकुमार रंजन सिंह द्वारा शिक्षक पर्व की शुरुआत की गई है। शिक्षा मंत्रालय सीबीएसई, एआईसीटी और स्कील डेवलपमेंट और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा आयोजित एक उद्घाटन संवाद में शिक्षक पर्व की शुरुआत की गई है।

 शिक्षक पर्व से जुड़े प्रमुख बिंदु


 शिक्षक राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी के मुताबिक एनईपी 2020 के अंतर्गत शिक्षकों को एकीकृत दृष्टिकोण की धारणा के मुताबिक भविष्य की कार्य योजना पर काम करना होगा। शिक्षक छात्रों विशेषताओं को डिवेलप करने और एनसीपी के साथ आधारित समाज के निर्माण में के लिए महत्वपूर्ण है। शिक्षा का मजबूत समन्वय और सहयोग विद्यार्थियों को उनकी क्षमताओं और चरित्र को डेवलप करने में सहायता की चाबी हैं। मंत्रियों ने CBSE  से संबंध्द स्कूलों के 19 प्रधानाचार्य और शिक्षकों को शिक्षण और स्कूल के नेतृत्व में उत्कृष्टता के लिए सीबीएसई सम्मान 2021-2022 पुरस्कार से सम्मानित किया है। एमओएस राज कुमार रंजन सिंह के मुताबिक शिक्षक चाहे स्कूलों में हो या उच्च शिक्षा में एक शेयर मिशन है और इन सम्मानों का लक्ष्य अनुकरणीय प्रथाओं शैक्षणिक नेतृत्व और ऑर्गनाइजेशन निर्माण को स्वीकार करना है।

 शिक्षा मंत्रालय के द्वारा शिक्षकों के पुरस्कार के बारे में


 पुरस्कार प्राप्त कर्ताओं को उनकी शैक्षणिक और वेबसाइट उपलब्धियों सामुदायिक सेवा, रचनात्मक शिक्षण विधियों, छात्रों के समग्र डेवलपमेंट पर प्रभाव डालने और राष्ट्रीय स्क्रीनिंग और चयन समिति के साथ एक इंटरव्यू के बेस पर चुना गया था। राष्ट्रीय तकनीकी प्रशिक्षण पुरस्कार की स्थापना अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा असाधारण शिक्षकों की शिक्षण गुणवत्ता संस्थागत नेतृत्व, इनोवेशन और मौलिकता को पहचाने और सम्मानित करने के लिए लाया गया है।
 

Suella Braverman New UK Home Secretary,सुएला ब्रेवरमैन कौन हैं जिन्हें यूके की नई गृह सचिव नियुक्त किया गया है।


Suella Braverman New UK Home Secretary : सुएला ब्रेवरमैन यूके की नई गृह सचिव नियुक्त हुयी है। लिज़ ट्रस, ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनी हैं, जिन्होंने सुएला ब्रेवरमैन को देश के नए गृह सचिव के रूप में अपॉइंट किया है। इसके पहले इस पद पर प्रीति पटेल जो  भारतीय मूल की  थी उन्हें अब उनकी जगह सुएला ब्रेवरमैन अपॉइंट किया गया है। सूएला ब्रेवरमैन दक्षिण पूर्व इंग्लैंड के फरेहम से 42 साल की कंजरवेटिव पार्टी की सदस्य हैं। जिन्होंने पहले बोरिस जॉनसन के प्रशासन के दौरान अटॉर्नी जनरल के रूप में काम किया था।

सुएला ब्रेवरमैन के बचपन के बारे में 


 ब्रेवरमैन का जन्म 1980 को हुआ था इनकी मां का नाम उमा था जो तमिल हिंदू परिवार से थी और पिता क्रिस्टी फर्नांडीस गोवा के ईसाई धर्म से थे। क्रिस्टी फर्नांडीस 1960 के साल में केन्या से यूके गए थे और सुएला का जन्म हैरों में हुआ था और इनका पालन-पोषण वेम्बली में हुआ था।


सुएला ब्रेवरमैन के शिक्षा के बारे में


 लंदन के हीथफील्ड स्कूल में लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद में कैंब्रिज के क्वींस कॉलेज में पढ़ने गयी। सुएला ब्रेवरमैन ने पेरिस विश्वविद्यालय 1, पैन्थियॉन-सोरबोन से यूरोपीय और बाद में फ्रांसीसी कानून में मास्टर की डिग्री हासिल की थी और बाद में न्यूयॉर्क में लॉ की प्रैक्टीस की।

सुएला ब्रेवरमैन  का परिवार और करियर


 साल 2005 के आम चुनावों में सुएला ब्रेवरमैन सामने आई। मई 2015 में सुएला ब्रेवरमैन ने कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य के रूप में फरेहम का प्रतिनिधित्व करते हुए 1 सीट अपने नाम की थी। सुएला ब्रेवरमैन ने विधायिका में सेवा की और 2017 और 2019 में फिर से इशपद के चुनी गईं। इसके अलावा सुएला ब्रेवरमैनने  फरवरी 2020 से सितंबर 2022 सितंबर तक अटॉर्नी जनरल का पद संभाला।
 
 

International Travel Awards, इंटरनेशनल ट्रैवल अवार्ड्स क्या है, जिससे वेस्ट बंगाल को सम्मानित किया जाएगा


International Travel Awards : संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन यूएमडब्ल्यूटीओ  के एक सबध्द सदस्य पैसिफिक एरिया ट्रैवल्स राइटर्स एसोसिएशन पीएटीडब्ल्यूए द्वारा वेस्ट बंगाल को कल्चर के लिए सर्वश्रेष्ठ गंतव्य के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्रा पुरस्कार 2023 से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार 9 मार्च 2023 को बर्लिन जर्मनी में वर्ल्ड टूरिज्म एंड एविएशन लीडर्स समिट में प्रेजेंट किया जाएगा। लगातार दूसरे साल वर्ल्ड ट्रैवल्स अवॉर्ड्स ने 2022 में क्यूबा गणराज्य को कैरिबियन के अग्रणी संस्कृति गंतव्य के रूप में चुना है।

 आइए जानते हैं PATAWA क्या है जाने इसके बारे में विस्तार से


पेसिफिक एरिया ट्रैवल राइटर्स एसोसिएशन पटवा 1998 में स्थापित एक पेशेवर यात्रा राइटर ऑर्गनाइजेशन है। यह सतत विकास को प्रोत्साहित करने और यात्रा और पर्यटन की क्वालिटी को सुधारने एवं बढ़ाने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के साथ सहयोग करता है। पटवा संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को, संयुक्त राष्ट्र यूएनडब्ल्यूटीओ के मूलभूत सिद्धांतों को बरकरार रखता है।

 पुरस्कारों के बारे में


 इंटरनेशनल ट्रैवल अवार्ड सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार में से एक है जो उन व्यवसायियों को यात्रा, पर्यटन और आतिथ्य के क्षेत्र में उनके द्वारा की गई कार्यों के लिए सम्मानित करता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त और प्रतिष्ठित योजना यह सुनिश्चित करती है कि यात्रा उद्योग में उनके योगदान के लिए हर तरह से उम्मीदों से अधिक यात्रा करने वाले स्थानों को पुरस्कृत और सम्मानित किया जाए।

इंटरनेशनल ट्रैवल अवार्ड्स के बारे में


इंटरनेशनल ट्रैवल अवार्ड्स की मेजबानी और मैनेजमेंट गोल्डन ट्री इवेंट ऑर्गेनाइजिंग एंड मैनेजमेंट दुबई यूएई द्वारा किया जाता है। यह दुनिया भर के यात्रा में क्षेत्र में शामिल सभी बिजनेस पर केंद्रित है। होटल से लेकर पर्यटन बोर्ड आकर्षण ट्रेवल कंपनियां और बहुत कुछ पुरस्कार प्रत्येक उद्योग के भीतर उत्कृष्टता को पहचानने का काम करते हैं। उन प्रतिष्ठानों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो दुनिया में सबसे अच्छे हैं।
 

WEST A New I-STEM Initiative, महिलाएं, इंजीनियरिंग, साइंस एंड टेक्नोलॉजी में WEST एक नया I-STEM पहल क्या है जाने इसके बारे में विस्तार से


WEST A New I-STEM Initiative : महिलाएं, इंजीनियरिंग, साइंस एंड टेक्नोलॉजी में WEST एक नया I-STEM पहल लाई है। WEST पहल की शुरुआत भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय पीएसए के वैज्ञानिक सचिव डॉ प्रविंदर मैनी ने किया था। WEST प्रोग्राम का उद्देश्य महिलाओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इनोवेशन सिस्टम में योगदान करने के लिए इंपावर बनाना है। I-STEM एक राष्ट्रीय वेब पोर्टल है जिसका उपयोग रिसर्च उपकरण सुविधाओं को शेयर करने के लिए किया जाता है और इसके तहत रिसर्च एवं डेवलपमेंट में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए और एकेडमिक और इंडस्ट्री के बीच टेक्नोलॉजी इन्नोवेशन को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम है।

इंजीनियरिंग विज्ञान और प्रौद्योगिकी WEST में महिलाओं से संबंधित प्रमुख बिंदु


WEST पहल वैज्ञानिक रूप से इच्छुक महिला रिसर्चर, वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी के लिए एक अलग स्टेज प्रोवाइड करने के लिए  I-STEM  का आधार है। इस स्टेज में उन्हें विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में बुनियादी या फिर अनुप्रयुक्त विज्ञान में अनुसंधान रिसर्च करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। महिलाएं WEST में शामिल हो सकती है और विभिन्न क्षेत्रों में हीतधारक बनने के अवसरों के बारे में जान सकती है और विभिन्न स्तरों पर रिसर्च एवं डेवलपमेंट में करियर बना सकती हैं। WEST पहल का स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम एसएंडटी बैकग्राउंड वाली महिलाओं को उनकी क्षमताओं को मजबूत करने के लिए ट्रेनिंग प्रोवाइड करता है। यह करियर ब्रेक के बाद महिलाओं को एसएंडटी डोमेन में लाने के लिए सहायता करेगा।  I-STEM  महिला रिसर्चर को उपलब्धियों पर विचार विमर्श करने और भारत को उन्नत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की ओर ले जाने के लिए विचारों का आदान प्रदान करने हेतु एक स्टेज प्रोवाइड करेगा।
 

History of Kohinoor Diamond,जाने कोहिनूर हीरे के इतिहास के बारे में विस्तार से


History of Kohinoor Diamond : हीरा एक ऐसा रत्न है जिसे सालों से नग,रत्न और गहने की तरह पहना जा रहा है। प्राचीन समय में राजा महाराजाओं और राज परिवार के लोगों को हीरा बहुत प्रिय होता था। सभी प्रकार के हीरो में कोहिनूर हीरे को सबसे प्रसिद्ध, पुराना और महंगा बताया गया है। यह चमकता हुआ बेशकीमती हीरा कोहिनूर हीरा का अर्थ प्रकाश की श्रृंखला है। इसे आंध्र प्रदेश की गुंटूर जिले की कोल्लूर खदान से निकाला गया था, जिसके बाद कोहिनूर कई देशों द्वारा होने का दावा किया जाता है। हाल ही में कोहिनूर किसकी असली वसीयत है इस बात पर बहस जारी है।

कोहिनूर हीरे का इतिहास क्या है 


कोहिनूर हीरे का इतिहास बहुत पुराना है, माना जाता है कि लगभग 5000 साल इसका इतिहास और उत्पत्ति हुयी थी। कोहिनूर कई देश का सफर करते हुए वर्तमान में लंदन के टावर में सुरक्षित रखा गया है। 
संस्कृत भाषा में सबसे पहले हीरे का उल्लेख किया गया है, इसे श्यामंत्क नाम से शास्त्रों में जाना गया है। लेकिन श्यामंता को कोहिनूर से अलग माना जाता है। 
सबसे पहले 13वीं शताब्दी में 1304 में यह मालवा के राजा की निगरानी में सबसे प्राचीनतम हीरा में से एक था। फिर 1339 में इस हीरे को समरकंद के नगर में लगभग 300 साल तक रखा गया।
इस समय कुछ सालों तक हिंदी साहित्य में हीरे के बारे में रोचक और अंधविश्वास से भरा कथन प्रचलित था। जिसमें यह लिखा था कि जो कोई भी पुरुष इस हीरे को पहनेगा उसे दोष लगेगा और वह कई सारे परेशानियों से घिर जाएगा। श्राप के मुताबिक इस हीरे को पहनने वालों में औरतें हो या फिर भगवान ही इस हीरे को धारण कर सकते हैं, जो इस श्राप से दूर रहेंगे। 
कोहिनूर कई मुगल शासकों के भी अधीन रहा। बाबरनामा में हीरे का उल्लेख किया गया है। कोहिनूर को बाबर का हीरा भी बाबरनामा में बताया गया है।
1739 में परसिया के राजा जब भारत आए थे तब वे सुल्तान मोहम्मद (मुगल शासन) के राज्य पर शासन करना चाहते थे और उन्होंने सुल्तान मोहम्मद को युद्ध में हरा दिया और उनकी सभी संपत्ति और राज्य को अपने शासन में ले लिया।
जिसके बाद नादिरशाह ने बेशकीमती हीरे को कोहिनूर नाम दिया था।
इस हीरे को उन्होंने कई सालों तक पर्शिया में रखा था। कोहिनूर की हिफाजत के लिए नादिरशाह लंबे समय तक जीवित नहीं रहे क्योंकि 1747 में राजनीतिक लड़ाई के चलते नादिर शाह की हत्या कर दी गई और कोहिनूर हीरे को जनरल अहमद शाह दुर्रानी ने अपने कब्जे में कर लिया था। 
जिसके बाद अहमद शाह दुर्रानी के वंशज शाह दुर्रानी कोहिनूर हीरे को वापस 1813 में भारत लेकर आए और इस हीरे को शाह ने अपने कड़े में जड़वा लिया था। 
बाद में दुर्रानी ने कोहिनूर को सिख समुदाय के संस्थापक राजा रंजीत सिंह को भेंट दिया था।
इस बेशकीमती हीरे के बदले में राजा रंजीत सिंह ने दुर्रानी को अफगानिस्तान से लड़ने और राजगद्दी को वापस दिलाने में सहायता की थी।
 राजा रंजीत सिंह के घोड़े का नाम भी कोहिनूर था। 
राजा रंजीत सिंह ने अपनी वसीयत में यह लिखवाई थी कि कोहिनूर हीरे को उनकी मृत्यु के बाद जगन्नाथ पुरी उड़ीसा के मंदिर में देने की बात कही थी। लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस वसीयत को नहीं मानी और 29 मार्च 1849 को द्वितीय एंग्लो ने राजा रंजीत सिंह को युद्ध में हरा दिया और रंजीत सिंह की संपत्ति पर कब्जा कर लिया। 
जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने रंजीतसिंह के वसिहत को नहीं मानते हुए ब्रिटिश महारानी विक्टोरिया को सौंपने की बात कही थी।

वर्तमान में कोहिनूर हीरा कहां है 


राजाओं के हाथ से सफर करते हुए कोहिनूर हीरा वर्तमान में लंदन के टावर में सुरक्षित रखा गया है।

कोहिनूर हीरा की कीमत क्या है 

मुगल शासक बाबर ने हीरे का मूल्य बताते हुए कहा था कि सबसे बेशकीमती मंहगा रत्न है जिसकी दुनिया की 1 दिन की आधे मूल्य के लगभग बताया गया था।

ब्रिटिश इंडिया कंपनी द्वारा कोहिनूर को रखने के बारे में 


कोहिनूर हीरा भारत में राजा रंजीत सिंह की हिफाजत में था लेकिन 1849 ब्रिटिश द्वारा कोहिनूर जीतने के बाद राजा रंजीत सिंह की संपत्ति ब्रिटिश सरकार ने ली थी। इसके बाद भी कोहिनूर को जहाजी यात्रा से ब्रिटेन ले जाया गया। ब्रिटिश शासक द्वारा कोहिनूर हीरे को मुआवजे के तौर पर रखने के बाद इसे ब्रिटेन ले जाया गया जिसके बाद जुलाई 1850 में इस जगमगाते हुए बेशकीमती हीरे को इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया था।
 

Pudhumai Penn Scheme,पुधुमई पेन क्या है और कौन लोग इनसे लाभान्वित होंगे


Pudhumai Penn Scheme: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उपस्थिति में चेन्नई में एक प्रोग्राम के तहत पुधुमई पेन टाइटल से मूलूर रामामिरथम अम्मैयार उच्च शिक्षा आश्वासन योजना को लॉन्च किया है। अरविंद केजरीवाल दिल्ली में अपनी आप सरकार द्वारा मंडल का अनुकरण करते हुए तमिलनाडु सरकार द्वारा स्थापित उत्कृष्टता के 26 स्कूलों और 15 मॉडल स्कूल को लॉन्च करेंगे। 


पुधुमई पेन के बारे में 


पुधुमई पेन योजना के तहत राज्य के सरकारी स्कूलों में पांचवी से बारहवीं तक पढ़ने वाली छात्राओं को स्नातक या डिप्लोमा पूरा करने के लिए ₹1000 की मासिक सहायता देगी। इस योजना का लक्ष्य हर साल 600000 बालिकाओं को इस योजना से लाभान्वित करना है और इसके कार्यान्वयन के लिए बजट में 698 करोड़ रुपए बांटे गए हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने यह कहा है कि उनकी सरकार की सत्ता आने के बाद लोगों की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लाभ के लिए मूवलुर रामामिरथम अम्मैयार विवाह सहायता योजना को मूवलुर रामामिरथम अम्मैयार उच्च शिक्षा आश्वासन योजना में बदल दिया गया था। जिसे अब पुधुमाई पेन योजना के रूप में लागू किया गया है। जो गरीब परिवार, अधिक गरीबी और तंगी के चलते अपनी बच्चियों की कॉलेज की पढ़ाई नहीं करवा पाते हैं उन्हें इस योजना के तहत मासिक सहायता यानी हर महिने ₹1000 की सहायता दी जाएगी। इसके साथ ही नई कक्षाओं के निर्माण और बुनियादी सुविधाओं के डेवलपमेंट के लिए भारती महिला कॉलेज को ₹250000000 बांटे जाएंगे.
 
 

Rainbow Savings Account, रेनबो सेविंग अकाउंट क्या है और यह किनके लिए लाया गया है


Rainbow Savings Account : ESAF स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड ने ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के लिए एक रेनबो सेविंग अकाउंट लॉन्च किया है जो विशेष रूप से टॉप सेविंग रेट और उन्नत डेबिट कार्ड सुविधाओं सहित एक सुविधा प्रोवाइड करता है। 2015 में भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को अपनी सभी रूपों और आवेदनों में एक अलग कॉलम थर्ड जेंडर शामिल करने का निर्देश दिया था।


रेनबो सेविंग अकाउंट से जुड़े मुख्य बिंदु 


ट्रांस फ्रेंडली बैंक अकाउंट समय की जरूरत है और यह समाज के मॉर्डनाइजेशन की दिशा में एक बड़ा कदम है। ESAF बैंक वित्तीय समावेशन पर ध्यान देने के साथ-साथ 25 साल से ज्यादा पुराना है। इसका उद्देश्य भारत का अग्रणी सामाजिक बैंक बनना है। साथ ही सार्वभौमिक फाइनेंशियल पहुंच और आजीविका और इकोनामिक डेवलपमेंट को शामिल करके लोगों को समान अवसर प्रोवाइड करवाना है। इंद्रधनुष बचत खाता (रेनबो सेविंग अकाउंट) योजना उच्च ब्याज दर और डेबिट कार्ड सुविधाएं प्रोवाइड करती है। इंद्रधनुष बचत खाता योजना हाई इंटरेस्ट रेट अकाउंट में ब्याज का डिफॉल्ट क्रेडिट इस रेनबो सेविंग अकाउंट योजना के प्रमुख कारकों में से एक है। रेनबो सेविंग अकाउंट लोगो इवेंट केरल में आयोजित किए गए थे और इसमें कई ट्रांसजेंडरों ने भाग लिया था।
 

TB Mukt Bharat Abhiyaan, टीबी मुक्त भारत अभियान क्या है, जाने इसके बारे में विस्तार से


TB Mukt Bharat Abhiyaan : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान की शुरुआत करेंगी। प्रधानमंत्री टीवी मुक्त भारत अभियान का लक्ष्य 2025 तक भारत से टीबी की बीमारी को जड़ से खत्म करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में टीबी  यानी क्षय रोग को खत्म करने के लिए एक विशिष्ट आवाहन किया है। 2030 के सतत विकास के लक्ष्य के साथ एसडीजी से आगे हैं।

नी-क्षय मित्र पहल के बारे में

इस प्रस्तुति के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू  नी-क्षय मित्र पहल भी शुरू करेंगी जो अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। नी-क्षय मित्र पहल उन टीबी रोगियों की मदद करने के लिए एक स्टेज प्रोवाइड करेगा जिनका क्षय रोग का इलाज चल रहा है। दाताओं को नी-क्षय मित्र कहा जाएगा। यह योजना एक सामाजिक दृष्टिकोण की जरूरतों पर हाईलाइट करता है जो कि 2025 तक देश से टीबी को खत्म करने के लिए सभी बैकग्राउंड के लोगों को एक साथ लाता है। राष्ट्रपति मुर्मू के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया, स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार, अन्य केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे। राज्यपालों और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस कार्यक्रम का हिस्सा रहेंगे। 
 

International Day to Save Education from Attack 2022,  शिक्षा के हमले से बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2022 के बारे में जाने विस्तार से


International Day to Save Education from Attack 2022 : शिक्षा को हमले से बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2022 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सर्व सम्मत निर्णय द्वारा सर्व सहमति से स्थापित किया गया एक अंतर्ष्ट्रीय पाहल है। यह हर साल 9 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों के लिए सुरक्षा के स्थानों के रूप में स्कूलों की सुरक्षा के महत्व और शिक्षा को सार्वजनिक एजेंडे में सबसे ऊपर रखने की आवश्यकता के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है। 


शिक्षा को हमले से बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस का उद्देश्य  क्या है


35 देशों में रहने वाले 3 साल से लेकर 18 साल के 75 मिलियन से अधिक बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करना है। यह दिन स्कूलों की सुरक्षा और छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों की सुरक्षा और बच्चों को शिक्षा तक निरंतर पहुंच प्रोवाइड करने के लिए महत्व के बारे में एक स्पष्ट संदेश देता है।

शिक्षा को हमले से बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस का इतिहास क्या है


इस दिन की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा के सर्व सहमति के निर्णय के बाद लिया गया था। जिसमें यूनेस्को और यूनिसेफ को संघर्ष से प्रभावित देशों में रहने वाले लाखों बच्चों की दुर्दशा के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए आवाहन किया गया था। यह दिन 2020 में स्थापित किया गया था और यूनेस्को यूनिसेफ द्वारा समर्थित है। 65 देशों द्वारा प्रायोजित इस दिन का उद्देश्य युद्ध प्रभावित देशों में रहने वाले लाखों बच्चों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। 

यूनेस्को और यूनिसेफ संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के अंदर और बाहर भागीदारों के साथ निकट सहयोग से दिन के वार्षिक पालन की सुविधा प्रोवाइड करेंगे। संघर्ष प्रभावित देशों में फ्रंटलाइन पर काम करते हुए संयुक्त राष्ट्र की ऑर्गनाइजेशन संकट के समय सभी के लिए क्वालिटी पूर्ण क्वालिटी एजुकेशन क्षमता को मजबूत करने के लिए सदस्य राज्यों की अधिक समय से सहायता की है।


सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण फैक्ट


यूनेस्को का मुख्यालय कहां है
पेरिस फ्रांस 
यूनेस्को का प्रमुख कौन है
ऑड्रे अज़ोले 
यूनेस्को की स्थापना कब हुई थी
16 नवंबर 1945 
यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक कौन है
हेनरीटा एच फोर
यूनिसेफ के स्थापना कब हुई थी 
11 दिसंबर 1946
यूनिसेफ का मुख्यालय कहां है
 न्यूयॉर्क संयुक्त राज्य अमेरिका 
Virat Kohli Biography, जाने विराट कोहली के प्रारंभिक जीवन, शिक्षा और करियर के बारे में विस्तार से


Virat Kohli Biography : विराट कोहली भारत के ऐसे क्रिकेट प्लेयर है जिसे भारत के साथ-साथ दुनिया घर में सभी लोग जानते हैं। यह एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर है जो दाएं हाथ से खेलते हैं और देश के होनहार खिलाड़ियों में से एक है। विराट क्रिकेट को लेकर बचपन से ही प्रेम था जिसे देखकर इनके पिता ने इनका सही मार्गदर्शन किया और इस क्षेत्र में आगे बढ़ाया। क्रिकेट में दिए गए इनके योगदान के लिए 2017 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया था।

विषय सूची 
विराट कोहली का जीवन परिचय 
विराट कोहली का जन्म एवं परिवार 
विराट कोहली की शिक्षा 
विराट कोहली का करियर 
ब्रांड एम्बेसडर लिस्ट 
विराट कोहली को मिलने वाले अवार्ड

विराट कोहली का जीवन परिचय 


विराट कोहली का जन्म 5 नवंबर 1988 देश की राजधानी दिल्ली में हुआ था। यह एक पंजाबी परिवार से आते हैं। इनका इनके पिता का नाम प्रेम कोहली था जो कि एक क्रिमिनल लॉयर थे। इनकी माता का नाम सरोज कोहली है, जो कि एक गृहणी है। इनके परिवार में इनके साथ एक बड़े भाई और एक बहन हैं। इनके पिता की मृत्यु 2006 में हो गई थी। इनके पिता ने इन्हें इनके कैरियर और क्रिकेट को लेकर बहुत सपोर्ट किया है।

विराट कोहली की शिक्षा


इनकी प्रारंभिक शिक्षा विशाल भारती पब्लिक स्कूल दिल्ली से हुई थी। इन्हें बचपन से क्रिकेट पर विशेष प्रेम था। जिसके चलते यह मात्र 8 साल की उम्र से ही अपने पिता के प्रोत्साहन के चलते क्रिकेट स्कूल में भर्ती हो गए। जिस स्कूल में इन्होंने पढ़ाई की है वहां सिर्फ शिक्षा पर ही ध्यान दिया जाता था, खेल की ट्रेनिंग नहीं दी जाती थी। तब इनके पिता ने इनकी स्कूल बदलने की सोंचे और ऐसे स्कूल में इनकी भर्ती करवाई जहां पर खेल और शिक्षा दोनों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसके बाद इन्हें कक्षा 9वीं से इनको सेवियर कान्वेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल पश्चिम विहार दिल्ली में एडमिशन दिलवाया। खेल में रुचि होने के चलते इन्होंने मात्र 12वीं तक की शिक्षा हासिल की है और अपना पूरा समय उन्होंने क्रिकेट को दिया है। इन्होंने राजकुमार शर्मा से दिल्ली क्रिकेट अकैडमी में क्रिकेट की ट्रेनिंग ली थी। 

विराट कोहली का करियर


क्रिकेट की दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ी है। यह एक मिडिल ऑडर बेट्समेन है, जिससे यह आराम से बैटिंग कर पाते हैं इसके साथ ही यह राइट आर्म के बॉलर भी हैं। सन 2002 में उन्होंने अंडर15 खेला था,  इसके बाद सन् 2004 में अंडर-17 में चुना गयी था। इसके चलते हर दिन इनके खेलों में बदलाव से 2006 में फर्स्ट क्लास डिबेट के लिए खेलने का अवसर मिला साथ ही 2008 में यह अंडर-19 के लिए चुने गए थे। इनका पहला अंडर-19 वर्ल्ड कप मैच मलेशिया में हुआ था इस मैच में इंडिया की जीत हुई थी यहां से इनके कहानी ने नया मोड़ लिया। इसके बाद इनका प्रदर्शन देखकर इनका चुनाव वन डे इंटरनेशनल के लिए किया गया। इन्होंने इस मैच में मात्र 19 साल की उम्र में ही श्रीलंका के खिलाफ खेला था और यह उनके लिए बहुत बड़ी बात थी इतनी जल्दी उनके एक के बाद एक मैच में सिलेक्शन होते गया और सन 2011 में वर्ल्ड कप खेलने का अवसर मिला था। उसमें भी इंडिया की जीत हुई थी इसके साथ सन् 2011 में इन्होंने टेस्ट मैच खेलना शुरू किया और टेस्ट मैच में अपना बेहतरीन प्रदर्शन दिया था। साल 2013 में इन्होंने ओडीआई में सेंचुरी बनाकर खुद को साबित किया था। इनके बाद मैच खेलने में यह लगातार सफल हुए और 2014 एवं 2016 में दो बार मैन ऑफ द मैच का खिताब अपने नाम किया था। इसी के साथ उन्होंने साल 2014 से 17 तक लगातार एक समान खेलकर भारत की जीत दर्ज कराई। इतने बेहतरीन प्रदर्शन के बाद इनकी गिनती सबसे अच्छे बल्लेबाजों में होने लगी थी।

विराट कोहली के ब्रांड एंबेसडर की लिस्ट के बारे में 


यह क्रिकेटर होने के साथ-साथ कई कंपनी के ब्रांड एंबेसडर हैं आइए जानते हैं इनके बारे में 

वाल्वोलाइन
फिलिप्स इंडिया
एमआरएफ टायर्स
रेमिट 2 इंडिया 
उबर इंडिया
विक्स इंडिया
बूस्ट एनर्जी ड्रिंक 
अमेरिकन टूरिस्टर
रॉयल चैलेंज एल्कोहल 
ऑडी इंडिया
मान्यवर
टीससोट
टू यम्म
पुमा
इसके अलावा और भी कंपनियों के साथ पार्टनर है।

विराट कोहली के अवार्ड 


विराट कोहली बहुत कम उम्र के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन और सफलता हासिल करने वाले खिलाड़ियों में से एक है। इन्होंने अपने मैच में कई रिकॉर्ड बनाकर एक अच्छा क्रिकेटर का खिताब अपने नाम किया है। खेल के क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए इन्हें कई सारे अवार्ड से सम्मानित किया गया है। आइए जाते हैं इनके बारे में- 

2012 पीपल चॉइस अवॉर्ड फॉर फेवरेट क्रिकेटर
2012 आईसीसी ओडीआई प्लेयर ऑफ द ईयर अवार्ड
2013 अर्जुन अवॉर्ड फॉर क्रिकेट
2017  सीएनएन-आईबीएन इंडियन ऑफ दी इयर 
2017  पद्मश्री पुरस्कार
2018  सर गर्फिएल्ड सोबर्स ट्रॉफी
 
10-09-2022
 
 

World Suicide Prevention Day 2022, विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस का इतिहास और महत्व क्या है


World Suicide Prevention Day 2022 : हर साल विश्व में तेजी से आत्महत्या की संख्या बढ़ती जा रही है, लोग छोटी सी छोटी बात पर निराश होकर अपनी सहनशीलता और उम्मीद हार रहे हैं, जिसके बाद आत्महत्या करने के बारे में सोचते हैं। एक नाकामयाबी के चलते लोग अपने जीवन को दांव पर लगा देते हैं। कोविड-19 दौरान बहुत से लोगों ने अपनी नौकरी, बिजनेस और परिवार खोया है। जिसके चलते लाखों लोग मैंटल हेल्थ के शिकार हुए थे और स्ट्रेस में आकर बहुत से लोगों ने आत्महत्या किया था। साथ ही कोरोना के बाद और पहले भी लोग आत्महत्या करते आ रहे हैं। इसी सुसाइड को रोकने के लिए हर साल विश्व स्तर पर विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों को यह बताया जा सके कि उनका जीवन कितना महत्वपूर्ण है इसलिए उन्हें अपनी जिंदगी खत्म करने के बारे में नहीं सोचना चाहिए।

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस का इतिहास क्या है 


इस दिन को वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ एंड वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन द्वारा स्पॉन्सर किया जाता है। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस को मनाने का पहला साल काफी सफल रहा इसके कारण डब्ल्यूएचओ ने साल 2004 में औपचारिक रूप से आयोजन को फिर से स्पॉन्सर किया था।
साल 2003 में इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रीवेंशन और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने आत्महत्या रोकथाम दिवस की शुरुआत की थी। इस दिन का उद्देश्य आत्महत्या को लेकर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना था। जिससे तेजी से हो रहे आत्महत्या में कमी आ सके, दुनिया के इन देशों में सबसे ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं। जिसमें लेसोथो सबसे ऊपर आत्महत्या करने वाला देश है, 2019 के रिपोर्ट के मुताबिक ये दुनिया के टॉप 10 आत्महत्या करने वाले देश हैं।

लेसोथो 72.4 
गुयाना 40.3 
इस्वातिनी 29.4 
दक्षिण कोरिया 28.6 
किरिबाती 28.3
माइक्रोनेशिया के संघीय राज्य 28.2
लिथुआनिया 26.1
सूरीनाम 25.4
रूस 25.1
दक्षिण अफ्रीका 23.5 
भारत 12.70 है
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विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस को मनाने का उद्देश्य क्या है


आत्महत्या करने से बचने और किसी भी तरह से सुसाइड करने वाले लोगों के बचाने एवं जागरूक फैलाने के लिए इस दिन को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य यह भी है कि आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के ऊपर व्यवहार के ऊपर रिसर्च करना, जागरूकता बढ़ाना और डाटा कलेक्ट करना है। 

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस 2022 की थीम क्या है


इस साल 2022 के लिए विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की थीम क्रिएटिंग होप थ्रू एक्शन यानी लोगों में अपने काम के जरिए उम्मीद पैदा करना तय किया गया है। आत्महत्या रोकथाम दिवस पर होने वाले सभी कार्यक्रम इस थीम पर आधारित होंगी। साथ ही लोगों को इस दिन के माध्यम से मजबूत बनाना है। उन्हें उम्मीद और हिम्मत नहीं हारने देना है।
 
 

Vande Bharat-2 Rail, जाने वंदे भारत-2 रेल के सुविधा और इसके रूट के बारे में विस्तार से


Vande Bharat-2 Rail : रेल यात्रियों को रेल मंत्रालय की ओर से एक खास तोहफा दिया जाने वाला है। भारतीय रेल अपने सेमी हाई स्पीड ट्रेन में वंदे भारत को हाई स्पीड ट्रेन में बदलने की योजना बनाई है। रेल मंत्रालय ने अपने एक बयान में बताया है कि वंदे भारत 2 बेहतर सुविधाओं के साथ पेश की जाएगी। इसके अलावा वंदे भारत-2 की गति बाकी ट्रेनों से तेज होगी।

 वंदे भारत-2 के बारे में


 वंदे भारत-2 की स्पीड 52 सेकंड में 0 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार रहेगी। जबकि पुरानी ट्रेन की गति 54.6 सेकंड का समय लगता है। वंदे भारत-2 ट्रेन 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी। ट्रेनों में एलसीडी टीवी का सुविधा दिया जाएगा। एनर्जी की खपत को कम करने के लिए ट्रेन के वजन को 392 टन किया गया है। वाईफाई के साथ-साथ वंदे भारत में 32 इंच के एलइडी टीवी भी लगाए जाएंगे। पहले वर्जन में 24 इंच की टीवी लगे थे। 

10 नई रूटों पर लाने की योजना 


 वंदे भारत ट्रेन को रेल मंत्रालय ने 10 नए रूट का प्लान किया है ताकि यात्री आसानी से यात्रा कर सकें।। इन नए रूटों में दिल्ली-जयपुर जयपुर-जोधपुर, जयपुर-कोटा शामिल है। इसके अलावा 7 नए रूटों पर यात्रियों के लिए सफर को आसान करने की योजना बनाई जा रही है। नए रूटों पर सफर दो से ढाई घंटों में ही पूरा किया जाता है। रेलवे का टारगेट है कि 2023 तक 75 वंदे भारत ट्रेन को पटरी पर उतारी जाए, साथ ही 3 साल के अंदर 400 ट्रेन बनाने की योजना बनाई है। अभी केवल 2 रूटों पर ही वंदे भारत ट्रेन चलता है दिल्ली से कटारा रूट पर और दिल्ली से वाराणसी पर।
 

National Hindi Day 2022, राष्ट्रीय हिंदी दिवस का इतिहास, उद्देश्य क्या है

हर साल भारत में राष्ट्रीय स्तर पर 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी भारत की मातृभाषा है, हिंदी से ही भारत की पहचान है जो दुनिया भर में बसे हिंदी भाषी लोगों द्वारा बोली जाती है और उनको एकजुट करती है। पिछले कुछ सालों में अंग्रेजी भाषा का चलन और लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ा है। लेकिन आज भी भारत में अधिकतर लोग हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं और बोलना पसंद करते हैं। हिंदी के महत्व के विषय में प्रचार प्रसार करने के लिए हर साल 14 सितंबर को राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी दिवस मनाया जाता है।

 हिंदी भारत की राजभाषा है जो भारत के साथ-साथ दुनिया के कई और अन्य देशों में भी बोली जाती है आइए जानते हैं कि भारत के अलावा किन देशों में हिंदी भाषा बोली जाती है

 नेपाल भारत के पड़ोसी देश है, और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ग्रुप है जहां पर हिंदी भाषा बोली जाती है। नेपाल में करीब 8 मिलन के आसपास लोग हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं। इतनी बड़ी आबादी के लोग हिंदी बोलने के बाद भी नेपाल में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता नहीं मिली है। 2016 में नेपाली सांसदों ने हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा के तौर पर मांग किया था।

 संयुक्त राज्य अमेरिका 

अमेरिका में अंग्रेजी बोली जाती है लेकिन वहां हिंदी भाषी लोगों का भी तीसरा सबसे बड़ा समूह है। एक रिपोर्ट के अनुसार यहां लगभग 600000 से ज्यादा लोग हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं। अंग्रेजी भाषा पूरे राष्ट्र में वर्चस्व होने के कारण लोग केवल अपने घरों पर ही हिंदी भाषा बोलते हैं।

 मॉरीशस 

मॉरीशस में एक तिहाई लोग हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं। अंग्रेजी और फ्रेंच मॉरीशस में संसद की अधिकारिक भाषा है। 

फिजी 

फिजी में भी हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाता है यहां भारतीय मजदूर के जाने के बाद से हिंदी भाषा का चलन बढ़ गया है। फिजी में उत्तर पूर्व भारत से लोग जो अवधी, भोजपुरी और मगही, उर्दू भाषा बोलते हैं। इन्हीं सब भाषा को मिलाकर एक नया भाषा बनाया गया है जिसे फिजी बाट कहा जाता है।


राष्ट्रीय हिंदी दिवस का इतिहास क्या है


 संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी को भारत की ऑफिशल भाषा के तौर पर 14 सितंबर 1949 को स्वीकार किया था। जिसके बाद देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस ऐतिहासिक दिन के महत्व को 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया था। जिसके बाद 14 सितंबर 1953 को भारत को पहला हिंदी दिवस  मनाया गया था।

 हिंदी दिवस का उद्देश्य क्या है 


इस दिन का उद्देश्य लोगों को इस बात से जागरूक कराना है कि जब तक हिंदी भाषा का विकास नहीं होगा तब तक वे पूरी तरह से हिंदी का उपयोग नहीं कर सकते हैं इसलिए हिंदी का महत्व, उपयोग, कला संस्कृति भारत के लिए कितनी महत्वपुर्ण है इसे बताने के लिए हर साल 14 सितंबर को राष्ट्रीय स्तर पर एवं सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी का प्रयोग करने का सलाह दिया जाता है एवं पुरे भारत में इस दिन को मनाया जाता है।

 

Swachh Amrit Mahotsav 2022, स्वक्ष अमृत महोत्सव और भारतीय स्वच्छता लीग क्या है  


Swachh Amrit Mahotsav 2022: केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्वच्छ भारत मिशन शहरी के 8 साल पूरे होने की खुशी में 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक 15 दिन के लिए स्वक्ष अमृत महोत्सव के ऑफिशियल लांच करने की घोषणा की है। यह पहल कचरा मुक्त शहर बनाने की विजन के प्रति नागरिक कार्रवाई और प्रतिबद्धता पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। 


भारतीय स्वच्छता लीग क्या है  


केंद्रीय मंत्री ने देश की पहली भारतीय स्वच्छता लीग Indian Clean League को लॉन्च करने की घोषणा की है, जो कि 17 सितंबर को शहरी युवाओं के बीच एक अंतर शहर प्रतियोगिता है।  Indian Clean League के शत्र के लिए, देश भर से 1850 से अधिक शहर के समूह ने ऑफिशियली कंपटीशन के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है। प्रत्येक टीम कचरा से मुक्त समुद्र तटों, पहाड़ियों और टूरिज्म प्लेस को बनाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए स्वच्छता पहल बनाकर लीग में कंपीट करेंगे।

स्वक्ष अमृत महोत्सव का उद्देश्य क्या है


आईएसएल ने अपनी तरह की पहली लीग में भाग लेने के लिए भारतीय शहरों के एक बड़े ग्रुप को चुना है। यह कन्याकुमारी, कोहिमा, द्वारिका, कोणार्क, पोर्ट ब्लेयर, रामेश्वरम, गया, पेंटा साहिब, कर्ता, उज्जैन, नासिक वाराणसी पहलगाम जैसे देश भर के विभिन्न टूरिज्म प्लेस वाले शहरों में प्रतियोगितात के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है और टीम के कैप्टन को अप्वॉइंट किया है। इसके अगले कदम के रूप में नागरिकों को 11 सितंबर से ऑफिशल पोर्टल पर अपनी संबंधित शहर के टीमों को शामिल करने के लिए बुलाया जाएगा। इस स्वच्छ अमृत महोत्सव का उद्देश्य लोगों में स्वच्छता के उत्साह को और अधिक बढ़ाना है जिससे देश में स्वच्छता बढ़ाई जा सके।
 

World Dairy Conference 2022, विश्व डेरी सम्मेलन 2022 क्या है जाने इसके बारे में विस्तार से


World Dairy Conference 2022 : 12 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्रेटर नोएडा उत्तरप्रदेश में आईडीएफ विश्व डेरी सम्मेलन 2022 को लांच करेंगे। इस सम्मेलन में 50 से अधिक देशों के 1500  से अधिक प्रतिनिधि शामिल होंगे। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने गुरुवार को इस बात की जानकारी दी है। यह कार्यक्रम 12 सितंबर को शुरू होगा और 4 दिन तक चलेगा इस कार्यक्रम का 'थीम' "पोषण और आजीविका के लिए डेयरी" रखा गया है। केंद्रीय मंत्री रूपाला ने कहा है कि प्रधानमंत्री 12 सितंबर को इस शिखर सम्मेलन को लॉन्च करेंगे। जिसमें लगभग 50 देशों से 1500 से अधिक कर्मचारी सम्मेलन में भाग लेंगे।


48 साल बाद हो रहा है आयोजन


भारत में फिर हो रहा है डेरी सम्मेलन 48 साल बाद उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात के मुख्यमंत्री भी 48 साल बाद भारत में होने वाले इस वैश्विक कार्यक्रम में शामिल होंगे। पिछली बार यह कार्यक्रम 1974 में अंतरराष्ट्रीय डेरी कांग्रेस की मेजबानी में आयोजित की गई थी। डेरी शिखर सम्मेलन में वैश्विक और भारतीय डेरी इंडस्ट्री के रिसर्चर, किसान और नीति योजनाकार शामिल होंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि दूध उत्पादन में भारत दुनिया में पहले स्थान पर है। दूध के वैश्विक उत्पादन प्रोडक्शन में देश का हिस्सा 23 परसेंट है। विदेशी प्रतिनिधि अपने अनुभव शेयर करेंगे और डेयरी के क्षेत्र में नए तकनीकों और इनोवेशन के बारे में बात करेंगे। इसके अलावा राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अध्यक्ष मनीष शाह ने बताया है कि कार्यक्रम में 300 विदेशी प्रतिनिधि और 1200 से अधीक भारतीय प्रतिनिधि भाग लेंगे। इसके साथ ही 700- 800 किसान भी इस सम्मेलन में शरीक होंगे। देश में लगभग 8 करोड़ से ज्यादा डेयरी किशान है। देश में दूध का एनुअल प्रोडक्शन, एनुअल डोमेस्टिक प्रोडक्ट ADP 22 करोड़ होने का अनुमान बताया जा रहा है।


पर्सनल ड्रोन के उड़ान पर लगाई रोक


ग्रेटर नोएडा और नोएडा में 15 सितंबर तक उड़ाने पर रोक लगाई गई है। 12 सितंबर को शुरू हो रहे वर्ल्ड डेयरी समिट 2022 को ध्यान में रखते हुए गौतम बुध नगर जिले के पुलिस ने ग्रेटर नोएडा स्थित इंडिया एक्सपो मार्ट में 15 सितंबर तक पर्सनल ड्रोन उड़ाने पर रोक लगाई है। राज्य पुलिस ने इस प्रतिबंध को भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 को लागू करते हुए लगाया है। जो कोई भी इस आदेश का उल्लंघन करेगा उस पर सख्त से सख्त कार्यवाही होगी।
 
 

Who is The Successor of King Charles,महारानी एलिजाबेथ2 की मृत्यु के बाद अगला राजा और राजकुमार कौन होगा


Who is The Successor of King Charles : सितंबर 2022 को ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ2 की मृत्यु के बाद शाही परिवार के अहम पदों पर नए सिरे से ताजपोशी की गई है। प्रिंस चार्ल्स अब किंग के पद पर अप्वॉइंट किए गए हैं और उनकी जगह उनके पुत्र विलियम को प्रिंस ऑफ वेल्स और विलियम की पत्नी कैथरीन को प्रिंसेस ऑफ वेल्स बनाया गया है। किंग चार्ल्स ने बंकिघम महल से अपने पहले राष्ट्र के नाम संबोधन में अपने छोटे बेटे प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन को भी याद किया है। महारानी के निधन के बाद बकिंघम पैलेस के बाहर सैकड़ों लोग निधन पर शोक जताने के लिए इकट्ठे हुए थे। उन्हें संबोधित करते हुए किंग चार्ल्स ने कहा है कि उन्होंने विलियम को प्रिंस ऑफ वेल्स बनाया है, यह दोनों अब राष्ट्रीय मामलों पर राय देंगे ने कहा है कि उनकी मां महारानी एलिजाबेथ ने 1958 में मात्र 9 साल की उम्र में इस पद को संभाला था। अब तक प्रिंस ऑफ वेल्स रहे चार्ल्स महारानी एलिजाबेथ2 के बड़े बेटे हैं उनका जन्म 1948 में हुआ था वह ब्रिटिश शाही परिवार में महारानी के बाद महारानी के जगह लेने वाले पहले पुरूष उत्तराधिकारी हैं। 

किंग चार्ल्स कौन हैं

चार्ल्स ने 29 जुलाई 1981 को लेडी डायना स्पेंसर से विवाह किया था। दोनों के दो बेटे विलियम और हैरी हैं  1996 में चार्ल्स और डायना दोनों अलग हो गए थे। जिसके बाद 1997 में पेरिस में हुए एक कार एक्सीडेंट में लेडी डायना  की मृत्यु हो गई थी। बाद में 9 अप्रैल 2005 में चार्ल्स ने कैमिला पार्कर से दूसरी शादी की। 

महारानी एलिजाबेथ2 के उत्तराधिकारी कौन होंगे


महारानी एलिजाबेथ2 के निधन के बाद किंग चार्ल्स को राजा बनाया गया है। अभी किंग चार्ल्स 73 साल के हैं, चार्ल्स के अगले उत्तराधिकारी होंगे प्रिंस विलियम। आपको बता दें कि प्रिंस चार्ल्स के बड़े बेटे हैं जो विलियम राजघराने के उत्तराधिकारी के लाइन में दूसरे नंबर पर हैं। 1982 में पैदा हुए विलियम अब तक ड्यूक ऑफ कैंब्रिज थे, और उनकी पत्नी डचेज़ ऑफ कैंब्रिज रही हैं। इनका विवाह 2011 में हुआ था। महारानी एलिजाबेथ 2 के निधन के बाद चार्ल्स को राजा घोषित किया गया है और उसके स्थान पर विलियम्स को राजकुमार बनाया गया है। भविष्य में चार्ल्स के बाद विलियम अगले राजा की तरह ब्रिटिश राजगद्दी में बैंठेगे। एलिजाबेथ2 25 साल की उम्र में महारानी बन गई थी। 
 

Chhattisgarh CM Inaugurates 2 New Districts, छत्तीसगढ़ को मिली दो नए जिलों की सौगात जाने इनके बारे में


Chhattisgarh CM Inaugurates 2 New Districts : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में 32वां और 33वां जिले को लॉन्च किया है। जिसमें मनेंद्रगढ़ - चिरमी भरतपुर और शक्ति को छत्तीसगढ़ के 32वें और 33वें जिले के रूप में नामित किया है। शक्ति को जांजगीर चांपा से अलग किया गया है और मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर को कोरिया जिले से अलग कर नया जिला घोषित किया गया।

इस लेख के बारे में

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि मनेंद्रगढ़ जिले के निर्माण की मांग लंबे समय से लोग कर रहे थे। और मनेंद्रगढ़ को जिला बनाने के लिए काफी समय से संघर्ष चल रहा था, मुख्यमंत्री द्वारा छत्तीसगढ़ में 3 नए जिले का उद्घाटन किया गया है। छत्तीसगढ़ में अब कुल 33 जिलें हैं। जिसमें मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, सारंगढ़, बिलाईगढ़ और खैरागढ़ छुई-खदान गंडई शामिल है।

छत्तीसगढ़ के जिलों के नाम

मुंगेली 
नारायणपुर 
रायगढ़
रायपुर 
राजनांदगांव 
सारंगढ़ -बिलाईगढ़ 
शक्ति 
बस्तर
बेमेतरा 
बीजापुर 
बिलासपुर
 दंतेवाडा 
धमतरी
 दुर्ग 
सुकमा 
सूरजपुर 
सरगुजा
 बालोद 
बलोदा बाजार
 बलरामपुर 
गरियाबंद
गौरेला-पेंड्रा -मरवाही
जांजगीर-चंपा
जशपुर
कबीरधाम
कांकेर 
कोंडागांव 
खैरागढ़-छुईखदान-गंडई
कोरबा
कोरिया 
महासमुंद
मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर
मोहल्ला-मानपुर-अंबागढ़ 
12 september 2022
वोलकर तुर्क कौन हैं जिन्हें ह्यूमन राइट्स हेड के रूप में नियुक्त किया है
 
संयुक्त राष्ट्र (यूनाइटेड नेशन महासभा) ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के द्वारा ऑस्ट्रेलिया के वोलकर तुर्क को वैश्विक निकाय के ह्यूमन राइट्स हेड के रूप में नियुक्त किया है। वोलकर तुर्क ने चिली के राजनेता वेरोनिका मिशेल बाचेलेट जेरिया की जगह ली है। जो कि 2018 से 2022 तक संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) के कार्यालय में काम किया है। तुर्क, वर्तमान में नीति के लिए असिस्टेंट महासचिव के रूप में कार्यरत हैं।
 
वोल्कर तुर्क के बारे में
 
वोल्कर तुर्क इसके पहले संयुक्त राष्ट्र शरणार्थियों, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) जिनेवा में सेफ्टी के लिए assistant high commissioner के रूप में काम किया है। वर्ल्ड स्तर पर ह्यूमन राइट की प्रगति में उनका लंबा और सफल काम और करियर रहा है। इन्होंने मलेशिया कोसोवो और बोस्निया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और कुवैत में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के साथ काम किया है। इनकी तत्कालिक चुनौती चीन पर मानवता के खिलाफ अपराध करने वाले और उइगर लोगों के खिलाफ नरसंहार (सामूहिक हत्या) और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार और गाली देने के आरोप की विवादास्पद रिपोर्ट की गई है।
 
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
 
ह्यूमन राइट के लिए assistant high commissioner का कार्यालय (OHCHR) का मुख्यालय कहां है?
 जिनेवा, स्विटज़रलैंड; न्यूयॉर्क संयुक्त राज्य अमेरिका।
मानवाधिकार के लिए उच्चायुक्त का कार्यालय की स्थापना कब हुयी थी?
दिसंबर: 1993 में हुयी थी।
 
E-FAST India, ई- फास्ट इंडिया क्या है जाने इसके बारे में विस्तार से

E-FAST India : नीति आयोग और विश्व संसाधन संस्थान डब्लूआरआई ने मिलकर भारत का पहला राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक फ्रेट प्लेटफार्म ई- फास्ट इंडिया सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट इंडिया के लिए इलेक्ट्रिक फ्रेट एक्सेलेरेटर का अनावरण किया है। नेशनल इलेक्ट्रिक प्लेटफार्म विश्व आर्थिक मंच CALSTART और RMI इंडिया के समर्थन से विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाता है। 
यह साझेदारी को मजबूत करने और माल ढुलाई समाधानों की पहचान करने और उनका समर्थन करने में मदद करेगा।
ई-फास्ट इंडिया की शुरुआत के बाद डब्ल्यूआरआई इंडियाज टोटल कॉस्ट ऑफ ओनरशिप (टीसीओ) इवैल्यूएटर का शुभारंभ हुआ।
ई- फास्ट इंडिया से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु

ई-फास्ट इंडिया का उद्देश्य एक ऑन- ग्राउंड प्रेजेंटेशन पायलट और साक्ष्य बेस्ड रिसर्च द्वारा संचालित माल विद्युतीकरण के बारे में जागरूकता को बढ़ाना है। यह स्केलेबल पायलटों का समर्थन करेगा और भारत में माल विद्युतीकरण में तेजी लाने के उद्देश्य से नीतियों को सूचित करेगा। ई-फर्स्ट इंडिया के अनावरण में प्रमुख ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री, लॉजिस्टिक्स कंपनी, विकास बैंकों और फिन-टेक कंपनियों की भागीदारी देखी गई है। यह पार्टनरशिप को मजबूत करने और माल ढुलाईके समाधानों की पहचान करने एवं उनका सपोर्ट करने में सहायता करेगा। ई-फास्ट इंडिया की शुरुआत के बाद WRI इंडियाज टोटल कॉस्ट ऑफ ओनरशिप (टीसीओ) इवैल्यूएटर का लांच हुआ है। TCO मूल्यांकनकर्ता एक सिंपल ज्ञान के साथ एक्सेल-बेस्ड एप्लिकेशन है, जो लागत घटकों और पेसेंटेशन मापदंडों का विश्लेषण करने में सहायता करता है। मापदंडों में हल्के मध्यम और भारी शुल्क वाले भाड़े शामिल है टीसीओ प्रति किमी पर उनके प्रभाव की पहचान करने के लिए उनके डीजल पेट्रोल और सीएनजी और इलेक्ट्रिक  वेरिएंट की तुलना की गई थी।
 
Rubber Dam, रबड़ बांध क्या है जिसका निर्माण फालगू नदी में हुआ है

Rubber Dam : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गया तीर्थ स्थल में फाल्गु नदी पर भारत के सबसे लंबे रबड़ बांध यानी रबड़ डैम गयाजी बांध को लांच किया है। यह बांध 324 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से बनाया गया है। इस प्रोजेक्ट में आईआईटी रुड़की के एक्सपर्ट शामिल थे। इस बांध को तीर्थ यात्रियों की सुविधा को बढ़ाने के लिए बनाया गया है। इस बांध के बनने में साल भर पर्याप्त पानी भरा रहेगा। इसके बनने से अब यहां पिंडदान करने आने वाले यात्री एवं श्रद्धालु के लिए विष्णुपद घाट के पास फाल्गू नदी में साल भर कम से कम 2 फीट तक पानी उपलब्ध रहेगा।
 रबड़ बांध क्या है और इसे कहां बनाया गया है

फाल्गू नदी पर बांध जो रेत के टीलों का एक विशाल खंड है या अधिक तीर्थ यात्रियों को यहां लाने के लिए और गया के परिदृश्य को बदलने के लिए तैयार किया गया है। इस बांध का उद्देश्य तीर्थ स्थल में विष्णुपद घाट  में पूरे साल भर जल की पूर्ति करना है। रूड़की विशेषज्ञों द्वारा बांध का डिजाइन किया गया है, यह 11 मीटर लंबा और 95.5 मीटर चौड़ा और इसे 3 मीटर ऊंचा बनाया गया है। इसके अलावा नदी के किनारे को भी और डेवलप किया गया है। तीर्थ यात्रियों के लिए सीता कुंड के दर्शन के लिए एक स्टील का पुल भी बनाया गया है। फाल्गु नदी में मानसून के मौसम में ही बस पानी रहता था और बचे साल भर नदी सूखा रहता था। इस बांध के बनने के बाद अब फाल्गु नदी में पूरे साल भर पानी भरा रहेगा। पिंडदान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सहायता के लिए इस बांध का निर्माण किया गया है।
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न
बिहार की राजधानी क्या है?   
पटना। 
बिहार के मुख्यमंत्री कौन हैं?
 नीतीश कुमार। 
बिहार के राज्यपाल कौन है?
फागू चौहान।
 
 
Rain Water Harvesting Scheme  CHHATA ,रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्कीम छटा क्या है और इसे क्यों शुरु किया गया है

Rain Water Harvesting Scheme : उड़ीसा सरकार ने राज्य में एक वर्षा जल संचयन योजना यानी रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्कीम की शुरुआत की है। जिसका नाम  'सामुदायिक दोहन और वर्षा जल को कृत्रिम रूप से छत से एक्वीफर (छटा) (‘Community Harnessing and Harvesting Rainwater Artificially from Terrace to Aquifer (CHHATA)) तक पहुंचाना रखा गया है। इस नई योजना को पिछले महीने कैबिनेट ने मंजूरी दी थी और इसे 5 साल की अवधि के लिए लागू किया जाएगा।

 इस योजना के बारे में जाने विस्तार से 

उड़ीसा राज्य क्षेत्र की योजना शहरी स्थानीय निकायों और पानी की कमी वाले ब्लॉक में वर्षा जल के संरक्षण और पानी की गुणवत्ता में सुधार की दिशा के लिए काम करेगी। 2020 में किए गए ऊर्जा संसाधन यूएन के आधार पर व्यवहार के मुताबिक 29500 निजी भवनों और 1925 सरकारी भवनों की छतों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग का निर्माण किया जाएगा। जिसमें 52 जल तनाव वाले ब्लॉक और 27 शहरी स्थानीय निकाय शामिल किए जाएंगे। 2022 से 2023 और 2026 से 2027 के बीच योजना के अवधि के दौरान अनुमानित 303.52 करोड़ लीटर पानी का संचय किया जाएगा। 

इसे 270 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ जल संसाधन विभाग (डीओडब्ल्यूआर) की मौजूदा जनशक्ति के माध्यम से लागू किया जाएगा।
जहां सरकारी भवनों की छतों पर प्रत्येक जल संचयन संरचना की औसत लागत 4.32 लाख रुपये आंकी गई है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति भवन लगभग 3.06 लाख रुपये खर्च होंगे।

इसमें दो ₹270 करोड़ रुपये के व्यय से इसे तैयार किया जाएगा। जल संसाधन विभाग (DOWUR) की मौजूदा जनशक्ति के माध्यम से लागू किया जाएगा। जहां सरकारी भवनों की छतों पर प्रत्येक जल संरचना की लागत ₹4.32 लाख का अनुमान किया गया है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक भवन की लगभग लागत 3.06 लाख खर्च किए जाएंगे।
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न 
उड़ीसा की राजधानी क्या है?
भुवनेश्वर।
उड़ीसा के मुख्यमंत्री कौन है?
 नवीन पटनायक। 
उड़ीसा के राज्यपाल कौन है?
 गणेशी लाल।
 
 

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