गुरुमुखी लिपि किसके द्वारा विकसित किया गया था
गुरुमुखी लिपि के जनक गुरु अंगद देव है। गुरु नानक के उत्तराधिकारी गुरु अंगद देव ने नानक के पदों के लिए गुरुमुखी लिपि को स्वीकार किया। यह ब्राहृी से निकली थी और पंजाब में उनके समय में प्रचलित थी। गुरुमुखी लिपि में सिखों का धर्मग्रन्थ 'ग्रन्थ साहब' लिखा हुआ है। इस लिपि की वही वर्णमाला है, जो संस्कृत और भारत की अन्य प्रादेशिक भाषाओं की है।