परिसंचरण तंत्र, "बन्द परिसंचरण तंत्र" होता है (इसका मतलब है कि रक्त कभी भी धमनियों, शिराओं, एवं केशिकाओं के जाल से बाहर नहीं जाता)। अकशेरुकों के परिसंचरण तंत्र, 'खुले परिसंचरण तंत्र' हैं।
परासरण को रोकने के लिये लिये आवश्यक वाह्य दाब की मात्रा को परासरण दाब ( ऑस्मोटिक प्रेशर) कहते हैं। ... किसी भी विलयन का परासरण दाब विलायक में उपस्थित विलेय के अणुओं की सांद्रता के सीधे समानुपाती होता है।
मानव ह्रदय की क्रियाविधि : हृदय ही शरीर के विभिन्न भागों से रुधिर को ग्रहण भी करता हैं। हृदय शरीर में रुधिर को पम्प करने का कार्य करता है। इस कार्य के लिए हृदय हर समय सिकुड़ता तथा शिथिल होता रहता है। हृदय के सिकुड़ने को प्रकुंचन (सिस्टोल) तथा शिथिल होने को अनुशिथिलन (डायस्टोल) कहते हैं।
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kuch bhi clear ni hota
ह्रदय की क्रियाविधि ------ हृदय ही शरीर के विभिन्न भागों से रुधिर को ग्रहण भी करता हैं।
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isme se kaun sa question solve karna hai