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Shivam Sharma

UP Board 10th Class 2021 (For Hindi Medium Students)
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3 years ago

छायावाद और प्रगतिवाद क्या है

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Satakshi Gupta

3 years ago

प्रयोगवाद, छायावाद, और प्रगतिवाद में क्या अंतर है? जवाब 1 फॉलो अनुरोध करें और देखें 1 जवाब  अर्पित शुक्ला, भारत के नियंत्रक एवम महालेखापरीक्षक में कार्यरत 17 मई 2020 जवाब दिया गया छायावाद आधुनिक हिंदी साहित्य की एक काव्य धारा है जिसका उदय द्विवेदी युग के बाद हुआ था। छायावाद को आधुनिक काल का भक्ति काल भी कहा जाता है। इसके प्रमुख कवियों में पंत, निराला, प्रसाद और महादेवी वर्मा है। छायावाद एक स्वच्छंदतावादी काव्य धारा है जो अंग्रेजी साहित्य के romanticism से प्रभावित थी। कवि कविता को बंधनों से मुक्त कराना चाहते है। छायावादी कवियों ने प्रतीकात्मक भाषा का प्रयोग और प्रकृति का वर्णन किया गया है। इनकी कविताओं में मुक्ति का स्वर युगीन स्वतंत्र चेतना को दर्शाता है। प्रगतिवाद का उदय १९३६ में प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना से माना जाता है। इस धारा का समय १९३६ से १९४२ तक माना जाता है, परन्तु इसकी शुरुआत १९३० से ही दिखने लगती है। छायावाद की कल्पनाशीलता का स्थान अब सामाजिक यथार्थ से उत्पन्न चेतना ने ले लिया। व्यक्ति की मुक्ति की जगह अब समाज की मुक्ति पर जोर दिया जाने लगा। कई आलोचक प्रगतिवाद को मार्क्सवाद की उपज मानते है। कुकुरमुत्ता, तोड़ती पत्थर जैसी रचनाएं यथार्थ परक दृष्टि से अवगत कराती हैं। प्रयोगवाद का उदय अज्ञेय द्वारा प्रकाशित तार सप्तक से माना जाता है। यह कविता में प्रयोगों का काल था। यह भोज हुए यथार्थ पर बल देता है। अपने विकास की प्रक्रिया में प्रयोगवाद ने छायावाद की अतिशय भावुकता, रूमानियत और प्रगतिवाद की अतिशय वैचारिकता के स्थान पर स्वानुभूती की प्रामाणिकता को साहित्य के केंद्र में स्थान दिया।

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