maiternikh koin. tha
मेटरनिख का जन्म मई 1773 में आस्ट्रिया के काबलेज नगर में हुआ था। वह कुलीन श्रेणी के खानदान का व्यक्ति था। अपने विश्वविद्यालय के शिक्षणकाल में उसने फ्रांस की क्रान्ति के फलस्वरूप भागे हुए कुलीनों की दुःख गाथा को सुना था तथा उसी समय से वह क्रांतिकारी भावनाओं का घोर शत्रु बन गया था। उसका पिता पवित्र रोमन साम्राज्य का उच्चाधिकारी और जर्मनी का जागीरदार था। राइन नदी के किनारे पश्चिमी जर्मनी में उसके पिता की एक बड़ी जागीर थी। जब क्रांति के दौरान नेपोलियन ने इस जागीर पर अधिकार कर लिया तो मैटरनिक विद्यार्थी जीवन में ही क्रांति का विरोधी एवं नैपोलियन का कट्टर शत्रु बन गया। शिक्षा समाप्त करने के बाद 1795 में उसका विवाह आस्ट्रिया के चांसलर प्रिंस कालिट्स की पौत्री के साथ हुआ। इस विवाह से उसकी राजनीतिक और सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई। सन् 1801 से 1806 तक उसने विभिन्न देशों में राजदूत के पद पर कार्य किया और वह इन देशों के शासकों व राजनीतिज्ञों के सम्पर्क में आया। वह सन् 1809 में आस्ट्रिया का चांसलर (प्रधानमन्त्री) बन गया और 1848 तक उसी पद पर कार्य करता रहा। वह आगे भी आस्ट्रिया का प्रधानमन्त्री बना रहता यदि आस्ट्रिया में क्रान्तिकारी भावनाओं का प्रसार न हुआ होता। 1848 ई. में समाजवादियों, उदारवादियों और राष्ट्रवादियों ने वियना में मैटरनिक का राजमहल घेर लिया तो वह गुप्त रूप से इंग्लैंड भाग गया। कुछ काल बाद वह वापस वियना आया जहाँ 1859 में उसकी मृत्यु हो गई। मैटरनिक क्रांति का कट्टर शत्रु था। उसके अनुसार क्रांति एक भीषण संक्रामक रोग थी और इस संक्रामक रोग की शीघ्र रोकथाम करनी चाहिए। वह राजा को ईश्वर का प्रतिनिधि मानता था। वह निरंकुश शासन का समर्थक था। वह यथास्थिति (status quo) को कायम रखने का पक्षधर था। मैटरनिक व्यवस्था और उसकी नीति मुख्यतः आस्ट्रियाई आवश्यकता पर आधारित थी। वस्तुतः विभिन्न जाति, भाषा, धर्म, परम्परा के लोग आस्ट्रिया में रहते थे। ऐसे साम्राज्य में राष्ट्रवादी भावना का उदय राज्य को टुकड़ों में बाँट देता है। ऐसी स्थिति में मैटरनिक की नीति किसी भी कीमत पर यथास्थिति बनाए रखने तथा उभरती हुई राष्ट्रवादी भावना को कुचल डालने की थी। मैटरनिक ने ऑस्ट्रिया में उदारवादी विचारधारा के प्रवेश मार्ग को अवरूद्ध कर दिया। इसके तहत् उसने विचार स्वातंत्र्य पर अंकुश लगाया। उदारवादी विचारधारा वाली पुस्तकों को साम्राज्य में घुसने पर रोक लगाई। आस्ट्रियावासियों को विदेश जाने से रोक दिया। विश्वविद्यालय के शिक्षकों ओर छात्रों पर जासूसों के द्वारा कड़ी नजर रखी जाने लगी। इस तरीके से मैटरनिक ने आस्ट्रिया की राष्ट्रीयता अौर क्रांति की भावनाओं से अलग रखा। मैटरनिक इस बात को भली-भांति समझता था कि उसका आस्ट्रिया तभी अक्षुण्ण रह सकता है जब यूरोप के अन्य क्षेत्रों में भी इस तरह की व्यवस्था लागू की जाए। इसी संदर्भ के उसने जर्मनी में संघ का निर्माण कर उदारवादी आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया। कार्ल्सवाद की घोषणा कर उसने राष्ट्रवादी संस्थानों पर प्रतिबंध लगाया, समाचार पत्रों पर नियंत्रण लगाया और उदारवाद के प्रचार पर रोक लगाई। जब जर्मनी में 1830 ई. में इन प्रतिबन्धों का विरोध हुआ तो मैटरनिक ने मित्र देशों की सहायता से उसे कुचल डाला। इसी प्रकार इटली में भी राष्ट्रवादी/उदारवादी आंदोलन को दबाया गया। 1815-28 तक मैटरनिक की सफलता का काल था। इस काल में प्रगतिशील विचारधारा अवरूद्ध रही और प्रतिक्रियावादी विचारधारा की विजय हुई। इसी संदर्भ में यह कहा गया कि "एक क्लांत और भीरू पीढ़ी के लिए मैटरनिक एक उपयुक्त व्यक्ति था।"