bazaar ko prabhavit karne vale karak kon se h?
वस्तुओं के बाजार मूल्य को प्रभावित करने वाले कारकों में आपूर्ति, मांग, प्रतिस्पर्धा और विकल्प शामिल हैं। बाजार के आधार पर, मुद्रा विनिमय दरों, पर्यावरण संबंधी चिंताओं और राजनीतिक अस्थिरता जैसे अन्य कारक हो सकते हैं। मूल्य का उतार-चढ़ाव भी बाजार से बाजार में भिन्न होता है।
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बाजर को parbhawit करने वाले कारक निम्न है Vastu का मूल्य वस्तु की gunwta वस्तु का उत्पादन बाजर का stan Etc
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वस्तु की विस्तृत माँग – किसी वस्तु के बाजार का विस्तृत अथवा संकुचित होना उस वस्तु की माँग पर निर्भर करता है। जिस वस्तु की माँग जितनी अधिक विस्तृत होती है उस वस्तु का बाजार उतना ही विस्तृत होता है। उदाहरण के लिए-गेहूँ, सोना, चाँदी आदि वस्तुओं की माँग विश्वव्यापी होने से इनका बाजार अन्तर्राष्ट्रीय है।
वस्तु की पर्याप्त पूर्ति – वस्तु के बाजार-विस्तार के लिए वस्तु की पूर्ति माँग के अनुरूप होनी आवश्यक है। यदि किसी वस्तु की माँग अधिक है और पूर्ति कम है तब वस्तु का बाजार विस्तृत नहीं हो सकेगा। इसलिए वस्तु की पर्याप्त पूर्ति बाजार के विस्तार को प्रभावित करती है।
वस्तु का टिकाऊपन – टिकाऊ वस्तुओं का बाजार क्षेत्र विस्तृत होता है। इसके विपरीत शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं का बाजार संकुचित होता है। उदाहरणार्थ-सोना वे चॉदी का बाजार दूध व सब्जी के बाजार से अधिक विस्तृत होती है
वहनीयता – जिन वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक सरलतापूर्वक ले जाया जा सकता है, उनका बाजार विस्तृत होता है। जिन वस्तुओं का मूल्य अधिक होता है परन्तु भार एवं तौल में बहुत कम होती हैं, उनका बाजार विस्तृत होता है। ऐसी वस्तुओं को लाने में ले जाने का यातायात व्यय कम होता है।
वस्तु का स्थानापन्न न होना – बाजार में यदि किसी वस्तु के अधिक स्थानापन्न विद्यमान हैं। तब उस वस्तु का बाजार संकीर्ण होगा। इसके विपरीत यदि वस्तु को स्थानापन्न विद्यमान नहीं है तब उस वस्तु का बाजार विस्तृत होगा।