anushasan mai puruskar aur dand ki kya bhumika hai?
plse tell me?
I am answering u from my book
बाइबिल के अनुसार अनुशासन के कई पहलू हैं जैसे- मार्गदर्शन, हिदायत, प्रशिक्षण, ताड़ना, सुधार, यहाँ तक कि दंड। कुछ दार्शनिक व शिक्षाशास्त्री मानते हैं कि अनुशासन के लिए दण्ड देना आवश्यक हैl दण्ड मनुष्य के अन्दर भय उत्पन्न करता हैl भय उसे गलत कार्यों को करने से रोकता हैl अनुशासन मनुष्य के लिए बहुत आवश्यक हैl अनुशासन उसे समयानुरूप कार्य करना सिखाता हैl उसके गुणों का विकास करता हैl अनुशासन में रहना ज़रा कठिन अवश्य होता हैl जो लोग अनुशासित जीवन जीना पसंद नहीं करते वह आलसी हो जाते हैं जिस कारण उन्हें भविष्य में तमाम समस्याओं से दो-चार होना पड़ता हैl इसका सबसे बड़ा उदाहरण सेना हैl वहाँ अनुशासन का बहुत ही कडाई से पालन किया जाता हैl अनुशासन भंग किये जाने पर दण्ड का भी प्रावधान हैl इस तरह से सेना का जवान चुस्त व दुरुस्त रहता हैl उसके सामने आम-आदमी अलग सा प्रतीत होता हैl परन्तु यह बात अवश्य याद रखनी चाहिए कि बच्चे सेना के जवानों की भांति शारीरिक व मानसिक रूप से दृढ़ नहीं होतेl अतः उन्हें अनुशासन में रखने के लिए ऐसे दण्ड दिए जाएँ जो उनके अनुरूप होंl शिक्षकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नियम कम से कम हों और केवल ऐसे ही नियम बनाये जाएँ जिनका सहजता से पालन किया जा सकेl नियम तोड़ने वाले विद्यार्थियों को दण्ड देने से कभी किसी का भला नहीं होता, विशेषकर जगब उसके पास नियमों को तोड़ने वाले पर्याप्त कारण होंl उदाहरण के लिए "कक्षा शोरगुल" पर शिक्षक एवं प्रधानाध्यापक अक्सर नाराजगी दिखाते रहते हैं, लेकिन यह भी संभव है कि शोरगुल कक्षा की जीवन्तता एवं सक्रियता का प्रमाण हो न कि इसका कि शिक्षक कक्षा को नियंत्रित नहीं कर पा रहा हैl इसी प्रकार समयबद्धता को लेकर अक्सर ही कड़ा रुख अपनाया जाता है जो बच्चा ट्रैफिक जाम कि वजह से परिक्षा कक्ष में देरी से पहुंचता है उसे दण्ड नहीं मिलना चाहिएl फिर भी हम ऐसे सख्त नियमों को उच्च स्तरीय मूल्यों के रूप में लागू होते हुए देखते हैं इन मामलों में अनुशासन में दण्ड औचित्यहीन प्रतीत हों एलागता है जो बालक व अविभावकों का मनोबल गिरा देती हैl यदि बालक की बात शांतिपूर्वक सुनी जाए व उसकी समस्या को समझते हुए उचित कदम उठाये जाएँ तो बहुत लाभ हो सकता हैl